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जैव विविधता और पर्यावरण

उत्सर्जन गैप रिपोर्ट 2021: यूएनईपी

  • 30 Oct 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रीनहाउस गैस, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, उत्सर्जन गैप रिपोर्ट, शुद्ध-शून्य उत्सर्जन

मेन्स के लिये:

उत्सर्जन गैप रिपोर्ट 2021 के अंतर्गत नई शमन प्रतिबद्धताएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme- UNEP) की उत्सर्जन गैप रिपोर्ट, 2021 (Emissions Gap Report, 2021) जारी की गई है।

  • यह UNEP उत्सर्जन गैप रिपोर्ट का बारहवाँ संस्करण है। यह सूचित करता है कि नई राष्ट्रीय जलवायु प्रतिबद्धताओं ने शमन के अन्य उपायों के साथ मिलकर दुनिया को सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में वृद्धि को कम करके 2.7 डिग्री सेल्सियस तक रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

प्रमुख बिंदु

  • GHGs में निरंतर वृद्धि:
  • नई शमन प्रतिबद्धताएँ:
    • वर्ष 2030 के लिये नई शमन प्रतिबद्धताओं में कुछ प्रगति दिखाई दे रही है, लेकिन वैश्विक उत्सर्जन पर उनका कुल प्रभाव अपर्याप्त है।
    • एक समूह के रूप में G20 सदस्य अपनी मूल या वर्ष 2030 तक नई प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने की दिशा पर परिलक्षित नहीं हैं।
    • शर्त रहित एनडीसी की तुलना में वर्ष 2030 के लिये नई प्रतिबद्धताएँ वर्ष 2030 के लिये अनुमानित उत्सर्जन को केवल 7.5% कम करती हैं, जबकि 2 डिग्री सेल्सियस के लिये 30% और 1.5 डिग्री सेल्सियस के लिये 55% कम करने की आवश्यकता होगी।
  • शुद्ध-शून्य उत्सर्जन:
    • वैश्विक उत्सर्जन के लक्ष्य को आधे से अधिक को कवर करने वाले 50 देशों द्वारा किये गए दीर्घकालिक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन में बड़ी विभिन्नताएँ परिलक्षित हुई हैं।
      • शुद्ध शून्य उत्सर्जन का आशय है कि सभी मानव निर्मित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को शमन उपायों के माध्यम से वातावरण से हटा दिया जाना चाहिये। इस प्रकार प्राकृतिक और कृत्रिम सिंक के माध्यम से हटाए जाने के बाद पृथ्वी के नेट क्लाइमेट बैलेंस को कम करना चाहिये।
    • G20 सदस्यों के NDC लक्ष्यों में से कुछ ने शुद्ध-शून्य प्रतिबद्धताओं को अपनाकर उत्सर्जन को सही दिशा प्रदान की है।
    • इन प्रतिबद्धताओं को निकट अवधि के लक्ष्यों और कार्यों के साथ वापस जुड़ने की तत्काल आवश्यकता है जो यह विश्वास दिलाते हैं कि शुद्ध-शून्य उत्सर्जन अंततः प्राप्त किया जा सकता है और कार्बन क्रेडिट शेष रखा जा सकता है।
  • ग्लोबल वार्मिंग:
    • यदि बिना किसी शर्त के वर्ष 2030 तक सभी प्रतिबद्धताओं तथा 2.6 डिग्री सेल्सियस को भी लागू किया जाता है तो सदी के अंत में ग्लोबल वार्मिंग का अनुमान 2.7 डिग्री सेल्सियस रहेगा।
    • यदि शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्रतिबद्धताओं को अतिरिक्त रूप से पूरी तरह से लागू किया जाता है तो यह अनुमान लगभग 2.2 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाएगा।
  • मीथेन उत्सर्जन:
    • जीवाश्म ईंधन, अपशिष्ट और कृषि क्षेत्रों से मीथेन के उत्सर्जन में कमी अल्पावधि के लिये उत्सर्जन गैप तथा वार्मिंग को कम करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
  • कार्बन बाज़ार:
    • कार्बन बाज़ार वास्तविक उत्सर्जन में कमी और महत्त्वाकांक्षा को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन केवल तभी जब नियमों को स्पष्ट रूप से परिभाषित और डिज़ाइन किया गया हो तथा यह सुनिश्चित करने के लिये लेन-देन उत्सर्जन में वास्तविक कमी को दर्शाने के साथ साथ प्रगति को ट्रैक और पारदर्शिता प्रदान करने की व्यवस्था द्वारा समर्थित हो।
  • वर्तमान स्थिति:
    • वर्तमान वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की सांद्रता पिछले दो मिलियन वर्षों में किसी भी समय की तुलना में अधिक है।
    • वर्तमान में वर्ष 2020 के लिये कुल वैश्विक ग्रीन हॉउस उत्सर्जन का कोई अनुमान उपलब्ध नहीं है।
      • हालाँकि COVID-19 महामारी में वर्ष 2020 में एक छोटी सी गिरावट के साथ CO2 उत्सर्जन में अभूतपूर्व 5.4% की गिरावट दर्ज की गई |
    • 2010 से 2019 तक भूमि उपयोग परिवर्तन (LUC) के साथ GHG उत्सर्जन में औसतन 1.3% प्रतिवर्ष की वृद्धि हुई हैं।
      • GHG उत्सर्जन 2019 के अनुसार, LUC उत्सर्जन के बिना CO2 (GtCO2e) का 51.5 गीगाटन और भूमि-उपयोग परिवर्तन (LUC) के साथ 58.1 GtCO2e का रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गया।
  • भारत में उत्सर्जन को कम करने के लिये प्रमुख पहल:

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)

  • परिचय:
    • 05 जून, 1972 को स्थापित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) एक प्रमुख वैश्विक पर्यावरण प्राधिकरण है।
    • इसका प्राथमिक कार्य वैश्विक पर्यावरण एजेंडा को निर्धारित करना, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर सतत् विकास को बढ़ावा देना और वैश्विक पर्यावरण संरक्षण के लिये एक आधिकारिक अधिवक्ता के रूप में कार्य करना है।
  • मुख्यालय:
    • नैरोबी (केन्या)।
  • प्रमुख रिपोर्ट्स:
  • प्रमुख अभियान:

उत्सर्जन गैप रिपोर्ट:

  • यह 2030 में अनुमानित उत्सर्जन और पेरिस समझौते के 1.5 डिग्री सेल्सियस तथा 2 डिग्री सेल्सियस लक्ष्यों के अनुरूप स्तरों के बीच के अंतर का आकलन करता है। हर साल यह रिपोर्ट इस अंतराल को समाप्त करने के तरीके पेश करती है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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