मंगल ग्रह पर जल की उपस्थिति
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह के सबसे ऊँचे ज्वालामुखी ओलंपस मॉन्स के ऊपर बर्फ जमी हुई पाई, जो पहली बार लाल ग्रह पर एक विरल लेकिन सक्रिय जल चक्र की उपस्थिति का संकेत देती है।
- एक अन्य घटनाक्रम में एक अध्ययन ने मंगल ग्रह की बाह्य चट्टानी/शैल परत के भीतर जल (द्रव अवस्था में) के विशाल भंडार के अस्तित्व का खुलासा किया, जो ग्रह पर जल की पहली खोज को चिह्नित करता है।
मंगल ग्रह पर जल से संबंधित हाल की खोजें क्या हैं?
- मंगल ग्रह के ज्वालामुखी पर जल: मंगल ग्रह पर सर्दियों के दौरान प्रत्येक सुबह कुछ घंटों के लिये थार्सिस ज्वालामुखी क्षेत्र के प्रारंभिक कैल्डेरा/ज्वालामुखी कुंड, जिसमें ओलंपस मॉन्स भी शामिल है, में बर्फ जम जाती है। मंगल ग्रह की विषुवत्त रेखा पर सूर्य की रोशनी पड़ने पर बर्फ (Patches of Frost) वाष्पित हो जाती है।
- यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के ट्रेस गैस ऑर्बिटर और मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर ने बर्फ/पाले की खोज़ की है। बर्फ/पाला विशेष सूक्ष्म जलवायु द्वारा बनता है जो काल्डेरा और पर्वत चोटियों के आसपास वायु परिसंचरण द्वारा उत्पन्न होता है।
नोट:
- ओलंपस मॉन्स मंगल ग्रह पर सबसे ऊँचा ज्वालामुखी है, जिसकी ऊँचाई 29.9 किलोमीटर (माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई से लगभग 2.5 गुना) है। यह मंगल की विषुवत्त रेखा के निकट पश्चिमी गोलार्द्ध में स्थित है।
- जब ज्वालामुखी फटकर अंदर की ओर गिरता है तो कैल्डेरा अर्थात् ज्वालामुखी कुंड का निर्माण होता है, जिसके परिणामस्वरूप मंगल की सतह (Mars’ Crust) पर एक गड्ढा (Depression) बन जाता है।
- थार्सिस क्षेत्र मंगल ग्रह पर सबसे बड़ा ज्वालामुखी क्षेत्र है जिसमें 12 बड़े ज्वालामुखी हैं।
- मंगल की सतह पर जल:
- 'लिक्विड वाॅटर इन द मार्शियन मिड-क्रस्ट अर्थात् मंगल की मध्य-सतह पर तरल जल’ शीर्षक वाले अध्ययन में NASA के मार्स इनसाइट लैंडर के डेटा का उपयोग किया गया, जो एक भूकंपमापी से सुसज्जित था, जिसने चार वर्षों तक मंगल की भूकंपीय तरंगों को रिकॉर्ड किया।
- मंगल इनसाइट लैंडर मंगल के आंतरिक भागों अर्थात् इसकी सतह, मैंटल और क्रोड का गहन अध्ययन करने वाला पहला मिशन था।
- इनसाइट लैंडर (InSight Lander) द्वारा एकत्र डेटा के लिये सबसे अच्छी व्याख्या यह है कि मंगल की सतह के नीचे ग्रेनाइट जैसी टूटी हुई आग्नेय चट्टान की एक परत मौजूद है, जिसकी दरारें जल से भरी हुई हैं।
- संभवतः यह जल अरबों वर्ष पूर्व सतह से रिसकर अंदर आया होगा, जब मंगल पर नदियाँ, झीलें और संभावित रूप से महासागर थे, जो उस समय ऊपरी सतह के गर्म होने का संकेत देते हैं।
- हालाँकि यह खोज़ मंगल पर जीवन के अस्तित्व की पुष्टि नहीं करती है, लेकिन यह रहने योग्य वातावरण की संभावना का संकेत देती है क्योंकि जीवन के लिये जल आवश्यक है।
- 'लिक्विड वाॅटर इन द मार्शियन मिड-क्रस्ट अर्थात् मंगल की मध्य-सतह पर तरल जल’ शीर्षक वाले अध्ययन में NASA के मार्स इनसाइट लैंडर के डेटा का उपयोग किया गया, जो एक भूकंपमापी से सुसज्जित था, जिसने चार वर्षों तक मंगल की भूकंपीय तरंगों को रिकॉर्ड किया।
मंगल के संदर्भ में मुख्य तथ्य
- मंगल सूर्य से चौथा ग्रह है। यह बुध के बाद सौरमंडल का दूसरा सबसे छोटा ग्रह है।
- इसे ‘लाल ग्रह’ इसलिये कहा जाता है क्योंकि इसके वायुमंडल में लौह खनिज के ऑक्सीकरण के कारण सतह लाल दिखाई देती है।
- मंगल के दो छोटे चंद्रमा फोबोस (Phobos) और डेमोस (Deimos)हैं।
मंगल ग्रह के लिये महत्त्वपूर्ण मिशन |
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मिशन का नाम (वर्ष) |
अंतरिक्ष एजेंसी/देश |
उद्देश्य |
मेरिनर 4 (1964) |
नासा |
मंगल ग्रह के निकट उड़ान भरने और ग्रह की तस्वीरें प्रदान करने वाला पहला अंतरिक्ष यान। |
वाइकिंग 1 और वाइकिंग 2 (दोनों 1975) |
नासा |
मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान |
क्यूरियोसिटी रोवर (2011) |
नासा |
मंगल ग्रह की जलवायु और भूविज्ञान का अध्ययन किया; मंगल ग्रह पर प्रारंभिक काल में जल के साक्ष्य मिले। |
मंगलयान (मंगल ऑर्बिटर मिशन) (2013) |
इसरो |
मंगल ग्रह पर पहला भारतीय मिशन; मंगल ग्रह की सतह की विशेषताओं, आकृति विज्ञान, वायुमंडल और खनिज विज्ञान का अध्ययन करना। |
इनसाइट (2018) |
नासा |
मंगल ग्रह की भूगर्भीय गतिविधि को समझने के लिये इसकी भूपर्पटी, मेंटल और कोर सहित इसके आंतरिक भाग का अध्ययन करना। |
तियानवेन 1 (2020) |
CNSA (चीन) |
मंगल ग्रह की स्थलाकृति और भूविज्ञान का अध्ययन करना तथा जलीय-बर्फ की मात्रा की तलाश करना। |
पर्सिवियरेंस रोवर (2020) |
नासा |
मंगल ग्रह की चट्टानों और मृदा से नमूने एकत्र करने का प्रदर्शन करने वाला पहला मिशन। |
होप मार्स मिशन (2020) |
संयुक्त अरब अमीरात |
मंगल ग्रह के वायुमंडल में मानव जाति का पहला एकीकृत मॉडल बनाना। |
और पढ़ें: मार्सक्वेक
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016) इसरो द्वारा प्रक्षेपित मंगलयान
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल उत्तर: (c) |
जन पोषण केंद्र
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारत सरकार ने गुजरात, राजस्थान, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में 60 उचित दर की दुकानों (FPS) को “जन पोषण केंद्रों” में बदलने के लिये पायलट परियोजना की शुरुआत की।
- इस कदम का उद्देश्य प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत लाभार्थियों को उपलब्ध कराए जा रहे पोषण संबंधी सेवाओं में वृद्धि करना है।
- इस परियोजना में पारदर्शिता और परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिये परिकल्पित कई नए डिजिटल टूल्स और सहायता प्रणालियाँ भी शामिल हैं।
जन पोषण केंद्र पहल क्या है?
- उद्देश्य: इस पहल के तहत राशन डीलरों के समक्ष आने वाली आय संबंधी चुनौतियों को दूर करने के लिये उचित दर की दुकानें सब्सिडी वाले अनाज के अलावा अतिरिक्त वस्तुओं की बिक्री शुरू करेंगी, साथ ही PMGKAY के तहत लाभार्थियों को उपलब्ध पोषण संबंधी सेवाओं में सुधार होगा।
- वर्तमान में 0.54 मिलियन FPS, PMGKAY के तहत 800 मिलियन से अधिक लाभार्थियों को औसतन 60-70 मिलियन टन खाद्यान्न प्रतिवर्ष निशुल्क वितरित करते हैं।
- सरकार को FPS से अतिरिक्त आय की संभावना होती है, क्योंकि बड़ी संख्या में लोग अपनी मासिक पात्रता के अनुसार अनाज लेने के लिये इन दुकानों पर आते हैं।
- इसके अलावा सरकार का लक्ष्य आगामी तीन वर्षों में लगभग 1,00,000 उचित दर की दुकानों को "पोषण केंद्रों" में परिवर्तित करना है।
- वर्तमान में 0.54 मिलियन FPS, PMGKAY के तहत 800 मिलियन से अधिक लाभार्थियों को औसतन 60-70 मिलियन टन खाद्यान्न प्रतिवर्ष निशुल्क वितरित करते हैं।
- मुख्य विशेषताएँ: ये केंद्र सब्सिडी वाले अनाज के अलावा दालों और डेयरी उत्पादों सहित पोषण युक्त खाद्य पदार्थों की विविध शृंखला उपलब्ध कराएंगे।
- इन केंद्रों में 50% स्थान पोषण उत्पादों के भंडारण के लिये आवंटित किया जाएगा, जबकि शेष स्थान का उपयोग अन्य घरेलू वस्तुओं के लिये किया जाएगा।
- FPS को अपने प्रतिस्थापन एवं परिचालन में सहायता हेतु भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) से ऋण एवं बीजक वित्तपोषण प्राप्त होगा।
- इस पहल में डेयरी उत्पादों के लिये अमूल जैसे संगठनों तथा सामग्री की आपूर्ति हेतु उड़ान और जंबोटेल जैसे बिज़नेस-टू-बिज़नेस ई-कॉमर्स (या eB2B) प्लेटफार्मों के साथ सहकार्यता शामिल है।
- डिजिटल टूल्स: इस पहल में कई नए डिजिटल टूल्स को शामिल किया गया है:
- FPS सहायता: राशन डीलरों के लिये कागज़ रहित, उपस्थिति रहित और संपार्श्विक मुक्त वित्तपोषण प्रदान करने वाला एक ऐप है।
- मेरा राशन ऐप 2.0: उपभोक्ताओं को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के बारे में जानकारी प्रदान करने हेतु विकसित ऐप।
- गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली (QMS): यह खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) और भारतीय खाद्य निगम (FCI) में गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं के एकीकरण के लिये एक डिजिटल एप्लिकेशन है।
- QMS खरीद, भंडारण और वितरण के चरणों के दौरान होने वाले सभी प्रमुख लेन-देन को रियल टाइम में रिकॉर्ड करता है।
- डिजिटल टूल्स तथा नई प्रणालियों की शुरूआत से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में परिचालन दक्षता, पारदर्शिता तथा गुणवत्ता नियंत्रण में वृद्धि होने की उम्मीद है।
- अतिरिक्त टूल्स: DFPD ने गुणवत्ता नियंत्रण की एक व्यापक पुस्तिका तैयार की है, जो केंद्रीय पूल के खाद्यान्नों के सख्त गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करने के लिये अपनाई जाने वाली विभिन्न प्रक्रियाओं, मानकों, रोडमैप और नीतियों का उचित विवरण प्रदान करती है।
- इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories-NABL) की मान्यता विभागीय प्रयोगशालाओं के लिये महत्त्वपूर्ण है ताकि वे अंतर्राष्ट्रीय मानकों का अनुपालन कर सकें, गुणवत्ता सुनिश्चित कर सकें और ग्राहकों के विश्वास व संतुष्टि में वृद्धि कर सकें।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) क्या है?
- PMGKAY, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) 2013 के तहत नियमित आवंटन के अलावा निशुल्क खाद्यान्न प्रदान करके निम्न आय वाले परिवारों पर कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिये वर्ष 2020 में शुरू किये गए आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्र सरकार की एक महत्त्वपूर्ण पहल है।
- PMGKAY ने शुरुआत में लगभग 80 करोड़ NFSA लाभार्थियों [अंत्योदय अन्न योजना (AAY) एवं प्राथमिकता वाले परिवार (PHH) सहित] को अतिरिक्त निशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराया।
- प्रत्येक AAY के लाभार्थी को प्रति माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न मिलता है, जबकि PHH लाभार्थियों को 5 किलोग्राम खाद्यान्न (प्रति व्यक्ति प्रति माह) मिलता है।
- इस योजना को अप्रैल 2020 से दिसंबर 2022 तक 28 महीनों के दौरान सात चरणों में क्रियान्वित किया गया। इस दौरान कुल 1,015 लाख मीट्रिक टन (LMT) खाद्यान्न वितरित किया गया।
- पहले दिसंबर 2022 में समाप्त होने वाली इस योजना को दिसंबर 2023 तक बढ़ा दिया गया था। बाद में 1 जनवरी, 2024 को केंद्र सरकार ने अगले पाँच वर्षों तक PMGKAY के तहत लगभग 81.35 करोड़ लाभार्थियों को निशुल्क खाद्यान्न वितरण जारी रखने का निर्णय लिया।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अधीन बनाए गए उपबंधों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) 1 और 2 उत्तर: (b) |
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2024
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में भारत ने 23 अगस्त 2024 को अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया। यह 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर की चंद्र सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग को चिह्नित करने हेतु मनाया गया।
- इसके अतिरिक्त चंद्रयान-3 पर आधारित वर्तमान निष्कर्ष चंद्रमा की दक्षिणी ऊपरी मृदा की संरचना का पहला विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं और चंद्र सतह पर पर पिघले हुए पदार्थ के समुद्र की परिकल्पना का समर्थन करते हैं।
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस क्यों मनाया जाता है?
- परिचय:
- 23 अगस्त को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों, विशेष रूप से चंद्रयान-3 की सफलता का स्मरण कराता है।
- वर्ष 2023 में चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के साथ भारत चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने वाला चौथा देश बन गया और इसके दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र तक पहुँचने वाला पहला देश बन गया।
- यह भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमताओं पर प्रकाश डालता है और इसका उद्देश्य भविष्य की पीढ़ियों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में कॅरियर बनाने के लिये प्रेरित करना है, जो भारत के चल रहे अंतरिक्ष प्रयासों में योगदान देगा।
- राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2024 का विषय:
- राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2024 का विषय है 'चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा'।
चंद्रयान-3 की वर्तमान खोज क्या हैं?
- मुख्य निष्कर्ष:
- चंद्रयान 3 के लैंडिंग स्थल के आस-पास का क्षेत्र काफी हद तक एक समान है।
- चंद्र सतह के नीचे कभी गर्म, पिघली हुई चट्टान या मैग्मा का एक समुद्र मौजूद था।
- चंद्रमा की भूपर्पटी परतों से बनी है, जो चंद्र मैग्मा महासागर (LMO) परिकल्पना का समर्थन करती है।
- चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के आस-पास की ऊपरी मृदा में अपेक्षा से कहीं ज़्यादा खनिज मौजूद हैं, जो चंद्र भूपर्पटी की निचली परतों का निर्माण करते हैं।
- LMO परिकल्पना और चंद्र क्रस्ट का गठन:
- माना जाता है कि चंद्रमा लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले पृथ्वी के साथ एक विशाल क्षुद्रग्रह के टकराव से बना था, जिससे एक पिघली हुई सतह बनी जो अंततः ठंडी हो गई।
- इस प्रक्रिया में ओलिवाइन और पाइरोक्सिन जैसे भारी खनिज निचली परत एवं ऊपरी मेंटल में डूब गए, जबकि कैल्शियम और सोडियम-आधारित यौगिकों जैसे हल्के खनिज ऊपरी परत बनाने के लिये तैरते रहे।
वर्ष 2003-24 में भारतीय अंतरिक्ष मिशनों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- आदित्य-L1 मिशन:
- आदित्य-L1 मिशन 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी से सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन है। पृथ्वी-सूर्य लैग्रेंज बिंदु, L1 से सूर्य का अध्ययन करता है।
- गगनयान TV-D1 परीक्षण:
- ISRO ने गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिये संशोधित L- 40 विकास इंजन का प्रयोग कर अपने फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (TV-D1) का संचालन किया।
- इस परीक्षण ने क्रू एस्केप सिस्टम (CES) क्षमताओं का प्रदर्शन किया, जिसमें परीक्षण वाहन से पृथक् होना, क्रू मॉड्यूल सुरक्षा और बंगाल की खाड़ी में स्पलैशडाउन से पूर्व मंदन शामिल है। मॉड्यूल को भारतीय नौसेना के पोत INS शक्ति द्वारा रिकवर किया गया था।
- XPoSat लॉन्च:
- 1 जनवरी 2024 को ISRO ने अंतरिक्ष में विकिरण ध्रुवीकरण का अध्ययन करने के उद्देश्य से X-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) लॉन्च किया।
- यह NASA द्वारा वर्ष 2021 में प्रक्षेपित इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर (IPEX) के बाद इसी तरह का दूसरा अंतरिक्ष-आधारित उपग्रह है।
- RLV-TD प्रयोग:
- ISRO ने मार्च और जून 2024 में कर्नाटक के अपने एयरोनॉटिकल टेस्टिंग रेंज चल्लकेरे में पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान पुष्पक के डाउनस्केल्ड संस्करण का उपयोग करके दो लैंडिंग प्रयोग किये।
- इन परीक्षणों में अंतरिक्ष लैंडिंग स्थितियों का अनुकरण किया गया, जिसमें लैंडिंग प्रदर्शन का आकलन करने के लिये पुष्पक को चिनूक हेलीकॉप्टर से उतारा गया।
- SSLV विकास:
- अगस्त 2024 में ISRO ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) की तीसरी और अंतिम विकास उड़ान शुरू की, जिसने EOS-08 और SR-0 डेमोसैट उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया।
- लगातार दो सफल परीक्षण उड़ानों के साथ ISRO ने SSLV के विकास को पूरा किया और इसे उद्योग जगत को हस्तांतरित कर दिया।
- निजी अंतरिक्ष मिशन:
- मार्च 2024 में अग्निकुल कॉसमॉस ने अपने SoRTeD-01 वाहन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जो भारत से अपने पहले चरण के रूप में अर्द्ध-क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित वाहन का पहला प्रक्षेपण था।
- स्काईरूट एयरोस्पेस अपने विक्रम 1 लॉन्च वाहन की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
- ध्रुव स्पेस और बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस ने जनवरी 2024 में PSLV-C58 मिशन के चौथे चरण पर अपने पेलोड के लिये परिक्रमा मंच के रूप में प्रयोग किये।
और पढ़ें: चंद्रयान-3 मिशन
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016) इसरो द्वारा प्रक्षेपित मंगलयान
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल उत्तर: (c) मेन्सप्रश्न. अन्तरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों की चर्चा कीजिये। इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायक हुआ है? (2016) |
CEA ने प्रोम्प्ट, ड्रिप्स और जलविद्युत-DPR पोर्टल लॉन्च किये
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में केंद्रीय विद्युत मंत्री ने विद्युत क्षेत्र की दक्षता, पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये तीन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म - प्रोमप्ट, ड्रिप्स और जलविद्युत DPR लॉन्च किये हैं। NTPC की सहायता से केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) ने इन ऑनलाइन पोर्टलों को विकसित किया है।
- थर्मल परियोजनाओं की ऑनलाइन निगरानी हेतु पोर्टल (PROMPT):
- यह भारत में निर्माणाधीन ताप विद्युत परियोजनाओं के वास्तविक समय ऑनलाइन ट्रैकिंग और विश्लेषण को सक्षम करेगा।
- इस प्लेटफॉर्म को ताप विद्युत संयंत्रों के निर्माण में देरी का कारण बनने वाली समस्याओं की शीघ्र पहचान और समाधान के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- विद्युत क्षेत्र के लिये आपदा रोधी अवसंरचना (DRIPS):
- जल विद्युत DPR:
- जल विद्युत और पंप भंडारण परियोजनाओं के सर्वेक्षण एवं जाँच गतिविधियों की निगरानी हेतु ऑनलाइन पोर्टल (जल विद्युत DPR) मंच पूरे देश में निर्माणाधीन जलविद्युत पंप भंडारण परियोजनाओं की स्थिति पर वास्तविक समय की जानकारी देगा।
- इस मंच का उद्देश्य इन संयंत्रों के निर्माण में प्रबंधन और समन्वय को बढ़ाना है।
- केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) की स्थापना वर्ष 1951 में विद्युत (आपूर्ति) अधिनियम, 1948 के तहत की गई थी। बाद में इसे विद्युत अधिनियम, 2003 द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया।
- यह विद्युत मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और राष्ट्रीय विद्युत योजना तैयार करता है। यह नए जलविद्युत संयंत्रों को मंजूरी देता है और कई अन्य कार्य भी करता है।
- इसमें केंद्र सरकार द्वारा एक अध्यक्ष और 6 पूर्णकालिक सदस्य होते हैं।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
और पढ़ें: IEA की इलेक्ट्रिसिटी 2024 रिपोर्ट
P2P ऋण देने वाले प्लेटफॉर्मों पर RBI द्वारा त्वरित जाँच
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी-पीयर टू पीयर (P2P) लेंडिंग प्लेटफॉर्म पर अपनी नियामक जाँच तेज़ कर दी है, जिसमें गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के उच्च स्तर सहित कई नियामक उल्लंघनों का पता चला है।
- अनधिकृत जमा स्वीकृति और एस्क्रो अकाउंट (Escrow Account) में संदिग्ध रूप से बड़ी शेष राशि उन उल्लंघनों में से थे जिन्हें RBI ने अपने मूल्यांकन के दौरान पाया और रिपोर्ट किया।
- कुछ P2P प्लेटफॉर्म ऋणदाताओं को समय से पहले धन-निकासी की अनुमति देते थे तथा उन्हें नए ऋणदाताओं से प्रतिस्थापित कर देते थे, जिन्हें स्वयं के द्वारा लिये जा रहे ऋणों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती थी, इसे ही पोंज़ी योजना के रूप में जाना जाता है।
- पोंज़ी योजना एक निवेश धोखाधड़ी है जिसमें नए निवेशकों से एकत्रित धन से मौजूदा निवेशकों को भुगतान किया जाता है।
- पोंज़ी योजना का नाम चार्ल्स पोंज़ी के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने वर्ष 1919 में बोस्टन, संयुक्त राज्य अमेरिका में एक धोखाधड़ी वाली निवेश योजना चलाई थी, जिसमें 90 दिनों में निवेश को दोगुना करने का वादा किया गया था।
- पोंज़ी योजना एक निवेश धोखाधड़ी है जिसमें नए निवेशकों से एकत्रित धन से मौजूदा निवेशकों को भुगतान किया जाता है।
- P2P प्लेटफॉर्म व्यक्तियों को RBI-विनियमित NBFC के माध्यम से उधारकर्त्ताओं को सीधे ऋण देने में सक्षम बनाता है, जिससे अल्पकालिक आवश्यकताओं के लिये त्वरित ऋण वितरण की सुविधा मिलती है।
- RBI के जिन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हुआ है उनमें कहा गया है कि NBFC-P2P संस्थाओं को किसी भी ऋण जोखिम को उठाए बिना केवल मध्यस्थ के रूप में कार्य करना चाहिये।
- P2P प्लेटफॉर्म पीयर-टू-पीयर ऋण को निवेश उत्पाद के रूप में बढ़ावा नहीं दे सकते, जिसमें सुनिश्चित न्यूनतम रिटर्न या तरलता विकल्प जैसी विशेषताएँ हों।
RBI गवर्नर को A+ वैश्विक रेटिंग
स्रोत : हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास को ग्लोबल फाइनेंस सेंट्रल बैंकर रिपोर्ट कार्ड्स 2024 में 'A+' रेटिंग प्राप्त करने के लिये बधाई दी, जो इस उच्च सम्मान की उनकी लगातार दूसरी उपलब्धि है।
- शक्तिकांत दास डेनमार्क के क्रिश्चियन केटल थॉमसन और स्विट्जरलैंड के थॉमस जॉर्डन के साथ "A+" रेटिंग प्राप्त करने वाले वैश्विक रूप से केवल तीन केंद्रीय बैंकरों में से एक हैं।
- ग्लोबल फाइनेंस पत्रिका द्वारा मूल्यांकन की गई यह रेटिंग, मुद्रास्फीति नियंत्रण, आर्थिक विकास, मुद्रा स्थिरता और ब्याज दर प्रबंधन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में उनके प्रदर्शन के आधार पर लगभग 100 महत्त्वपूर्ण देशों के केंद्रीय बैंक गवर्नरों का मूल्यांकन करती है, जिसमें "A+" से लेकर "F" तक के ग्रेड होते हैं।
- ग्लोबल फाइनेंस के सेंट्रल बैंकर रिपोर्ट कार्ड, जो वर्ष 1994 में शुरू किये गए, आर्थिक चुनौतियों के प्रबंधन में केंद्रीय बैंक की प्रभावशीलता के एक प्रमुख संकेतक के रूप में कार्य करते हैं।
- यह मान्यता विशेष रूप से अस्थिर वैश्विक आर्थिक परिवेश में, मुद्रास्फीति नियंत्रण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन स्थापित करने में RBI की सफलता को रेखांकित करती है।
और पढ़ें: भारतीय रिज़र्व बैंक
कैलिफाॅर्नियम
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में बिहार के गोपालगंज में पुलिस ने 50 ग्राम अत्यधिक रेडियोधर्मी धातु कैलिफाॅर्नियम ज़ब्त किया, जिसकी अनुमानित कीमत 850 करोड़ रुपए है।
- कैलिफाॅर्नियम एक चांदी जैसी सफेद धातु है, जो कमरे के तापमान पर वायु के संपर्क में आने पर धीरे-धीरे फीकी पड़ जाती है।
- यह इतनी नरम और लचीली होती है कि इसे रेज़र ब्लेड से काटा जा सकता है और इसकी वर्णक्रमीय रेखाओं की पहचान सुपरनोवा में की गई है।
- कैलिफाॅर्नियम का रासायनिक संकेत ‘Cf’ और परमाणु क्रमांक 98 है।
- वर्ष 1950 में बर्कले में निर्मित यह एक शक्तिशाली न्यूट्रॉन उत्सर्जक है।
- इसका उपयोग पोर्टेबल मेटल डिटेक्टरों में सोने और चाँदी के अयस्कों की पहचान करने, कुओं में जल और तेल की परतों का पता लगाने तथा हवाई जहाज़ों में धातु की तन्यता का पता लगाने के लिये किया जाता है।
- जब विकिरण चिकित्सा निरर्थक हो जाती है तब कैलिफाॅर्नियम (Cf-252) से उत्सर्जित न्यूट्रॉन का उपयोग मस्तिष्क और गर्भाशय-ग्रीवा के कैंसर के उपचार के लिये किया जाता है।
- अत्यधिक रेडियोधर्मी और अत्यंत महँगी होने के कारण कैलिफोर्नियम की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में लगभग 17 करोड़ रुपए प्रति ग्राम है (जो विश्व के सबसे महंगे पदार्थों में से एक है)।
और पढ़ें: यूरेनियम की अवैध बिक्री