जैव विविधता और पर्यावरण
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को पर्यवेक्षक का दर्जा: संयुक्त राष्ट्र
- 11 Dec 2021
- 9 min read
प्रिलिम्स के लियेसंयुक्त राष्ट्र महासभा, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन मेन्स के लियेसौर ऊर्जा का महत्त्व और इस संदर्भ में सरकार द्वारा किये गए प्रयास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) को पर्यवेक्षक का दर्जा प्रदान किया।
- यह अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और संयुक्त राष्ट्र के बीच नियमित तथा बेहतर सहयोग सुनिश्चित करने में मदद करेगा, जिससे वैश्विक ऊर्जा विकास को लाभ होगा।
- इससे पहले, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की चौथी महासभा आयोजित की गई थी, जहाँ कुल 108 देशों ने विधानसभा में भाग लिया, जिसमें 74 सदस्य देश, 34 पर्यवेक्षक, 23 भागीदार संगठन तथा 33 विशेष आमंत्रित संगठन शामिल थे।
संयुक्त राष्ट्र महासभा
- परिचय
- ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ संयुक्त राष्ट्र का मुख्य विचार-विमर्श, नीति निर्धारण और प्रतिनिधि अंग है।
- महासभा में संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य राष्ट्रों का प्रतिनिधित्त्व है, जो इसे सार्वभौमिक प्रतिनिधित्व वाला एकमात्र संयुक्त राष्ट्र निकाय बनाता है।
- महासभा के अध्यक्ष को प्रत्येक वर्ष महासभा द्वारा एक वर्ष के कार्यकाल के लिये चुना जाता है।
- बैठक:
- प्रतिवर्ष सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों की वार्षिक महासभा का आयोजन न्यूयॉर्क के जनरल असेंबली में किया जाता है और इसमें सामान्य बहस होती है तथा कई राष्ट्र प्रमुखता से भाग लेते हैं।
- महासभा में महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर निर्णय लेने जैसे कि शांति एवं सुरक्षा, नए सदस्यों के प्रवेश तथा बजटीय मामलों के लिये दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
- अन्य प्रश्नों पर निर्णय साधारण बहुमत से लिया जाता है।
- प्रतिवर्ष सितंबर में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों की वार्षिक महासभा का आयोजन न्यूयॉर्क के जनरल असेंबली में किया जाता है और इसमें सामान्य बहस होती है तथा कई राष्ट्र प्रमुखता से भाग लेते हैं।
प्रमुख बिंदु
- ISA के बारे में:
- ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ संधि-आधारित एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका प्राथमिक कार्य वित्तपोषण एवं प्रौद्योगिकी की लागत को कम करके सौर विकास को उत्प्रेरित करना है।
- ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’, ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ ( One Sun One World One Grid - OSOWOG) को लागू करने हेतु नोडल एजेंसी है, जिसका उद्देश्य एक विशिष्ट क्षेत्र में उत्पन्न सौर ऊर्जा को किसी दूसरे क्षेत्र की बिजली की मांग को पूरा करने के लिये स्थानांतरित करना है।
- लॉन्च:
- यह एक भारतीय पहल है जिसे भारत के प्रधानमंत्री और फ्राँस के राष्ट्रपति द्वारा 30 नवंबर, 2015 को फ्राँस (पेरिस) में यूएनएफसीसीसी के पक्षकारों के सम्मेलन (COP-21) में 121 सौर संसाधन समृद्ध राष्ट्रों के साथ शुरू किया गया था जो पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित हैं।
- सदस्य:
- अमेरिका के शामिल होने के बाद कुल 101 सदस्य।
- मुख्यालय:
- इसका मुख्यालय भारत में स्थित है और इसका अंतरिम सचिवालय गुरुग्राम में स्थापित किया जा रहा है।
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य सदस्य देशों में सौर ऊर्जा के विस्तार हेतु प्रमुख चुनौतियों का सामूहिक रूप से समाधान करना है।
- नए ISA कार्यक्रम:
- सौर पीवी पैनलों और बैटरी उपयोग अपशिष्ट एवं सौर हाइड्रोजन कार्यक्रम के प्रबंधन पर नए ISA कार्यक्रम शुरू किये गए हैं।
- नई हाइड्रोजन पहल का उद्देश्य सौर बिजली के उपयोग को वर्तमान (USD 5 प्रति किलोग्राम) की तुलना में अधिक किफायती दर पर हाइड्रोजन के उत्पादन में सक्षम बनाना है तथा इसके तहत इसे USD 2 प्रति किलोग्राम तक लाना है।
- सौर पीवी पैनलों और बैटरी उपयोग अपशिष्ट एवं सौर हाइड्रोजन कार्यक्रम के प्रबंधन पर नए ISA कार्यक्रम शुरू किये गए हैं।
- भारत की कुछ सौर ऊर्जा पहलें:
- राष्ट्रीय सौर मिशन (जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना का एक हिस्सा): भारत को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने हेतु देश भर में सौर ऊर्जा के प्रसार की लिये पारिस्थितिक तंत्र का विकास करना।
- INDC लक्ष्य: इसके तहत वर्ष 2022 तक 100 GW ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की अभिकल्पना की गई है।
- यह गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 40% संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता प्राप्त करने और वर्ष 2005 के स्तर से अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 33% से 35% तक कम करने हेतु भारत के ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ (INDCs) लक्ष्य के अनुरूप है।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड (OSOWOG):
- सरकारी योजनाएँ: सोलर पार्क योजना, कैनाल बैंक और कैनाल टॉप योजना, बंडलिंग योजना, ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफटॉप योजना आदि।
- पहला ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी प्रोजेक्ट: ‘नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड- रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (NTPC-REL) ने देश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी प्रोजेक्ट स्थापित करने हेतु केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
- ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण अक्षय ऊर्जा (जैसे सौर, पवन) का उपयोग करके पानी के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा होता है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।
सौर ऊर्जा
- परिचय:
- यह सूर्य से निकलने वाला विकिरण है जो ताप पैदा करने, रासायनिक प्रतिक्रिया करने या बिजली पैदा करने में सक्षम है।
- पृथ्वी पर होने वाली सौर ऊर्जा की कुल मात्रा विश्व की वर्तमान और प्रत्याशित ऊर्जा आवश्यकताओं से बहुत अधिक है। यदि उपयुक्त रूप से उपयोग किया जाता है, तो इस अत्यधिक विसरित स्रोत में भविष्य की सभी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता है।
- महत्त्व:
- सौर ऊर्जा की उपलब्धता पूरे दिन बनी रहती है विशेष रूप से उस समय भी जब विद्युत ऊर्जा की मांग सर्वाधिक होती है।
- सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करने वाले उपकरणों की अवधि अधिक होती है और उनके रखरखाव की भी कम आवश्यकता होती है।
- कम चलने वाली लागत और ग्रिड टाई-अप कैपिटल रिटर्न (नेट मीटरिंग)।
- पारंपरिक ताप विद्युत उत्पादन (कोयले द्वारा) के विपरीत सौर ऊर्जा से प्रदूषण की समस्या भी उत्पन्न नहीं होती है तथा स्वच्छ विद्युत ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाता है।
- देश के लगभग सभी हिस्सों में मुफ्त सौर ऊर्जा की प्रचुरता है।
- सौर ऊर्जा के उपयोग में विद्युत के तार एवं ट्रांसमिशन का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होती है।