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संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास रिपोर्ट 2024

  • 20 Jun 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र ,सतत् विकास लक्ष्य,अल्प विकसित देश, OECD, जलवायु वित्त

मेन्स के लिये:

सतत् विकास लक्ष्य प्राप्त करने में भारत की प्रगति, सतत् विकास लक्ष्य वित्तपोषण को बढ़ावा देने के उपाय।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समाधान नेटवर्क (SDSN) द्वारा जारी सस्टेनेबल डेवलपमेंट रिपोर्ट के 9वें संस्करण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि विश्व, संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2015 में निर्धारित सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में काफी पीछे है।

संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समाधान नेटवर्क (SDSN)

  • संयुक्त राष्ट्र के तत्त्वाधान में संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समाधान नेटवर्क (Sustainable Development Solution Network- SDSN) वर्ष 2012 से कार्यरत है।
  • इसका उद्देश्य राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये व्यावहारिक समाधानों को बढ़ावा देना है।
  • यह महत्त्वपूर्ण सतत् विकास चुनौतियों से निपटने के लिये समाधानों की पहचान करने के लिये विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों एवं राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के माध्यम से विशेषज्ञता पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • SDSN के सचिवालय न्यूयॉर्क, अमेरिका; कुआलालंपुर, मलेशिया तथा पेरिस, फ्राँस में स्थित हैं।

सतत् विकास रिपोर्ट 2024 के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • वैश्विक SDG प्रगति:
    • SDG लक्ष्यों का केवल 16% वर्ष 2030 तक प्राप्त करने की दिशा में है, जबकि 84% में प्रगति सीमित है या विपरीत दिखाई दे रही है।
    • वर्ष 2020 के बाद से, वैश्विक SDG प्रगति स्थिर हो गई है, विशेष रूप से SDG 2 (शून्य भूख), 11 (टिकाऊ शहर), 14 (पानी के नीचे जीवन), 15 (भूमि पर जीवन), और 16 (शांति, न्याय और मज़बूत संस्थान) के मामले में।
    • कोविड-19 तथा अन्य कारकों के प्रभाव से मोटापे की दर (SDG 2), प्रेस स्वतंत्रता (SDG 16), रेड लिस्ट इंडेक्स (SDG 15), सतत् नाइट्रोजन प्रबंधन (SDG 2) तथा जन्म के समय जीवन प्रत्याशा (SDG 3) में प्रगति में महत्त्वपूर्ण उलटफेर देखा गया है।
    • SDG 9 (उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढाँचे) की दिशा में कुछ सकारात्मक प्रगति दिखा रही है।
  • खाद्य एवं भूमि प्रणालियाँ:
    • खाद्य एवं भूमि प्रणालियों से संबंधित सतत् विकास लक्ष्य वर्तमान में अधूरे ही हैं।
    • रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर 600 मिलियन लोग भूख से पीड़ित होंगे, साथ ही वैश्विक स्तर पर मोटापा भी बढ़ेगा।
    • कृषि, वानिकी एवं अन्य भूमि उपयोग (AFOLU) से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन वार्षिक वैश्विक GHG उत्सर्जन का लगभग एक चौथाई प्रतिनिधित्व करता है।
  • क्षेत्रीय एवं देशों में विविधताएँ:
    •  नॉर्डिक देश SDG लक्ष्यों को हासिल करने में सबसे आगे हैं, जिसमें फिनलैंड (स्कोर 86.4) पहले स्थान पर है, उसके बाद स्वीडन (85.7), डेनमार्क (85.0), जर्मनी (83.4) और फ्राँस हैं।
    • ब्रिक्स और ब्रिक्स+ देशों (मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब, यूएई) ने वर्ष 2015 के बाद से औसत से अधिक तेज़ी से SDG लक्ष्यों में प्रगति दिखाई है।
      • नीचे के 3 देश: दक्षिण सूडान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य और चाड।
    • पूर्वी और दक्षिण एशिया वर्ष 2015 के बाद सबसे अधिक SDG लक्ष्यों में प्रगति वाले देश हैं।

SDG_ goals

  • निवेश संबंधी चुनौतियाँ:
    • विश्व बैंक के अनुसार, विश्व की लगभग 10% आबादी अत्यधिक गरीबी में निवास करती है, जो प्रतिदिन 1.90 अमेरिकी डॉलर से भी कम पर गुज़ारा करती है।
      • इसमें यह भी रिपोर्ट किया है कि कम आय वाले देशों (LIC) में केवल 43% वयस्कों के पास औपचारिक वित्तीय सेवाओं तक पहुँच है, जिससे भविष्य के लिये निवेश और बचत करने की उनकी क्षमता सीमित हो जाती है।
    • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान है कि LIC को अपने SDG लक्ष्यों के लिये 290 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक घाटे का सामना करना पड़ता है।
    • यूनेस्को की वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 262 मिलियन बच्चे और युवा स्कूल से पृथक हैं, जिनमें से आधे से अधिक बच्चों की संख्या उप-सहारा अफ्रीका तथा दक्षिणी एशिया में पाई जाती है।
    • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि लगभग 152 मिलियन बच्चे बाल श्रम में लिप्त हैं, जिससे उन्हें शिक्षा और उचित विकास के अवसरों से वंचित होना पड़ रहा है।
  • वैश्विक सहयोग:
    • रिपोर्ट ने संयुक्त राष्ट्र आधारित बहुपक्षवाद (UN-Mi) के लिये देशों के समर्थन पर एक नया सूचकांक पेश किया है, जो संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के साथ उनके जुड़ाव के आधार पर देशों की रैंकिंग करता है।
    • बारबाडोस Un-Mi सूचकांक में शीर्ष पर है, उसके बाद एंटीगुआ और बारबुडा, उरुग्वे, मॉरीशस तथा मालदीव हैं।
    • नीचे के 5 देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, सोमालिया, दक्षिण सूडान, इज़राइल और कोरिया लोकतांत्रिक गणराज्य शामिल हैं।
      • यह सूचकांक संधि अनुसमर्थन (Treaty Ratification), संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान, संयुक्त राष्ट्र संगठनों में सदस्यता, संघर्षों और सैन्यीकरण में भागीदारी, एकतरफा प्रतिबंधों का उपयोग तथा संयुक्त राष्ट्र को वित्तीय योगदान जैसे कारकों को ध्यान में रखता है।

SDG सूचकांक में भारत का प्रदर्शन कैसा है?

  • रैंकिंग: भारत ने 64.0 के समग्र स्कोर के साथ 109वीं रैंक हासिल की।
  • SDG लक्ष्यों की स्थिति: जबकि यह केवल लगभग 30% SDG लक्ष्य की स्थिति है, जो हासिल किये गए हैं।
    • अन्य 40% लक्ष्यों में सीमित प्रगति हुई है, जबकि लगभग 30% लक्ष्यों में स्थिति खराब रही है।
  • SDG का औसत प्रदर्शन: SDG 1, SDG 4, SDG 12 और SDG 13 को प्राप्त करने में सर्वोच्च प्रदर्शन देखा गया है। 

  • SDG डैशबोर्ड और रुझान:

  • अंतर्राष्ट्रीय स्पिलओवर सूचकांक: यह सूचकांक एक मीट्रिक है जिसका उपयोग यह आकलन करने के लिये किया जाता है कि किसी देश की कार्रवाइयाँ अन्य देशों की सतत् विकास लक्ष्य प्राप्त करने की क्षमता को किस प्रकार प्रभावित करती हैं।
    • यह किसी देश की नीतियों और प्रथाओं के अंतर्राष्ट्रीय प्रभावों को मापता है।
    • इसमें इन प्रभावों के तीन मुख्य आयामों पर विचार किया गया है।
      • व्यापार में सन्निहित पर्यावरणीय एवं सामाजिक प्रभाव (उदाहरणार्थ, निर्यात के लिये उत्पादन से होने वाला प्रदूषण)।
      • आर्थिक एवं वित्तीय फैलाव (जैसे- सीमाओं के पार फैलने वाला वित्तीय संकट)।
      • सुरक्षा पर प्रभाव (उदाहरण के लिये, एक देश में अस्थिरता का अन्य देशों की सुरक्षा पर प्रभाव पड़ना)।

  • सांख्यिकीय प्रदर्शन सूचकांक: इस सूचकांक में भारत का स्कोर 74.5 रहा।
    • यह किसी देश की राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणाली की ताकत को मापता है। उच्च स्कोर यह दर्शाता है कि देश के पास अधिक विश्वसनीय और व्यापक सांख्यिकीय प्रणाली है, जो SDG की दिशा में प्रगति को प्रभावी ढंग से ट्रैक करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।

रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें क्या हैं?

  • वैश्विक सहयोग और बहुपक्षवाद को मज़बूत करना: रिपोर्ट में राष्ट्रों को संसाधनों को साझा करने, प्रयासों के दोहराव को रोकने तथा वैश्विक मुद्दों के लिये उचित समाधान विकसित करने हेतु सहयोग करने की सिफारिश की गई है।
    • पुनर्जीवित अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ, स्पष्ट लक्ष्य, ट्रैकिंग प्रणालियाँ और सभी हितधारकों की सहभागिता अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।
    • पेरिस समझौता और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल जैसे उदाहरण सहयोग की शक्ति को दर्शाते हैं।
  • सतत् विकास के लिये वित्तपोषण अंतराल को संबोधित करना: रिपोर्ट में सतत् विकास पहलों हेतु वित्तपोषण को सुविधाजनक बनाने और चैनल करने के लिये नए संस्थागत ढाँचे की स्थापना की सिफारिश की गई है।
    • इसमें सतत् विकास के लिये अतिरिक्त संसाधन जुटाने हेतु नवीन वैश्विक कराधान तंत्र के कार्यान्वयन का प्रस्ताव किया गया है।
    • रिपोर्ट में सार्वजनिक वस्तुओं, जैसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (SDG 4) के वित्तपोषण की दिशा में निवेश प्राथमिकताओं में बदलाव का आह्वान किया गया है, जो सतत् विकास का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
    • इसमें विशेष रूप से निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों के लिये किफायती दीर्घकालिक पूंजी की उपलब्धता एवं पहुँच में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
  • "FABLE" दृष्टिकोण: खाद्य पदार्थों एवं भूमि प्रणालियों से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने के लिये "FABLE" (खाद्य, कृषि, जैवविविधता, भूमि-उपयोग तथा ऊर्जा) के संदर्भ में अभिनव समाधान लागू किये जाने चाहिये।
    • अति उपभोग को कम करने एवं पशु-आधारित प्रोटीन के सेवन को सीमित करने के साथ सांस्कृतिक प्राथमिकताओं और आहार संबंधी आदतों का सम्मान करने की आवश्यकता पर बल देना।
    • विशेष रूप से उच्च मांग वाले क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता बढ़ाने के क्रम में लक्षित निवेश पर बल देना।
    • वनों की कटाई को रोकने के लिये विभिन्न हितधारकों एवं स्थानीय समुदायों को शामिल करते हुए समावेशी तथा पारदर्शी निगरानी प्रणाली की स्थापना पर बल देना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति पर चर्चा करते हुए इससे संबंधित प्रमुख चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। वर्ष 2030 तक भारत, SDGs को पूरा करने के अपने प्रयासों को किस प्रकार तीव्र कर सकता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. सतत् विकास को उस विकास के रूप में वर्णित किया जाता है जो भविष्य की पीढ़ियों की अपनी ज़रूरतों को पूरा करने की क्षमता से समझौता किये बिना वर्तमान की ज़रूरतों को पूरा करता है। इस परिप्रेक्ष्य में सतत् विकास की अवधारणा निम्नलिखित अवधारणाओं में से किसके साथ संबंधित है? (2010)

(a) सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण
(b) समावेशी विकास
(c) वैश्वीकरण
(d) वहन क्षमता

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. सतत् विकास लक्ष्यों को पहली बार वर्ष 1972 में 'क्लब ऑफ रोम' नामक एक वैश्विक थिंक टैंक द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
  2.  सतत् विकास लक्ष्यों को वर्ष 2030 तक हासिल करना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न. "वहनीय (ऐफोर्डेबल), विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच संधारणीय (सस्टेनबल) विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है”। भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018)

प्रश्न: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 धारणीय विकास लक्ष्य-4 (2030) के साथ अनुरूपता में है। उसका ध्येय भारत में शिक्षा प्रणाली की पुनःसंरचना और पुनःस्थापना है। इस कथन का समालोचनात्मक निरीक्षण कीजिये। (2020)

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