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भारतीय राजव्यवस्था

भारत, अर्थात् इंडिया: वर्तमान में बहस का विषय

  • 06 Sep 2023
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अनुच्छेद 1, भारत और इंडिया नाम की उत्पत्ति, विष्णु पुराण, संविधान सभा

मेन्स के लिये:

"इंडिया" और "भारत" नामों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित होने वाले आगामी G-20 शिखर सम्मेलन के निमंत्रण पत्र में एक उल्लेखनीय बदलाव किया गया है। पारंपरिक "प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया" के बजाय, निमंत्रणों पर अब "भारत के राष्ट्रपति" शब्द का प्रयोग किया गया है, इसने देश के नामकरण और इसके ऐतिहासिक अर्थों को लेकर व्यापक बहस को जन्म दे दिया है।

"इंडिया" और "भारत" नामों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: 

  • संवैधानिकता:
    • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1 में पहले से ही "इंडिया" और "भारत" दोनों का परस्पर उपयोग किया गया है, जिसमें कहा गया है, "भारत, जो कि इंडिया है, राज्यों का एक संघ होगा।"
    • भारतीय संविधान की प्रस्तावना "हम भारत के लोग" से शुरू होती है, लेकिन हिंदी संस्करण में इंडिया के बजाय "भारत" का उपयोग किया गया है, जो विनिमेयता का संकेत है।
      • इसके अतिरिक्त, कुछ सरकारी संस्थानों, जैसे कि भारतीय रेलवे, के पास पहले से ही हिंदी संस्करण उपलब्ध हैं जिनमें ‘भारतीय’ शामिल है।
  • भारत नाम की उत्पत्ति:
    • ‘भारत’ शब्द की गहरी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़ें हैं। इसका पता पौराणिक साहित्य और महाकाव्य महाभारत से लगाया जा सकता है।
    • विष्णु पुराण में ‘भारत’ (Bharat) का वर्णन दक्षिणी समुद्र और उत्तरी बर्फीले हिमालय पर्वत के मध्य की भूमि के रूप में किया गया है।
      • यह केवल राजनीतिक या भौगोलिक इकाई से अधिक धार्मिक और सामाजिक-सांस्कृतिक इकाई का प्रतीक है।
    • भरत एक प्रसिद्ध प्राचीन राजा का नाम था, जिसे भरत की ऋग्वैदिक जनजातियों का पूर्वज माना जाता है, जो सभी उपमहाद्वीप के लोगों के पूर्वज का प्रतीक है।
  • इंडिया नाम की उत्पत्ति:
    • इंडिया नाम सिंधु शब्द से लिया गया है, जो उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग से प्रवाहित होने वाली एक नदी का नाम है।
      • प्राचीन यूनानियों ने सिंधु नदी के पार रहने वाले लोगों को एंदुई कहा, जिसका अर्थ है "सिंधु के लोग।"
      • बाद में फारसियों और अरबों ने भी सिंधु भूमि को संदर्भित करने के लिये हिंद या हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग किया।
    • यूरोपीय लोगों ने इन स्रोतों से ‘इंडिया’ नाम अपनाया और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के बाद यह देश का आधिकारिक नाम बन गया।

  • इंडिया और भारत के संबंध में संविधान सभा की बहस:
    • देश के नाम को लेकर यह बहस नई नहीं है। वर्ष 1949 में जब संविधान सभा द्वारा संविधान का निर्माण किया जा रहा था तब भी देश के नाम को लेकर मतभेद था।
      • कुछ सदस्यों को लगा कि "इंडिया" शब्द औपनिवेशिक उत्पीड़न की याद दिलाता है और उन्होंने आधिकारिक दस्तावेज़ों में "भारत" को प्राथमिकता देने की मांग की।
        • जबलपुर के सेठ गोविंद दास ने "भारत" को "इंडिया" से ऊपर रखने की वकालत की और इस बात पर बल दिया कि भारत केवल पूर्व अंग्रेज़ी अनुवाद था।
        • "हरि विष्णु कामथ ने "भारत" के प्रयोग की मिसाल के रूप में आयरिश संविधान का उदाहरण दिया, जिसने स्वतंत्रता प्राप्त करने पर देश का नाम बदल दिया।
        • हरगोविंद पंत ने तर्क दिया कि लोग "भारतवर्ष" नाम चाहते थे और उन्होंने  विदेशी शासकों द्वारा दिये गए "भारत" शब्द को खारिज़ कर दिया।
  • नवीन विकास: 
    • वर्ष 2015 में, केंद्र ने यह कहते हुए नाम परिवर्तन का विरोध किया कि संविधान के प्रारूपण के दौरान इस मुद्दे पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया था।
      • सर्वोच्च्य न्यायालय ने 'इंडिया' का नाम बदलकर 'भारत' करने की याचिका को दो बार खारिज़ कर दिया है, एक बार वर्ष 2016 में तथा फिर वर्ष 2020 में, यह पुष्टि करते हुए कि "भारत" और "इंडिया" दोनों का संविधान में उल्लेख है।

"हिंदुस्तान" नाम का ऐतिहासिक महत्त्व:

  • "हिंदुस्तान" शब्द का ऐतिहासिक महत्त्व है और यह नाम पंजाब में लोकप्रिय था। सिख संस्थापक गुरु नानक देव ने गुरबानी में "हिंदुस्तान" का उल्लेख किया है और गुरु तेग बहादुर को "हिंद" व धर्म के रक्षक के रूप में जाना जाता है।
  • शाह मुहम्मद ने ब्रिटिश एवं सिखों के बीच संघर्ष को "हिंद" और पंजाब के बीच युद्ध के रूप में प्रस्तुत किया है।
  • गदर पार्टी और स्वतंत्रता संग्राम के कार्यकर्त्ताओं ने अपने आंदोलनों में "हिंदुस्तान" शब्द का प्रयोग किया, जिससे यह पंजाब के इतिहास में प्रासंगिक हो गया।

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