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भारत की पवन ऊर्जा क्षमता

  • 12 Aug 2023
  • 4 min read

हाल ही में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने भारत की पवन ऊर्जा क्षमता के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी साझा की। यह जानकारी धारणीय ऊर्जा प्रथाओं के प्रति देश की प्रतिबद्धता को उजागर करती है और उच्चतम पवन ऊर्जा क्षमता वाले प्रमुख राज्यों पर प्रकाश डालती है।

  • इसके अतिरिक्त मंत्रालय ने पवन ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने और इस क्षेत्र में पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नवीन रणनीतियों की रूपरेखा तैयार की।

भारत की पवन ऊर्जा क्षमता:

  • अप्रैल 2023 तक 42.8 गीगावाट (तटीय पवन) की स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता के साथ भारत चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और जर्मनी के बाद विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है।
  • राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान द्वारा किये जाने वाले पवन संसाधन मूल्यांकन से देश भर में सतह से 120 मीटर और 150 मीटर ऊपर क्रमशः लगभग 695.5 गीगावाट और 1,164 गीगावाट की अनुमानित पवन ऊर्जा क्षमता का पता चलता है।
  • शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता राज्य:
    • ज़मीनी स्तर से 120 मीटर ऊपर पवन ऊर्जा क्षमता (गीगावाट में):
      • गुजरात (142.56), राजस्थान (127.75), कर्नाटक (124.15), महाराष्ट्र (98.21) और आंध्र प्रदेश (74.90)।
    • ज़मीनी स्तर से 150 मीटर ऊपर पवन ऊर्जा क्षमता (गीगावाट में):
      • राजस्थान (284.25), गुजरात (180.79), महाराष्ट्र (173.86), कर्नाटक (169.25) और आंध्र प्रदेश (123.33)।

पवन ऊर्जा के विकास हेतु सरकारी पहल:

  • पवन ऊर्जा परियोजनाओं को पुनः सशक्त बनाने की नीति, 2016:
    • यह नीति भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (Indian Renewable Energy Development Agency- IREDA) द्वारा वित्तपोषित नई पवन परियोजनाओं के लिये मौजूदा छूट पर 0.25% की अतिरिक्त ब्याज दर छूट प्रदान करके पवन ऊर्जा परियोजना को पुनः सशक्त बनाने के लिये प्रोत्साहित करती है।
  • फाइबर प्रबलित प्लास्टिक (Fiber Reinforced Plastic- FRP) के निपटान के लिये दिशा-निर्देश:
    • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) ने पवन टरबाइन ब्लेड में उपयोग किये जाने वाले शीट मोल्डिंग कंपाउंड सहित FRP के उचित निपटान के लिये विशिष्ट दिशा-निर्देश जारी किये हैं। ये दिशा-निर्देश पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करते हैं।
  • राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति, 2018:
    • इसका मुख्य उद्देश्य पवन और सौर संसाधनों, ट्रांसमिशन अवसंरचना एवं भूमि के इष्टतम तथा कुशल उपयोग के लिये बड़े ग्रिड से जुड़े पवन-सौर पीवी हाइब्रिड प्रणाली को बढ़ावा देने के लिये एक रूपरेखा प्रदान करना है।
  • राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति:
    • इसका उद्देश्य 7600 किमी. की भारतीय तटरेखा के साथ भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र में अपतटीय पवन ऊर्जा विकसित करना है।

पवन ऊर्जा के उत्पादन में प्रयुक्त किये जाने वाले विभिन्न प्रकार के टरबाइन:

स्रोत: पी.आई.बी.

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