जैव विविधता और पर्यावरण
शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य
- 27 Aug 2022
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:शुद्ध शून्य उत्सर्जन, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC)। मेन्स के लिये:शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने के लिये भारत द्वारा उठाए गए आवश्यक कदम। |
चर्चा में क्यों?
गेटिंग इंडिया टू नेट ज़ीरो की रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत को वर्ष 2070 तक अपने शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करना है, तो भारत को अब से बड़े पैमाने पर 10.1 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की आवश्यकता है।
रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएंँ:
- निवेश:
- यदि शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को वर्ष 2050 तक पूरा करना है तो भारत द्वारा आवश्यक निवेश 13.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होगा।
- राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC):
- वर्ष 2015 में निर्धारित भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) लक्ष्यों को वर्तमान नीतियों के माध्यम से अगले कुछ वर्षों में जल्दी पूरा किये जाने की संभावना है।
- अधिकम उत्सर्जन:
- भारत, वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में चरम पर पहुँच सकता है।
- लाभ:
- वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य प्राप्त करने के संदर्भ में वर्ष 2036 तक वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद में 4.7% की वृद्धि होगी और 2047 तक 1.5 मिलियन नए रोज़गार सृजित होंगे।
- सुझाव:
- नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युतीकरण को बढ़ावा देने के लिये सुझाई गई विभिन्न नीतियांँ सदी के मध्य तक शुद्ध शून्य को संभव बना सकती हैं।
- वर्ष 2023 तक नए कोयले के उपयोग को समाप्त करना और वर्ष 2040 तक कोयला शक्ति का संक्रमणीय प्रयोग 20वीं शताब्दी के मध्य के करीब शुद्ध शून्य उत्सर्जन तक पहुँचने के लिये विशेष रूप से प्रभावशाली होगा।
- नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युतीकरण को बढ़ावा देने के लिये सुझाई गई विभिन्न नीतियांँ सदी के मध्य तक शुद्ध शून्य को संभव बना सकती हैं।
शुद्ध शून्य लक्ष्य:
- इसे कार्बन तटस्थता के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ यह नहीं है कि कोई देश अपने उत्सर्जन को शून्य पर लाएगा।
- बल्कि, यह एक ऐसा देश है जिसमें किसी देश के उत्सर्जन की भरपाई वातावरण से ग्रीनहाउस गैसों के अवशोषण और हटाने से होती है।
- इसके अलावा, वनों जैसे अधिक कार्बन सिंक बनाकर उत्सर्जन के अवशोषण को बढ़ाया जा सकता है।
- जबकि वातावरण से गैसों को हटाने के लिये कार्बन कैप्चर और स्टोरेज़ जैसी भविष्य की तकनीकों की आवश्यकता होती है।
- इसके अलावा, वनों जैसे अधिक कार्बन सिंक बनाकर उत्सर्जन के अवशोषण को बढ़ाया जा सकता है।
- 70 से अधिक देशों ने सदी के मध्य तक यानी वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य बनने का दावा किया है।
- भारत ने COP-26 शिखर सम्मेलन के सम्मेलन में वर्ष 2070 तक अपने उत्सर्जन को शुद्ध शून्य करने का वादा किया है।
वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने हेतु भारत द्वारा उठाए गए कदम:
- भारत के अक्षय ऊर्जा लक्ष्य:
- भारत द्वारा पेरिस में घोषित किये गए अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य, वर्ष 2022 तक के स्तर 175 गीगावाट से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट करने को अब वर्ष 2030 तक बढ़ाकर COP26 में 500 गीगावाट कर दिया है।
- भारत ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों से 50% स्थापित विद्युत् उत्पादन क्षमता के लक्ष्य की भी घोषणा की है, जो 40% के मौजूदा लक्ष्य को बढ़ाता है, जो पहले ही लगभग हासिल कर लिया गया है।
- NDC के लक्ष्य:
- इनकी पहचान निम्नानुसार की गई है:
- जलवायु परिवर्तन से निपटने की कुंजी के रूप में लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट (LIFE) के लिये जन आंदोलन सहित संरक्षण और संयम की परंपराओं एवं मूल्यों के आधार पर जीवन जीने के स्वस्थ तथा टिकाऊ तरीके को आगे बढ़ाना।
- आर्थिक विकास के संबंधित स्तर पर अन्य लोगों द्वारा अपनाए गए मार्ग की तुलना में जलवायु के अनुकूल और स्वच्छ मार्ग को अपनाना।
- वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करना।
- वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50% संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता प्राप्त करना,
- यह हरित जलवायु कोष (GCF) सहित प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और कम लागत वाले अंतर्राष्ट्रीय वित्त की मदद से संभव होगा।
- वर्ष 2030 तक अतिरिक्त वन और वृक्षों के आवरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन CO2 के बराबर अतिरिक्त कार्बन संचय करना।
- जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों विशेष रूप से कृषि, जल संसाधन, हिमालयी क्षेत्र, तटीय क्षेत्रों और स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन के लिये विकास कार्यक्रमों में निवेश बढ़ाकर जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन करना।
- आवश्यक संसाधन और संसाधन अंतराल को देखते हुए उपरोक्त शमन एवं अनुकूलन कार्यों को लागू करने के लिये विकसित देशों से घरेलू तथा नए तथा अतिरिक्त धन जुटाना।
- भारत में अत्याधुनिक जलवायु प्रौद्योगिकी के त्वरित प्रसार और ऐसी भावी प्रौद्योगिकियों के लिये संयुक्त सहयोगी अनुसंधान एवं विकास हेतु क्षमता निर्माण, तथा एक घरेलू ढाँचा और अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का निर्माण करना।
- इनकी पहचान निम्नानुसार की गई है:
- पहल:
- सौर ऊर्जा:
- भारत ने दुनिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा स्थापना पहलों में से एक की शुरूआत की है।
- चाहे वह वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट क्षमता प्राप्त कर ले या वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट लक्ष्य प्राप्त कर ले,
- भारत ने दुनिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा स्थापना पहलों में से एक की शुरूआत की है।
- कार्बन संचय:
- इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP) देश में शीतलन ज़रूरतों को पूरा करने और शीतलन की मांग को कम करने में मदद करेगा।
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) और एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये राष्ट्रीय संवर्धित ऊर्जा दक्षता मिशन (NMEEE) के तहत कई पहल की हैं।
- प्रतिपूरक वनीकरण कोष अधिनियम, 2016 के तहत बनाए गए प्रतिपूरक वनीकरण प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA) कोष में हज़ारों करोड़ हैं, जिसका उपयोग जल्द ही वनों की कटाई की भरपाई करने और पेड़ों की स्थानिक प्रजातियों को शामिल करने वाले हरित आवरण को बहाल करने के लिये किया जाएगा।
- इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP) देश में शीतलन ज़रूरतों को पूरा करने और शीतलन की मांग को कम करने में मदद करेगा।
- हाइड्रोजन ऊर्जा:
- भारत ने ग्रे और ग्रीन हाइड्रोजन के लिये हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की भी घोषणा की है।
- भारत ने ग्रे और ग्रीन हाइड्रोजन के लिये हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की भी घोषणा की है।
- सौर ऊर्जा:
आगे की राह:
- भारत के शुद्ध-शून्य लक्ष्य और अद्यतित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) निश्चित रूप से महत्त्वाकांक्षी हैं, जो कि कोविड महामारी के बाद इससे उबरने की आवश्यकताओं पर बल दे रहे हैं।
- हालाँकि ये वैश्विक स्तर पर जलवायु कार्रवाई पर वृद्धिशील प्रगति के एक सामान्य प्रणाली में समायोजित होते हैं जिसमें पूर्व-औद्योगिक स्तरों से वैश्विक तापन को 5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिये आवश्यक सामूहिक भावना का अभाव है।
- इसके अलावा भारत सहित विश्व स्तर पर सीमित अल्पकालिक उत्सर्जन में कमी और महत्त्वाकांक्षी दीर्घकालिक जलवायु कार्य योजनाओं का कार्यान्वयन उपेक्षित है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रिलिम्स: Q. 'इच्छित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान' शब्द को कभी-कभी समाचारों में किस संदर्भ में देखा जाता है? (2016) (a) युद्ध प्रभावित मध्य पूर्व से शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये यूरोपीय देशों द्वारा की गई प्रतिज्ञा उत्तर: (b) व्याख्या:
मेन्स: Q. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के पार्टियों के सम्मेलन (CoP) के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन करें। इस सम्मेलन में भारत द्वारा व्यक्त की गई प्रतिबद्धताएँ क्या हैं?(2021) |