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भारतीय अर्थव्यवस्था

वर्ष 2030 में भारत का विद्युत क्षेत्र: नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण और कोयले के उपयोग में गिरावट

  • 12 May 2023
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, पेरिस समझौता, अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य, जलवायु प्रतिबद्धताएँ

मेन्स के लिये:

भारत का ऊर्जा संक्रमण और भविष्य में विद्युत उत्पादन मिश्रण, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने में आने वाली चुनौतियाँ, अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत की प्रगति

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में विद्युत मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (Central Electricity Authority- CEA) ने ऑप्टिमल जेनरेशन मिक्स 2030 वर्ज़न 2.0 शीर्षक से एक नई रिपोर्ट प्रकाशित की है।

प्रमुख बिंदु 

  • ऊर्जा उत्पादन स्रोतों में कोयले की हिस्सेदारी: 
    • ऊर्जा उत्पादन स्रोतों में कोयले की हिस्सेदारी वर्ष 2022-23 के 73% से घटकर वर्ष 2030 तक 55% होने का अनुमान है।
    • कोयले के उपयोग पर प्रभाव: 
      • हालाँकि विद्युत उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी कम होना तय है, लेकिन वर्ष 2023 और 2030 के बीच कोयला जनित विद्युत क्षमता और उत्पादन में वृद्धि होगी।
      • कोयले की क्षमता में 19% की वृद्धि का अनुमान है, और इस अवधि के दौरान उत्पादन में 13% की वृद्धि होने की उम्मीद है।
  • सौर ऊर्जा योगदान:
    • विद्युत उर्जा के संदर्भ में सौर ऊर्जा द्वारा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।
      • अनुमान वर्ष 2030 तक 109 GW से 392 GW तक सौर क्षमता को चौगुना करने का संकेत देते हैं।
      • इसी अवधि में सौर उत्पादन 173 BU से बढ़कर 761 BU होने की उम्मीद है।

नोट: 

  • विद्युत क्षमता उत्पादन से भिन्न होती है। क्षमता वह अधिकतम शक्ति है जो एक संयंत्र उत्पन्न कर सकता है और इसे वाट (या गीगावाट या मेगावाट) में व्यक्त किया जाता है।
  • उत्पादन एक घंटे में उत्पादित विद्युत की वास्तविक मात्रा है, जिसे वाट-घंटे या बिलियन यूनिट (BU) में व्यक्त किया जाता है।
  • अन्य RE स्रोतों का योगदान:
    • भावी विद्युत उर्जा हेतु बड़े जलविद्युत और पवन ऊर्जा के अनुमान सीमित बने हुए हैं।
      • वर्ष 2030 तक बड़े पनविद्युत उत्पादन 8% से बढ़कर 9% होने की उम्मीद है।
      • दूसरी ओर पवन उत्पादन, अद्यतन संस्करण (पिछली रिपोर्ट में 12%) में 9% तक घटने का अनुमान है।
    • इसमें वर्तमान के 12% की तुलना में वर्ष 2030 में छोटी पनविद्युत योजना, पंप-भंडारण पनविद्युत परियोजना, सौर, पवन और बायोमास सहित नवीकरणीय स्रोतों में विद्युत मिश्रण का 31% हिस्सा होने की उम्मीद है।
  • विद्युत उत्पादन मिश्रण में प्राकृतिक गैस की भूमिका:
    • प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने की आकांक्षा के बावजूद विद्युत उत्पादन में इसका योगदान कम है।
    • रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2030 तक 2,121.5 मेगावाट कोयला संयंत्रों को बंद किये जाने की संभावना है, जिसमें 304 मेगावाट कोयला संयंत्रों को वर्ष 2022-23 के दौरान बंद करना निर्धारित है।
  • ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन:
    • भारत के कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में विद्युत क्षेत्र का योगदान लगभग 40% है।
    • विद्युत क्षेत्र के उत्सर्जन में 11% की वृद्धि का अनुमान है, जो वर्ष 2030 में कार्बन डाइ ऑक्साइड (CO2) 1.114 गीगा टन तक पहुँच जाएगा, यह वैश्विक विद्युत क्षेत्र के उत्सर्जन का 10% है
  • जलवायु प्रतिबद्धताएँ: 
    • जलवायु प्रतिबद्धताओं के संदर्भ में CEA के अनुमानों से संकेत मिलता है कि भारत वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50% स्थापित विद्युत क्षमता प्राप्त करने के लिये पेरिस समझौते के वादे को पूरा करने की संभावना रखता है। 
    • रिपोर्ट के अनुसार, गैर-जीवाश्म स्रोतों के साथ भारत की हिस्सेदारी वर्ष 2030 तक 62% होगी। यदि परमाणु ऊर्जा पर विचार किया जाता है तो यह हिस्सेदारी 64% होगी।

भारत  का अक्षय ऊर्जा विद्युत उत्पादन लक्ष्य:

  • भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य: 
    • वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता: 
      • 100 गीगावाट सौर ऊर्जा से।
      • 60 गीगावाट पवन ऊर्जा से।
      • 10 गीगावाट बायोमास ऊर्जा से।
      • 5 गीगावाट जलविद्युत से।
    • वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा: 
      • इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा COP26 शिखर सम्मेलन में की गई है। 
    • वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 50% विद्युत ऊर्जा:
  • भारत की वैश्विक रैंकिंग: 
    • यह विश्व में सौर और पवन ऊर्जा की चौथी सबसे बड़ी स्थापित क्षमता वाला देश है।
    • यह विश्व में चौथा सबसे आकर्षक नवीकरणीय ऊर्जा बाज़ार है।

CEA: 

  • परिचय: 
    • CEA एक वैधानिक संगठन है जो भारत सरकार को नीतिगत मामलों पर सलाह देता है और देश में विद्युत व्यवस्था के विकास हेतु योजना तैयार करता है।
    • यह वर्ष 1951 में विद्युत आपूर्ति अधिनियम, 1948 के तहत स्थापित किया गया था, जिसे अब विद्युत अधिनियम, 2003 द्वारा हटा दिया गया है।
  • कार्य: 
    • नीति निर्माण: 
      • राष्ट्रीय विद्युत योजना और टैरिफ नीति तैयार करना।
      • राष्ट्रीय विद्युत नीति, ग्रामीण विद्युतीकरण, जलविद्युत विकास आदि से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार को सलाह देना।
    • तकनीकी मानक: 
      • विद्युत संयंत्रों तथा विद्युत लाइनों के निर्माण, संचालन और रखरखाव के लिये तकनीकी मानक निर्दिष्ट करना।
      • पारेषण लाइनों के संचालन और रख-रखाव के लिये ग्रिड मानक तथा सुरक्षा आवश्यकताएँ निर्दिष्ट करना।
    • डेटा संग्रह और अनुसंधान: 
      • विद्युत उत्पादन, पारेषण, वितरण एवं उपयोग पर डेटा संग्रह करना तथा रिकॉर्ड रखना और विद्युत क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना।
    • कार्यान्वयन निगरानी और समन्वय:
      • विद्युत परियोजनाओं और योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी करना।
      • विद्युत संबंधी मामलों पर राज्य सरकारों, राज्य विद्युत बोर्डों, क्षेत्रीय विद्युत समितियों आदि के साथ समन्वय करना।

RE स्रोतों से विद्युत उत्पादन की भारत की पहल:

नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने में चुनौतियाँ:

  • अंतराल और परिवर्तनशीलता:
    • मौसम की स्थिति के कारण RE स्रोत अंतराल और परिवर्तनशील हैं।
    • मांग के साथ ऊर्जा आपूर्ति का मिलान करना और ग्रिड की स्थिरता को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
  • ग्रिड एकीकरण:
    • बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा को मौजूदा पावर ग्रिड में एकीकृत करना जटिल हो सकता है।
    • विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति के लिये ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर और संतुलन तंत्र का उन्नयन ज़रूरी है।
  • भूमि और संसाधन उपलब्धता:
    • भूमि और संसाधन की उपलब्धता, नवीकरणीय ऊर्जा प्रतिष्ठानों को बढ़ावा देने के लिये आवश्यक होती है।
    • उपयुक्त स्थानों की पहचान करना, भूमि का अधिग्रहण और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • कोयला निर्भर अर्थव्यवस्था से संक्रमण:
    • भारत के ऊर्जा क्षेत्र में कोयले का वर्चस्व है क्योंकि विद्युत उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी लगभग 70% हिस्सा है। 
    • साथ ही भारत में कोयला क्षेत्र से लगभग 1.2 मिलियन प्रत्यक्ष रोज़गार और 20 मिलियन तक अप्रत्यक्ष एवं निर्भर रोज़गार के सृजन का अनुमान है।
      • इसमें परिवर्तन से कोयला क्षेत्र में रोज़गार में कमी आ सकती जिसके चलते प्रभावित समुदायों के लिये एक सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न.  'इच्छित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान' शब्द को कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में देखा जाता है? (2016)

(a) युद्ध प्रभावित मध्य-पूर्व से शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये यूरोपीय देशों द्वारा की गई प्रतिज्ञा
(b) जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिये विश्व के देशों द्वारा उल्लिखित कार्ययोजना
(c) एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक की स्थापना में सदस्य देशों द्वारा योगदान की गई पूंजी
(d) सतत् विकास लक्ष्यों के संबंध में दुनिया के देशों द्वारा उल्लिखित कार्ययोजना

उत्तर: (b)


मेन्स:  

प्रश्न. पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन के विपरीत सूर्य के प्रकाश से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने के लाभों का वर्णन कीजिये। इस प्रयोजनार्थ हमारी सरकार द्वारा प्रस्तुत पहल क्या हैं? (2020)

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

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