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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का प्रथम सम्मेलन

  • 13 Mar 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में 11 मार्च को राष्ट्रपति भवन में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance-ISA) का प्रथम स्थापना दिवस सम्मेलन आयोजित किया गया।
  • इसकी अध्यक्षता संयुक्त रूप से भारत और फ्राँस द्वारा की गई।
  • इस सम्मेलन के समापन पर सदस्य देशों द्वारा दिल्ली सौर एजेंडा पेश किया गया।
  • इसमें कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये सभी देश अपने राष्ट्रीय ऊर्जा मिश्रण में अंतिम ऊर्जा खपत के रूप में सौर ऊर्जा के हिस्से को बढ़ाने का प्रयास करेंगे।
  • इसमें यह भीं कहा गया कि ISA निरंतर विकास के लिये संयुक्त राष्ट्र एजेंडा-2030 की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है।
  • इस प्रतिबद्धता में सभी रूपों और आयामों में गरीबी का उन्मूलन, दुनिया को बदलने के लिये प्रौद्योगिकी का विकास, एक सुदृढ़ और पारदर्शी अंतर्राष्ट्रीय वित्तीयन व्यवस्था, संयुक्त शोध एवं विकास आदि शामिल है।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन क्या है?

  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सौर ऊर्जा से संपन्न देशों का एक संधि आधारित अंतर-सरकारी संगठन (Treaty-based International Intergovernmental Organization) है।
  • ISA की स्थापना भारत की पहल के बाद हुई थी। इसकी शुरुआत संयुक्त रूप से पेरिस में 30 नवम्बर, 2015 को संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के दौरान COP-21 से पृथक भारत और फ्राँस द्वारा की गई थी।
  • कुछ समय पूर्व नई दिल्ली में हुई आईएसए की अंतर्राष्ट्रीय संचालन समिति की पाँचवीं बैठक में 121 संभावित सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था, जो पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित हैं। 
  • इस सम्मेलन में ISA से जुड़े 61 देश गठबंधन में शामिल हो गए हैं, जबकि 32 देशों ने फ्रेमवर्क समझौते की पुष्टि कर दी है।

विशेषताएँ

  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन कर्क और मकर रेखा के मध्य आंशिक या पूर्ण रूप से अवस्थित 121 सौर संसाधन संपन्न देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन है। 
  • इसका मुख्यालय गुरुग्राम (हरियाणा) में है।
  • ISA के प्रमुख उद्देश्यों में 1000 गीगावाट से अधिक सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता की वैश्विक तैनाती और 2030 तक सौर ऊर्जा में निवेश के लिये लगभग $1000 बिलियन की राशि को जुटाना शामिल है।
  • एक क्रिया-उन्मुख संगठन के रूप में ISA सौर परियोजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रारंभ करने में सहयोग प्रदान करता है।
  • सौर ऊर्जा की वैश्विक मांग को समेकित करने के लिये ISA सौर क्षमता से समृद्ध देशों को एक साथ लाता है। 

लाभ 

  • थोक खरीद के माध्यम से कीमतों में कमी।
  • मौजूदा सौर प्रौद्योगिकियों की बड़े पैमाने पर तैनाती में आसानी।
  • सामूहिक रूप से क्षमता निर्माण तथा अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा।

ISA की आवश्यकता क्यों है? 

  • जलवायु परिवर्तन की प्रतिबद्धता के एक भाग के रूप में, भारत द्वारा वर्ष 2022 तक अपनी ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं का 40 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • आईएसए के कार्यकारी मसौदे में यह स्पष्ट किया गया है कि आईएसए का मूल उद्देश्य सभी के लिये किफायती, विश्वसनीय, सतत् और आधुनिक ऊर्जा की पहुँच सुनिश्चित करना है।
  • आईएसए फ्रेमवर्क के अनुसार, वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा क्षमता और उन्नत व स्वच्छ जैव-ईंधन प्रौद्योगिकी सहित स्वच्छ ऊर्जा के लिये शोध और प्रौद्योगिकी तक पहुँच बनाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने तथा ऊर्जा अवसंरचना और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी में निवेश को बढ़ावा देने का लक्ष्य तय किया गया है। 
  • इस सम्मलेन में प्रधानमंत्री ने दस सूत्रीय र्कारवाई योजना भी पेश की है जो इस गठबंधन की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। इस कार्रवाई योजना में सभी राष्ट्रों को सस्ती सौर प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराना, ऊर्जा मिश्रण में फोटोवोल्टिक सेल से उत्पादित बिजली का हिस्सा बढ़ाना, विनियमन और मानक निर्धारित करना, बैंक ऋण योग्य सौर परियोजनाओं के लिये मार्गदर्शन प्रदान करना और विशिष्टता केंद्रों का नेटवर्क स्थापित करना शामिल है। ISA इस दिशा में संस्थागत प्रयासों का समन्वयन और संवर्द्धन सुनिश्चित करता है।

भविष्य में क्या किये जाने की योजना है?

  • इसके सदस्य देशों द्वारा ऐसे वित्तीय तंत्र की स्थापना करने का प्रयास किया जा रहा है जिसकी सहायता से सस्ती सौर ऊर्जा तकनीकों के इस्तेमाल हेतु बाज़ार तैयार किया जा सके।
  • इस कार्य हेतु इन सदस्य देशों द्वारा ऐसी सृजनात्मक नीतियाँ बनाई जाएंगी जो विकासशील देशों में सौर ऊर्जा परियोजनाओं की लागत को घटाने के लिये सार्वजनिक और निजी निवेश को प्रोत्साहित करेंगी।
  • इसके अलावा, सदस्य देशों द्वारा संयुक्त शोध एवं विकास कार्यों को भी बढ़ावा दिया जाएगा ताकि समुचित कारोबारी मॉडल, नई तकनीक, उपकरण, स्वच्छ एवं सस्ती संचालन लागत को विकसित किया जा सके।

इसमें भारत की क्या भूमिका है?

  • भारत सरकार द्वारा 2016-17 से 2020-21 तक आईएसए हेतु कोष, बुनियादी ढ़ाँचा निर्माण और अन्य व्यय के लिये 5 वर्ष में 2.7 करोड़ डॉलर का सहयोग प्रदान करने की प्रतिबद्धता जताई गई है।
  • भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) और भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्था (आईआरईडीए) द्वारा आईएसए कोष बनाने के लिये अलग-अलग 10 लाख डॉलर का योगदान किया गया है।
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