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झारखंड

PESA के सुदृढ़ीकरण पर क्षेत्रीय सम्मेलन

  • 06 Mar 2024
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (पेसा), 1996 को मज़बूत करने पर दूसरा दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन राँची में आयोजित किया गया था।

मुख्य बिंदु:

  • पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने समापन सत्र को संबोधित किया और पीएम-जन मन योजना जैसी योजनाओं के कार्यान्वयन को प्राथमिकता देने की सरकार की प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया।
  • PESA के कार्यान्वयन को मज़बूत बनाने और PESA क्षेत्रों में वन अधिकार अधिनियम, 2006 को लागू करने में गैर-सरकारी हितधारकों की भूमिका पर चर्चा क्षेत्रीय सम्मेलन के समापन दिवस की मुख्य विशेषताएँ थीं, ताकि प्रतिभागियों के बीच ज्ञान साझा करने में सहायता की जा सके, PESA के उद्देश्यों को हासिल करने की दिशा में प्रतिबद्धता को बढ़ावा दिया जा सके।
  • पंचायती राज मंत्रालय द्वारा आयोजित सम्मेलन पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996, जिसे सामान्यतः PESA अधिनियम के नाम से जाना जाता है, के प्रावधानों को मज़बूत करने और प्रभावी कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करते हुए संपन्न हुआ।
  • क्षेत्रीय सम्मेलन ने PESA के सफल और लक्षित कार्यान्वयन की दिशा में महत्त्वपूर्ण गति प्राप्त की तथा सभी प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी एवं व्यावहारिक योगदान के साथ अपने उद्देश्यों को प्राप्त किया, जिससे अधिनियम कार्यान्वयन में आगे की प्रगति का मार्ग प्रशस्त हुआ।
  • भाग लेने वाले पाँच राज्यों अर्थात आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना के प्रतिभागियों ने अपने सामूहिक प्रयासों के परिणामस्वरूप ज़मीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव की उम्मीद करते हुए, उत्साह तथा आशा से भरे समापन सत्र को छोड़ दिया।
  • राँची में क्षेत्रीय सम्मेलन PESA के सफल, परिकल्पित और प्रभावी कार्यान्वयन की गति को बनाए रखने के एक शानदार संकल्प के साथ संपन्न हुआ।

पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (पेसा), 1996

  • ग्रामीण भारत में स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 1992 में 73वाँ संविधान संशोधन पारित किया गया था।
  • इस संशोधन द्वारा त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्था के लिये कानून बनाया गया।
  • हालांँकि अनुच्छेद 243 (M) के तहत अनुसूचित और आदिवासी क्षेत्रों में यह प्रतिबंधित था।
  • वर्ष 1995 में भूरिया समिति की सिफारिशों के बाद भारत के अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों हेतु आदिवासी स्वशासन सुनिश्चित करने के लिये पेसा अधिनियम 1996 अस्तित्व में आया।
  • PESA ने ग्राम सभा को पूर्ण शक्तियाँ प्रदान कीं, जबकि राज्य विधानमंडल ने पंचायतों और ग्राम सभाओं के समुचित कामकाज को सुनिश्चित करने के लिये एक सलाहकार की भूमिका दी है।
    • ग्राम सभा को सौंपी गई शक्ति को उच्च स्तर से कम नहीं किया जा सकता है और हर जगह स्वतंत्रता होगी।
  • PESA को भारत में जनजातीय कानून की रीढ़ माना जाता है।
  • PESA निर्णय लेने की प्रक्रिया की पारंपरिक प्रणाली को मान्यता देता है और लोगों के स्वशासन के लिये खड़ा है।
  • ग्राम सभाओं को निम्नलिखित शक्तियाँ और कार्य प्रदान किये गए हैं:
    • विस्थापित व्यक्तियों के भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास में अनिवार्य परामर्श का अधिकार।
    • जनजातीय समुदायों की पारंपरिक आस्था, संस्कृति का संरक्षण
    • लघु वनोत्पाद का स्वामित्व
    • स्थानीय विवादों का समाधान
    • भूमि हस्तांतरण की रोकथाम
    • ग्रामीण बाज़ारों का प्रबंधन
    • नशीले पदार्थों को नियंत्रित करना
    • साहूकारी पर नियंत्रण का अभ्यास
    • अनुसूचित जनजातियों से जुड़े कोई अन्य अधिकार

पीएम-जनमन योजना

  • पीएम-जनमन एक सरकारी योजना है जिसका उद्देश्य जनजातीय समुदायों को मुख्यधारा में लाना है
  • यह योजना (केंद्रीय क्षेत्र तथा केंद्र प्रायोजित योजनाओं के एकीकरण) जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों एवं PVTG समुदायों के सहयोग से कार्यान्वित की जाएगी।
  • यह योजना 9 संबंधित मंत्रालयों द्वारा देख-रेख किये जाने वाले 11 महत्त्वपूर्ण कार्यप्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जो PVTG वाले गाँवों में मौजूदा योजनाओं के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगी।
    • इसमें पीएम-आवास योजना के तहत सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल तक पहुँच, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, पोषण, सड़क एवं दूरसंचार कनेक्टिविटी के साथ-साथ स्थायी आजीविका के अवसर सहित विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं।
  • इस योजना में वन उपज के व्यापार के लिये वन धन विकास केंद्रों की स्थापना, 1 लाख घरों के लिये ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा प्रणाली तथा सौर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था शामिल है।
  • इस योजना से PVTG के साथ भेदभाव एवं उनके बहिष्कार के विविध व प्रतिच्छेदन रूपों का समाधान कर राष्ट्रीय एवं वैश्विक विकास में उनके अद्वितीय व मूल्यवान योगदान को मान्यता और महत्त्व देकर PVTG के जीवन की गुणवत्ता तथा कल्याण में वृद्धि होने की उम्मीद है।
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