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भारतीय अर्थव्यवस्था

सामान्य रिपोर्टिंग मानक: OECD

  • 01 May 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सामान्य रिपोर्टिंग मानक, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Cooperation and Development- OECD), सूचना का स्वचालित आदान-प्रदान (Automatic Exchange of Information- AEIO), G20, कर चोरी, आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण (Base Erosion and Profit Shifting- BEPS)।

मेन्स के लिये:

सामान्य रिपोर्टिंग मानक के बढ़ते दायरे की आवश्यकता।

चर्चा में क्यों?

भारत आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Cooperation and Development- OECD) देशों के बीच सूचना के स्वचालित आदान-प्रदान (Automatic Exchange of Information- AEIO) के तहत अचल संपत्तियों जैसे गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों को शामिल करने के लिये G20 समूह में सामान्य रिपोर्टिंग मानक (Common Reporting Standard- CRS) के दायरे को बढ़ाने पर ज़ोर दे रहा है।

  • भारत में वर्तमान में स्वचालित रूप से सूचना भेजने के लिये 78 अधिकार क्षेत्र और वित्तीय जानकारी प्राप्त करने हेतु AEIO के साथ 108 अधिकार क्षेत्र है।
  • AEOI अनिवासी बैंक खातों की जानकारी को खाताधारक के गृह देश में कर अधिकारियों के साथ साझा करने में सक्षम बनाता है। यह कर चोरी की संभावना को कम करता है।

सामान्य रिपोर्टिंग मानक:

  • परिचय:
    • G20 देशों के प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए CRS को विकसित किया गया था और 15 जुलाई, 2014 को OECD परिषद द्वारा इसका अनुमोदन किया गया था।
    • यह क्षेत्राधिकारों के अंतर्गत अपने वित्तीय संस्थानों से जानकारी प्राप्त करने और वार्षिक आधार पर अन्य क्षेत्राधिकारों के साथ स्वचालित रूप से उस जानकारी का आदान-प्रदान का प्रावधान करता है।
    • इसमें वित्तीय खाते की जानकारी साझा करना, रिपोर्टिंग किये जाने योग्य वित्तीय संस्थान, कवर किये गए खातों और करदाताओं के प्रकार, साथ ही वित्तीय संस्थानों के लिये एहतियाती मानक तरीके, इन सभी का इसमें उल्लेख किया गया है।
  • वर्तमान रूपरेखा:
    • वर्तमान में OECD की स्वचालित सूचना आदान-प्रदान (AEOI) रूपरेखा कर चोरी संबंधी जाँच के उद्देश्य से हस्ताक्षरकर्त्ता देशों के बीच वित्तीय खाता विवरण साझा करने में सहायता प्रदान करती है।
      • कर संबंधी सूचनाओं के स्वचालित आदान-प्रदान को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अगस्त 2022 में OECD ने क्रिप्टो-एसेट रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क (CARF) को भी मंज़ूरी दी जो क्रिप्टो-एसेट्स में लेन-देन संबंधी जानकारी की रिपोर्टिंग को एक मानकीकृत स्वरूप प्रदान करता है।

AEIO के दायरे को व्यापक बनाने की आवश्यकता:

  • AEOI के दायरे को व्यापक बनाने की आवश्यकता है ताकि सूचना का उपयोग न केवल कर चोरी की जाँच के लिये किया जा सके, बल्कि अन्य गैर-कर कानून लागू करने के उद्देश्यों हेतु भी किया जा सके।
  • जोखिम न केवल वित्तीय संपत्तियों पर है, बल्कि गैर-वित्तीय संपत्तियों जैसे रियल एस्टेट तथा अन्य संपत्तियों को लेकर भी कर चोरी का जोखिम है, इसलिये वित्तीय से अन्य गैर-वित्तीय खातों में CRS का विस्तार किया जाना आवश्यक है।
    • OECD की टैक्स ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान भू-राजनीतिक और ऋण संकट के बीच, विशेष रूप से उन एशियाई देशों द्वारा की गई कर चोरी और अवैध वित्तीय प्रवाह की जाँच किये जाने की आवश्यकता है, जिन्हें वर्ष 2016 में राजस्व में 25 बिलियन यूरो का नुकसान होने का अनुमान है।
    • एक अध्ययन अनुसार, OECD की रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि एशिया की 1.2 ट्रिलियन यूरो की वित्तीय संपत्ति का 4% ऑफशोर आयोजित किया गया था, जिससे वर्ष 2016 में इस क्षेत्र को 25 बिलियन यूरो का संभावित वार्षिक राजस्व का नुकसान हुआ।

कर चोरी को प्रबंधित करने के प्रयास:

आगे की राह

  • वित्तीय और गैर-वित्तीय जानकारी के आदान-प्रदान का विस्तार, कर संग्रह एवं गैर-कर कानून प्रवर्तन प्रयासों के लिये महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
  • इन पहलों को प्राथमिकता देने की G20 की प्रतिबद्धता से वैश्विक वित्तीय प्रणालियों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ सकती है, जिससे अंततः सभी को लाभ होगा।
  • सूचना साझाकरण तंत्र को बेहतर बनाने और किसी भी संभावित गोपनीयता चिंताओं को दूर करने के साथ-साथ उनकी प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिये सीमाओं के पार सहयोगपूर्ण कार्य जारी रखना आवश्यक है। ऐसा करके हम एक निष्पक्ष तथा अधिक स्थायी वैश्विक अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं जो सभी व्यक्तियों और राष्ट्रों को लाभान्वित करेगी।

स्रोत: द हिंदू

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