जैव विविधता और पर्यावरण
COP26 जलवायु सम्मेलन
- 19 Oct 2021
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:COP26, UNFCCC मेन्स के लिये:जलवायु परिवर्तन कारण, परिणाम और प्रयास |
चर्चा में क्यों?
31 अक्तूबर से 12 नवंबर तक आयोजित होने वाले COP26 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन की मेज़बानी यूनाइटेड किंगडम द्वारा की जाएगी।
- इससे पहले इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने पृथ्वी की जलवायु पर अपनी मूल्यांकन रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें आने वाले दशकों में हीट वेव, सूखे, अत्यधिक वर्षा और समुद्र के स्तर में वृद्धि पर प्रकाश डाला गया।
प्रमुख बिंदु
- COP26 लक्ष्य: संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के अनुसार, COP26 चार लक्ष्यों की दिशा में काम करेगा:
- 2050 तक नेट ज़ीरो:
- सदी के मध्य तक ग्लोबल नेट-ज़ीरो को सुरक्षित करना और तापमान 1.5 डिग्री रखना।
- देशों को महत्त्वाकांक्षी 2030 उत्सर्जन कटौती लक्ष्यों पर ज़्यादा ध्यान देने हेतु ज़ोर दिया जा रहा है, जो सदी के मध्य तक शून्य तक पहुँचने के साथ संरेखित है।
- इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिये देशों को निम्नलिखित कार्य करना होगा:
- कोयले के फेज़-आउट में तेज़ी लाना
- वनों की कटाई को रोकना
- डीज़ल वाहनों के स्थान पर इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग
- अक्षय ऊर्जा में निवेश को बढ़ावा देना
- समुदायों और प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिये अनुकूलन:
- देश 'पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा एवं पुनर्स्थापना तथा घरों, आजीविका और यहाँ तक कि जानमाल के नुकसान से बचने के लिये रक्षा, चेतावनी प्रणाली व लचीला बुनियादी ढाँचे एवं सतत् कृषि का निर्माण करने हेतु मिलकर काम करेंगे।'
- वित्त जुटाना:
- विकसित देशों को प्रतिवर्ष जलवायु वित्त में कम-से-कम 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने के अपने वादे को पूरा करना चाहिये।
- मिलकर लक्ष्यों को पूरा करना:
- COP26 में एक अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य 'पेरिस नियम पुस्तिका को अंतिम रूप देना' है।
- नेता विस्तृत नियमों की एक सूची तैयार करने के लिये मिलकर काम करेंगे जो पेरिस समझौते को पूरा करने में सहायक होगा।
- 2050 तक नेट ज़ीरो:
- भारत के लिये सुझाव:
- अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को अपडेट करे।
- (एनडीसी राष्ट्रीय उत्सर्जन को कम करने के लिये प्रत्येक देश द्वारा किये गए विभिन्न प्रयासों का विवरण देता है)
- विकास के लिये सेक्टर आधारित योजनाओं की ज़रूरत है।
- बिजली, परिवहन क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन और प्रति यात्री मील कार्बन को सीमित करने की ज़रूरत है।
- कोयला क्षेत्र को रूपांतरित करने पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिये।
- अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को अपडेट करे।
काॅन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (COP)
- COP के बारे में:
- काॅन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ UNFCCC के अंतर्गत आता है जिसका गठन वर्ष 1994 में किया गया था। UNFCCC की स्थापना "वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस सांद्रता को स्थिर करने" की दिशा में काम करने के लिये की गई थी।
- COP, UNFCCC का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला प्राधिकरण है।
- इसने सदस्य राज्यों के लिये ज़िम्मेदारियों की एक सूची तैयार की है जिसमें शामिल हैं:
- जलवायु परिवर्तन को कम करने के उपाय खोजना।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के अनुकूलन हेतु तैयारी में सहयोग करना।
- जलवायु परिवर्तन से संबंधित शिक्षा, प्रशिक्षण और जन जागरूकता को बढ़ावा देना।
- बैठकें:
- COP सदस्यों द्वारा वर्ष 1995 से हर साल बैठक का आयोजन किया जाता है। UNFCCC में भारत, चीन और अमेरिका सहित 198 दल शामिल हैं।
- इसकी बैठक सामान्यतः बॉन में होती है, जब तक कि कोई भागीदार सत्र की मेज़बानी करने की पेशकश नहीं करता है।
- अध्यक्षता:
- COP अध्यक्ष का कार्यालय आमतौर पर पाँच संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय समूहों अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन, मध्य एवं पूर्वी यूरोप तथा पश्चिमी यूरोप व अन्य के बीच चक्रीय रूप से घूमता है।
- अध्यक्षता आमतौर पर उस देश के पर्यावरण मंत्री द्वारा की जाती है।
महत्त्वपूर्ण परिणामों के साथ COPs
- वर्ष 1995: COP1 (बर्लिन, जर्मनी)
- वर्ष 1997: COP3 (क्योटो प्रोटोकॉल)
- यह कानूनी रूप से विकसित देशों को उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों हेतु बाध्य करता है।
- वर्ष 2002: COP8 (नई दिल्ली, भारत) दिल्ली घोषणा
- सबसे गरीब देशों की विकास आवश्यकताओं और जलवायु परिवर्तन को कम करने हेतु प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करना है।
- वर्ष 2007: COP13 (बाली, इंडोनेशिया)
- पार्टियों ने बाली रोडमैप और बाली कार्ययोजना पर सहमति व्यक्त की, जिसने वर्ष 2012 के बाद के परिणामों की ओर तीव्रता प्रदान की। इस योजना में पाँच मुख्य श्रेणियांँ- साझा दृष्टि, शमन, अनुकूलन, प्रौद्योगिकी और वित्तपोषण शामिल हैं।
- वर्ष 2010: COP16 (कैनकन)
- कैनकन समझौतों के परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन से निपटने में विकासशील देशों की सहायता हेतु सरकारों द्वारा एक व्यापक पैकेज प्रस्तुत किया गया।
- हरित जलवायु कोष, प्रौद्योगिकी तंत्र और कैनकन अनुकूलन ढांँचे की स्थापना की गई।
- वर्ष 2011: COP17 (डरबन)
- सरकारें 2015 तक वर्ष 2020 से आगे की अवधि हेतु एक नए सार्वभौमिक जलवायु परिवर्तन समझौते के लिये प्रतिबद्ध हैं (जिसके परिणामस्वरूप 2015 का पेरिस समझौता हुआ)।
- वर्ष 2015: COP21 (पेरिस)
- वैश्विक तापमान को पूर्व-औद्योगिक समय से 2.0 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना तथा और अधिक सीमित (1.5 डिग्री सेल्सियस तक) करने का प्रयास करना।
- इसके लिये अमीर देशों को वर्ष 2020 के बाद भी सालाना 100 अरब डॉलर की फंडिंग प्रतिबद्धता बनाए रखने की आवश्यकता है।
- वर्ष 2016: COP22 (माराकेश)
- पेरिस समझौते की नियम पुस्तिका लिखने की दिशा में आगे बढ़ना।
- जलवायु कार्रवाई हेतु माराकेश साझेदारी की शुरुआत की गई।
- वर्ष 2017: COP23 (बॉन, जर्मनी)
- देशों द्वारा इस बारे में बातचीत करना जारी रखा गया कि समझौता वर्ष 2020 से कैसे कार्य करेगा।
- डोनाल्ड ट्रम्प ने इस वर्ष की शुरुआत में पेरिस समझौते से हटने के अपने इरादे की घोषणा की।
- यह एक छोटे द्वीपीय विकासशील राज्य द्वारा आयोजित किया जाने वाला पहला COP था, जिसमें फिजी ने अध्यक्षीय पद संभाला था।
- वर्ष 2018: COP24 (काटोवाइस, पोलैंड)
- इसके तहत वर्ष 2015 के पेरिस समझौते को लागू करने के लिये एक ‘नियम पुस्तिका’ को अंतिम रूप दिया गया था।
- नियम पुस्तिका में जलवायु वित्तपोषण सुविधा और राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) के अनुसार की जाने वाली कार्रवाइयाँ शामिल हैं।
- वर्ष 2019: COP25 (मैड्रिड, स्पेन)
- इसे मैड्रिड (स्पेन) में आयोजित किया गया था।
- इस दौरान बढ़ती जलवायु तात्कालिकता के संबंध में कोई ठोस योजना मौजूद नहीं थी।