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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)

  • 30 Sep 2022
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, वन नेशन वन राशन कार्ड  (ONORC)।

मेन्स के लिये:

भारत की खाद्य सुरक्षा पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PM-GKAY) का प्रभाव।

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PM-GKAY) को दिसंबर 2022 तक (और तीन महीने के लिये) विस्तारित करने की घोषणा की।   

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY):

  • परिचय:
    • ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ को कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में गरीब और संवेदनशील वर्ग की सहायता करने के लिये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (PMGKP) के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था।
    • इस योजना के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से पहले से ही प्रदान किये जा रहे 5 किलोग्राम अनुदानित खाद्यान्न के अलावा प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत 5 किलोग्राम अतिरिक्त अनाज (गेहूँ या चावल) मुफ्त में उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
    • प्रारंभ में इस योजना की शुरुआत तीन माह (अप्रैल, मई और जून 2020) की अवधि के लिये की गई थी, जिसमें कुल 80 करोड़ राशन कार्डधारक शामिल थे। बाद में इसे सितंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया था।
    • वित्त मंत्रालय इसका नोडल मंत्रालय है।
    • देश भर में लगभग 5 लाख राशन की दुकानों से वन नेशन वन राशन कार्ड (ONORC) योजना के तहत कोई भी प्रवासी श्रमिक या लाभार्थी पोर्टेबिलिटी के माध्यम से मुफ्त राशन का लाभ उठा सकता है।
  • लागत: सभी चरणों के लिये PMGKAY का कुल खर्च लगभग91 लाख करोड़ रुपए होगा।
  • चुनौतियाँ: एक प्रमुख मुद्दा यह है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभार्थी अंतिम जनगणना (2011) पर आधारित हैं, हालाँकि तब से खाद्य-असुरक्षा से जुड़े लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है, जो कि अब इस योजना के तहत शामिल नहीं हैं।
  • मुद्दे:
    • महँगा: सस्ते अनाज की प्रचुर आपूर्ति की आवश्यकता को बनाए रखना और बढ़ाना सरकार के लिये बहुत महँगा है। वर्ष 2022 में भारत को गेहूँ और चावल के निर्यात को प्रतिबंधित करना पड़ा, क्योंकि अनिश्चित मौसम के कारण फसल को नुकसान हुआ, खाद्य कीमतों पर दबाव बढ़ गया, वैश्विक कृषि बाज़ारों में संकट की स्थिति देखी गई।
    • राजकोषीय घाटे में वृद्धि: यह राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के4% तक सीमित करने के सरकार के लक्ष्य के लिये जोखिम उत्पन्न कर सकता है।
    • मुद्रास्फीति
    • कार्यक्रम में लिये गए निर्णय मुद्रास्फीति को भी प्रभावित कर सकते हैं। चावल और गेहूँ की कीमतें जो कि भारत की खुदरा मुद्रास्फीति का लगभग 10% हिस्सा हैं, लू के प्रकोप और अनियमित मानसून के कारण इनके उत्पादन में कमी आई है तथा इसी वजह से उनकी कीमतों में तेज़ी देखी जा रही है।

सरकार की संबद्ध पहलें:

मेन्स:

प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? खाद्य सुरक्षा विधेयक ने भारत में भुखमरी और कुपोषण को खत्म करने में कैसे मदद की है? (2021)

स्रोत : हिंदू

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