डेली न्यूज़ (20 Nov, 2024)



भारत के समुद्री क्षेत्र का विकास

प्रिलिम्स के लिये:

ब्लू इकोनॉमी, महत्त्वपूर्ण खनिज, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा, नई दिल्ली में 18वाँ G20 शिखर सम्मेलन, विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह, वधावन, गैलेथिया खाड़ी, बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम 2021, राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016, अंतर्देशीय पोत अधिनियम 2021, जहाज़ रिसाइक्लिंग अधिनियम 2019, लोथल, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा, उत्तरी समुद्री मार्ग, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI), सागरमाला कार्यक्रम, मेक इन इंडिया, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA)

मेन्स के लिये:

आर्थिक विकास में समुद्री व्यापार का महत्त्व, हाल के दिनों में हुए प्रमुख घटनाक्रम।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के सहयोग से सागरमंथन: द ग्रेट ओशन्स डायलॉग का आयोजन किया, जिसके तहत भारत के समुद्री क्षेत्र के विकास पर प्रकाश डालने के साथ समुद्री रसद, बंदरगाहों एवं शिपिंग पर ध्यान केंद्रित किया गया।

भारत के समुद्री क्षेत्र से संबंधित प्रमुख घटनाक्रम क्या हैं?

  • चेन्नई-व्लादिवोस्तोक पूर्वी समुद्री गलियारा: वर्ष 2023 के अंत में इसका संचालन शुरू हुआ यह भारत एवं सुदूर पूर्व रूस के बीच कार्गो परिवहन की सुविधा के साथ कच्चे तेल, खाद्य एवं मशीनरी जैसे प्रमुख आयात में सुलभता पर केंद्रित है।
  • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC): भारत और ग्रीस G20 के नई दिल्ली शिखर सम्मेलन 2023 के दौरान घोषित IMEC पर सहयोग कर रहे हैं।
    • इसका उद्देश्य भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच आर्थिक संपर्क बढ़ाने के साथ व्यापार को बढ़ावा देने के क्रम में समुद्री तथा रेल मार्गों को एकीकृत करना है।
  • समुद्री विज़न 2047: भारत का लक्ष्य वर्ष 2047 समुद्री क्षेत्र में प्रमुख भागीदार बनना है जिसके तहत बंदरगाह, कार्गो, जहाज़ स्वामित्व, जहाज़ निर्माण एवं संबंधित सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया जाना शामिल है।
    • भारत वर्ष 2047 तक बंदरगाह हैंडलिंग क्षमता को 10,000 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में भी कार्य कर रहा है।
  • समुद्री अवसंरचना में निवेश: भारत केरल के विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह, वधावन (महाराष्ट्र) में नए मेगा बंदरगाहों और गैलेथिया खाड़ी (निकोबार द्वीप समूह) जैसी प्रमुख परियोजनाओं के आलोक में समुद्री क्षेत्र में 80 लाख करोड़ रुपए के निवेश की योजना बना रहा है।
    • इस क्षेत्र में स्थायित्व हेतु अमोनिया, हाइड्रोजन और विद्युत जैसे स्वच्छ ईंधनों से चलने वाले जहाज़ों के निर्माण की दिशा में प्रगति पर ध्यान दिया जा रहा है। 
  • पोर्ट टर्नअराउंड टाइम: इसमें काफी हद तक सुधार हुआ है (जो 40 घंटे से घटकर 22 घंटे रह गया है) और यह अमेरिका तथा सिंगापुर जैसे देशों से भी बेहतर हो गया है।
    • पोर्ट टर्नअराउंड टाइम का आशय जहाज़ को सामान उतारने, लादने, परिचालन करने तथा अगली यात्रा के लिये तैयार होने में लगने वाला समय है।
  • संशोधित कानून: प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2021राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016, अंतर्देशीय पोत अधिनियम, 2021 और जहाज़ पुनर्चक्रण अधिनियम, 2019 ने पहले ही बंदरगाहों, जलमार्गों और जहाज़ पुनर्चक्रण क्षेत्रों में विकास को गति दे दी है।
    • तटीय नौवहन विधेयक, 2024 और मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2020 जल्द ही भारत में तटीय नौवहन, जहाज़ निर्माण और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देंगे।
  • विरासत का संरक्षण: भारत की जहाज़ निर्माण विरासत को पुनर्जीवित करने के लिये लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का निर्माण किया जा रहा है।

IMEC

  • यह एक प्रमुख बुनियादी ढाँचा और व्यापार संपर्क परियोजना है जिसका उद्देश्य भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को बढ़ाना है।
  • प्रस्तावित IMEC में रेलमार्ग, जहाज़ से रेल नेटवर्क और सड़क परिवहन मार्ग शामिल होंगे जो दो गलियारों में फैले होंगे:
    • पूर्वी गलियारा - भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ता है।
    • उत्तरी गलियारा - अरब की खाड़ी को यूरोप से जोड़ता है।
  • IMEC कॉरिडोर में एक विद्युत् केबल, एक हाइड्रोजन पाइपलाइन और एक हाई-स्पीड डेटा केबल भी शामिल होगी।

चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारे के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा एक समुद्री संपर्क मार्ग है जो भारत के पूर्वी तट को रूस के सुदूर-पूर्वी क्षेत्र के बंदरगाहों, विशेष रूप से चेन्नई बंदरगाह और व्लादिवोस्तोक बंदरगाह से जोड़ता है।
  • दूरी में कमी: नए मार्ग से दूरी 8,675 समुद्री मील (यूरोप के रास्ते) से घटकर लगभग 5,600 समुद्री मील रह जाएगी।
  • समय में कमी: इससे भारत और सुदूर पूर्व रूस के बीच माल परिवहन में लगने वाले समय में 16 दिन तक की कमी आएगी, तथा अब यात्रा में पहले के 40 दिनों की तुलना में 24 दिन लगेंगे।
  • सामरिक महत्त्व: व्लादिवोस्तोक प्रशांत महासागर पर सबसे बड़ा रूसी बंदरगाह है, और यह चीन-रूस सीमा से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित है।
  • व्यापार संभावना: एक व्यवहार्यता अध्ययन से पता चलता है कि भारत और रूस के बीच कोकिंग कोल, तेल, उर्वरक, कंटेनर और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) जैसी वस्तुओं के व्यापार की महत्त्वपूर्ण संभावना है।
  • पूरक पहल: चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारा अन्य पहलों, जैसे उत्तरी समुद्री मार्ग और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) के साथ संरेखित है।

भारत के समुद्री क्षेत्र में चुनौतियाँ क्या हैं?

  • चीन से प्रतिस्पर्द्धा: 70 वर्षों से भी कम समय में, चीन एक वैश्विक समुद्री शक्ति बन गया है, जिसके पास बड़ी नौसेना, तट रक्षक, सबसे बड़ा व्यापारी बेड़ा और अग्रणी बंदरगाह हैं। 
  • अप्रभावी बंदरगाह अवसंरचना: मौजूदा बंदरगाहों के आधुनिकीकरण और नए बंदरगाहों के निर्माण में देरी हुई है, और समुद्री एजेंडा 2010-2020 के तहत कई उद्देश्य 2020 तक पूरे नहीं हो पाए।
    • जबकि बंदरगाह संपर्क सागरमाला कार्यक्रम का मुख्य केंद्र है, अंतरमॉडल परिवहन (विशेष रूप से बंदरगाहों को अंतर्देशीय परिवहन नेटवर्क से जोड़ना) अब भी अविकसित है।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी का अभाव: भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से बंदरगाह-आधारित औद्योगिकीकरण के संदर्भ में, अभी भी निजी क्षेत्र की अपर्याप्त भागीदारी है। 
  • स्थिरता संबंधी चिंताएँ: समुद्री व्यापार और बंदरगाह विकास को प्रायः विशेष रूप से तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण और बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभाव के संबंध में पर्यावरणीय मानदंडों को पूरा करने की आवश्यकता होती है।
  • भू-राजनीतिक चुनौतियाँ: बदलती भू-राजनीतिक गतिशीलता और नई वैश्विक समुद्री चुनौतियाँ, जैसे गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं का खतरा (जैसे, वाणिज्यिक जहाज़ों पर हूती हमला) भारत के समुद्री व्यापार के लिये ज़ोखिम पैदा करते हैं।
  • विदेशी जहाज़ निर्माण पर निर्भरता: स्वदेशी जहाज़ निर्माण में प्रगति के बावजूद, भारत जहाज़ निर्माण और समुद्री उपकरणों के लिये विदेशी प्रौद्योगिकी पर काफी हद तक निर्भर है। 

भारत के समुद्री क्षेत्र में सरकार की हालिया पहल क्या हैं?

आगे की राह

  • बंदरगाह आधुनिकीकरण में तेज़ी लाना: बंदरगाह आधारित औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिये शुरू किये गए सागरमाला कार्यक्रम में तेज़ी लाई जानी चाहिये, जिसमें घरेलू शिपयार्डों के आधुनिकीकरण को प्राथमिकता देने, नौकरशाही बाधाओं को कम करने और समय पर परियोजना कार्यान्वयन सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये। 
  • निजी निवेश को प्रोत्साहित करना: सरकार को अनुकूल नीतियों, कर छूट और निवेश-अनुकूल विनियमों के माध्यम से समुद्री क्षेत्र में निजी भागीदारी के लिये अधिक प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिये।
  • बंदरगाह आधारित औद्योगीकरण को बढ़ावा देना: भारत को मेक इन इंडिया पहल का उपयोग करते हुए बंदरगाहों के आसपास औद्योगिक क्लस्टर बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
  • हरित नौवहन को बढ़ावा देना: जहाज़ों के लिये तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे वैकल्पिक ईंधनों को बढ़ावा देने से समुद्री व्यापार के कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सकता है।
  • बहुपक्षीय समुद्री सहयोग : भारत को सहकारी समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) जैसे क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सुरक्षा ढाँचे के साथ अपनी भागीदारी बढ़ानी चाहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: रूस के साथ भारत के आर्थिक और सामरिक संबंधों को मज़बूत करने में चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा के महत्त्व का विश्लेषण कीजिये। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स

प्रश्न: हिंद महासागर नौसैनिक परिसंवाद (सिम्पोज़ियम) (IONS) के संबंध में निम्नलिखित पर विचार कीजिये:

  1. प्रारंभी (इनाँगुरल) IONS भारत में 2015 में भारतीय नौसेना की अध्यक्षता में हुआ था।
  2. IONS एक स्वैच्छिक पहल है जो हिंद महासागर क्षेत्र के समुद्रतटवर्ती देशों (स्टेट्स) की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ाना चाहता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 व 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2

उत्तर: (b)


प्रश्न: 'क्षेत्रीय सहयोग के लिये हिन्द महासागर रिम संघ [इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (IOR-ARC)]' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये :

  1. इसकी स्थापना अत्यन्त हाल ही में समुद्री डकैती की घटनाओं और तेल अधिप्लाव (आयल स्पिल्स) की दुर्घटनाओं के प्रतिक्रियास्वरूप की गई है।
  2. यह एक ऐसी मैत्री है जो केवल समुद्री सुरक्षा हेतु है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 व 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d)


प्रश्न: भू-युद्धनीति की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र होने के नाते दक्षिण-पूर्वी एशिया लंबे अंतराल और समय से वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित करता आया है। इस वैश्विक संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सी व्याख्या सबसे प्रत्ययकारी है? (2011)

(a) यह द्वितीय विश्व युद्ध का सक्रिय घटनास्थल था। 
(b) यह एशिया की दो शक्तियों चीन और भारत के बीच स्थित है। 
(c) यह शीत युद्ध की अवधि में महाशक्तियों के बीच परस्पर मुकाबले की रणभूमि थी। 
(d) यह प्रशांत महासागर और हिंद महासागर के बीच स्थित है और उसका चरित्र उत्कृष्ट समुद्रवर्ती है। 

उत्तर: (d)


मेन्स

प्रश्न: परियोजना 'मौसम' को भारत सरकार की अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों की सुदृढ़ करने की एक अद्वितीय विदेश नीति पहल माना जाता है। क्या इस परियोजना का एक रणनीतिक आयाम है? चर्चा कीजिये। (2015)

प्रश्न: दक्षिण चीन सागर के मामले में, समुद्री भूभागीय विवाद और बढ़ता हुआ तनाव समस्त क्षेत्र में नौपरिवहन की और ऊपरी उड़ान की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिये समुद्री सुरक्षा की आवश्यकता की अभिपुष्टि करते हैं। इस संदर्भ में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा कीजिये। (2014)


सिकल सेल का उन्मूलन

प्रिलिम्स के लिये:

जनजातीय गौरव दिवस, सिकल सेल उन्मूलन-2047, क्रोनिक एनीमिया, जनजातीय समुदाय, क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स (CRISPR)

मेन्स के लिये:

सिकल सेल उन्मूलन-2047, राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन, राष्ट्रीय सिकल सेल पोर्टल

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जनजातीय गौरव दिवस (15 नवंबर 2024) के अवसर पर मध्य प्रदेश में "सिकल सेल उन्मूलन - 2047" से संबंधित एक स्मारक डाक टिकट का अनावरण किया गया।

  • यह पहल वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमिया (एक वंशानुगत रक्त विकार) को समाप्त करने की भारत की व्यापक प्रतिबद्धता के अनुरूप है, जिसमें विशेष रूप से जनजातीय समुदायों (जो इससे असमान रूप से प्रभावित हैं) पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

सिकल सेल एनीमिया क्या है?

  • परिचय:
    • सिकल सेल रोग (SCD) एक आनुवंशिक रक्त विकार है जिसमें हीमोग्लोबिन (प्रोटीन जो शरीर में ऑक्सीजन ले जाता है) के असामान्य होने के परिणामस्वरूप लाल रक्त कोशिकाएँ सिकल के आकार की हो जाती हैं। 
      • इससे रक्त प्रवाह अवरुद्ध होने से गंभीर दर्द होता है तथा अंग क्षतिग्रस्त हो जाने से जीवन प्रत्याशा कम हो जाती है।
    • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) की जनजातीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ समिति ने SCD को जनजातीय समुदायों के बीच दस प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं में से एक के रूप में पहचाना है।
  • लक्षण: 
    • क्रोनिक एनीमिया (जिसके कारण थकान, कमज़ोरी के साथ शरीर में पीलापन आ जाता है)।
    • हड्डियों, छाती, पीठ, बाँहों और पैरों में अचानक एवं तीव्र दर्द होता है (जिसे सिकल सेल क्राइसिस के नाम से भी जाना जाता है)।
    • शरीर की वृद्धि एवं यौवन में विलंब होता है।

  • उपचार प्रक्रिया:
    • रक्त आधान: इससे एनीमिया से राहत मिलने के साथ दर्द संबंधी जोखिम कम हो सकता है।
    • हाइड्राॅक्सीयूरिया: इससे दर्द की आवृत्ति को कम करने के साथ रोग की कुछ दीर्घकालिक जटिलताओं को रोकने में मदद मिल सकती है।
    • जीन थेरेपी: इसका उपचार अस्थि मज्जा या स्टेम सेल प्रत्यारोपण जैसे क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स (CRISPR) द्वारा भी किया जा सकता है।
  • भारत में SCD से संबंधित चुनौतियाँ:
    • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में जनजातीय जनसंख्या घनत्व 67.8 मिलियन (8.6%) है जो विश्व में सर्वाधिक है।
      • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जनजातीय समुदायों को असमान रूप से प्रभावित करने वाले शीर्ष दस स्वास्थ्य मुद्दों में SCD को भी शामिल किया है।
    • दूरदराज के जनजातीय क्षेत्रों में सीमित निदान और उपचार सुविधाएँ तथा समुदायों में आनुवंशिक परामर्श एवं निवारक उपायों के विषय में ज्ञान की कमी।
    • दवा की लागत, नियमित जाँच और अस्पताल में भर्ती होने के कारण दीर्घकालिक SCD प्रबंधन आर्थिक रूप से कष्टदायक हो सकता है।
      • CRISPR जैसे उपचारों की लागत 2-3 मिलियन अमेरिकी डॉलर होती है और अस्थि मज्जा दाताओं को ढूंढना चुनौतीपूर्ण होता है।

SCD से संबंधित कुछ सरकारी पहल क्या हैं?

  • राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन:
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • सामुदायिक जाँच: सामूहिक जाँच कार्यक्रमों के माध्यम से जोखिम वाले व्यक्तियों की पहचान।
    • आनुवंशिक परामर्श: रोग की आनुवंशिक प्रकृति के विषय में परिवारों को शिक्षित करना।
    • उन्नत निदान: सटीक निदान के लिये हाई परफॉरमेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी (HPLC) मशीनों जैसे उपकरणों का उपयोग करना। 
    • गर्भावस्था के दौरान परीक्षण के लिये संकल्प इंडिया जैसे संगठनों के साथ सहयोग।
    • नवजात शिशु की जाँच: प्रारंभिक पहचान के लिये AIIMS भोपाल में विशेष प्रयोगशालाएँ।
    • प्रौद्योगिकी एकीकरण: ट्रैकिंग और डेटा रिपोर्टिंग के लिये एक मोबाइल ऐप और राष्ट्रीय सिकल सेल पोर्टल का विकास
  • उद्देश्य:
    • वहनीय और सुलभ देखभाल: सभी SCD रोगियों को देखभाल प्रदान करना। 
    • देखभाल की गुणवत्ता: SCD रोगियों के लिये उच्च-गुणवत्ता वाली देखभाल सुनिश्चित करना। 
    • व्यापकता कम करना: SCD की व्यापकता को कम करना।
  • प्रगति: 
    • इस कार्यक्रम के अंतर्गत 3.37 करोड़ से अधिक व्यक्तियों की जाँच की गई है, जिनमें से 3.22 करोड़ से अधिक व्यक्तियों में सिकल सेल रोग की पुष्टि नहीं हुई है।

  • लाभार्थी: 
    • प्राथमिक लक्ष्य समूहों में प्रारंभिक पहचान और हस्तक्षेप के लिये बच्चे और किशोर (जन्म से 18 वर्ष तक) तथा समय के साथ व्यापक आयु वर्ग के समावेशन के लिये युवा और वयस्क (40 वर्ष तक) शामिल हैं।
    • पहले तीन वर्षों (2023-24 से 2025-26) के भीतर 7 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को स्क्रीनिंग, परामर्श और देखभाल के लिये लक्षित किया गया है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) 2013:
    • इसमें रोग की रोकथाम और प्रबंधन के प्रावधान शामिल हैं, तथा सिकल सेल एनीमिया जैसी आनुवंशिक विसंगतियों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
    • NHM के अंतर्गत समर्पित कार्यक्रम जागरूकता बढ़ाने, शीघ्र पहचान की सुविधा प्रदान करने तथा सिकल सेल एनीमिया का समय पर उपचार सुनिश्चित करने पर केंद्रित हैं।
    • NHM अपनी “आवश्यक दवाओं की सूची” में SCD के उपचार के लिये हाइड्राॅक्सीयूरिया जैसी दवाओं को शामिल करता है।
  • स्टेम सेल अनुसंधान के लिये राष्ट्रीय दिशानिर्देश 2017:
    • यह SCD के लिये अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण (BMT) को छोड़कर स्टेम सेल उपचारों के व्यावसायीकरण को नैदानिक ​​परीक्षणों तक सीमित करता है।
    • स्टेम कोशिकाओं पर जीन संपादन की अनुमति केवल इन-विट्रो अध्ययन के लिये है।
  • जीन थेरेपी उत्पाद विकास और नैदानिक ​​परीक्षण 2019 के लिये राष्ट्रीय दिशानिर्देश: 
    • यह वंशानुगत आनुवंशिक विकारों के लिये जीन थेरेपी के विकास और नैदानिक ​​परीक्षणों के लिये दिशानिर्देश प्रदान करता है।
    • भारत ने सिकल सेल एनीमिया के उपचार के लिये CRISPR (क्लस्टर्ड रेगुलर इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स) तकनीक विकसित करने के लिये पाँच वर्षीय परियोजना को भी मंजूरी दी है।
    • मध्य प्रदेश के राज्य हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन का उद्देश्य रोग की जाँच और प्रबंधन में चुनौतियों का समाधान करना है।

विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस

  • विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस प्रतिवर्ष 19 जून को मनाया जाता है। 2024 में, इसका थीम है "प्रगति के माध्यम से आशा: वैश्विक सिकल सेल देखभाल और उपचार को आगे बढ़ाना।"
  • इस दिवस का उद्देश्य SCD से पीड़ित लोगों द्वारा सामना किये जाने वाले संघर्षों को उज़ागर करना, रोग की समझ को बढ़ावा देना, तथा रोगी देखभाल में सुधार लाने और इलाज खोजने की दिशा में प्रयासों को कारगर बनाना है।

आगे की राह

  • स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना: जनजातीय क्षेत्रों में अधिक विशिष्ट निदान और उपचार केंद्र स्थापित करना।
  • शैक्षिक अभियान: जनजातीय आबादी के बीच आनुवंशिक रोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
  • प्रौद्योगिकी उपयोग: निर्बाध ट्रैकिंग के लिये राष्ट्रीय सिकलसेल पोर्टल को पूर्णतः क्रियाशील बनाना।
  • सहयोग: वित्तपोषण और तकनीकी विशेषज्ञता के लिये नागरिक समाज, स्थानीय प्रशासन और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों को शामिल करना।
  • निरंतर जागरूकता और जाँच: SCD मामलों की प्रभावी पहचान और प्रबंधन के लिये राज्यों और आयु समूहों में जागरूकता और रणनीतिक जाँच पहल को बढ़ाना।
  • एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल दृष्टिकोण: उच्च प्रसार और जनजातीय क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए SCD के लिये व्यापक देखभाल और उपचार प्रदान करने के लिये एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल दृष्टिकोण को मज़बूत करना।

निष्कर्ष

भारत का ध्यान कमज़ोर आबादी, खास तौर पर सिकल सेल रोग (SCD) से प्रभावित लोगों में स्वास्थ्य असमानताओं को दूर करने पर है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और जनजातीय कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह पहल एक स्वस्थ और अधिक समतापूर्ण समाज बनाने के लिये संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के अनुरूप है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न

प्रश्न: सिकल सेल एनीमिया से निपटने में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की भूमिका का परीक्षण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न: एनीमिया मुक्त भारत रणनीति के अंतर्गत की जा रही व्यवस्थाओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2023)

  1. इसमें स्कूल जाने से पूर्व के (प्री-स्कूल) बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं के लिये रोगनिरोधक कैल्सियम पूरकता प्रदान की जाती है।
  2. इसमें शिशु जन्म के समय देरी से रज्जु बंद करने के लिये अभियान चलाया जाता है।
  3. इसमें बच्चों और किशोरों की निर्धारित अवधियों पर कृमि-मुक्ति की जाती है।
  4. इसमें मलेरिया, हीमोग्लोबिनोपैथी और फ्रलुओरोसिस पर विशेष ध्यान देने के साथ स्थानिक बस्तियों में एनीमिया के गैर-पोषण कारणों की ओर ध्यान दिलाना शामिल है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) केवल तीन
(d) सभी चार

उत्तर: C


मेन्स:

प्रश्न: अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध और विकास-संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी? (2021)


जनजातीय विकास दृष्टिकोण

प्रीलिम्स के लिये:

हाका, सेंटिनली जनजाति, पारंपरिक ज्ञान, छठी अनुसूची, जनजातीय पंचशील नीति, प्रधानमंत्री वन धन योजना

मेन्स के लिये:

स्वदेशी अधिकार, भारत में जनजातीय विकास नीतियाँ, आधुनिक शासन और सांस्कृतिक विरासत के बीच संतुलन की चुनौतियाँ।

स्रोत: IE

चर्चा में क्यों?

हाल ही में न्यूज़ीलैंड में माओरी सांसदों ने संधि सिद्धांत विधेयक के खिलाफ हाका विरोध प्रदर्शन किया, जो वर्ष 1840 की वेटांगी संधि की पुनर्व्याख्या करने का प्रयास करता है।

  • इस विरोध प्रदर्शन में जनजातीय विकास नीतियों के प्रति असहमति को उजागर किया गया, जो सांस्कृतिक विरासत और आधुनिक शासन के बीच संतुलन स्थापित करती हैं।

हाका क्या है?

  • हाका नृत्य माओरी का पारंपरिक नृत्य है, जिसे युद्ध के मैदान में योद्धाओं द्वारा या दूसरों का स्वागत करने के लिये किया जाता है। इसमें मंत्रोच्चार, चेहरे के भाव और हाथों की हरकतें शामिल होती हैं। यह माओरी पहचान का प्रतिनिधित्व करता है और प्रतिरोध का प्रतीक बन गया है।
    • माओरी जनजाति एक स्वदेशी जनजाति है जो न्यूज़ीलैंड में निवास करती है।
  • हाका विरोध: हाका विरोध संधि सिद्धांत विधेयक के प्रस्तुत किये जाने के प्रति प्रतिक्रिया है।
    • विधेयक का उद्देश्य वर्ष 1840 की वेटांगी संधि की पुनर्व्याख्या करना है, जो एक आधारभूत दस्तावेज़ है, जिसने ब्रिटिश क्राउन और माओरी प्रमुखों के बीच संबंध स्थापित किये।
  • संधि सिद्धांत विधेयक: इसका उद्देश्य सभी न्यूज़ीलैंडवासियों के लिये समानता सुनिश्चित करना है। आलोचकों का तर्क है कि संधि सिद्धांतों को सभी न्यूज़ीलैंडवासियों पर समान रूप से लागू करके यह विधेयक माओरी लोगों के स्वदेशी लोगों के रूप में विशिष्ट अधिकारों को मान्यता देने में विफल रहा है।
    • इस दृष्टिकोण को वेटांगी संधि के तहत माओरी को दी गई कानूनी सुरक्षा को कमज़ोर करने के रूप में देखा जाता है।

जनजातीय विकास नीति के दृष्टिकोण क्या हैं?

  • अलगाव: यह दृष्टिकोण स्वदेशी समुदायों की सांस्कृतिक और पारिस्थितिक प्रणालियों को संरक्षित करने के लिये आधुनिक समाज के साथ उनके संपर्क को सीमित करके उनकी सुरक्षा पर ज़ोर देता है।
    • उदाहरण: अंडमान द्वीप समूह में सेंटिनली जनजाति अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (आदिवासी जनजातियों का संरक्षण) अधिनियम, 1956 के तहत सख्त कानूनों द्वारा संरक्षित होकर पूर्ण अलगाव में रहती है।
    • लाभ: पारंपरिक जीवनशैलियाँ, भाषाएँ और ज्ञान प्रणालियाँ संरक्षित रहती हैं।  
      • समुदायों को बाह्य प्रभावों से बचाता है जो संसाधनों या श्रम का शोषण कर सकते हैं।
      • स्वदेशी भूमि प्रायः जैव विविधता से समृद्ध होती है, जिसे उनकी सतत् प्रथाओं के माध्यम से संरक्षित किया जाता है।  
    • चुनौतियाँ: अलगाव के कारण अक्सर स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और आर्थिक अवसरों की कमी हो जाती है।  
      • समुदाय राष्ट्रीय विकास प्रक्रियाओं से बाहर रह सकते हैं। 
      • जलवायु प्रभाव या अतिक्रमण जैसे परिवर्तन अलगाव को अस्थाई बना सकते हैं।
  • आत्मसातीकरण: यह दृष्टिकोण स्वदेशी समुदायों को मुख्यधारा के समाज में शामिल करता है जिसका उद्देश्य एकीकृत राष्ट्रीय पहचान बनाना है, लेकिन यह उनकी विशिष्ट सांस्कृतिक प्रथाओं को कमज़ोर कर सकता है।
    • उदाहरण: संयुक्त राज्य अमेरिका में, मूल अमेरिकी बच्चों को उनकी भाषाओं और परंपराओं को दबाते हुए उन्हें “अमेरिकीकृत” करने के लिये बोर्डिंग स्कूलों में रखा गया था।
      • ऑस्ट्रेलिया में "स्टोलन जेनरेशन (जनजातीय और/या टोरेस स्ट्रेट द्वीपवासी लोग)" के जनजातीय बच्चों को श्वेत संस्कृति में आत्मसात करने के लिये जबरन उनके परिवारों से अलग कर दिया गया।
    • लाभ: शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और नौकरी के अवसरों जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकती है। आत्मसात आर्थिक और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में अंतर को कम कर सकता है।
    • चुनौतियाँ: जबरन आत्मसातीकरण से भाषा, परंपराओं और आध्यात्मिक प्रथाओं की हानि होती है तथा सांस्कृतिक विरासत कमज़ोर होती है,  जिससे स्वदेशी पहचान समाप्त हो जाती है ।
      • जबरन आत्मसातीकरण को प्रायः प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है, जिससे मूल निवासियों और सरकार के बीच अलगाव एवं अविश्वास को बढ़ावा मिलता है, जिससे आधुनिक शासन के साथ सांस्कृतिक संरक्षण के बीच संतुलन बनाने के प्रयास जटिल हो जाते हैं।
  • एकीकरण: इसमें स्वदेशी लोगों को आधुनिक शासन में शामिल करना शामिल है, साथ ही उनकी सांस्कृतिक पहचान का सम्मान करना, यह सुनिश्चित करना कि उनके अधिकार, परंपराएँ और स्वायत्तता व्यापक समाज में संरक्षित रहें।
    • उदाहरण: गुंडजेइहमी और बिनिंज जनजातियाँ, पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक संरक्षण प्रथाओं के साथ मिलाकर, काकाडू राष्ट्रीय उद्यान के प्रबंधन में ऑस्ट्रेलियाई सरकार के साथ मिलकर कार्य करती हैं।
    • लाभ: शासन में समावेशन से स्वदेशी समुदायों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर मिलता है, जो उनके समुदायों को प्रभावित करता है।
      • आधुनिक शासन के माध्यम से स्वदेशी समुदायों के अधिकारों को मान्यता देने से उनकी भूमि, परंपराओं और संसाधनों की रक्षा करने की क्षमता बढ़ सकती है।
      • सहयोगात्मक ढाँचे स्वदेशी समुदायों और सरकारों के बीच विश्वास को बढ़ावा दे सकते हैं।
    • चुनौतियाँ: औपचारिक समावेशन के बावजूद स्वदेशी समुदायों को प्रणालीगत नस्लवाद और असमानता का सामना करना पड़ सकता है।
      • सरकारें और उद्योग स्वदेशी प्राधिकारियों को सत्ता या संसाधन सौंपने का विरोध कर सकते हैं।

जनजातीय विकास नीति के प्रति भारत का दृष्टिकोण क्या है?

  • स्वतंत्रता-पूर्व दृष्टिकोण: अंग्रेज़ों ने कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये जनजातीय क्षेत्रों को “बहिष्कृत” या “आंशिक रूप से बहिष्कृत” क्षेत्रों के रूप में वर्गीकृत करके एक अलगाववादी दृष्टिकोण लागू किया।
  • वर्ष 1874 में, ब्रिटिश भारत में अनुसूचित जिला अधिनियम (अधिनियम XIV) प्रस्तुत किया गया, जिसने शोषण से बचाने के लिये कुछ क्षेत्रों को नियमित कानूनों से छूट दी।
  • स्वतंत्रता के बाद: सरकार की नीतियाँ स्वायत्तता और एकीकरण दोनों की ओर उन्मुख रही हैं।

निष्कर्ष

स्वदेशी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और आधुनिक शासन के बीच संतुलन बनाना एक जटिल चुनौती है। जबकि अलगाव, आत्मसात और एकीकरण जैसे दृष्टिकोणों के अपने-अपने लाभ और हानि हैं, स्वदेशी अधिकारों को मान्यता देना और संस्कृति को संरक्षित करना उनके कल्याण के लिये महत्त्वपूर्ण है। वैश्विक स्तर पर और भारत में, स्वायत्तता और एकीकरण को जोड़ने वाली नीतियाँ जनजातीय आबादी के कल्याण और सांस्कृतिक अखंडता सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक हैं।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: जनजातीय विकास नीतियों में अलगाव, आत्मसात और एकीकरण के बीच संतुलन का विश्लेषण कीजिये। सांस्कृतिक विरासत पर इनका क्या प्रभाव पड़ता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स

प्रश्न: भारतीय जनजातीय समाज के विकास की विभिन्न धाराओं को समझने में अलगाव, समावेशन और एकीकरण के परिप्रेक्ष्यों का विश्लेषण कीजिये। (2023)


भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन

प्रिलिम्स के लिये:

भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन, G20, निर्धनता, सतत् कृषि पद्धतियाँ, संयुक्त राष्ट्र, खाद्य और कृषि संगठन (FAO), यूनिसेफ, विश्व खाद्य कार्यक्रम, विश्व बैंक, बाजरा, आधिकारिक विकास सहायता (ODA), अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA), वैश्विक कृषि और खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम (GAFSP), विशेष आहरण अधिकार (SDR), ऋण उपचार के लिये सामान्य ढाँचा, सतत् विकास लक्ष्य (SDG), वन हेल्थ दृष्टिकोण, आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY), प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), पीएम-किसान, सक्षम आँगनवाड़ी, मध्याह्न भोजन योजना

मेन्स के लिये:

भुखमरी और गरीबी का मुद्दा, भुखमरी और गरीबी उन्मूलन में अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की भूमिका।

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में ब्राजील में G20 लीडर्स समिट में वैश्विक स्तर पर निर्धनता और भुखमरी को मिटाने के लिये भूख और गरीबी के खिलाफ एक नया वैश्विक गठबंधन शुरू किया गया।

  • यह गठबंधन G20 नई दिल्ली शिखर सम्मेलन 2023 में अपनाए गए खाद्य सुरक्षा और पोषण 2023 पर डेक्कन उच्च स्तरीय सिद्धांतों के कार्यान्वयन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • इसके अलावा भारत के प्रधानमंत्री ने 'सामाजिक समावेशन तथा भूख और गरीबी के विरुद्ध लड़ाई' विषय पर एक सत्र को संबोधित किया तथा भारत के अनुभवों और सफलता की कहानियों को साझा किया।

भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: यह सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और अन्य हितधारकों का एक स्वैच्छिक गठबंधन है जो भुखमरी (SDG 2), गरीबी (SDG 1) को मिटाने, असमानताओं को कम करने (SDG 10) और अन्य परस्पर जुड़े SDG का समर्थन करने के लिये कार्य कर रहा है।
    • देश स्तर पर इसके तीन स्तंभ हैं – ज्ञान, वित्त और ज्ञान।
  • उद्देश्य
    • राजनीतिक प्रतिबद्धता: G20 और गठबंधन के सदस्यों को वैश्विक स्तर पर भूख और गरीबी के विरुद्ध सामूहिक कार्रवाई को संगठित करने के लिये सतत् राजनीतिक प्रयासों का नेतृत्व करना चाहिये।
    • संसाधन जुटाना: भूख और गरीबी का सामना कर रहे देशों में देश-संचालित कार्यक्रमों के लिये सार्वजनिक और निजी निधियों सहित घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय समर्थन को एक साथ लाना।
  • मार्गदर्शक रूपरेखा: यह प्रयासों के समन्वय के लिये एक संरचित शासन ढाँचे का पालन करेगा तथा विशिष्ट नीतियों के सामूहिक समर्थन की आवश्यकता के बिना देश के नेतृत्व वाली कार्रवाइयों का मार्गदर्शन करने के लिये संदर्भ बास्केट दृष्टिकोण का उपयोग करेगा।
  • कार्यक्रम और नीतियाँ: इसके कार्यक्रमों और नीतियों में विविध रणनीतियाँ शामिल हैं जैसे:
    • खाद्य सहायता और सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ (जैसे, नकद और वस्तु हस्तांतरण)।
    • स्कूल भोजन कार्यक्रम, मातृ एवं शिशु पोषण तथा प्रारंभिक बचपन के लिये सहायता।
    • स्थानीय खाद्य बाज़ारों, छोटे किसानों और सतत् कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना।
    • कमजोर समूहों (जैसे, बच्चे, महिलाएँ, वृद्ध व्यक्ति, शरणार्थी, प्रवासी, विकलांग व्यक्ति) के लिये स्वास्थ्य और देखभाल सेवाएँ।
    • छोटे किसानों के लिये वित्त, विस्तार सेवाओं और कृषि इनपुट तक पहुँच।
  • सहयोग: यह गठबंधन सभी इच्छुक संयुक्त राष्ट्र सदस्य और पर्यवेक्षक राज्यों, विकास साझेदारों तथा ज्ञान संस्थानों के लिये खुला है।
  • देश-स्तरीय कार्रवाई: सरकारों को ऐसी नीतियों को लागू करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है जो सामाजिक सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और पोषण को बढ़ाती हैं, सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप होती हैं, तथा व्यापक वैश्विक स्थिरता एजेंडे में योगदान देती हैं।
  • कमज़ोर आबादी: गठबंधन महिलाओं, बच्चों, स्वदेशी लोगों, स्थानीय समुदायों, शरणार्थियों, प्रवासियों और दिव्यांग व्यक्तियों सहित कमज़ोर समूहों की ज़रूरतों को पूरा करने पर जोर देता है।
    • कृषि, वानिकी और भूमि उपयोग (Agriculture, Forestry, and Land Use- AFOLU) क्षेत्र के लिये अनुकूलन वित्तपोषण बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जो गरीब परिवारों और छोटे किसानों की आजीविका के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • स्वदेशी ज्ञान: स्वदेशी उत्पादन पद्धतियाँ, जिनमें बाजरा, क्विनोआ और ज्वार जैसी पारंपरिक फसलें उगाना शामिल है, स्वस्थ और अधिक लचीली खाद्य प्रणालियों को विकसित करने के लिये आवश्यक हैं।

भूख और गरीबी के विरुद्ध वैश्विक गठबंधन का वित्तपोषण तंत्र क्या है?

  • संसाधन जुटाना: मिश्रित वित्तपोषण, रियायती सह-वित्तपोषण और साझेदारी जैसे नवीन वित्तपोषण दृष्टिकोणों को किसी देश की नीतियों के कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
    • मिश्रित वित्तपोषण रियायती निधियों (कम ब्याज या अनुदान) को गैर-रियायती निधियों (बाज़ार-आधारित वित्तपोषण) के साथ जोड़ता है।
    • रियायती सह-वित्तपोषण प्रमुख वित्तीय संस्थाओं द्वारा बाज़ार दर से कम दर पर उपलब्ध कराया जाने वाला वित्तपोषण है।  
  • आधिकारिक विकास सहायता (ODA): विकसित देशों से आग्रह किया जाता है कि वे गरीबी, भुखमरी और कुपोषण के उच्च स्तर का सामना कर रहे देशों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये अपनी ODA प्रतिबद्धताओं का पूर्णतः पालन करें।
  • बहुपक्षीय विकास बैंक (MDB): यह अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA) सहित MDB की वित्तीय क्षमता को बढ़ाने का समर्थन करता है, जो गरीबी, भुखमरी और कुपोषण को दूर करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय वित्त का सबसे बड़ा स्रोत है।
    • नये संसाधनों को जुटाने तथा वैश्विक कृषि एवं खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम (GAFSP) जैसी संस्थाओं के लिये दानदाताओं की प्रतिबद्धता को प्रोत्साहित किया जाता है।
  • विशेष आहरण अधिकार (SDR): यह कानूनी ढाँचे और SDR की आरक्षित परिसंपत्ति स्थिति का सम्मान करते हुए ज़रूरतमंद देशों को सहायता प्रदान करने के लिये विशेष आहरण अधिकार (SDR) के स्वैच्छिक पुनर्प्रसारण को प्रोत्साहित करता है।

भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन की क्या आवश्यकता है?

  • बढ़ती गरीबी और भुखमरी: वर्ष 2022 में, लगभग 712 मिलियन लोग अत्यधिक गरीबी में रह रहे थे, जो वर्ष 2019 की तुलना में 23 मिलियन अधिक है और सबसे गरीब देशों में यह दर सबसे अधिक है।
    • वर्ष 2023 में, 733 मिलियन लोग भुखमरी का सामना करेंगे और पाँच वर्ष से कम आयु के 148 मिलियन बच्चे स्टंटिंग (आयु के अनुपात में कम ऊँचाई) से पीड़ित होंगे।
  • बढ़ता वित्तपोषण अंतराल: सतत् विकास लक्ष्यों (SDG), विशेष रूप से SDG 1 (गरीबी उन्मूलन) और 2 (भुखमरी को समाप्त करना) को प्राप्त करने के लिये वित्तपोषण में बढ़ता अंतराल अतिरिक्त संसाधन जुटाने की तत्काल आवश्यकता को उजागर करता है।
    • एक वैश्विक गठबंधन नवीन वित्तपोषण, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समान संसाधन आवंटन के माध्यम से संसाधन अंतर को कम कर सकता है।
  • लिंग आधारित खाद्य असुरक्षा: पूरे विश्व में 26.7% महिलाएँ खाद्य असुरक्षा की स्थिति में हैं, जबकि 25.4% पुरुष पूरे विश्व में लैंगिक अंतर दिखाते हैं।
  • अपर्याप्त प्रतिक्रियाएँ: अप्रभावी नीतियाँ, अपर्याप्त सामाजिक सुरक्षा तथा सीमित संसाधन भूख और कुपोषण को बढ़ा रहे हैं, जिससे सुभेद्य आबादी उचित भोजन एवं स्वस्थ आहार प्राप्त करने में असमर्थ हो रही है।
  • गरीबी का आर्थिक प्रभाव: गरीबी, भुखमरी तथा कुपोषण का विशेष रूप से विकासशील देशों में परिवारों, स्वास्थ्य प्रणालियों और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं पर महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव पड़ता है।
    • यह चक्र उत्पादकता को कम करता है, सतत् विकास में बाधा डालता है तथा सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को बढ़ाता है।
  • सुभेद्य लोगों के बीच संकट: बढ़ती तीव्र खाद्य असुरक्षा, मानवीय संकट और कमज़ोर स्थिति के कारण संकट की रोकथाम, तैयारी एवं लचीलेपन में सुधार की आवश्यकता है।
    • एक वैश्विक गठबंधन सुभेद्य आबादी की सुरक्षा के लिये लक्षित निवेश और समन्वित प्रतिक्रियाओं को सक्षम कर सकता है।

खाद्य सुरक्षा और पोषण 2023 पर डेक्कन उच्च स्तरीय सिद्धांत क्या हैं?

  • परिचय: यह वैश्विक खाद्य सुरक्षा संकट एवं जलवायु परिवर्तन, भू-राजनीतिक तनाव, संघर्ष तथा प्रणालीगत झटकों के प्रभाव को मान्यता देता है।
    • यह वर्ष 2030 तक शून्य भूख (SDG 2) को प्राप्त करने के लिये ठोस कार्रवाई की आवश्यकता पर ज़ोर देता है।
  • G-20 की भूमिका: प्रमुख कृषि उत्पादकों, उपभोक्ताओं और निर्यातकों के रूप में G-20 सदस्यों की सामूहिक ज़िम्मेदारी है कि वे खाद्य सुरक्षा एवं पोषण बढ़ाने के वैश्विक प्रयासों को सुदृढ़ बनाएँ।
  • सिद्धांत: इसमें 7 सिद्धांत शामिल हैं:
    • मानवीय सहायता: संकटों एवं संघर्षों के दौरान खाद्य सहायता प्रदान करने में बहुक्षेत्रीय मानवीय सहायता में वृद्धि और बेहतर समन्वय।
    • पौष्टिक भोजन की उपलब्धता और पहुँच: प्रभावी कार्यान्वयन के लिये सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करते हुए खाद्य और नकद-आधारित सुरक्षा जाल कार्यक्रमों को बढ़ावा देना।
    • जलवायु अनुकूल कृषि: जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता हानि से निपटने के लिये स्केलेबल प्रौद्योगिकियों तथा नवाचारों पर सहयोग करना।
    • मूल्य शृंखलाओं में अनुकूलन और समावेशिता: बुनियादी अवसरंचना को मज़बूत करके, खाद्य अपशिष्ट को कम करके और जोखिम प्रबंधन नीतियों को लागू करके कृषि मूल्य शृंखलाओं के अनुकूलन को बढ़ाना।
      • यह महिलाओं, युवाओं, छोटे भूस्वामियों, लघु एवं मध्यम उद्यमों (SME) तथा अल्प-प्रतिनिधित्व वाले समूहों को समर्थन देकर समावेशिता पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण: रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) से निपटने और जूनोटिक रोगों के ज़ोखिमों का प्रबंधन करने के लिये "वन हेल्थ" दृष्टिकोण को लागू करना।
    • नवाचार और डिजिटल प्रौद्योगिकी : डिजिटल बुनियादी ढाँचे तक सस्ती पहुँच की सुविधा प्रदान करना और कृषक समुदायों को सशक्त बनाना।
    • ज़िम्मेदार निवेश : विशेष रूप से कृषि में युवाओं की भागीदारी के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना, निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करना, तथा वित्त तक पहुँच को सुगम बनाना।

भूख और गरीबी उन्मूलन पर भारत की प्रगति क्या है?

  • गरीबी उन्मूलन:  2014-2024 के बीच भारत ने 250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला।
  • खाद्य सुरक्षा: 800 मिलियन से अधिक लोगों को निःशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है।
  • स्वास्थ्य बीमा: आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) से 550 मिलियन लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
    • 70 वर्ष से अधिक आयु के 60 मिलियन वरिष्ठ नागरिक भी निःशुल्क स्वास्थ्य बीमा का लाभ उठा सकेंगे।
  • वित्तीय और सामाजिक समावेशन: 300 मिलियन से अधिक महिला सूक्ष्म उद्यमियों को बैंकों से जोड़ा गया है और उन्हें ऋण तक पहुँच प्रदान की गई है।
  • किसान सहायता: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के अंतर्गत 40 मिलियन से अधिक किसानों को 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर का लाभ प्राप्त हुआ है
  • पोषण पर ध्यान: सक्षम आँगनवाड़ी और पोषण 2.0 अभियान गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और किशोरियों के पोषण पर केंद्रित है।
    • मध्याह्न भोजन योजना के माध्यम से स्कूल जाने वाले बच्चों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
  • खाद्य सुरक्षा में वैश्विक योगदान: हाल ही में भारत ने मलावी, ज़ाम्बिया और ज़िम्बाब्वे को मानवीय सहायता प्रदान की है।

नोट: भारत ने गरीबी और भुखमरी उन्मूलन में सफलता के लिये 'मूलभूत बातों की ओर वापसी' और 'भविष्य की ओर अग्रसर' दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।

  • यह दृष्टिकोण भविष्य की ओर देखने, नवाचार को अपनाने और प्रगति को आगे बढ़ाने  के लिये ऋण, बीमा आदि तक पहुँच जैसे आवश्यक पहलुओं पर ज़ोर देता है।

निष्कर्ष

भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन की शुरुआत वैश्विक स्तर पर SDG 1 और SDG 2 को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। अभिनव वित्तपोषण, समन्वित प्रयासों और समावेशी नीतियों को एकीकृत करके, इसका उद्देश्य कमज़ोर आबादी, लैंगिक समानता और सतत् कृषि पर ध्यान केंद्रित करते हुए गरीबी, भूख और कुपोषण को दूर करना है। 

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: वैश्विक खाद्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में ब्राज़ील में जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में शुरू किये गए भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स  

प्रश्न: 'जलवायु-अनुकूली कृषि के लिये वैश्विक सहबन्ध' (ग्लोबल एलायन्स फॉर क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर) (GACSA) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2018)

  1. GACSA, 2015 में पेरिस में हुए जलवायु शिखर सम्मेलन का एक परिणाम है।
  2. GACSA में सदस्यता से कोई बन्धनकारी दायित्व उत्पन्न नहीं होता।
  3. GACSA के निर्माण में भारत की साधक भूमिका थी। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3 
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (B) 


प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-सा/से वह/वे सूचक है/हैं, जिसका/जिनका IFPRI द्वारा वैश्विक भुखमरी सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) रिपोर्ट बनाने में उपयोग किया गया है? (2016)

  1. अल्प-पोषण
  2. शिशु वृद्धिरोधन
  3. शिशु मृत्यु दर

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3
(c) 1, 2 और 3 
(d) केवल 1 और 3

उत्तर: (C) 


मेन्स

प्रश्न: केवल आय के आधार पर गरीबी का निर्धारण करने में गरीबी की तीव्रता और घटना अधिक महत्त्वपूर्ण है। इस संदर्भ में नवीनतम संयुक्त राष्ट्र बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट (2020) का विश्लेषण करें।

प्रश्न: खाद्य सुरक्षा बिल से भारत में भूख व कुपोषण के विलोपन की आशा है। उसके प्रभावी कार्यान्वयन में विभिन्न आशंकाओं की समालोचनात्मक विवेचना कीजिये। साथ ही यह भी बताइये कि विश्व व्यापार संगठन (WTO) में इससे कौन-सी चिंताएँ उत्पन्न हो गई हैं? (2013)