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पीएम-जनमन योजना

  • 11 Dec 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह, पीएम-जनमन योजना, वन धन विकास केंद्र, पीएम-आवास योजना

मेन्स के लिये:

PVTG के लिये सतत् आजीविका, आबादी के कमज़ोर वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ 

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जनजातीय कार्य मंत्रालय ने महत्त्वाकांक्षी प्रधानमंत्री-जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) योजना पर प्रकाश डाला। विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) के उत्थान के उद्देश्य से यह पहल उनकी अनूठी चुनौतियों का समाधान करने तथा उज्जवल भविष्य के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचा प्रदान करने की क्षमता रखती है।

पीएम-जनमन योजना क्या है?

  • परिचय:
    • पीएम-जनमन एक सरकारी योजना है जिसका उद्देश्य जनजातीय समुदायों को मुख्यधारा में लाना है।
    • यह योजना (केंद्रीय क्षेत्र तथा केंद्र प्रायोजित योजनाओं के एकीकरण) जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों एवं PVTG समुदायों के सहयोग से कार्यान्वित की जाएगी।
    • यह योजना 9 संबंधित मंत्रालयों द्वारा देख-रेख किये जाने वाले 11 महत्त्वपूर्ण कार्यप्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जो PVTG वाले गाँवों में मौजूदा योजनाओं के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगी।
      • इसमें पीएम-आवास योजना के तहत सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल तक पहुँच, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, पोषण, सड़क एवं दूरसंचार कनेक्टिविटी के साथ-साथ स्थायी आजीविका के अवसर सहित विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं।
    • इस योजना में वन उपज के व्यापार के लिये वन धन विकास केंद्रों की स्थापना, 1 लाख घरों के लिये ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा प्रणाली तथा सौर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था शामिल है।
    • इस योजना से PVTG के साथ भेदभाव एवं उनके बहिष्कार के विविध व प्रतिच्छेदन रूपों का समाधान कर राष्ट्रीय एवं वैश्विक विकास में उनके अद्वितीय व मूल्यवान योगदान को मान्यता और महत्त्व देकर PVTG के जीवन की गुणवत्ता तथा कल्याण में वृद्धि होने की उम्मीद है।
  • कार्यान्वयन में चुनौतियाँ:
    • PVTG पर अद्यतन डेटा की कमी एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है क्योंकि PVTG के लिये अंतिम उपलब्ध जनगणना डेटा वर्ष 2001 का है, जिसके अनुसार इन समुदायों से संबंधित लोगों की कुल संख्या लगभग 27.6 लाख थी।
      • जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने आधारभूत सर्वेक्षण का कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन PVTG आबादी का एक सटीक और वर्तमान डेटासेट संकलित किया जाना बाकी है। 
      • वर्ष 2022 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर संसदीय स्थायी समिति को प्रस्तुत जनसंख्या डेटा, वर्ष 2011 की जनगणना पर आधारित था और इसमें महाराष्ट्र, मणिपुर एवं राजस्थान की PVTG जनसंख्या शामिल नहीं थी।
      • वर्तमान डेटा की कमी PVTG समुदायों की ज़रूरतों और प्रगति के सटीक मूल्यांकन में बाधा डालती है।
      • वर्ष 2013 में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद द्वारा अनुशंसित PVTG समुदायों के लिये एक विशिष्ट जनगणना की अनुपस्थिति उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास की स्थिति पर व्यापक जानकारी इकट्ठा करने की चुनौती को और बढ़ा देती है।
    • विभिन्न क्षेत्रों-राज्यों में PVTG की ज़रूरतों एवं क्षमताओं को लेकर जटिलता एवं विविधता तथा अनुकूलित और लचीले दृष्टिकोण व हस्तक्षेप की आवश्यकता।
    • मुख्यधारा के समाज और राज्य में PVTG द्वारा सामना किये जाने वाले कलंक और भेदभाव तथा हितधारकों एवं जनता के बीच संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता।
    • केंद्र और राज्य सरकारों की मौजूदा योजनाओं और कार्यक्रमों के साथ योजना का समन्वय, अभिसरण तथा संसाधनों व सेवाओं के प्रभावी एवं कुशल वितरण और उपयोग सुनिश्चित करना आवश्यक है।

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) कौन हैं?

  • वर्ष 1973 में ढेबर आयोग ने आदिम जनजातीय समूहों (PVTG) को एक विशिष्ट श्रेणी के रूप में स्थापित किया, जिसमें घटती या स्थिर आबादी, पूर्व-कृषि प्रौद्योगिकी का उपयोग, आर्थिक पिछड़ेपन और कम साक्षरता वाले जनजातीय समुदायों को शामिल किया गया।
  • वर्ष 2006 में भारत सरकार ने PTG का नाम बदलकर PVTG कर दिया। वे दूरदराज़ और दुर्गम इलाकों में रहते हैं तथा खराब बुनियादी ढाँचे और प्रशासनिक सहायता के कारण चुनौतियों का सामना करते हैं।
  • भारत में 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 75 PVTG समुदाय रहते हैं।
    • ओडिशा में PVTG (15) की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद आंध्र प्रदेश (12), बिहार और झारखंड (9), मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ (7), तमिलनाडु (6) तथा केरल एवं गुजरात (5 प्रत्येक) हैं।
    • शेष समुदाय महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, उत्तराखंड, राजस्थान, त्रिपुरा और मणिपुर में फैले हुए हैं।
    • अंडमान में सभी चार और निकोबार द्वीप समूह में एक जनजातीय समूह को PVTG के रूप में मान्यता प्राप्त है।

पीवीटीजी के लिये अन्य पहलें:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न.भारत में विशिष्टत: असुरक्षित जनजातीय समूहों पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप्स (PVTGs)] के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

1. PVTGs देश के 18 राज्यों तथा एक संघ राज्यक्षेत्र में निवास करते हैं।
2. स्थिर या कम होती जनसंख्या, PVTG स्थिति के निर्धारण के मानदंडों में से एक है।
3. देश में अब तक 95 PVTGs आधिकारिक रूप से अधिसूचित  हैं।
4. PVTGs की सूची में ईरूलार और कोंडा रेड्डी जनजातियाँ शामिल की गई हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) केवल 1, 3 और 4

उत्तर: C


प्रश्न. स्वतंत्रता के बाद से अनुसूचित जनजातियों (एस.टी.) के प्रति भेदभाव को दूर करने के लिये राज्य द्वारा की गईं दो विधिक पहलें क्या हैं? (2017)

प्रश्न. क्या कारण है कि भारत में जनजातियों को 'अनुसूचित जनजातियाँ' कहा जाता है? भारत के संविधान में प्रतिष्ठापित उनके उत्थान के लिये प्रमुख प्रावधानों को सूचित कीजिये। (2016)

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