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भूगोल

चट्टानें

  • 12 Oct 2022
  • 10 min read

चट्टान या शैल क्या हैं?

  • पृथ्वी की ऊपरी परत चट्टानों से बनी है। एक चट्टान एक या एक से अधिक खनिजों का समुच्चय है। चट्टान कठोर या मुलायम साथ ही विभिन्न रंगों की हो सकती है। उदाहरण के लिये:
    • ग्रेनाइट कठोर है, सोपस्टोन मुलायम है।
    • गैब्रो काला है और क्वार्टजाइट दूधिया सफेद हो सकता है।
    • चट्टानों में खनिज घटकों की निश्चित संरचना नहीं होती है। फेल्डस्पार और क्वार्ट्ज चट्टानों में पाए जाने वाले सबसे आम खनिज हैं।
    • विभिन्न प्रकार की चट्टानें हैं जिन्हें उनके निर्माण के तरीके के आधार पर तीन वर्गों में बांँटा गया है।
  • आग्नेय शैल: मैग्मा और लावा के जमने से आग्नेय चट्टान का निर्माण होता है। इसे प्राथमिक चट्टान के रूप में भी जाना जाता है। उदाहरण: ग्रेनाइट और बेसाल्ट आदि।
  • अवसादी शैल: अवसादी चट्टानें बहिर्जात प्रक्रियाओं द्वारा चट्टानों के टुकड़ों के जमाव का परिणाम हैं। इसे द्वितीयक चट्टानों के रूप में भी जाना जाता है। जैसे: बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, शेल आदि।
  • रूपांतरित शैल: पहले से मौजूद चट्टानें, जो पुनर्क्रिस्टलीकरण के दौर से गुजर रही हैं, रूपांतरित चट्टानें कहलाती हैं। तृतीयक चट्टानें रूपांतरित चट्टानों का दूसरा नाम हैं। जैसे: फायलाइट, शिस्ट, नीस, क्वार्टजाइट और मार्बल आदि।

आग्नेय (Igneous) शैल क्या हैं?

  • आग्नेय चट्टानें पृथ्वी के आंतरिक भाग से मैग्मा और लावा से बनती हैं, उन्हें प्राथमिक चट्टान के रूप में जाना जाता है।
    • मैग्मा के ठंडा होने और जमने पर आग्नेय चट्टानें बनती हैं। जब मैग्मा ऊपर की ओर गति करते हुए ठंडा होकर ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है तो इसे आग्नेय चट्टान कहते हैं।
    • शीतलन और जमने की प्रक्रिया पृथ्वी की ऊपरी परत या पृथ्वी की सतह पर हो सकती है।
  • आग्नेय चट्टानों को बनावट के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। बनावट कणों के आकार एवं इनकी व्यवस्था या मैग्मा में पाए जाने वाले पदार्थों की अन्य भौतिक स्थितियों पर निर्भर करती है।
    • यदि मैग्मा को बहुत अधिक गहराई पर धीरे-धीरे ठंडा किया जाता है, तो खनिज के कण बहुत बड़े हो सकते हैं।
    • अचानक ठंडा (सतह पर) होने से छोटे और चिकने दाने होते हैं।
    • शीतलन की मध्यवर्ती स्थितियों के परिणामस्वरूप आग्नेय चट्टानें बनाने वाले कण के मध्यवर्ती आकार होंगे।
  • ग्रेनाइट, गैब्रो, पेगमाटाइट, बेसाल्ट, ज्वालामुखीय ब्रेक्सिया और टफ आग्नेय चट्टानों के कुछ उदाहरण हैं।
  • शीतलन और जमने की प्रक्रिया पृथ्वी की पर्पटी में या पृथ्वी की सतह पर हो सकती है।

अवसादी (Sedimentary) शैल क्या हैं?

  • 'Sedimentary' शब्द लैटिन शब्द सेडिमेंटम से बना है, जिसका अर्थ है, बसना।
  • पृथ्वी की सतह की चट्टानें कई प्राकृतिक कारणों (वायु, तेज बहाव वाला जल) से विभिन्न आकारों के टुकड़ों में टूट जाती हैं।
    • इस तरह के टुकड़े विभिन्न बहिर्जात बलों के ज़रिये किसी अन्य स्थान पर जमा हो जाते हैं। संघनन के माध्यम से ये जमा की हुई परतें चट्टानों में बदल जाते हैं। इस प्रक्रिया को लिथिफिकेशन कहा जाता है।
  • कई अवसादी चट्टानों में, जमा की हुई परतें लिथिफिकेशन के बाद भी अपनी विशेषताओं को बरकरार रखती हैं।
  • अवसादी चट्टानों जैसे बलुआ पत्थर, शेल आदि में परतों की संख्या के अनुरूप अलग-अलग मोटाई होती है ।
  • गठन के तरीके के आधार पर अवसादी चट्टानों को तीन प्रमुख समूहों में वर्गीकृत किया जाता है:
    • यांत्रिक रूप से निर्मित: बलुआ पत्थर, समूह, चूना पत्थर, शेल, लोस आदि।
    • कार्बनिक रूप से निर्मित: गीसेराइट, चाक, चूना पत्थर, कोयला आदि।
    • रासायनिक रूप से निर्मित: चर्ट, चूना पत्थर, हलाइट, पोटाश आदि।

रूपांतरित (Metamorphic) शैल क्या हैं?

  • Metamorphic शब्द का अर्थ है 'रूप का परिवर्तन'। ये चट्टानें दबाव, आयतन और तापमान (PVT) परिवर्तनों की क्रिया के तहत बनती हैं।
  • रूपांतरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा पहले से ही समेकित चट्टानें मूल चट्टानों के भीतर कणों के पुनर्क्रिस्टलीकरण और पुनर्गठन से गुजरती हैं।
  • रूपांतरण तब होता है जब टेक्टोनिक प्रक्रियाओं द्वारा चट्टानों को निचले स्तर तक बल लगता है या जब क्रस्ट के माध्यम से उठने वाला पिघला हुआ मैग्मा क्रिस्टल चट्टानों के संपर्क में आता है या अंतर्निहित चट्टानें चट्टानों के ऊपर से बड़ी मात्रा में दबावपूर्ण अवस्था में होती हैं।
  • बिना किसी महत्त्वपूर्ण रासायनिक परिवर्तन के टूटने और घिसने के कारण चट्टानों के भीतर मूल खनिजों के यांत्रिक विघटन और पुनर्गठन को गतिशील रूपांतरण कहा जाता है। तापीय रूपांतरण के कारण चट्टानों की सामग्री (वे पदार्थ जिससे चट्टानें बनती है) रासायनिक रूप से बदल जाती है और पुनः क्रिस्टलीकृत हो जाती है।

तापीय रूपांतरण दो प्रकार के होते हैं:

  • कॉन्टैक्ट रूपांतरण:
    • कॉन्टैक्ट रूपांतरण में चट्टानें गर्म मैग्मा और लावा के संपर्क में आती हैं और चट्टान सामग्री उच्च तापमान के तहत पुन: क्रिस्टलीकृत हो जाती है।
    • अक्सर मैग्मा या लावा से बने नए पदार्थ चट्टानों में जुड़ जाते हैं।
  • क्षेत्रीय रूपांतरण:
    • उच्च तापमान या दबाव या दोनों के साथ टेक्टोनिक गतिविधियों से होने वाली विकृति के कारण चट्टानें पुनर्क्रिस्टलीकरण से गुजरती हैं।
    • कुछ चट्टानों में रूपांतरण की प्रक्रिया में कण या खनिज परतों या रेखाओं में व्यवस्थित हो जाते हैं।
    • रूपांतरित चट्टानों में खनिजों या कणों की ऐसी व्यवस्था को फोलियेशन या लाइनेशन कहा जाता है।
    • कभी-कभी विभिन्न समूहों के खनिजों या सामग्रियों को हल्के और गहरे रंगों में दिखाई देने वाली पतली से मोटी परतों में व्यवस्थित किया जाता है। रूपांतरित चट्टानों में ऐसी संरचना को बैंडिंग कहा जाता है और बैंडिंग प्रदर्शित करने वाली चट्टानों को बैंडेड चट्टानें कहा जाता है।
  • रूपांतरित चट्टानों के प्रकार मूल चट्टानों पर निर्भर करते हैं जो रूपांतरण की प्रक्रिया में थे।
  • रूपांतरित चट्टानों को भी दो प्रमुख समूहों में वर्गीकृत किया जाता है जैसे कि परतदार चट्टानें और गैर-परतदार चट्टानें। नीस, साइनाइट, स्लेट, शिस्ट, मार्बल, क्वार्टजाइट आदि रूपांतरित चट्टानों के कुछ उदाहरण हैं।

शैल चक्र (Rock Cycle) क्या है?

  • चट्टानें लंबे समय तक अपने मूल रूप में नहीं रहती हैं, वो रूपांतरण से गुजर सकती हैं।
  • चट्टान चक्र एक सतत् प्रक्रिया है जिसके माध्यम से पुरानी चट्टानें नई चट्टानों में बदल जाती हैं।
  • आग्नेय चट्टानें प्राथमिक चट्टानें हैं और अन्य चट्टानें (अवसादी और रूपांतरित) इन प्राथमिक चट्टानों से बनती हैं।
  • आग्नेय चट्टानों को रूपांतरित चट्टानों में बदला जा सकता है।
  • आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों से निकले टुकड़े अवसादी चट्टानों में बनते हैं।
  • अवसादी चट्टानें स्वयं टुकड़ों में बदल सकती हैं और दूसरे टुकड़े भी अवसादी चट्टानों के निर्माण का स्रोत हो सकते हैं।
  • क्रिस्टल चट्टानों को प्रविष्टन प्रक्रिया के माध्यम से मेंटल में ले जाया जा सकता है और आंतरिक तापमान में वृद्धि के कारण यह पिघल जाती है और पिघले हुए मैग्मा में बदल जाती है, जो आग्नेय चट्टानों का मूल स्रोत है।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

Q. प्राथमिक चट्टानों की विशेषताओं और प्रकारों का वर्णन कीजिये।

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