जैव विविधता और पर्यावरण
सशक्त जलवायु लक्ष्य 2030
- 05 Aug 2022
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:जलवायु परिवर्तन, यूएनएफसीसीसी, सीओपी, पेरिस समझौता, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान, अक्षय ऊर्जा, सरकारी पहल मेन्स के लिये:यूएनएफसीसीसी सीओपी, जलवायु परिवर्तन और इसके निहितार्थ, जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय, सरकारी पहल। |
चर्चा में क्यों:
हाल ही में भारत ने वर्ष 2030 तक अपने जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों में वृद्धि की है।
- वर्ष 2021 में ग्लासगो में UNFCCC COP 26 में भारत के प्रधानमंत्री ने भारत की ओर से जलवायु कार्रवाई को सशक्त करने के लिये कई नए वादे किये थे।
भारत के संशोधित लक्ष्य:
- परिचय:
- उत्सर्जन तीव्रता:
- भारत अब वर्ष 2005 के स्तर से सकल घरेलू उत्पाद (GDP की प्रति इकाई उत्सर्जन) की उत्सर्जन तीव्रता में कम-से-कम 45% की कमी के लिये प्रतिबद्ध है।
- मौजूदा लक्ष्य 33% - 35% की कमी करना था।
- भारत अब वर्ष 2005 के स्तर से सकल घरेलू उत्पाद (GDP की प्रति इकाई उत्सर्जन) की उत्सर्जन तीव्रता में कम-से-कम 45% की कमी के लिये प्रतिबद्ध है।
- विद्युत उत्पादन:
- भारत यह सुनिश्चित करने का भी वादा करता है कि वर्ष 2030 में स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता का कम-से-कम 50% गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों पर आधारित होगा।
- यह मौजूदा 40% के लक्ष्य से अधिक है।
- भारत यह सुनिश्चित करने का भी वादा करता है कि वर्ष 2030 में स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता का कम-से-कम 50% गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों पर आधारित होगा।
- उत्सर्जन तीव्रता:
- महत्त्व:
- अद्यतन राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (NDCs) जलवायु परिवर्तन के खतरे के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया को मज़बूत करने की दिशा में भारत के योगदान को बढ़ाने का प्रयास करता है, जैसा कि पेरिस समझौते के तहत सहमति व्यक्त की गई थी।
- NDCs प्रत्येक देश द्वारा राष्ट्रीय उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल होने के प्रयासों को शामिल करता है।
- इस तरह की कार्रवाई से भारत को कम उत्सर्जन वृद्धि कीे दिशा में बढ़ने में भी मदद मिलेगी।
- नए NDCs ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से आर्थिक विकास को अलग करने के लिये उच्चतम स्तर पर भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेंगे।
- संशोधित NDCs के परिणामस्वरूप अकेले भारतीय रेलवे द्वारा वर्ष 2030 तक शुद्ध शून्य लक्ष्य से उत्सर्जन में सालाना 60 मिलियन टन की कमी आएगी।
- अन्य NDCs:
- वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 GW (गीगावाट) तक बढ़ाना।
- वर्ष 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन को 1 बिलियन टन (BT) कम करना।
- वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करना।
जलवायु परिवर्तन और भारत के प्रयास:
- परिवहन क्षेत्र में सुधार:
- भारत (हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक) वाहन योजना को तेज़ी से अपना रहा है तथा विनिर्माण के साथ ई-मोबिलिटी के क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
- पुराने और अनुपयुक्त वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिये स्वैच्छिक वाहन स्क्रैपिंग नीति मौज़ूदा योजनाओं की पूरक है।
- इलेक्ट्रिक वाहनों को भारत में प्रोत्साहन:
- भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है जो वैश्विक ‘EV30@30 अभियान’ का समर्थन करते हैं, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक नए वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी को कम-से-कम 30% करना है।
- ग्लासगो में आयोजित COP26 में जलवायु परिवर्तन शमन के लिये भारत द्वारा पाँच तत्त्वों (जिसे ‘पंचामृत’ कहा गया है) की वकालत इसी दिशा में जताई गई प्रतिबद्धता है।
- सरकारी योजनाओं की भूमिका:
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने 88 मिलियन परिवारों को कोयला आधारित खाना पकाने के ईंधन से एलपीजी कनेक्शन में स्थानांतरित करने में मदद की है।
- निम्न-कार्बन संक्रमण में उद्योगों की भूमिका:
- भारत में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र पहले से ही जलवायु चुनौती से निपटने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जहाँ ग्राहकों एवं निवेशकों में बढ़ती जागरूकता के साथ-साथ बढ़ती नियामक तथा प्रकटीकरण आवश्यकताओं से सहायता मिल रही है।
- हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन:
- हरित ऊर्जा संसाधनों से हाइड्रोजन के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना।
- प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (PAT):
- PAT ऊर्जा गहन उद्योगों की ऊर्जा दक्षता सुधार में लागत प्रभावशीलता बढ़ाने के लिये एक बाज़ार आधारित तंत्र है।
UNFCCC CoP26:
- परिचय:
- संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ 26 को 2021 में ग्लासगो, यूके में आयोजित किया गया था।
- बैठक का विवरण:
- नए वैश्विक और राष्ट्रीय लक्ष्य:
- ग्लासगो शिखर सम्मेलन ने विश्व के देशों से वर्ष 2022 में मिस्र में आयोजित COP27 तक अपने वर्ष 2030 के लक्ष्य को और सशक्त बनाने पर विचार करने का आग्रह किया।
- शिखर सम्मेलन ने ग्लोबल वार्मिंग को +1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होने देने का लक्ष्य रखा और लगभग 140 देशों ने अपने उत्सर्जन को ‘शुद्ध शून्य’ (NET ZERO) तक लाने हेतु अपनी लक्षित तिथियों की घोषणा की।
- यह उपलब्धि महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि पेरिस समझौते में विकासशील देश अपने उत्सर्जन को कम करने के लिये सहमत नहीं हुए थे और उन्होंने केवल जीडीपी की ‘उत्सर्जन-तीव्रता’ को कम करने के प्रति सहमति जताई थी।.
- भारत भी सर्वसम्मति से इसमें शामिल हो गया है और उसने वर्ष 2070 के अपने नेट-ज़ीरो लक्ष्य की घोषणा की है।
- ग्लासगो निर्णायक एजेंडा:
- ग्लासगो निर्णायक एजेंडा एक संभावित महत्त्वपूर्ण विकास है जो CoP26 (लेकिन CoP प्रक्रिया के अलग) से उभरा, जिसे 42 देशों (भारत सहित) द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है।
- यह स्वच्छ ऊर्जा, सड़क परिवहन, इस्पात और हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में स्वच्छ प्रौद्योगिकियों एवं संधारणीय समाधानों में तीव्रता लाने के लिये एक सहकारी प्रयास है।
- ग्लासगो निर्णायक एजेंडा एक संभावित महत्त्वपूर्ण विकास है जो CoP26 (लेकिन CoP प्रक्रिया के अलग) से उभरा, जिसे 42 देशों (भारत सहित) द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है।
- चरणबद्ध रूप से कोयले की खपत में कमी:
- कोयला, जीवाश्म ईंधनों में सबसे प्रदूषणकारी है, अतः ईंधन-स्रोतों के रूप में इसके प्रयोग को अत्यधिक कम करने की आवश्यकता है।
- यूरोपीय देशों ने इसकी खपत को कम करने की पुरजोर वकालत की है; हालाँकि विकासशील देशों ने इसका विरोध किया है।
- भारत ने CoP26 में एक मध्यम-मार्ग, अर्थात् कोयला आधारित बिजली उत्पादन में "चरणबद्ध रूप से कमी लाने" का सुझाव दिया है।
- कोयला, जीवाश्म ईंधनों में सबसे प्रदूषणकारी है, अतः ईंधन-स्रोतों के रूप में इसके प्रयोग को अत्यधिक कम करने की आवश्यकता है।
- नए वैश्विक और राष्ट्रीय लक्ष्य:
- बेहतर परिदृश्य:
- एक स्वतंत्र संगठन क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर (CAT) द्वारा किये गए प्रारंभिक आकलन से पता चलता है कि घोषित लक्ष्य, अगर पूरी तरह से हासिल कर लिये जाते हैं, तो ग्लोबल वार्मिंग को लगभग +1.8 डिग्री सेल्सियस तक सीमित किया जा सकता है।
- हालाँकि यह चेतावनी भी जारी की गई है कि वर्ष 2030 के लक्ष्य अपर्याप्त रूप से महत्त्वाकांक्षी हैं। यदि कड़े कदम नहीं उठाए जाते हैं तो वैश्विक स्तर पर तापमान में 2.1 डिग्री सेल्सियस से 2.4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि देखने को मिल सकती है।
- एक स्वतंत्र संगठन क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर (CAT) द्वारा किये गए प्रारंभिक आकलन से पता चलता है कि घोषित लक्ष्य, अगर पूरी तरह से हासिल कर लिये जाते हैं, तो ग्लोबल वार्मिंग को लगभग +1.8 डिग्री सेल्सियस तक सीमित किया जा सकता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. जलवायु अनुकूल कृषि के लिये भारत की तैयारी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प (d) सही है। प्रश्न: नवंबर 2021 में ग्लासगो में COP26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के वर्ल्ड लीडर्स समिट में शुरू की गई ग्रीन ग्रिड पहल के उद्देश्य की व्याख्या कीजिये। यह विचार पहली बार अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) में कब लाया गया था? (मुख्य परीक्षा, 2021) |