नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


प्रारंभिक परीक्षा

मंगल ग्रह की आंतरिक संरचना

  • 30 Oct 2023
  • 7 min read

स्रोत: द हिंदू 

नेचर में प्रकाशित हालिया दो अध्ययनों के अनुसार, मंगल  के तरल आयरन कोर के पूरी तरह से पिघली हुई सिलिकेट परत से घिरे होने की संभावना है।

  • अध्ययन के लिये मंगल ग्रह पर तीन वर्ष के दौरान आए भूकंपों के डेटा का उपयोग किया गया, जिसमें उल्कापिंड के प्रभाव से उत्पन्न हुई दो भूकंपीय घटनाएँ भी शामिल थीं।
  • नासा के इनसाइट मार्स लैंडर ने मंगल के आंतरिक भाग से गुज़रने वाली भूकंपीय तरंगों को अभिलेखित करने के लिये सिस्मिक एक्सपेरिमेंट फॉर इंटीरियर स्ट्रक्चर (SEIS) नामक एक उपकरण का उपयोग किया।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:

  • मंगल के कोर संरचना:
    • वर्ष 2021 में नासा के इनसाइट लैंडर के SEIS प्रोजेक्ट से मिले प्रमाणों ने मंगल ग्रह में एक बड़े, कम घनत्व वाले कोर की उपस्थिति का संकेत दिया, जिसमें तरल लोहा और सल्फर, कार्बन, ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन जैसे हल्के तत्त्व शामिल थे। 
    • हालाँकि हालिया दोनों अध्ययन इस निष्कर्ष का खंडन करते हैं। इन अध्ययनों में पाया गया है कि मंगल ग्रह का कोर लगभग पिघली हुई सिलिकेट चट्टान की 150 किमी. मोटी परत से आच्छादित है, जो पहले की तुलना में कोर के उच्चतम घनत्व का संकेत देता है।
  • कोर के सतह की गलत व्याख्या:
    • अध्ययनों से पता चलता है कि इस सिलिकेट परत के ऊपरी हिस्से को प्रारंभ में भ्रमवश कोर की सतह मान लिया गया था। इस पुनर्व्याख्या का तात्पर्य है कि मंगल का कोर पहले के अनुमानों की तुलना में अधिक कॉम्पैक्ट अर्थात् संगठित है, जो मंगल पर रसायनों की प्रचुरता के मौजूदा ज्ञान के साथ बेहतर समन्वय को प्रदर्शित करता है।
      • इन संशोधित निष्कर्षों से पता चलता है कि अंतर-ग्रहीय अंतरिक्ष में गठन के बाद मंगल ग्रह का आंतरिक भाग अशांत रहा होगा और इसका तापमान कम-से-कम 2,000 केल्विन तक पहुँच गया होगा, जो अंतरग्रहीय अंतरिक्ष में ऊष्मा प्रवाह के अधिक शांत प्रक्रिया के विपरीत था।
  • मंगल के भू-गर्भीय इतिहास पर प्रभाव:
    • ये निष्कर्ष मंगल के भू-गर्भीय इतिहास को व्यापक रूप से प्रभावित करते हैं क्योंकि ये मंगल ग्रह के गठन के प्रारंभिक चरण के अधिक गतिशील और ऊर्जावान होने का संकेत देते हैं। पिघली हुई सिलिकेट परत की उपस्थिति एक प्रबल और अशांत आंतरिक भाग का संकेत देती है, जो संभवतः मंगल के भू-गर्भीय विकास तथा ग्रह के भीतर तत्त्वों के वितरण को प्रभावित करती है।

इनसाइट्स मार्स लैंडर: 

  • परिचय:
    • इनसाइट (Interior Exploration using Seismic Investigations, Geodesy and Heat Transport) को वर्ष 2018 में 24 महीने के मिशन पर भेजा गया था।
    • इनसाइट मंगल ग्रह के गहरे आंतरिक भाग का अध्ययन करेगा।
    • लैंडिंग स्थल एलीसियम प्लैनिटिया (भूमध्य रेखा के ठीक उत्तर में एक समतल मैदान है, जिसे गहरे मंगल ग्रह के आंतरिक भाग का अध्ययन करने के लिये उपयुक्त स्थान माना जाता है), जहाँ इनसाइट पूरे समय स्थिर और शांत रह सकता है।
  • कार्य:
    • मार्स इनसाइट का लक्ष्य लाल ग्रह के आंतरिक रहस्यों को उजागर करने के तरीके के रूप में भूकंप और कंपन का अवलोकन करना है।
    • मिशन का उद्देश्य सौर मंडल के शुरुआती दिनों में चट्टानी ग्रह निर्माण संबंधी महत्त्वपूर्ण प्रश्नों का जवाब खोजना है।

विभिन्न मंगल मिशन:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. ‘‘यह प्रयोग तीन ऐसे अंतरिक्षयानों को काम में लाएगा जो एक समबाहु त्रिभुज की आकृति में उड़ान भरेंगे जिसमें प्रत्येक भुजा एक मिलियन किलोमीटर लंबी है और यानों के बीच लेज़र चमक रही होंगी।’’ कथित प्रयोग किसे संदर्भित करता है? (2020)

(a) वॉयेजर-2
(b) न्यू हॉरायज़न्स
(c) LISA पाथफाइंडर
(d) इवोल्वड LISA

उत्तर : (d) 


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. इसरो द्वारा लॉन्च किया गया मंगलयान:
  2. इसे मार्स ऑर्बिटर मिशन भी कहा जाता है।
  3.  संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत मंगल ग्रह की परिक्रमा करने वाला दूसरा देश बन गया है। 
  4.  भारत अपने पहले ही प्रयास में स्वयं के अंतरिक्षयान द्वारा मंगल ग्रह की परिक्रमा करने में सफल एकमात्र देश बन गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow