विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
विकास इंजन: इसरो के रॉकेट्स को बढ़ावा देगा
- 17 Jul 2018
- 3 min read
चर्चा में क्यों?
इसरो के आगामी तीन सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल इस वर्ष अंतरिक्षयानों की शक्ति बढ़ाने की तैयारी में हैं।
इस ओर ध्यान देते हुए इसरो ने विकास इंजन की क्षमता में सुधार किया है जो सभी सैटेलाइट्स को शक्ति प्रदान करता है।
विकास इंजन के बारे में
- विकास इंजन एक लिक्विड प्रोपेल्ड इंजन है, जिसका विकास इसरो ने किया है।
- इस इंजन का परीक्षण तमिलनाडु के महेंद्रगिरि से किया गया था।
- यह परीक्षण 195 सेकंड में किया गया।
- इस इंजन के विकास की शुरुआत 1970 में हुई थी।
- यह इंजन डिज़ाइन वाइकिंग राकेट इंजन पर आधारित था।
- विकास इंजन PSLV के दूसरे चरण, जबकि GSLV के दूसरे चरण के साथ स्ट्रेप ओन चरण में उपयोग किया जाता है, जबकि GSLV Mk-III में इसका उपयोग पहले चरण में किया जाता है।
- इस इंजन में ईधन के रूप में असीमित डायमिथाइल हाइड्रोजन व ऑक्सीकारक के रूप में नाइट्रोजन टेट्रोआक्साइड का प्रयोग होता है।
मुख्य लाभार्थी
- हाई-थ्रस्ट विकास इंजन के मुख्य लाभार्थियों में अधिक भार वाला जीएसएलवी-मार्क III लॉन्चर है, यह इंजन 4,000 किलोग्राम के भार वाले उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुँचाने में सक्षम बनाएगा।
- जून 2017 में पहले MK-III लॉन्च व्हीकल को 3,200 किलोग्राम भार
- वाले उपग्रह के लिये विकसित किया गया था, जबकि दूसरे MK-III लॉन्च व्हीकल को 3,500 किलोग्राम भार वाले अंतरिक्षयान को अंतरिक्ष में पहुँचाने हेतु विकसित किया जा रहा है।
- विकास इंजन पीएसएलवी, जीएसएलवी और जीएसएलवी एमके-III लॉन्च वाहनों की पेलोड क्षमता में सुधार करेगा।
- विकास इंजन का उपयोग लाइट पीएसएलवी के दूसरे चरण में, मीडियम लिफ्ट जीएसएलवी के दूसरे और चार चौथे चरणों में तथा MK-III के जुड़वाँ इंजन कोर में तरल ईधन के रूप में किया जाएगा।