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यूरेनियम के नए समस्थानिक की खोज

  • 11 Apr 2023
  • 6 min read

मैजिक नंबर की खोज में जापान के भौतिकविदों ने यूरेनियम के एक नए समस्थानिक (Isotope) की खोज की है जिसकी परमाणु संख्या 92 और द्रव्यमान संख्या 241 है। 

प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:   
    • शोधकर्त्ताओं ने KEK आइसोटोप सेपरेशन सिस्टम (KISS) की सहायता से यूरेनियम-238 नाभिक को प्लूटोनियम-198 नाभिक में परिवर्तित किया। मल्टीन्यूक्लियॉन ट्रांसफर नामक प्रक्रिया के माध्यम से इन दो समस्थानिकों के प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का आदान-प्रदान किया गया।
    • प्राप्त नाभिकीय विखंडन में विभिन्न समस्थानिक होते हैं।
    • टीम ने प्रत्येक नाभिक के द्रव्यमान को मापने के लिये टाइम-ऑफ-फ्लाइट मास स्पेक्ट्रोमेट्री का उपयोग किया।
  • निष्कर्ष
    • इसकी पहचान यूरेनियम-241 के रूप में की गई थी और इसके नाभिक के द्रव्यमान को मापा गया था। सैद्धांतिक गणना से पता चलता है कि इस नए समस्थानिक की अर्द्ध-आयु 40 मिनट की हो सकती है।   
      • सामान्य प्रतिक्रिया द्वारा इस क्षेत्र में न्यूक्लाइड को संश्लेषित करने की अत्यधिक कठिनाई के कारण यह खोज वर्ष 1979 के बाद से अपनी तरह की पहली खोज है
  • महत्त्व
    • यह खोज परमाणु भौतिकी से संबंधित हमारी समझ को बढ़ाने के साथ परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के डिज़ाइन में सहायक है। 
      • विखंडन संबंधी खगोलीय घटनाओं में ऐसे भारी तत्त्वों के संलयन को समझने के क्रम में यूरेनियम और उसके नजदीकी तत्त्वों के द्रव्यमान को मापने से आवश्यक जानकारी प्राप्त होती है। 
  • भविष्य के निहितार्थ: 
    • मल्टीन्यूक्लियॉन ट्रांसफर रिएक्शन और KISS का उपयोग करने वाले इस नए दृष्टिकोण से अधिक न्यूट्रॉन-समृद्ध एक्टिनाइड न्यूक्लाइड की खोज की संभावना है, जो न्यूक्लाइड की स्थिरता और खगोलीय न्यूक्लियोसिंथेसिस की प्रक्रिया को स्पष्ट करने में सहायक है। 

नोट: यूरेनियम (रासायनिक प्रतीक U) प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एक रेडियोधर्मी तत्त्व है। अपनी प्राकृतिक अवस्था में यूरेनियम के तीन समस्थानिक (U-234 (0.0057%), U-235 (0.72%) और U-238 (99.28%) होते हैं। U-232, U-233, U-236 और U-237 इसके अन्य ऐसे समस्थानिक हैं जो प्राकृतिक यूरेनियम में नहीं मिलते हैं। 

मैजिक नंबर (Magic Numbers)

  • परमाणु भौतिकी में, "मैजिक नंबर" नाभिकों (प्रोटॉन या न्यूट्रॉन) की विशिष्ट संख्याएँ हैं जो परमाणु नाभिक के भीतर विशेष रूप से स्थिर विन्यास के अनुरूप हैं।  
  • माना जाता है कि ये संख्याएँ परमाणु नाभिक की अंतर्निहित शेल संरचना से उत्पन्न होती हैं। 
  • सबसे भारी ज्ञात ‘मैजिक’ नाभिक लेड/सीसा (82 प्रोटॉन) है।  

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रश्न . भारत में क्यों कुछ परमाणु रिएक्टर "आई.ए.ई.ए सुरक्षा उपायों" के अधीन रखे जाते हैं जबकि अन्य इस सुरक्षा के अधीन नहीं रखे जाते? (2020)

(a) कुछ यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य थोरियम का।
(b) कुछ आयातित यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य घरेलू आपूर्ति का।
(c) कुछ विदेशी उद्यमों द्वारा संचालित होते हैं और अन्य घरेलू उद्यमों द्वारा।
(d) कुछ सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं और अन्य निजी स्वामित्व वाले।

उत्तर: (b)

  • परमाणु सुविधाओं को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के सुरक्षा उपायों के तहत रखा जाता है, यदि यूरेनियम का स्रोत, जो परमाणु रिएक्टर के लिये विखंडनीय सामग्री है, भारतीय क्षेत्र से बाहर से आता है या फिर नए रिएक्टर संयंत्र विदेशी सहयोग से स्थापित किये गए हैं।
  • इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आयातित यूरेनियम को सैन्य उपयोग के लिये डायवर्ट नहीं किया जाएगा और साथ ही आयातित यूरेनियम का उपयोग नागरिक उद्देश्यों के लिये परमाणु ऊर्जा उत्पन्न करने हेतु किया जाएगा।
  • वर्तमान में 22 रिएक्टर परिचालन में हैं, जिनमें से 14 IAEA सुरक्षा उपायों के अधीन हैं क्योंकि ये आयातित ईंधन का उपयोग करते हैं।
  • सुरक्षा उपायों के समझौते के अनुसार, IAEA के पास यह सुनिश्चित करने का अधिकार और दायित्व है कि राज्य के एकमात्र नियंत्रण, अधिकार क्षेत्र के तहत सभी परमाणु सामग्री सुरक्षा उपायों के अधीन है।
  • अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: द हिंदू

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