नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण हेतु ड्राफ्ट मिशन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने भारत के लिये राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण मिशन के निर्माण हेतु एक मसौदा तैयार किया है। MNRE द्वारा स्थापित समिति ने मंत्रालय के पास अपनी सिफारिशें जमा करा दी हैं और जिसे कुछ महीनों के लिये सार्वजनिक सुझावों/टिप्पणियों हेतु खुला रखा जाएगा।
ड्राफ्ट संबंधित प्रमुख बिंदु
- समिति अनुसार, भारत में ग्रिड से जुड़े ऊर्जा भंडारण को शुरू करने, एक विनियामक ढाँचा स्थापित करने और बैटरियों के स्वदेशी निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिये राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण मिशन का मसौदा तैयार करने की उम्मीद जताई गई है।
राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन
♦ लक्ष्य: भारत सरकार ने 2022 के अंत तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा संस्थापित क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है। |
- राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण मिशन का मसौदा अगले पाँच वर्षों में ग्रिड से जुड़े भंडारण को15-20 गीगावाट घंटे (जीडब्ल्यूएच) का "यथार्थवादी लक्ष्य" निर्धारित करता है।
- हालाँकि, पावर ग्रिड द्वारा वर्तमान में भंडारण विकल्पों का उपयोग नहीं किया जा रहा है, जो कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को आसानी से एकीकृत करने में मदद करते हैं ।
- राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण मिशन सात लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करेगा जिनमें स्वदेशी विनिर्माण; प्रौद्योगिकी और लागत के रुझान का मूल्यांकन; एक नीति और नियामक ढाँचा; व्यापार मॉडल और बाज़ार निर्माण के लिये वित्त पोषण; अनुसंधान और विकास; मानकों का निर्धारण तथा परीक्षण; ऊर्जा भंडारण के लिये ग्रिड योजना शामिल हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा के संग्रहण की समस्या
- भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता में लगभग पाँचवां हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत का हैं।
- हालाँकि, यदि पावर ग्रिड सौर और पवन ऊर्जा की उत्पादन की क्षमता में वृद्धि भी करते हैं, तब भी नवीकरणीय स्रोतों की सर्वोच्च आपूर्ति हमेशा सर्वोच्च मांग को पूरा नहीं करती है।
- गौरतलब है कि अक्षय ऊर्जा स्वाभाविक रूप से अस्थायी स्रोत है, अतः इसके साथ एक समस्या अनुचित समय पर किये जाने वाले उर्जा संग्रहण की भी है।
- सौर ऊर्जा उत्पादन दोपहर में अपने चरम पर होता है, लेकिन जब उसे सही समय पर संगृहीत नहीं किया जाएगा, तो रात में घरों को प्रकाश उपलब्ध नहीं होगा।
- इसी प्रकार ऐसा दिन जब हवा नहीं बहती या आकाश में बादल छाए रहेंगे तब भी संग्रहण में समस्याएँ होंगी।
- इसके साथ ही संबंधित निविदाओं के रद्द होने की घटनाएँ सामने आई हैं, वर्ष 2017 में SECI के साथ-साथ NTPC और NLC ने ग्रिड स्टोरेज के लिये कम से कम नौ निविदाएं रद्द कर दी थीं।
- अतः इस प्रकार की घटनाएँ वैश्विक और भारतीय स्तर पर कंपनियों के निर्माताओं को नकारात्मक संकेत भेजती है जो लिथियम आयन बैटरी विनिर्माण में विविधता लाने की तलाश में हैं।
- वर्तमान में, बैटरी भंडारण के लिये आवश्यक लिथियम आयन कोशिकाओं (ion cells) का निर्माण भारत में नहीं किया जाता है।
- बैटरियाँ वर्तमान अधिशेष ऊर्जा को स्टोर करने में मदद कर सकती हैं।
- इसके लिये नवीनीकरण और बेसलोड लोड थर्मल क्षमता (बेस लोड न्यूनतम 24 घंटे की अवधि में बिजली की मांग की आवश्यकता है, भार को बिजली के घटकों की प्रकृति के आधार पर बेस लोड और पीक लोड के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।) के बीच ऊर्जा स्थानांतरण करते समय ग्रिड को स्थिर रखने की तत्काल आवश्यकता होती है।