भारतीय अर्थव्यवस्था
ब्लैंक-चेक कंपनी
- 26 Feb 2021
- 3 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अक्षय ऊर्जा उत्पादक ‘रिन्यू पावर’ ने आरएमजी एक्विज़िशन कारपोरेशन II नामक एक ब्लैंक-चेक कंपनी (Blank-Cheque Company) या विशेष प्रयोजन अधिग्रहण कंपनी (Special Purpose Acquisition Company- SPAC) के साथ विलय के लिये एक समझौते की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु
- ब्लैंक-चेक कंपनी के बारे में:
- SPAC या ब्लैंक-चेक कंपनी, विशेष रूप से किसी विशिष्ट क्षेत्र में एक फर्म के अधिग्रहण के उद्देश्य से स्थापित की गई इकाई होती है।
- SPAC का उद्देश्य एक इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (Initial Public Offering- IPO) के माध्यम से धन जुटाना होता है लेकिन उसके पास कोई संचालन या राजस्व नहीं होता है।
- इसके अंतर्गत निवेशकों से धन लेकर उसे एस्क्रो अकाउंट (Escrow Account) में रखा जाता है, जिसका उपयोग अधिग्रहण करने में किया जाता है।
- अगर IPO के दो वर्ष के भीतर अधिग्रहण नहीं किया जाता है, तो SPAC को हटा दिया जाता है और धन को निवेशकों को लौटा दिया जाता है।
- महत्त्व:
- ये अनिवार्य रूप से शेल कंपनियाँ होती हैं जिनकी प्रायोजक ब्लैंक-चेक कंपनियाँ हैं, ये शेल कंपनियाँ होने के बावजूद निवेशकों के लिये आकर्षक है।
- वर्तमान में यह विचारणीय है कि एक महँगी IPO की संरचना किस प्रकार की जाती है और इससे बाहर कैसे निकला जाए। इस क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले किसी व्यक्ति द्वारा निवेशकों से धन लिया जाता है और उस धन से परिसंपत्तियों का निर्माण किया जाता है।
- एस्क्रो अकाउंट (Escrow Account)
- एस्क्रो अकाउंट एक वित्तीय साधन है, जिसके तहत किसी संपत्ति या धन को दो अन्य पक्षों के मध्य लेन-देन की प्रक्रिया पूर्ण होने तक तीसरे पक्ष के पास रखा जाता है।
- दोनों पक्षों द्वारा अपनी अनुबंध संबंधी आवश्यकताओं को पूरा न किये जाने तक धन तीसरे पक्ष के पास ही रहता है।
- सामान्यतः एस्क्रो अकाउंट रियल एस्टेट लेन-देन से संबंधित होता है लेकिन धन के एक पक्ष से दूसरे पक्ष में स्थानांतरण के लिये इसका प्रयोग किया जा सकता है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस