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सामाजिक न्याय

मानव पूंजी पर कोविड-19 का प्रभाव

  • 17 Feb 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व बैंक, कोविड-19, संज्ञानात्मक क्षति।

मेन्स के लिये:

मानव पूंजी पर कोविड-19 का प्रभाव।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में विश्व बैंक ने “कोलैप्स एंड रिकवरी: हाउ कोविड-19 एरोडेड ह्यूमन कैपिटल एंड व्हाट टू डू” (Collapse and Recovery: How COVID-19 Eroded Human Capital and What to Do) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि कोविड-19 के कारण बड़े पैमाने पर मानव पूंजी की क्षति हुई, जिसने मुख्य रूप से बच्चों और युवाओं को प्रभावित किया। 

  • इसने प्रमुख विकासात्मक चरणों में युवा लोगों पर महामारी के प्रभाव को लेकर वैश्विक डेटा का विश्लेषण किया: प्रारंभिक बचपन (0-5 वर्ष), स्कूल की उम्र (6-14 वर्ष), और युवा (15-24 वर्ष)।
  • नोट: मानव पूंजी में ज्ञान, कौशल और स्वास्थ्य शामिल हैं जिसे लोग अपने पूरे जीवन में निवेश और जमा करते हैं जिससे उन्हें समाज के उत्पादक सदस्यों के रूप में अपनी क्षमता का एहसास करने में मदद मिलती है।

रिपोर्ट के निष्कर्ष:

  • महामारी का प्रभाव:
    • कोविड-19 ने जीवन चक्र के महत्त्वपूर्ण क्षणों में मानव पूंजी को भारी नुकसान पहुँचाया, मुख्य रूप से अविकसित तथा विकासशील देशों में बच्चों एवं युवाओं को प्रभावित किया।
    • निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। 
  • स्कूली बच्चों पर प्रभाव:
    • कई देशों में प्री-स्कूल उम्र के बच्चों ने प्रारंभिक भाषा और साक्षरता में 34% से अधिक और पूर्व-महामारी की तुलना में गणित में 29% से अधिक ने सीखने के कौशल को खो दिया है।  
    • कई देशों में स्कूलों के फिर से खुलने के बाद भी प्री-स्कूल नामांकन वर्ष 2021 के अंत तक ठीक से नहीं हो पाया था; कई देशों में इसमें 10% से अधिक की गिरावट देखी गई थी।  
    • महामारी के दौरान बच्चों को अधिक खाद्य असुरक्षा का भी सामना करना पड़ा। 
  • स्वास्थ्य देखभाल में कमी: 
    • लाखों बच्चों को स्वास्थ्य देखभाल में कमी का सामना करना पड़ा, जिसमें प्रमुख रूप से टीके न ले पाना भी शामिल है।
    • उन्होंने अपने देखभाल के वातावरण में अधिक तनाव का अनुभव किया, जैसे- अनाथ, घरेलू हिंसा और खराब पोषण आदि जिसके परिणामस्वरूप विद्यालय जाने में सक्षम नहीं थे जिसके कारण सामाजिक और भावनात्मक विकास कम हुआ।
  • युवा रोज़गार: 
    • महामारी से पूर्व 40 मिलियन लोग जो रोज़गार संपन्न थे, महामारी के पश्चात् वर्ष 2021 के अंत तक रोज़गार विहीन हो गए, जिससे युवा बेरोज़गारी की स्थिति और खराब हो गई। युवाओं की आय में वर्ष 2020 में 15% और वर्ष 2021 में 12% की गिरावट आई।  
    • अल्प शिक्षित नए प्रतियोगियों के पास श्रम बाज़ार में अपने पहले दशक के दौरान 13% कम आय होगी।  
      • ब्राज़ील, इथियोपिया, मेक्सिको, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और वियतनाम में वर्ष 2021 में कुल युवाओं में से 25% के पास न तो शिक्षा, रोज़गार और न ही प्रशिक्षण था।  
  • भविष्य में चुनौतियाँ: 
    • आज के नन्हे बच्चों/टॉडलर में संज्ञानात्मक कमी के कारण जब वे काम करने की उम्र में पहुँच जाएंगे तो कमाई में 25% की गिरावट आ सकती है।
    • कोविड से प्रभावित शिक्षा के कारण निम्न और मध्यम आय वाले देशों में छात्रों की भविष्य की औसत वार्षिक आय 10% तक कम हो सकती है। छात्रों की इस पीढ़ी को जीवन भर की संभावित कमाई में 21 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के वैश्विक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
    • इस पैमाने पर जीवन भर की कमाई के नुकसान का मतलब कम उत्पादकता, अधिक असमानता और आने वाले दशकों में संभवतः अधिक सामाजिक अशांति की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।  

सिफारिशें:

  • देशों को इन नुकसानों की भरपाई हेतु तत्काल कार्रवाई के साथ मानव पूंजी में निवेश करना चाहिये।
  • मानव पूंजी गरीबी में कमी और समावेशी विकास का एक प्रमुख चालक है। अर्थात् वर्तमान एवं भविष्य के संकटों तथा तनावों का सामना करने हेतु इसमें लचीलापन लाना अत्यावश्यक है।
  • कुछ नीतिगत कार्रवाइयों में शामिल हो सकते हैं:
    • टीकाकरण और पोषण पूरक अभियान, पालन-पोषण कार्यक्रमों की कवरेज बढ़ाना, पूर्व-प्राथमिक शिक्षा तक पहुँच बढ़ाना, कमज़ोर परिवारों हेतु नकद हस्तांतरण के कवरेज का विस्तार करना।
    • शिक्षण समय बढ़ाना, छात्रों के सीखने का उनके स्तर के आधार पर मूल्यांकन करना और आधारभूत शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने हेतु पाठ्यक्रम को सुव्यवस्थित करना।
    • युवाओं को अनुकूलित प्रशिक्षण, नौकरी हेतु मध्यस्थता, उद्यमिता कार्यक्रम और नई कार्यबल उन्मुख पहलों के लिये समर्थन प्रदान करना आवश्यक है।  
  • दीर्घावधि में राष्ट्रों को मानव विकास के लिये ऐसी प्रणालियाँ तैयार करनी चाहिये जो वर्तमान तथा भविष्य में संकटों हेतु बेहतर तैयारी और प्रतिक्रिया के लिये लचीली, तीव्र और अनुकूलनीय हों।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

एक संकल्पना के रूप में मानव पूंजी निर्माण की बेहतर व्याख्या उस प्रक्रिया के रूप में की जाती, जिसके द्वारा:

  1. किसी देश के व्यक्ति अधिक पूंजी का संचय कर पाते हैं।
  2. देश के लोगों के ज्ञान, कौशल स्तरों और क्षमताओं में वृद्धि हो पाती है।
  3. गोचर धन का संचय हो पाता है।
  4. अगोचर धन का संचय हो पाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 4 
(d) केवल 1, 3 और 4

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. COVID-19 महामारी ने भारत में वर्ग असमानताओं और गरीबी को गति दे दी है। टिप्पणी कीजिये। (2020) 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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