भारतीय अर्थव्यवस्था
किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (KUSUM)
- 20 Feb 2019
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चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्डलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs-CCEA) ने किसानों को वित्तीय और जल सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान-कुसुम (Kisan Urja Suraksha evam Utthaan Mahabhiyan-KUSUM) को शुरू करने की मंज़ूरी दे दी है।
लक्ष्य
- तीनों घटकों को शामिल करने वाली इस योजना का लक्ष्य वर्ष 2022 तक कुल 25,750 मेगावाट की सौर क्षमता स्थापित करना है।
योजना के घटक
प्रस्तावित योजना के तीन घटक हैं :
♦ घटक A : भूमि के ऊपर बनाए गए 10,000 मेगावाट के विकेंद्रीकृत ग्रिडों को नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों से जोड़ना।
♦ घटक B : 17.50 लाख सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों की स्थापना।
♦ घटक C : ग्रिड से जुड़े 10 लाख सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों का सौरीकरण (Solarisation)।
योजना का कार्यान्वयन
- घटक A और घटक C को क्रमशः 1000 मेगावाट की क्षमता तथा एक लाख कृषि पंपों को ग्रिड से जोड़ने के लिये पायलट आधार पर लागू किया जाएगा। पायलट योजना की सफलता के बाद इसे बड़े पैमाने पर कार्यान्वित किया जाएगा। घटक B को पूर्ण रूप से लागू किया जाएगा।
- घटक A के अंतर्गत किसान/सहकारी समितियाँ/पंचायत/कृषि उत्पादक संघ (Farmer Producer Organisations-FPO) अपनी बंजर या कृषि योग्य भूमि पर 500 किलोवाट से लेकर 2 मेगावाट तक की क्षमता वाले नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर सकेंगे। बिजली वितरण कंपनियाँ (DISCOMs) उत्पादित ऊर्जा की खरीद करेंगी। दर का निर्धारण संबंधित SERC द्वारा किया जाएगा। प्रदर्शन के आधार पर बिजली वितरण कंपनियों को पाँच वर्षों की अवधि के लिये 0.40 रुपए की दर से प्रोत्साहन दिया जाएगा।
- घटक B के अंतर्गत किसानों को 7.5 HP क्षमता तक के सौर पंप स्थापित करने के लिये सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना में पंप क्षमता को सौर पीवी क्षमता (KW में) के समान मानने की अनुमति दी गई है।
- योजना के घटक C के अंतर्गत किसानों को 7.5 HP की क्षमता वाले पंपों के सौरीकरण के लिये सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना में पंप क्षमता को सौर पीवी क्षमता के दोगुने के समान माना गया है।
वित्तपोषण
- इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार 34,422 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
- घटक B और घटक C के लिये मानदंड लागत का 30 प्रतिशत या निविदा लागत, इनमें जो भी कम हो, के लिये केंद्रीय वित्तीय सहायता (Central Financial Assistance-CFA) प्रदान की जाएगी।
- राज्य सरकार 30 प्रतिशत की सब्सिडी देगी और शेष 40 प्रतिशत खर्च का वहन किसानों को करना होगा। लागत के 30 प्रतिशत खर्च के लिये बैंकों से सहायता भी प्राप्त की जा सकती है। शेष 10 प्रतिशत लागत किसान के द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।
- पूर्वोत्तर राज्यों, सिक्किम, जम्म–कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लक्षदीप और अंडमान-निकोबार दीप समूहों में 50 प्रतिशत केंद्रीय वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
योजना के लाभ
- इस योजना से ग्रामीण भू-स्वामियों को स्थायी व निरंतर आय का स्रोत प्राप्त होगा।
- किसान उत्पादित ऊर्जा का उपयोग सिंचाई ज़रूरतों के लिये कर पाएंगे तथा अतिरिक्त ऊर्जा बिजली वितरण कंपनियों को बेच पाएंगे। इससे किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी।
- इस योजना से कार्बन डाइऑक्साइड में कमी आएगी और वायुमंडल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। योजना के तीनों घटकों को सम्मिलित करने से पूरे वर्ष में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 27 मिलियन टन की कमी आएगी।
- घटक बी के अंतर्गत सौर कृषि पंपों से प्रतिवर्ष 1.2 बिलियन लीटर डीज़ल की बचत होगी। इससे कच्चे तेल के आयात में खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।
- इस योजना में रोज़गार के प्रत्यक्ष अवसरों को सृजित करने की क्षमता है। स्व–रोज़गार में वृद्धि के साथ इस योजना से कुशल व अकुशल श्रमिकों के लिये 6.31 लाख रोज़गार के नए अवसरों के सृजित होने की संभावना है।
स्रोत : पी.आई.बी.