जैव विविधता और पर्यावरण
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और जलवायु परिवर्तन
- 07 Apr 2023
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प्रिलिम्स के लिये:UNFCCC, UNGA, पेरिस समझौता, UNCLOS, NDC, ग्लोबल वार्मिंग, ICJ मेन्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और जलवायु परिवर्तन। |
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क अभिसमय (UNFCCC) के आधार पर जलवायु परिवर्तन के प्रति देशों के दायित्त्वों पर एक प्रस्ताव पारित करके अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) से अपनी राय देने का निर्देश दिया है।
- इस प्रस्ताव को विश्व के सबसे छोटे देशों में से एक, प्रशांत के वानुअतु द्वीप द्वारा आगे बढ़ाया गया था, एक द्वीप जो वर्ष 2015 में चक्रवात पाम के प्रभाव से तबाह हो गया था, माना जाता है कि यह जलवायु परिवर्तन से प्रेरित था जिसने इसकी 95% फसलों को नष्ट दिया और इसकी दो-तिहाई आबादी को प्रभावित किया।
प्रस्ताव:
- UNGA ने ICJ से दो प्रश्नों के उत्तर पूछे:
- वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिये जलवायु प्रणाली की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय कानून के अंतर्गत राज्यों के क्या दायित्त्व हैं?
- राज्यों के लिये इन दायित्त्वों के अंतर्गत कानूनी कर्तव्य क्या हैं, जहाँ उन्होंने अपने कृत्यों और लापरवाहियों से जलवायु प्रणाली को महत्त्वपूर्ण नुकसान पहुँचाया है, विशेष रूप से छोटे द्वीप, विकासशील राज्यों (SIDS) और उन लोगों के लिये जिन्हें क्षति हुई है।
- यह प्रस्ताव पेरिस जलवायु समझौते और संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (UNCLOS) जैसे अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को संदर्भित करता है।
- ICJ को अपनी राय देने में करीब 18 महीने लगेंगे।
भारत की स्थिति:
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है, लेकिन यह सामान्यतः जलवायु न्याय और ग्लोबल वार्मिंग के लिये जवाबदेही का समर्थन करता है।
- भारत सरकार ने इसके निहितार्थ और अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव का आकलन करने के लिये कानूनी अधिकारियों को संकल्प भेजा है।
- भारत ने अपनी राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) प्रतिबद्धताओं को अद्यतन किया है और 2030 तक नवीकरणीय स्रोतों से अपनी आधी बिजली प्राप्त करने की योजना बनाई है, लेकिन इसने मसौदा प्रस्ताव को सह-प्रायोजित नहीं किया।
- भारत संकल्प के प्रति अमेरिका और चीन जैसी प्रमुख शक्तियों की प्रतिक्रिया को अद्यतन संसूचित रूप से देख रहा है, क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिये उनका समर्थन महत्त्वपूर्ण है।
- भारत ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि ICJ प्रक्रिया केवल जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को व्यापक रूप से संबोधित कर सकती है और किसी एक देश को लक्षित नहीं कर सकती है। भारत ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि "टॉप-टू-बॉटम" आधार पर राय थोपने के किसी भी प्रयास का विरोध किया जाएगा।
क्या ICJ की राय बाध्यकारी है?
- ICJ की सलाह निर्णय के रूप में कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होगी, लेकिन यह कानूनी महत्त्व और नैतिक अधिकार रखती है।
- यह अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कानूनों पर महत्त्वपूर्ण स्पष्टीकरण प्रदान कर सकता है, साथ ही COP प्रक्रिया में जलवायु वित्त, जलवायु न्याय, नुकसान तथा क्षति निधि से संबंधित मुद्दों की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर सकता है।
- अतीत में ICJ की सलाहकारी राय का फिलीस्तीनी संघर्ष और चागोस द्वीपों पर यूनाइटेड किंगडम एवं मॉरीशस के बीच विवाद जैसे मामलों में पालन किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क अभिसमय:
- वर्ष 1992 में पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में ‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क अभिसमय' पर हस्ताक्षर किये गए, जिसे पृथ्वी शिखर सम्मेलन (Earth Summit), रियो शिखर सम्मेलन या रियो सम्मेलन के रूप में भी जाना जाता है।
- भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जिसने जलवायु परिवर्तन (UNFCCC), जैवविविधता (जैविक विविधता पर सम्मेलन) और भूमि (संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय) पर तीनों रियो सम्मेलनों की मेज़बानी की है।
- UNFCCC 21 मार्च, 1994 से लागू हुआ और 197 देशों द्वारा इसकी पुष्टि की गई।
- यह वर्ष 2015 के पेरिस समझौते की मूल संधि (Parent Treaty) है। UNFCCC वर्ष 1997 के क्योटो प्रोटोकॉल (Kyoto Protocol) की मूल संधि भी है।
- UNFCCC सचिवालय (यूएन क्लाइमेट चेंज) संयुक्त राष्ट्र की एक इकाई है जो जलवायु परिवर्तन के खतरे पर वैश्विक प्रतिक्रिया का समर्थन करती है। यह बॉन (जर्मनी) में स्थित है।
- इसका उद्देश्य वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता को एक स्तर पर स्थिर करना है, जिससे एक समय-सीमा के भीतर खतरनाक नतीजों को रोका जा सके ताकि पारिस्थितिक तंत्र को स्वाभाविक रूप से अनुकूलित कर सतत् विकास के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. “मोमेंटम फॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ” यह पहल किसके द्वारा शुरू की गई थी? (2018) (a) जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल उत्तर: (c) व्याख्या:
अतः विकल्प (c) सही है। मेन्स:प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (UNFCCC) के सी.ओ.पी. के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई वचनबद्धताएँ क्या हैं? (2021) |