नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)

  • 16 Jul 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), ज़ीरो प्रीमियम, सब्सिडी, फसल बीमा

मेन्स के लिये:

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2019-20 में फसल बीमा योजना से बाहर निकलने के बाद आंध्र प्रदेश सरकार हाल ही में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में फिर से शामिल हो गई है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY):

  • परिचय:
    • PMFBY को वर्ष 2016 में लॉन्च किया गया तथा इसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रशासित किया जा रहा है।
    • इसने राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (MNAIS) को परिवर्तित कर दिया।
  • पात्रता:
    • अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसल उगाने वाले पट्टेदार/जोतदार किसानों सहित सभी किसान कवरेज के लिये पात्र हैं।
  • उद्देश्य:
    • प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और रोगों या किसी भी तरह से फसल के खराब होने की स्थिति में एक व्यापक बीमा कवर प्रदान करना ताकि किसानों की आय को स्थिर करने में मदद मिल सके।
    • खेती में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिये किसानों की आय को स्थिर करना।
    • किसानों को नवीन और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना।
    • कृषि क्षेत्र के लिये ऋण का प्रवाह सुनिश्चित करना।
  • बीमा किस्त:
    • इस योजना के तहत किसानों द्वारा दी जाने वाली निर्धारित बीमा किस्त/प्रीमियम- खरीफ की सभी फसलों के लिये 2% और सभी रबी फसलों के लिये 1.5% है।
    • वार्षिक वाणिज्यिक तथा बागवानी फसलों के मामले में बीमा किस्त 5% है।
    • किसानों द्वारा भुगतान की जाने वाली प्रीमियम दरें बहुत कम हैं और प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल के नुकसान के खिलाफ किसानों को पूरी बीमा राशि प्रदान करने के लिये शेष प्रीमियम का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा।
    • सरकारी सब्सिडी की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। यदि शेष प्रीमियम 90% है, तो भी वह सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
      • इससे पहले प्रीमियम दर को सीमित करने का प्रावधान था जिसके परिणामस्वरूप किसानों को दावों का कम भुगतान किया जाता था।
      • यह कैपिंग प्रीमियम सब्सिडी पर सरकार के खर्च को सीमित करने के लिये किया गया था।
      • इस सीमा को अब हटा दिया गया है और किसानों को बिना किसी कटौती के पूरी बीमा राशि ।
  • PMFBY के तहत तकनीक का प्रयोग:
    • फसल बीमा एप:
      • यह किसानों को आसान नामांकन की सुविधा प्रदान करता है।
      • किसी भी घटना के घटित होने के 72 घंटों के भीतर फसल के नुकसान की आसान रिपोर्टिंग की सुविधा।
    • नवीनतम तकनीकी उपकरण: फसल के नुकसान का आकलन करने के लिये सैटेलाइट इमेजरी, रिमोट-सेंसिंग तकनीक, ड्रोन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग का उपयोग किया जाता है।
    • PMFBY पोर्टल: भूमि रिकॉर्ड के एकीकरण के लिये PMFBY पोर्टल की शुरुआत की गई है।
  • हाल ही में हुए बदलाव:
    • यह योजना पहले ऋणी किसानों के लिये अनिवार्य थी, लेकिन वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने इसे सभी किसानों के लिये वैकल्पिक बना दिया है।
      • पहले बिमांकित प्रीमियम दर और किसान द्वारा देय बीमा प्रीमियम दर के बीच के अंतर सहित औसत प्रीमियम सब्सिडी की दर राज्य तथा केंद्र द्वारा साझा की जाती थी एवं राज्य और केंद्रशासित प्रदेश अपने बजट से औसत सब्सिडी के अलावा अतिरिक्त सब्सिडी का विस्तार करने के लिये स्वतंत्र थे।
    • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना के तहत गैर-सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिये बीमा किस्त की दरों पर केंद्र सरकार की हिस्सेदारी को 30% और सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिये 25% तक सीमित करने का निर्णय लिया है। पहले, केंद्रीय सब्सिडी की कोई ऊपरी सीमा निर्धारित नहीं थी।

PM-Fasal-Bima-Yojana

PMFBY से संबंधित मुद्दे:

  • राज्यों की वित्तीय बाधाएँ: राज्य सरकारों की वित्तीय बाधाएँ और सामान्य मौसम के दौरान कम दावा अनुपात इन राज्यों द्वारा योजना को लागू न करने के प्रमुख कारण हैं।
    • राज्य ऐसी स्थिति से निपटने में असमर्थ हैं जहाँ बीमा कंपनियाँ किसानों को राज्यों और केंद्र से एकत्र किये गए प्रीमियम दर से कम मुआवज़ा देती हैं।
    • राज्य सरकारें समय पर धनराशि जारी करने में विफल रही हैं जिसके कारण बीमा क्षतिपूर्ति जारी करने में देरी हुई है।
    • इससे किसान समुदाय को समय पर वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना का मूल उद्देश्य ही विफल हो जाता है।
  • दावा निपटान संबंधी मुद्दे: कई किसान मुआवज़े के स्तर और निपटान में देरी दोनों से असंतुष्ट हैं।
    • ऐसे में बीमा कंपनियों की भूमिका और शक्ति अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है क्योकि कई मामलों में उन्होंने स्थानीय आपदा के कारण हुए नुकसान की जांँच नहीं की जिस कारण दावों का भुगतान नहीं किया गया।
  • कार्यान्वयन के मुद्दे: बीमा कंपनियों द्वारा उन समूहों के लिये बोली लगाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई है जो फसल के नुकसान से प्रभावित हो सकते हैं।
    • बीमा कंपनियाँ अपनी प्रकृति के अनुसार यह कोशिश करती हैं कि फसल कम खराब हो तो मुनाफा कमाया जाए।

आगे की राह

  • इस योजना से संबंधित सभी लंबित मुद्दों को हल करने के लिये राज्यों और केंद्र सरकार के बीच व्यापक पुनर्विचार की आवश्यकता है ताकि किसानों को इस योजना का लाभ मिल सके।
  • इसके अलावा इस योजना के तहत सब्सिडी का भुगतान करने के बजाय राज्य सरकार को उस पैसे को एक नए बीमा मॉडल में निवेश करना चाहिये।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न:

प्रश्न: 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजये: (2016))

  1. इस योजना के तहत किसानों को वर्ष के किसी भी मौसम में खेती की जाने वाली किसी भी फसल के लिये दो प्रतिशत का एक समान प्रीमियम का भुगतान करना होगा। 
  2. इस योजना में चक्रवातों और बेमौसम बारिश तथा फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को शामिल किया गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: B

व्याख्या:

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई फसल बीमा योजना है। इसमें प्राकृतिक आपदाओं (चक्रवात और बेमौसम बारिश), कीटों एवं बीमारियों से फसल कटाई से पूर्व त्तथा बाद के नुकसान को शामिल किया गया है। अत: कथन 2 सही है।
  • प्रमुख बिंदु
    • सभी खरीफ फसलों के लिये किसानों द्वारा केवल 2% और सभी रबी फसलों के लिये 1.5% का एक समान प्रीमियम का भुगतान किया जाएगा। अतः कथन 1 सही नहीं है। 
    • वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिये 5% प्रीमियम का भुगतान किया जाना है।
    • किसानों द्वारा भुगतान की जाने वाली प्रीमियम दरें बहुत कम हैं और शेष प्रीमियम का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा।
    • सरकारी सब्सिडी की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। यदि शेष प्रीमियम 90% है, तो भी वह सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
    • प्रीमियम की सीमा अब हटा दी गई है और किसानों को बिना किसी कटौती के पूरी बीमा राशि का भुगतान किया जाएगा।
    • प्रौद्योगिकी के उपयोग को काफी हद तक प्रोत्त्साहित किया जाता है। किसानों को दावा भुगतान में देरी को कम करने के लिये फसल कटाई के डेटा का एकत्रण और अपलोड करने के लिये स्मार्टफोन का उपयोग किया जाएगा। फसल काटने के प्रयोगों की संख्या को कम करने के लिये रिमोट सेंसिंग का उपयोग किया जाएगा। अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow