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वर्ष 2022-27 के लिये राष्ट्रीय विद्युत योजना

  • 05 Apr 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, विद्युत अधिनियम, 2003, बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली, लिथियम-आयन बैटरी।

मेन्स के लिये:

वर्ष 2022-27 के लिये राष्ट्रीय विद्युत योजना। 

चर्चा में क्यों? 

राष्ट्रीय विद्युत योजना (National Electricity Plan- NEP) का नवीनतम मसौदा वर्ष 2022-27 की अवधि को कवर करता है, जो इसके पिछले संस्करण, जिसमें मुख्य रूप से नवीकरणीय ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किया गया था, में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाता है। 

राष्ट्रीय विद्युत योजना:

  • परिचय: 
    • NEP एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ है जो भारत में विद्युत क्षेत्र के विकास का मार्गदर्शन करता है। यह विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत प्रत्येक पाँच वर्ष में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) द्वारा तैयार किया जाता है।
    • CEA योजना क्षमता वृद्धि की मांग का आकलन करने और संसाधनों के इष्टतम उपयोग के लिये विभिन्न योजना हेतु एजेंसियों की गतिविधियों का समन्वय करने के लिये अल्पकालिक (5 वर्ष) और संभावित योजनाएँ (15 वर्ष) तैयार करता है।
    • NEP पिछले पाँच वर्षों (2017-22) के अनुमानों की समीक्षा, वर्ष 2022-27 के लिये क्षमता वृद्धि आवश्यकता और वर्ष 2027-2032 की अवधि के लिये अनुमान प्रदान करता है। 
    • पहला NEP वर्ष 2007 में, दूसरा दिसंबर 2013 में और तीसरा 2018 में प्रकाशित हुआ था, जिसमें 2017-22 की व्यापक योजना एवं 2022-27 की संभावित योजना शामिल थी।
  • नया मसौदा: 
    • यह वर्ष 2031-32 तक 17 GW से लेकर लगभग 28 GW तक की अतिरिक्त कोयला-आधारित क्षमता की आवश्यकता को उजागर करता है, जो वर्तमान में निर्माणाधीन 25 GW कोयला-आधारित क्षमता से अधिक है।
    • मसौदा योजना में वर्ष 2031-32 तक 51 GW से 84 GW के बीच अनुमानित आवश्यकता के साथ बैटरी भंडारण में महत्त्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया है।
    • इससे कोयले से चलने वाले विद्युत संयंत्रों के प्लांट लोड फैक्टर (PLF) वर्ष 2026-27 के 55% से बढ़कर 2031-32 में 62% हो जाएगा।
    • यह नवीकरणीय ऊर्जा पर बढ़ती निर्भरता से उत्पन्न चुनौतियों पर भी ज़ोर देता है, जिसके लिये आने वाले वर्षों में सावधानीपूर्वक प्रबंधन एवं योजना की आवश्यकता होगी।

भारत का विद्युत शक्ति परिदृश्य: 

संबंधित चुनौतियाँ: 

  • पुराने संयंत्रों पर निर्भरता: 
    • भारत के कोयले से चलने वाले ताप विद्युत संयंत्र 25 वर्ष से अधिक पुरानए हैं, साथ ही पुरानी तकनीक पर परिचालित हैं, जो ग्रिड स्थिरता और विद्युत पूर्ति संबंधी चिंता पैदा करता है। 
  • नवीकरणीय-प्रभुत्त्व (Renewables-Dominated) वाले ग्रिड का प्रबंधन कठिन: 
    • क्षमता वृद्धि की पूर्णता के लिये नवीकरणीय उत्पादन पर निर्भरता रही है, परंतु यह स्पष्ट नहीं है कि ग्रिड का प्रबंधन किस प्रकार किया जाए। सौर और पवन ऊर्जा की धीमी वृद्धि के साथ-साथ शून्य ऊर्जा वाले जलविद्युत परियोजनाओं के कारण ग्रिड को स्थिरता प्रदान करने की गति में कमी आई है।
  • अपर्याप्त वित्तीयन: 
    • यदि नवीकरणीय उत्पादन के बैकअप के लिये बैटरी भंडारण पर निर्भर रहना है, तो इसके लिये महत्त्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता है।
      • CEA की रिपोर्ट का अनुमान है कि वर्ष 2022-27 के बीच बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स (BESS) के लिये कुल 14.30 लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता है। हालाँकि CEA ने 10 वर्ष की अवधि के लिये BESS के विकास के लिये केवल 8 लाख करोड़ का बजट आवंटित किया है।
  • मूल्यांकन की कमी: 
    • विभिन्न सौर उत्पादन परिदृश्यों के तहत तापीय संयंत्रों के लिये रैंपिंग दर संबंधी कोई मूल्यांकन नहीं है।
      • रैंपिंग दर वह दर है जिस पर एक विद्युत संयंत्र अपने उत्पादन को बढ़ा अथवा घटा सकता है।
      • उचित मूल्यांकन के बिना ओवरलोडिंग, अंडरलोडिंग अथवा विद्युत की रुकावट जैसी समस्या हो सकती है।

संबंधित चुनौतियों का समाधान:

  • लिथियम-आयन बैटरी पर आधारित BESS लोड में उतार-चढ़ाव और उत्पादन में अंतर के खिलाफ ग्रिड को संतुलित करने हेतु एक लागत प्रभावी समाधान प्रदान करता है। ऊर्जा भंडारण ऊर्जा समय-स्थानांतरण प्रदान कर सकता है, जिससे विद्युत का उपयोग तब किया जा सकता है जब इसकी आवश्यकता होती है।  
  • बैटरी भंडारण प्रौद्योगिकी के विकास में निवेश जारी रखने के साथ-साथ जल-आधारित प्रणालियों जैसे नए समाधानों की खोज करना महत्त्वपूर्ण है। यह वर्ष 2022-27 के लिये राष्ट्रीय विद्युत योजना में उल्लिखित चुनौतियों का समाधान करने तथा भारत में एक स्थिर और विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद करेगा। 
  • इसके अतिरिक्त हाइब्रिड उत्पादन मॉडल के उपयोग को बढ़ाने से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन करने में मदद मिलेगी तथा आवश्यकता पड़ने पर बैकअप पावर उपलब्ध कराना सुनिश्चित होगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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