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ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन स्तर में तीव्र वृद्धि

  • 05 Feb 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में किये गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि चीन की तुलना में भारतीय शहरों में ग्रीनहाउस गैस (GHG) का उत्सर्जन का स्तर तेज़ी से बढ़ रहा है। 

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • हाल ही में भारत में ज़िलों के जनसंख्या घनत्व तथा वाहनों के संदर्भ में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन अध्ययन का विश्लेषण किया गया जिसमें यह बात सामने आई कि चीन की तुलना में भारत में शहरीकरण की अपेक्षा वाहनों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तेज़ी से वृद्धि हो रही है।
  • इस अध्ययन के अनुसार, गुरुग्राम में सबसे अधिक 140 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)और श्रावस्ती में सबसे कम 1.8 किलोग्राम CO2 होता है। इस अध्ययन से यह भी पता चलता है कि कार्य पर आने-जाने के दौरान प्रत्येक भारतीय 20 किलोग्राम CO2 उत्सर्जित करता है।
  • अधिकांश विकसित देशों में शहरीकरण को GHG उत्सर्जन में कमी का कारण पाया गया क्योंकि वहाँ अधिक शहरीकरण का मतलब कार्यस्थल और घर के बीच कम दूरी तथा आने-जाने के लिये सार्वजनिक परिवहन पहली प्राथमिकता होती है। हालाँकि यह प्रभावी रूप से विकासशील देशों पर लागू नहीं होता है।
  • अध्ययन के अनुसार, चीन में शहरीकरण से 1% की वृद्धि अर्थात CO2 उत्सर्जन में 0.12% की वृद्धि, जबकि भारत में 0.24% की वृद्धि हुई है। 
  • 2017 में भारत का CO2 उत्सर्जन अनुमानित 4.6% बढ़ा और यह प्रति व्यक्ति उत्सर्जन लगभग 1.8 टन था।
  • भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा CO2उत्सर्जक होने के बावजूद यह उत्सर्जन विश्व औसत (प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 4.2 टन) से बहुत कम है। लेकिन ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट के आँकड़ों के मुताबिक, पिछले एक दशक में औसत विकास दर 6% के साथ यह उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है।

उत्सर्जन का विश्लेषण

  • अध्ययन में कहा गया है कि ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी उत्सर्जन को रोकने को हमेशा एक समाधान नहीं है।
  • डीजल की कीमत में 1% की वृद्धि से कुछ ज़िलों में उत्सर्जन में 11% की कमी आई, जबकि कम आय वाले ज़िलों में यह लगभग 3% तक गिर गया।
  • अध्ययन में यह बात स्पष्ट रूप से सामने आई कि भारत का परिवहन पैटर्न यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में जलवायु के साथ ज़्यादा अनुकूल स्थिति में है। यहाँ के कुछ ज़िलों के ज़्यादातर लोग कम पैदल दूरी के लिये तीन पहिया वाहनों पर निर्भर हैं, जबकि अन्य शहरी, समृद्ध लोग जिनकी संख्या अधिक है, कारों का इस्तेमाल करते हैं।
  • दिल्ली में प्रति व्यक्ति उच्चतम उत्सर्जन पाया गया जिसके कारण प्रदूषण स्तर अपने उच्च स्तर पर पहुँच गया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलूरु और हैदराबाद की तुलना में 2.5 गुना अधिक उत्सर्जन पाया गया।
  • रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की उच्च सामाजिक-आर्थिक स्थिति और निजी यात्रा साधनों पर भारी निर्भरता के कारण अन्य बड़े शहरों की तुलना में यहाँ उच्च उत्सर्जन स्तर पाया गया।

स्रोत – द हिंदू

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