जैव विविधता और पर्यावरण
‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ की चौथी महासभा
- 25 Oct 2021
- 7 min read
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ मेन्स के लिये:सौर ऊर्जा का महत्त्व और इस संबंध में भारत द्वारा किये गए प्रयास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ (ISA) की चौथी महासभा आयोजित की गई थी।
- इस महासभा में कुल 108 देशों ने हिस्सा लिया, जिसमें 74 सदस्य देश, 34 पर्यवेक्षक, 23 भागीदार संगठन तथा 33 विशेष आमंत्रित संगठन शामिल थे।
प्रमुख बिंदु
- ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ के विषय में:
- ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ संधि-आधारित एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका प्राथमिक कार्य वित्तपोषण एवं प्रौद्योगिकी की लागत को कम करके सौर विकास को उत्प्रेरित करना है।
- पेरिस में वर्ष 2015 के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के दौरान भारत और फ्राँस द्वारा सह-स्थापित ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ वैश्विक जलवायु नेतृत्वकर्त्ता की भूमिका में भारत का महत्त्वपूर्ण प्रयास है।
- ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’, ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ (OSOWOG) को लागू करने हेतु नोडल एजेंसी है, जिसका उद्देश्य एक विशिष्ट क्षेत्र में उत्पन्न सौर ऊर्जा को किसी दूसरे क्षेत्र की बिजली की मांग को पूरा करने के लिये स्थानांतरित करना है।
- भारत ने ‘राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान’ (NISE) के गुरुग्राम स्थित परिसर में ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ को 5 एकड़ भूमि आवंटित की है और 160 करोड़ रुपए की राशि जारी की है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2021-22 तक ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ के दैनिक व्यय को पूरा करना, एक कॉर्पस फंड का निर्माण करना और बुनियादी अवसंरचना का विकास करना है।
- ‘राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान’ नवीन एवं नवीकरणीय मंत्रालय (MNRE) की एक स्वायत्त संस्था है और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में शीर्ष राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संस्थान है।
- महासभा संबंधी मुख्य बिंदु:
- सौर ऊर्जा में निवेश:
- वर्ष 2030 तक सौर ऊर्जा में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के वैश्विक निवेश हेतु प्रतिबद्धता।
- COP26 (संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन) में एक ‘सौर निवेश कार्य एजेंडा’ और एक ‘सौर निवेश रोडमैप’ लॉन्च किया जाएगा।
- ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ (OSOWOG):
- COP26 में ‘ग्रीन ग्रिड इनिशिएटिव- वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ (GGI-OSOWOG) के शुभारंभ हेतु ‘वन सन’ घोषणा को मंज़ूरी दी गई।
- OSOWOG: सौर के लिये एकल वैश्विक ग्रिड की अवधारणा को पहली बार वर्ष 2018 के अंत में ISA की पहली महासभा में रेखांकित किया गया था।
- COP26 ग्रीन ग्रिड पहल: इस पहल का उद्देश्य वैश्विक ऊर्जा संक्रमण को कम करने हेतु आवश्यक बुनियादी अवसंरचना और बाज़ार संरचनाओं में सुधारों की गति एवं पैमाने को प्राप्त करने में मदद करना है।
- COP26 में ‘ग्रीन ग्रिड इनिशिएटिव- वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ (GGI-OSOWOG) के शुभारंभ हेतु ‘वन सन’ घोषणा को मंज़ूरी दी गई।
- नए ISA कार्यक्रम:
- सौर पीवी पैनलों और बैटरी उपयोग अपशिष्ट एवं सौर हाइड्रोजन कार्यक्रम के प्रबंधन पर नए ISA कार्यक्रम शुरू किये गए हैं।
- नई हाइड्रोजन पहल का उद्देश्य सौर बिजली के उपयोग को वर्तमान (USD 5 प्रति किलोग्राम) की तुलना में अधिक किफायती दर पर हाइड्रोजन के उत्पादन में सक्षम बनाना है तथा इसके तहत इसे USD 5 प्रति किलोग्राम तक लाना है।
- सौर पीवी पैनलों और बैटरी उपयोग अपशिष्ट एवं सौर हाइड्रोजन कार्यक्रम के प्रबंधन पर नए ISA कार्यक्रम शुरू किये गए हैं।
- सौर ऊर्जा में निवेश:
- भारत की कुछ सौर ऊर्जा पहलें:
- राष्ट्रीय सौर मिशन (जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना का एक हिस्सा): भारत को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने हेतु देश भर में सौर ऊर्जा के प्रसार की लिये पारिस्थितिक तंत्र का विकास करना।
- INDC लक्ष्य: इसके तहत वर्ष 2022 तक 100 GW ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की अभिकल्पना की गई है।
- यह गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 40% संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता प्राप्त करने और वर्ष 2005 के स्तर से अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 33% से 35% तक कम करने हेतु भारत के ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ (INDCs) लक्ष्य के अनुरूप है।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड (OSOWOG):
- सरकारी योजनाएँ: सोलर पार्क योजना, कैनाल बैंक और कैनाल टॉप योजना, बंडलिंग योजना, ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफटॉप योजना आदि।
- पहला ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी प्रोजेक्ट: ‘नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड- रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (NTPC-REL) ने देश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी प्रोजेक्ट स्थापित करने हेतु केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण अक्षय ऊर्जा (जैसे सौर, पवन) का उपयोग करके पानी के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा होता है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।