भूगोल
भूकंप
- 10 Nov 2022
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारत और यूरेशियन प्लेटें, भूकंप के प्रकार मेन्स के लिये:भूकंप, इसका वितरण और प्रकार |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नेपाल में 6.6 तीव्रता का भूकंप आया,जिसमें कुछ लोगों की मौत हो गई और कई घर नष्ट हो गए थे, भारत में भी इसके शक्तिशाली झटके महसूस किये गए।
इन झटकों का कारण क्या है?
- संयुक्त राष्ट्र भूगर्भीय सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, इन झटकों का प्रमुख कारण भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के महाद्वीपीय टकराव है जो हिमालय में भूकंप के लिये प्रमुख कारक है।
- ये प्लेटें प्रतिवर्ष 40-50 मिलीमीटर की सापेक्ष दर से करीब आती जा रही हैं।
- यूरेशिया के नीचे भारत के उत्तर की ओर धकेलने/बढ़ने से कई भूकंप उत्पन्न होते हैं, फलस्वरूप यह इस क्षेत्र को पृथ्वी पर भूकंपीय रूप से सबसे अधिक खतरनाक क्षेत्रों में से एक बनाता है।
- हिमालय और इसके आसपास के क्षेत्रों में कुछ सबसे खतरनाक भूकंप देखे गए हैं जैसे कि वर्ष 1934 में 8.1 तीव्रता वाला, कांगड़ा में वर्ष 1905 में 7.5 की तीव्रता का और कश्मीर में वर्ष 2005 में 6 तीव्रता का भूकंप।
भूकंप
- परिचय:
- साधारण शब्दों में भूकंप का अर्थ पृथ्वी की कंपन से होता है। यह एक प्राकृतिक घटना है, जिसमें पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा के निकलने के कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं जो सभी दिशाओं में फैलकर पृथ्वी को कंपित करती हैं।
- भूकंप से उत्पन्न तरगों को भूकंपीय तरगें कहा जाता है, जो पृथ्वी की सतह पर गति करती हैं तथा इन्हें ‘सिस्मोग्राफ’ (Seismographs) से मापा जाता है।
- पृथ्वी की सतह के नीचे का स्थान जहाँ भूकंप का केंद्र स्थित होता है, हाइपोसेंटर (Hypocenter) कहलाता है और पृथ्वी की सतह के ऊपर स्थित वह स्थान जहाँ भूकंपीय तरगें सबसे पहले पहुँचती है अधिकेंद्र (Epicenter) कहलाता है।
- भूकंप के प्रकार: फाल्ट ज़ोन, विवर्तनिक भूकंप, ज्वालामुखी भूकंप, मानव प्रेरित भूकंप।
- भूकंप की घटनाओं को या तो कंपन की तीव्रता या तीव्रता के अनुसार मापा जाता है। परिमाण पैमाने को रिक्टर पैमाने के रूप में जाना जाता है। परिमाण भूकंप के दौरान उत्पन्न ऊर्जा से संबंधित है। परिमाण को निरपेक्ष संख्या, 0-10 में व्यक्त किया जाता है।
- तीव्रता के पैमाने का नाम इटली के भूकंपविज्ञानी मर्केली के नाम पर रखा गया है। तीव्रता का पैमाना घटना के कारण होने वाली दृश्य क्षति को ध्यान में रखता है। तीव्रता पैमाने की सीमा 1-12 है।
- भूकंप का वितरण:
- परि-प्रशांत भूकंपीय पेटी: विश्व की सबसे बड़ी भूकंप पेटी, परि-प्रशांत भूकंपीय पेटी, प्रशांत महासागर के किनारे पाई जाती है, जहाँ हमारे ग्रह के सबसे बड़े भूकंपों के लगभग 81% आते हैं। इसने "रिंग ऑफ फायर" उपनाम अर्जित किया है।
- यह पेटी विवर्तनिक प्लेटों की सीमाओं में मौजूद है, जहाँ अधिकतर समुद्री क्रस्ट की प्लेटें दूसरी प्लेट के नीचे जा रही हैं। इसका कारण इन ‘सबडक्शन ज़ोन’ में भूकंप, प्लेटों के बीच फिसलन और प्लेटों का भीतर से टूटना है।
- मध्य महाद्वीपीय बेल्ट: अल्पाइन-हिमालयी बेल्ट (मध्य-महाद्वीपीय बेल्ट) यूरोप से सुमात्रा तक हिमालय, भूमध्यसागरीय और अटलांटिक में फैली हुई है।
- इस बेल्ट में दुनिया के सबसे बड़े भूकंपों का लगभग 17% भूकंप आते है, जिसमें कुछ सबसे विनाशकारी भी शामिल हैं।
- मध्य अटलांटिक कटक: तीसरा प्रमुख बेल्ट जलमग्न मध्य-अटलांटिक रिज में है। रिज वह क्षेत्र होता है, जहाँ दो टेक्टोनिक प्लेट अलग-अलग विस्तृत होती हैं।
- मध्य अटलांटिक रिज का अधिकांश भाग गहरे पानी के भीतर है और मानव हस्तक्षेप से बहुत दूर है।
- परि-प्रशांत भूकंपीय पेटी: विश्व की सबसे बड़ी भूकंप पेटी, परि-प्रशांत भूकंपीय पेटी, प्रशांत महासागर के किनारे पाई जाती है, जहाँ हमारे ग्रह के सबसे बड़े भूकंपों के लगभग 81% आते हैं। इसने "रिंग ऑफ फायर" उपनाम अर्जित किया है।
भारत में भूकंप जोखिम मानचित्रण:
- तकनीकी रूप से सक्रिय वलित हिमालय पर्वत की उपस्थिति के कारण भारत भूकंप प्रभावित देशों में से एक है।
- अतीत में आए भूकंप तथा विवर्तनिक झटकों के आधार पर भारत को चार भूकंपीय क्षेत्रों (II, III, IV और V) में विभाजित किया गया है।
- पहले भूकंप क्षेत्रों को भूकंप की गंभीरता के संबंध में पाँच क्षेत्रों में विभाजित किया गया था, लेकिन भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) ने पहले दो क्षेत्रों को एक साथ मिलाकर देश को चार भूकंपीय क्षेत्रों में विभाजित किया है।
- BIS भूकंपीय खतरे के नक्शे और कोड को प्रकाशित करने हेतु एक आधिकारिक एजेंसी है।
- भूकंपीय ज़ोन II:
- मामूली क्षति वाला भूकंपीय ज़ोन, जहाँ तीव्रता MM (संशोधित मरकली तीव्रता पैमाना) के पैमाने पर V से VI तक होती है।
- भूकंपीय ज़ोन III:
- MM पैमाने की तीव्रता VII के अनुरूप मध्यम क्षति वाला ज़ोन।
- भूकंपीय ज़ोन IV:
- MM पैमाने की तीव्रता VII के अनुरूप अधिक क्षति वाला ज़ोन।
- भूकंपीय ज़ोन V:
- यह क्षेत्र फाॅल्ट प्रणालियों की उपस्थिति के कारण भूकंपीय रूप से सर्वाधिक सक्रिय होता है।
- भूकंपीय ज़ोन V भूकंप के लिये सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र है, जहाँ ऐतिहासिक रूप से देश में भूकंप के कुछ सबसे तीव्र झटके देखे गए हैं।
- इन क्षेत्रों में 7.0 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप देखे गए हैं और यह IX की तुलना में अधिक तीव्र होते हैं।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पिछले वर्ष प्रश्नप्रश्न. भारतीय उप-महाद्वीप में भूकंपों की आवृत्ति बढ़ती हुई प्रतीत होती है। फिर भी, इनके प्रभाव के न्यूनीकरण हेतु भारत की तैयारी (तत्परता) में महत्त्वपूर्ण कमियाँ हैं। विभिन्न पहलुओं की चर्चा कीजिये। (मेन्स-2015) प्रश्न. भूकंप संबंधित संकटों के लिये भारत की भेद्यता की विवेचना कीजिये। पिछले तीन दशकों में भारत के विभिन्न भागों में भूकंप द्वारा उत्पन्न बड़ी आपदाओं के उदाहरण प्रमुख विशेषताओं के साथ दीजिये। (मेन्स-2021) |