बीएस-4 वाहनों की बिक्री पर रोक
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने 1 अप्रैल, 2020 से पूरे देश में उत्सर्जन मानक बीएस-4 के अनुरूप मोटर वाहनों की बिक्री और पंजीकरण पर प्रतिबंध लगा दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रदूषण पूरे भारत में एक ‘खतरनाक और संकटपूर्ण’ स्तर पर पहुँच चुका है।
प्रमुख बिंदु
- देश में 1 अप्रैल, 2020 से बीएस-6 ईंधन का उपयोग करना शुरू किया जाएगा जो बीएस-4 ईंधन की तुलना में अधिक स्वच्छ है। भारत स्टेज (BS) उत्सर्जन मानदंड मोटर वाहनों से वायु प्रदूषण के उत्पादन को नियंत्रित करने के लिये सरकार द्वारा स्थापित मानक है।
- बीएस -4 मानक पूरे देश में अप्रैल 2017 में लागू किये गए थे।
- वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर को कम करने के लिये भारत सरकार ने 2016 में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए बीएस -5 की बजाय अप्रैल 2020 तक देश भर में बीएस -6 उत्सर्जन मानकों को लागू करने का फैसला किया था।
क्या है बीएस मानक?
- BS मानक यूरोपीय नियमों पर आधारित हैं। अलग-अलग देशों में ये मानक अलग-अलग होते हैं, जैसे-अमेरिका में ये टीयर-1, टीयर-2 के रूप में होते हैं, तो यूरोप में इन्हें यूरो मानक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- भारत में सर्वप्रथम उत्सर्जन नियमों की शुरुआत 1991 में हुई थी और तब ये नियम केवल पेट्रोल इंजन से चलने वाले वाहनों पर लागू होते थे।
- BS यानी भारत स्टेज वाहन उत्सर्जन मानकों को केंद्र सरकार ने वर्ष 2000 में शुरू किया था। इसके बाद 2005 और 2006 के आसपास वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये BS-2 और BS-3 मानकों की शुरुआत की गई। लेकिन BS-3 मानकों का अनुपालन वर्ष 2010 में शुरू किया जा सका।
- वाहनों से होने वाले उत्सर्जन के BS मानक के आगे संख्या-2, 3 या 4 और अब 6 के बढ़ते जाने का मतलब है उत्सर्जन के बेहतर होते मानक जो पर्यावरण के अनुकूल हैं। अर्थात् BS के आगे जितना बड़ा नंबर होगा, उस गाड़ी से होने वाला प्रदूषण उतना ही कम होगा।
- BS-6 ईंधन का उपयोग शुरू करने के साथ ही भारत भी एशिया-प्रशांत राष्ट्रों यथा-जापान, दक्षिण कोरिया, हॉन्गकॉन्ग, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस और चीन की सूची में शामिल हो गया है। लेकिन चीन में केवल भारी वाहनों में ही BS-6 ईंधन का उपयोग होता है।
- देश में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) इन मानकों की निगरानी करने और इन्हें जारी करने वाली नोडल एजेंसी है।
बीएस -6 मानक से लाभ
- विशेषज्ञों के अनुसार, BS-4 के मुकाबले BS-6 डीज़ल में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ 70 से 75% तक कम होते हैं।
- BS-6 मानक लागू होने से प्रदूषण में काफी कमी आएगी, विशेषकर डीज़ल वाहनों से होने वाले प्रदूषण में भारी कमी आएगी।
- नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर के मामले में BS-6 स्तर का डीज़ल काफी बेहतर होगा।
- हवा में PM2.5 का अधिकतम स्तर 60 mgcm तक होना चाहिये। BS-6 में यह मात्रा 20 से 40 mgcm होती है, जबकि BS-4 में 120 mgcm तक होती है।