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भारतीय अर्थव्यवस्था

IEA की इलेक्ट्रिसिटी 2024 रिपोर्ट

  • 02 Feb 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, कोयला, स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, नवीकरणीय ऊर्जा

मेन्स के लिये:

नवीकरणीय ऊर्जा, खनिज और ऊर्जा संसाधनों के साथ विकास को संतुलित करने में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये कोयले की मांग, चुनौतियाँ और अवसर

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency- IEA) ने अपनी रिपोर्ट "इलेक्ट्रिसिटी 2024" के साथ भारत के ऊर्जा भविष्य में प्रमुख अंतर्दृष्टि का खुलासा किया।

  • यह व्यापक विश्लेषण वर्ष 2026 तक भारत के विद्युत क्षेत्र को आकार देने वाले रुझानों पर प्रकाश डालता है, जैसे- कोयले की निरंतर भूमिका, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उद्भव और परमाणु ऊर्जा की आशाजनक वृद्धि।

विद्युत पर रिपोर्ट, 2024 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • कोयले पर निर्भरता जारी:
    • अनुमान है कि भारत वर्ष 2026 तक बढ़ती विद्युत की मांग को पूरा करने के लिये कोयले पर निर्भर रहेगा।
      • वर्ष 2023 में 74% की कमी के बावजूद वर्ष 2026 तक कोयले द्वारा उत्पादित विद्युत से भारत की 68% विद्युत की मांग पूरी होने की उम्मीद है।
      • कोयला चालित विद्युत उत्पादन में वार्षिक (वर्ष 2024-2026) 2.5% की वृद्धि होने की उम्मीद है।
      • वर्ष 2070 तक भारत के शुद्ध-शून्य लक्ष्य के बावजूद, कोयले का प्रभुत्व होने की उम्मीद है, जो 68% मांग को पूरा करेगा।
  • नवीकरणीय स्रोतों से विद्युत उत्पादन:
    • वर्ष 2023 में विद्युत उत्पादन में 21% हिस्सेदारी के साथ नवीकरणीय ऊर्जा (RE) उत्पादन अपेक्षाकृत स्थिर रहा। सौर और पवन में वृद्धि की भरपाई काफी हद तक जल विद्युत उत्पादन में कमी से हुई है। 
    • वर्ष 2023 के दौरान लगभग 21 गीगावाट (GW) नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता शामिल की गई, जिसमें RE 2023 में कुल संस्थापित क्षमता का लगभग 44% था।
  • विद्युत मांग की गतिशीलता:
    • तेज़ी से आर्थिक विकास और अंतरिक्ष शीतलन आवश्यकताओं में वृद्धि के कारण वर्ष 2023 में भारत की विद्युत मांग 7% बढ़ गई।
    • वर्ष 2024 और 2026 के बीच 6.5% की वार्षिक औसत वृद्धि की उम्मीद है।
    • अनुमान है कि वर्ष 2026 तक विश्व की सबसे तेज़ विकास दर के साथ भारत की विद्युत मांग चीन से आगे निकल जाएगी।
  • वैश्विक तुलना और उभरती अर्थव्यवस्थाएँ:
    • चीन के पास अपेक्षित वृद्धि की मात्रा सबसे अधिक है, तीन वर्षों में भारत की विद्युत मांग यूनाइटेड किंगडम के लगभग बराबर हो सकती है।
    • विकसित अर्थव्यवस्थाओं ने विनिर्माण और औद्योगिक उत्पादन में पर्याप्त कमी तथा उच्च मुद्रास्फीति की सूचना दी।
      • नई विद्युत क्षमता का लगभग 85% उभरती अर्थव्यवस्थाओं से अपेक्षित है, विशेष रूप से दक्षिण एशिया में जिसमें चीन और भारत अग्रणी हैं।
  • जलविद्युत चुनौतियाँ और आदेश:
    • मौसम के बदलते तरीके के कारण वर्ष 2023 में जलविद्युत उत्पादन में 15% की गिरावट आई।
      • निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये सरकार ने मार्च 2024 तक घरेलू कोयले के साथ आयातित कोयले के न्यूनतम 6% के मिश्रण को अनिवार्य कर दिया।
  • विविधीकरण प्रयास:
  • परमाणु ऊर्जा वृद्धि:
    • वैश्विक स्तर पर (वर्ष 2024-2026 के बीच) आधे से अधिक निर्माणाधीन परमाणु ऊर्जा संयंत्र चीन तथा भारत में हैं।
      • IEA का अनुमान है कि वर्ष 2023 की तुलना में वर्ष 2026 में वैश्विक परमाणु ऊर्जा उत्पादन में लगभग 10% की वृद्धि होगी।
    • भारत ने वर्ष 2022 में अपनी परमाणु क्षमता को वर्ष 2032 तक तीन गुना करने की योजना की घोषणा की, जिसका लक्ष्य मौजूदा क्षमता (6 गीगावॉट) में अतिरिक्त 13 गीगावॉट की क्षमता वृद्धि करना है।
      • भारत में वर्तमान में 23 परिचालन योग्य परमाणु रिएक्टर मौजूद हैं जो देश के कुल विद्युत उत्पादन में 2% का योगदान करते हैं।
      • रिपोर्ट के अनुसार सबसे बड़े घरेलू निर्मित परमाणु ऊर्जा संयंत्र, 700 मेगावाट काकरापार यूनिट 3 रिएक्टर, का परिचालन जून 2023 में गुजरात में शुरू हुआ तथा अगस्त 2023 में इसने महत्त्वपूर्ण सफलता हासिल की।
    • देश की परियोजना समय-सीमा के आधार पर वर्ष 2024-2026 के दौरान परमाणु ऊर्जा उत्पादन में तेज़ी से वृद्धि होने के अनुमान हैं जिसमें कुल अनुमानित 4 गीगावॉट क्षमता वाले नए संयंत्रों का वाणिज्यिक उद्देश्यों हेतु उपयोग शामिल होगा।
  • वैश्विक परमाणु परिदृश्य:
    • विश्व परमाणु संघ के अनुमान के अनुसार नवंबर 2023 तक 68 गीगावॉट परमाणु क्षमता निर्माणाधीन है, 9 गीगावॉट वर्तमान में नियोजित है तथा 353 गीगावॉट प्रस्तावित है।
    • वर्ष 2026 तक एशिया की परमाणु ऊर्जा क्षमता उत्तरी अमेरिका की परमाणु ऊर्जा क्षमता से अधिक होने के पूर्वानुमान हैं तथा कुल वैश्विक परमाणु उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 30% तक पहुँच सकती है।
  • स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) प्रौद्योगिकी:
    • रिपोर्ट में स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) प्रौद्योगिकी के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।
      • SMR उन्नत परमाणु रिएक्टर होते हैं जिनकी विद्युत क्षमता 300 मेगावाट (e) प्रति यूनिट तक होती है जो पारंपरिक परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों की उत्पादन क्षमता का लगभग एक-तिहाई है।
      • SMR बड़ी मात्रा में न्यून कार्बन वाली विद्युत का उत्पादन कर सकते हैं, जो इस प्रकार है:
        • स्मॉल: भौतिक रूप से यह पारंपरिक परमाणु ऊर्जा रिएक्टर की तुलना में बहुत छोटे होते हैं।
        • मॉड्यूलर: सिस्टम और घटकों को फैक्टरी में असेंबल करना तथा स्थापना के लिये एक इकाई के रूप में किसी स्थान पर ले जाना संभव बनाना।
        • रिएक्टर: ऊर्जा उत्पन्न करने हेतु ऊष्मा पैदा करने के लिये परमाणु विखंडन का उपयोग करना।
      • SMR प्रौद्योगिकी के विकास तथा परिनियोजन में चुनौतियों के बावजूद इसमें प्रगति हुई है। इसके अनुसंधान एवं विकास में प्रगति हुई है।

भारत के ऊर्जा क्षेत्र का अवलोकन:

  • मई 2023 तक संस्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता (ईंधनवार):
  • कुल संस्थापित  क्षमता (जीवाश्म ईंधन और गैर-जीवाश्म ईंधन) 417 गीगावॉट है।
  • कुल विद्युत उत्पादन में विभिन्न ऊर्जा स्रोतों की हिस्सेदारी इस प्रकार है:
    • जीवाश्म ईंधन (कोयला सहित)- 56.8%
    • नवीकरणीय ऊर्जा (जलविद्युत सहित)- 41.4%
    • परमाणु ईंधन- 1.60%

भारत का नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य:

  • भारत पंचामृत कार्य योजना के अंतर्गत अपने अल्पकालिक और दीर्घकालिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये तैयार है, जैसे- 
    • वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट की गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता को प्राप्त करना; 
    • वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का कम-से-कम आधा हिस्सा प्राप्त करना; 
    • वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को एक बिलियन टन तक कम करना; वर्ष 2030 तक कार्बन तीव्रता को 45 प्रतिशत से कम करना; 
    • वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करना।
  • अगस्त 2022 में भारत ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution- NDC) को अद्यतन किया जिसके अनुसार अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की उत्सर्जन तीव्रता को कम करने का लक्ष्य वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक 45 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) क्या है?

  • परिचय:
    • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency- IEA), जिसका मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में है, को 1970 के दशक के मध्य में हुए तेल संकट का सामना करने हेतु आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के सदस्य देशों द्वारा वर्ष 1974 में एक स्वायत्त एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया था।
      • तब से इसका काम ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास और स्वच्छ ऊर्जा को कवर करने के लिये विस्तारित हो गया है।
    • IEA का केंद्र मुख्य रूप से ऊर्जा संबंधी नीतियाँ हैं, जिसमें आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा तथा पर्यावरण संरक्षण शामिल हैं।
    • IEA अंतर्राष्ट्रीय तेल बाज़ार से संबंधित जानकारी प्रदान करने तथा तेल की आपूर्ति में किसी भी भौतिक व्यवधान के विरुद्ध कार्रवाई करने में भी प्रमुख भूमिका निभाता है।
  • सदस्य:
    • IEA संगठन 31 सदस्य देशों (भारत सहित) 13 सहयोगी देशों और 4 परिग्रहण देशों से बना है।
      • IEA के लिये एक उम्मीदवार देश को OECD का सदस्य देश होना चाहिये।
  •  प्रमुख रिपोर्ट:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. भारत सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण इंदिरा गांधी के कार्यकाल में किया गया था।
  2.  वर्तमान में कोयला खंडों का आवंटन लॉटरी के आधार पर किया जाता है।
  3.  भारत हाल के समय तक घरेलू आपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिये कोयले का आयात करता था, किंतु अब भारत कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारतीय कोयले का/के अभिलक्षण है/हैं? (2013

  1. उच्च भस्म अंश
  2.  निम्न सल्फर अंश
  3.  निम्न भस्म संगलन तापमान

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. ‘‘जलवायु समूह (दि क्लाइमेट ग्रुप)’’ एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है जो बड़े नेटवर्क बना कर जलवायु क्रिया को प्रेरित करता है और उन्हें संचालित करता है।
  2.  अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने जलवायु समूह की भागीदारी में एक वैश्विक पहल "EP100" प्रारंभ की।
  3.  EP100, ऊर्जा दक्षता में नवप्रवर्तन को प्रेरित करने एवं उत्सर्जन न्यूनीकरण लक्ष्यों को प्राप्त करते हुए प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध अग्रणी कंपनियों को साथ लाता है।
  4.  कुछ भारतीय कंपनियाँ EP100 की सदस्य हैं।
  5.  अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ‘‘अंडर 2 कोएलिशन’’ का सचिवालय है।

उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?

(a) 1, 2, 4 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (B)


मेन्स:

प्रश्न. "प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद विकास के लिये कोयला खनन अभी भी अपरिहार्य है"। चर्चा कीजिये। (2017)

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