जैव विविधता और पर्यावरण
जलवायु परिवर्तन से निपटने में पेरिस समझौते की विफलता
- 02 May 2023
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प्रिलिम्स के लिये:पेरिस समझौता, भारत का राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान लक्ष्य, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय, स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022 रिपोर्ट मेन्स के लिये:हू इज़ टिपिंग द स्केल रिपोर्ट: IPES |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization- WMO) ने स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022 रिपोर्ट जारी की जिसमें बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता अपने एजेंडे को पूरा करने में अप्रभावी रहा है।
- पेरिस समझौता जलवायु परिवर्तन पर चल रही वैश्विक वार्ता का केंद्रीय बिंदु है, इस पर वर्ष 2015 में हस्ताक्षर किये गए थे।
रिपोर्ट के अनुसार पेरिस समझौते का प्रदर्शन:
- जलवायु संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त करने में असमर्थता:
- इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के उपरांत पिछले आठ वर्ष (2015-2022) विश्व स्तर पर लगातार सबसे गर्म वर्ष रहे हैं।
- यदि पिछले तीन वर्षों में ला नीना की घटना नहीं हुई होती, जिसका मौसम प्रणाली पर शीतलन प्रभाव पड़ता है, तो स्थिति और भी खराब हो सकती थी।
- अद्यतित 2 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य (जबकि 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य भी प्राप्त नहीं किया जा सका है) के संदर्भ में विश्व स्तर पर अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) संबंधी जानकारी स्पष्ट नहीं है।
- जीवाश्म ईंधन जलवायु संकट के लिये मुख्य रूप से ज़िम्मेदार कारक है, यह पेरिस समझौते के तहत इसके उपयोग को पूरी तरह से समाप्त करने की प्रतिबद्धता में सफल नहीं रहा है।
- जलवायु-प्रेरित चरम मौसमी घटनाओं से निपटने के लिये न तो NDC और न ही आपदा जोखिम में कमी और जलवायु जोखिम प्रबंधन योजनाएँ कारगर रही हैं।
- इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के उपरांत पिछले आठ वर्ष (2015-2022) विश्व स्तर पर लगातार सबसे गर्म वर्ष रहे हैं।
- सुझाव:
- पेरिस समझौते के पूरक हेतु जीवाश्म ईंधन संधि के रूप में एक नया वैश्विक ढाँचा पेश किया जाना चाहिये।
- अधिकांश औद्योगिक और उत्सर्जन उत्पादक देशों को पेरिस समझौते की शर्तों का पालन करने हेतु बाध्य किया जाना चाहिये।
- तीव्र और तेज़ कार्बन कटौती के साथ त्वरित जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता है, क्योंकि साधन, सूचना और समाधान मौजूद हैं।
- अनुकूलन और लचीलापन में बड़े पैमाने पर निवेश करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से सबसे कमज़ोर देशों और समुदायों के लिये जिन्होंने संकट पैदा करने में कम- से-कम काम योगदान दिया है।
जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता:
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रिलिम्स:प्रश्न. "अभीष्ट राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान (Intended Nationally Determined Contributions)" पद को कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में देखा जाता है? (2016)
उत्तर : (B) प्रश्न. वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC की बैठक में हुए समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। जलवायु परिवर्तन से भारत कैसे प्रभावित होगा? भारत के हिमालयी और तटीय राज्य जलवायु परिवर्तन से कैसे प्रभावित होंगे? (2017)
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