विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
पर्सपेक्टिव: विघटनकारी और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियाँ
- 29 Dec 2023
- 22 min read
प्रिलिम्स के लिये:विघटनकारी प्रौद्योगिकी, रोबोटिक्स, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, जेनेरेटिव AI, लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स (LLM), फ्यूचरस्किल्स PRIME प्रोग्राम, कृत्रिम बुद्धिमता पर वैश्विक साझेदारी (GPAI), नेशनल AI पोर्टल ऑफ इंडिया, AI फॉर ऑल, रिस्पॉन्सिबल AI फॉर यूथ प्रोग्राम मेन्स के लिये:विघटनकारी और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का महत्त्व और लाभ |
प्रसंग क्या है?
समकालीन संदर्भ में देखें तो हम पाएंगे कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार, सामाजिक आवश्यकताओं और नियामक ढाँचे के बीच संबंध निरंतर विकसित हो रहे हैं। परिवर्तन की तीव्र गति के साथ विघटनकारी और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के प्रभाव को हम विभिन्न क्षेत्रों में महसूस कर सकते हैं। इन सभी का प्रभाव हमारे रहन-सहन, काम करने के तरीके तथा विश्व के साथ हमारे संबंधों पर पड़ रहा है।
विघटनकारी और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियाँ क्या हैं?
- परिचय:
- ऐसे नवोन्मेषी विचार जो नए उत्पादों, सेवाओं अथवा तकनीकों की शुरुआत के माध्यम से बाज़ारों, उद्योगों या सामाजिक मानदंडों में बड़ा परिवर्तन लाते हैं, विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के रूप में जाने जाते हैं। ये प्रौद्योगिकियाँ अक्सर समाधान सुनिश्चित करती हैं, जिससे मौजूदा स्थिति पर काफी प्रभाव पड़ता है।
- आमतौर पर विघटनकारी प्रौद्योगिकियाँ बेहतर दक्षता, कम लागत या नवीन सुविधाएँ प्रदान कर व्यवसाय के पारंपरिक मॉडल को चुनौती देती हैं तथा विभिन्न क्षेत्रों के लिये नई दिशा और दशा तय करती हैं।
- अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों से आशय उन्नत नवाचारों से है जो अक्सर या तो संकल्पना के स्तर में होती हैं या जिनका विकास कार्य तेज़ी से हो रहा हो होता है, इन प्रौद्योगिकियों में भविष्य में मानव जीवन तथा समाज के विभिन्न पहलुओं पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालने की क्षमता होती है।
- इस व्यापक धारणा के कारण कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियाँ विघटनकारी हैं, इन दोनों शब्दों का उपयोग पर्यायवाची रूप से भी किया जाता है।
- ऐसे नवोन्मेषी विचार जो नए उत्पादों, सेवाओं अथवा तकनीकों की शुरुआत के माध्यम से बाज़ारों, उद्योगों या सामाजिक मानदंडों में बड़ा परिवर्तन लाते हैं, विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के रूप में जाने जाते हैं। ये प्रौद्योगिकियाँ अक्सर समाधान सुनिश्चित करती हैं, जिससे मौजूदा स्थिति पर काफी प्रभाव पड़ता है।
- उदाहरण:
- स्मार्टफोन: एक ही उपकरण में कई कार्यों को एकीकृत करके इसने पारंपरिक मोबाइल फोन और विभिन्न उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के विकास को बाधित किया।
- स्ट्रीमिंग सेवाएँ: इंटरनेट पर ऑन-डिमांड, सदस्यता आधारित कंटेंट/सामग्री तक पहुँच प्रदान करते हुए इसने पारंपरिक केबल और सैटेलाइट टीवी के व्यापार-विकास को नुकसान पहुँचाया।
- इलेक्ट्रिक वाहन: आंतरिक दहन वाले इंजनों के प्रभुत्व को चुनौती देते हुए इसने अधिक स्थायी इलेक्ट्रिक विकल्प प्रदान करके ऑटोमोटिव उद्योग को भी काफी नुकसान पहुँचाया है।
- 3D प्रिंटिंग: न्यूनतम अपशिष्ट के साथ व्यक्तिगत, ऑन-डिमांड वस्तुओं के उत्पादन को सक्षम करके इसने विनिर्माण प्रक्रियाओं में भी काफी बदलाव किया है।
- ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी: डिजिटल लेन-देन के विकेंद्रीकृत और सुरक्षित तरीकों की शुरुआत से पारंपरिक वित्तीय प्रणालियों पर काफी प्रभाव पड़ा है।
विघटनकारी और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग क्या हैं?
- प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तीव्र प्रगति:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी प्रौद्योगिकियों के तीव्र विकास से विभिन्न उद्योगों में नवाचार में भी काफी बढ़ोतरी हो रही है।
- रोबोटिक्स जैसे अन्य क्षेत्रों के साथ AI का एकीकरण के चलते अधिक शक्तिशाली और बहुमुखी समाधानों के विकास का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।
- डिजिटल परिवर्तन:
- विभिन्न क्षेत्रों के संगठन डिजिटल परिवर्तन के दौर से गुज़र रहे हैं, वे प्रौद्योगिकी के उपयोग से उपभोक्ता अनुभवों को बेहतर बनाने, परिचालन दक्षता बढ़ाने और प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं।
- क्लाउड कंप्यूटिंग, एज़ (Edge) कंप्यूटिंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) प्रौद्योगिकियों की इस परिवर्तन में महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
- दूरस्थ कार्य और सहयोग:
- कोविड-19 महामारी के बाद से दूरस्थ कार्य और आभासी सहयोग को गति मिली है। दूरस्थ संचार, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तथा डिजिटल सहयोग करने वाली प्रौद्योगिकियाँ वर्तमान समय में आवश्यक हो गई हैं।
- स्वास्थ्य क्षेत्र संबंधी प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी:
- स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के अंतर्गत टेलीमेडिसिन, व्यक्तिगत चिकित्सा, जीनोमिक्स और जैव सूचना विज्ञान जैसे क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है।
- महामारी के कारण स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों के विकास को नई गति मिली है, जिसमें वैक्सीन विकास, नैदानिक उपकरण तथा डेटा-संचालित स्वास्थ्य देखभाल समाधानों पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है।
- नवीकरणीय ऊर्जा और संधारणीयता:
- पर्यावरणीय चिंताओं का समाधान करने के लिये संधारणीय प्रौद्योगिकियों और ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों पर बल दिया जा रहा है। संधारणीय भविष्य के निर्माण में ऊर्जा भंडारण, स्मार्ट ग्रिड एवं विद्युत परिवहन में प्रगति का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
- ब्लॉकचेन और विकेंद्रीकृत वित्त (DeFi):
- ब्लॉकचेन तकनीक का अनुप्रयोग अब क्रिप्टोकरेंसी तक सीमित नहीं है, इसके अनुप्रयोगों का विस्तार और विकास कार्य जारी है। ब्लॉकचेन और विकेंद्रीकृत वित्त (DeFi) प्लेटफॉर्म बैंकिंग, ऋण तथा व्यापार के लिये विकेंद्रीकृत विकल्प प्रदान करके पारंपरिक वित्त को नया आकार दे रहा है।
- अंतरिक्ष अन्वेषण और व्यावसायीकरण:
- सार्वजनिक और निजी दोनों प्रकार के संस्थाओं की रुचि में गुणात्मक वृद्धि के साथ अंतरिक्ष क्षेत्र का भी पुनरुत्थान हुआ है। वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्रा, उपग्रह तारामंडल और चंद्र अन्वेषण परियोजनाएँ गति पकड़ रही हैं।
- नैनो प्रौद्योगिकी:
- इस तकनीक के कई उपयोग हैं, जिनमें प्रमुख तौर पर नैनोस्केल पर सामग्रियों में संशोधन करके नई क्षमताएँ विकसित करना; सामग्री विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा चिकित्सा क्षेत्र में अनुप्रयोग।
- आभासी एवं संवर्द्धित वास्तविकता:
- वर्चुअल रियलिटी (VR) और संवर्द्धित वास्तविकता/ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) जैसी बेहतरीन प्रौद्योगिकियों ने गेमिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल तथा वर्चुअल सहयोग में अनुप्रयोगों के साथ डिजिटल अनुभवों को काफी बेहतर बनाया है।
विघटनकारी प्रौद्योगिकी के क्या लाभ हैं?
- नियमित गतिविधियों में नवाचार: विघटनकारी प्रौद्योगिकी की प्रमुख विशेषताओं में से एक उपभोक्ताओं को बैंकिंग, वित्त, रियल एस्टेट, आपूर्ति शृंखला आदि में नवीन एवं उल्लेखनीय लाभ प्रदान करने की क्षमता है। बाज़ार में इस प्रकार की तकनीक के आ जाने से उद्योग पूरी तरह बदल जाता है।
- व्यक्ति और व्यवसाय दोनों विघटनकारी प्रौद्योगिकी को अपने रोज़मर्रा के जीवन में शामिल करके इसका लाभ उठा सकते हैं।
- तकनीकी सुधार और संशोधन: उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान करने के लिये यह आवश्यक है कि आधुनिक तरीकों को अपनाया जाए।
- चैटबॉट्स और अन्य नवीन तकनीकों का उपयोग करके विघटनकारी प्रौद्योगिकी किसी व्यवसाय द्वारा उसके संचालन कार्यों की आकलन प्रक्रिया और तद्नुसार समायोजन में बदलाव करने में मदद करती है। इससे ग्राहक सेवा एवं व्यवसाय में काफी सुधार किया जा सकता है।
- स्टार्टअप कंपनियों का विकास: विघटनकारी प्रौद्योगिकी स्टार्टअप कंपनियों को उनके मौजूदा उद्योगों में अपनी पकड़ और मज़बूत करने में मदद करती है।
- यह लघु स्टार्टअप को तेज़ी से विकसित होने तथा स्टार्टअप को नई ऊँचाइयों पर ले जाने, संभावित रूप से अधिक अच्छी तरह से स्थापित कंपनियों के साथ स्पर्द्धा एवं बेहतर प्रदर्शन करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।
- व्यवसाय का विस्तार: जब अच्छी तरह स्थापित व्यवसाय स्वेच्छापूर्वक विघटनकारी प्रौद्योगिकी को अपनाते हैं, तब उन्हें अपने वर्तमान उद्योग अथवा प्रौद्योगिकी की सहायता से विकसित नवीन उद्योग की प्रगति के प्रमुख अवसर प्राप्त होते हैं। इससे देश का आर्थिक संवर्द्धन भी होता है।
- ऐसे व्यवसाय जो अपने वर्तमान उत्पाद और सेवा पेशकशों में विघटनकारी प्रौद्योगिकी को सफलतापूर्वक एकीकृत करते हैं, वे वर्तमान उपभोक्ताओं को विघटनकारी प्रौद्योगिकी की सहायता से तैयार नवीन सेवाओं एवं उत्पादों की ओर संक्रमण करने में सहायता कर सकते हैं, साथ ही पहले से अप्रयुक्त बाज़ार में प्रवेश करके नए ग्राहकों को आकर्षित कर सकते हैं।
- भारत की सूचना प्रौद्योगिकी क्षमता का लाभ उठाना: भारत का सॉफ्टवेयर उद्योग अच्छी तरह से स्थापित है और 'डिजिटल इंडिया' के हिस्से के रूप में कनेक्टिविटी बढ़ाने की योजना भी अच्छी तरह संचालित हो रही है।
- इससे छोटे शहरों में अतिरिक्त विनिर्माण केंद्रों की स्थापना करने एवं प्रमुख शहरों के बाहर औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- पर्यावरणीय संधारणीयता: नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा भंडारण और सतत् प्रथाओं में विघटनकारी प्रौद्योगिकियों का उपयोग गैर-नवीकरणीय संसाधनों पर निर्भरता में कमी तथा पारिस्थितिक प्रभाव को कम करके पर्यावरण संरक्षण में योगदान करती हैं।
- वैयक्तिकरण और अनुकूलन: विभिन्न विघटनकारी प्रौद्योगिकियाँ वैयक्तिकृत अनुभव और अनुकूलित समाधान प्रदान करती हैं। इसमें वैयक्तिकृत दवा, अनुकूलित उपभोक्ता उत्पाद एवं व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के आधार पर लक्षित विज्ञापन शामिल हैं।
विघटनकारी और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- विकासशील देशों के लिये चुनौतीपूर्ण:
- भारत जैसे विकासशील देश के लिये इस दिशा में कार्य करना चुनौतीपूर्ण है, इसके प्रमुख कारण मानव पूंजी की कमी, अप्रभावी संस्थान एवं जटिल व्यावसायिक वातावरण आदि हैं।
- विश्वास एवं नैतिकता संबंधी चिंताएँ:
- विघटनकारी प्रौद्योगिकी स्वयं में समस्याप्रद नहीं है, किंतु गोपनीयता, स्वामित्व और पारदर्शिता से संबंधित कुछ नैतिक मुद्दे अवश्य ही इन प्रौद्योगिकियों से संबंधित हैं जो चिंता का विषय हो सकते हैं।
- अनुकूलनीयता संबंधी चुनौतियाँ:
- जटिल बाज़ार स्थितियों में विघटनकारी नवाचारों की सार्थकता सिद्ध होने में समय लगता है और बाज़ार में प्रवेश करने में भी काफी समय लगता है। विघटनकारी नवाचारों को व्यावसायिक वातावरण के भी अनुकूल होना आवश्यक है।
- परीक्षणरहित और अधिक समय की मांग:
- नई तकनीक आम तौर पर अपने आरंभिक चरण में अप्रयुक्त और अपरिष्कृत होती है तथा उनके पूरी तरह विकसित होने में वर्षों का समय लग सकता है।
- उपयोगिता और बाज़ार की आवश्यकताओं के साथ समन्वित करने की क्षमता के आधार पर किसी भी नवोन्मेषी विचार को एक दीर्घ अवधि से गुजरना पड़ता है। किसी भी नवोन्मेषी विचार अथवा उत्पाद या सेवा को बाज़ार में स्थापित होने में एक ठीकठाक समय लगता है।
- नई तकनीक आम तौर पर अपने आरंभिक चरण में अप्रयुक्त और अपरिष्कृत होती है तथा उनके पूरी तरह विकसित होने में वर्षों का समय लग सकता है।
- प्रचलित पुरानी प्रौद्योगिकी की अतिरिक्तता:
- कोई भी नया विचार अथवा बिज़नेस मॉडल मौजूदा और स्थापित विचारों/उत्पादों/सेवाओं/बिज़नेस मॉडल को बाधित करने में सक्षम होता है, यह बाज़ार में अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धा उत्पन्न कर सकता है।
- साथ ही मौजूदा एवं स्थापित व्यवसाय स्वयं को बाज़ार में बनाए रखने के लिये कुछ ऐसे भी कदम उठा सकते हैं जो नए विचारों के लिये काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- कोई भी नया विचार अथवा बिज़नेस मॉडल मौजूदा और स्थापित विचारों/उत्पादों/सेवाओं/बिज़नेस मॉडल को बाधित करने में सक्षम होता है, यह बाज़ार में अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धा उत्पन्न कर सकता है।
- साइबर सुरक्षा से जुडी चुनौतियाँ:
- प्रौद्योगिकियों के विकास के साथ ही साइबर सुरक्षा संबंधी ठोस उपायों के महत्त्व में भी वृद्धि हुई है। साइबर खतरों की बढ़ती आवृत्ति एवं उनके परिष्कृत रूपों को देखते हुए साइबर सुरक्षा प्रौद्योगिकियों में हो रहे मौजूदा विकास को गति प्रदान करना अत्यावश्यक है।
- वैश्विक सहयोग और प्रतिद्वंद्विता:
- विघटनकारी और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के विकास एवं कार्यान्वयन के लिये वैश्विक सहयोग तथा प्रतिद्वंद्विता आवश्यक है। प्रौद्योगिकी के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में अमेरिका और चीन के बीच चल रही प्रतिद्वंद्विता को देखते हुए विभिन्न देश एवं कंपनियाँ भी इन क्षेत्रों में नेतृत्त्व हेतु प्रतिस्पर्द्धा कर रही हैं।
आगे की राह क्या हो सकती है?
- अनुकूल वातावरण:
- हमें एक ऐसा वातावरण बनाने की आवश्यकता है जिससे विघटनकारी प्रौद्योगिकियों का अर्थव्यवस्था, समाज और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़े। इसे आगामी पीढ़ी की प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के लिये नीतिगत ढाँचा बनाते समय असमानता को दूर करने पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- व्यापक दृष्टिकोण:
- प्रौद्योगिकी के उपयोग मात्र से सफलता सुनिश्चित नहीं की जा सकती है , इसके लिये संपूर्ण-अर्थव्यवस्था अथवा संपूर्ण-समाज के दृष्टिकोण का पालन किये जाने की आवश्यकता है।
- सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिये जहाँ प्रौद्योगिकी समावेशी विकास एवं रोज़गार सृजन को बढ़ावा देती हो, यह आवश्यक है कि नीति निर्माता स्थानीय संदर्भों व स्थितियों को भी ध्यान में रखें।
- अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहन:
- कोई भी उत्पाद भारतीय बाज़ार और उपभोक्ताओं तथा समावेशी सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) बुनियादी ढाँचे के अनुरूप हों, इसके लिये उत्पाद डिज़ाइनिंग केंद्रों के निर्माण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
- सरकार से सहायता की आवश्यकता:
- छोटे शहरों में वितरित विनिर्माण कार्य को प्रोत्साहित करने हेतु सरकार से सहायता की आवश्यकता है। साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र को ऐसे प्लेटफॉर्म एवं बाज़ार के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है जो उपभोक्ता मांगों, उत्पाद डिज़ाइनरों तथा विनिर्माताओं को समन्वित करते हों।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- विभिन्न सरकारों ने हाल ही में AI जैसी विघटनकारी प्रौद्योगिकियों को अपनाया है, कुछ मामलों में वे अभी भी उनके विकास पर काम रहे हैं, साथ ही बहुपक्षीय स्तर पर मानक स्थापित करने के मामले में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का कार्य अभी भी प्रगति में है।
निष्कर्ष:
इस प्रकार की प्रौद्योगिकियाँ उपभोक्ताओं के साथ-साथ व्यवसायों को उल्लेखनीय लाभ प्रदान करती हैं। नवीन प्रौद्योगिकियाँ उद्योग जगत में समग्र एवं सकारात्मक बदलाव लाती हैं। ऐसे में यदि प्रौद्योगिकी को अपनाया जाए तथा कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाए, तो यह उद्योग व उपभोक्ताओं दोनों को अत्यधिक लाभान्वित कर सकती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 3 और 5 उत्तर: (b) प्रश्न. “ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी” के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |