प्रारंभिक परीक्षा
इसरो का पुन: प्रयोज्य प्रमोचक रॉकेट: पुष्पक
- 25 Jun 2024
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स्रोत: द हिंदू
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) ने पुष्पक रॉकेट के लिये तीसरा और अंतिम पुन: प्रयोज्य प्रमोचक रॉकेट लैंडिंग प्रयोग (Reusable Launch Vehicle Landing Experiment- RLV LEX-03) सफलतापूर्वक पूरा किया।
- इसने प्रमोचन की अधिक चुनौतीपूर्ण स्थितियों और विषम वायु परिस्थितियों में RLV की स्वायत्त लैंडिंग क्षमता का प्रदर्शन किया।
RLV LEX-03 मिशन क्या है?
- परिचय:
- RLV LEX-03 मिशन में, पुष्पक रॉकेट को भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर द्वारा उठाया गया था और 4.5 किलोमीटर की ऊँचाई से छोड़ा था।
- इस बिंदु से इस पंखयुक्त वाहन ने स्वचालित रूप से क्रॉस-रेंज सुधारों के साथ रनवे की केंद्र रेखा पर सटीक रूप से क्षैतिज लैंडिंग की।
- यह अपने ब्रेक पैराशूट और लैंडिंग गियर ब्रेक का उपयोग करके 320 किमी/घंटा से अधिक की उच्च गति वाली लैंडिंग से सफलतापूर्वक लगभग 100 किमी/घंटा की गति पर आया।
- प्रदर्शित प्रौद्योगिकी एवं क्षमताएँ:
- सटीक लैंडिंग: LEX-03 ने रॉकेट के नियंत्रित लैंडिंग हेतु निर्देशित करने के लिये मल्टीसेंसर फ्यूज़न का उपयोग किया।
- स्वायत्त उड़ान: पुष्पक रॉकेट ने स्वयं को लैंड करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया, जिसमें पृथ्वी पर उतरते समय अपनी दिशा को सही करना भी शामिल है।
- पुन: प्रयोज्य डिज़ाइन: मिशन में इसकी पिछली उड़ान के प्रमुख भागों का पुन: उपयोग किया गया, जो RLV की लागत-बचत क्षमता को उजागर करता है।
- महत्त्व:
- इस मिशन ने अंतरिक्ष से लौटने वाले रॉकेट के दृष्टिकोण और उच्च गति की लैंडिंग स्थितियों का सफलतापूर्वक अनुकरण किया।
- इसने अनुदैर्ध्य और पार्श्व त्रुटि सुधारों के लिये इसरो के उन्नत नेविगेशन एल्गोरिदम को प्रामाणित किया, जो भविष्य के कक्षीय पुन: प्रवेश मिशन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- स्वायत्त लैंडिंग और पुन: प्रयोज्य भागों जैसी प्रमुख तकनीकों का परीक्षण करके, यह पूर्ण रूप से से पुन: प्रयोज्य प्रमोचन रॉकेट के रूप में उपयोग किये जाने का मार्ग प्रशस्त करता है। इससे प्रमोचन की लागत में कमी आ सकती है और अंतरिक्ष मिशन अधिक कुशल हो सकते हैं।
- इस मिशन ने अंतरिक्ष से लौटने वाले रॉकेट के दृष्टिकोण और उच्च गति की लैंडिंग स्थितियों का सफलतापूर्वक अनुकरण किया।
पुन: प्रयोज्य लॉन्च वाहन क्या हैं?
- परिचय:
- पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (RLV) ऐसे रॉकेट हैं जिनका उपयोग अंतरिक्ष अभियानों के लिये कई बार किया जा सकता है, पारंपरिक व्यय योग्य रॉकेटों के विपरीत जहाँ प्रत्येक चरण को उपयोग के बाद छोड़ दिया जाता है।
- मल्टी-स्टेज रॉकेट से अलग:
- एक विशिष्ट मल्टी-स्टेज रॉकेट में, ईंधन की खपत के बाद पहले चरण को जेटीसन (भार को हल्का करने के लिये छोड़ दिया जाता है) किया जाता है, जबकि शेष चरण पेलोड को कक्षा में ले जाना जारी रखते हैं।
- RLV पहले चरण को पुनर्प्राप्त करके उसका पुनः उपयोग करते हैं। ऊपरी चरणों से अलग होने के बाद, पहले चरण में नीचे उतरने और साथ ही वापस पृथ्वी पर उतरने के लिये इंजन अथवा पैराशूट का उपयोग किया जाता है।
- इसके बाद इसे भविष्य के प्रक्षेपणों के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है, जिससे लागत में काफी कमी आएगी।
- अंतरिक्ष एजेंसियाँ वर्तमान में RLV का उपयोग या विकास कर रही हैं।
- स्पेसएक्स (USA): मई 2023 तक, फाल्कन 9 लगभग 220 लॉन्च, 178 लैंडिंग के साथ 155 पुनः उड़ानें पूरी कर लेगा।
- ब्लू ओरिज़िन (USA): न्यू शेपर्ड उपकक्षीय उड़ानें भरता है और साथ ही लंबवत् उतरता भी है।
- JAXA (जापान) तथा ESA (यूरोप): अंतरिक्ष पहुँच लागत को कम करने के लिये पुन: प्रयोज्य लॉन्च सिस्टम पर शोध करना।
- इसरो (भारत): पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान-प्रौद्योगिकी प्रदर्शन (RLV-TD) विकसित किया और साथ ही सफल लैंडिंग भी कराई।
और पढ़ें… पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान-प्रौद्योगिकी
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |