भारतीय अर्थव्यवस्था
BEPS से निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समझौता
- 03 Jul 2019
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चर्चा में क्यों?
सरकार ने यह घोषणा की है कि उसने आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण (Base Erosion and Profits Shifting - BEPS) को रोकने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समझौते की पुष्टि कर दी है।
मुख्य बिंदु :
- सरकार के इस कदम का मुख्य उद्देश्य कंपनियों को अपने लाभ को देश से बाहर ले जाने और देश की सरकार को कर राजस्व से वंचित करने से रोकना है।
- यह समझौता एक बहुपक्षीय उपकरण (Multilateral Instruments - MLI) है जिसके प्रयोग से BEPS को रोकने का प्रयास किया जाएगा।
- MLI का निर्माण सभी G20 देशों के एकजुट प्रयासों का परिणाम है। ये सभी देश कहीं न कहीं BEPS से प्रभावीत होते हैं।
- इस समझौते में भारत के अतिरिक्त 65 अन्य देशों का भी प्रतिनिधित्व है।
- MLI यह सुनिश्चित करेगा की लाभ जिस देश में कमाया जा रहा है उसी देश में उसके कर का भुगतान भी किया जा रहा है, जिससे भारत की राजस्व हानि को कम किया जा सकेगा।
आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण :
- BEPS का तात्पर्य ऐसी टैक्स प्लानिंग रणनीतियों से है जिनके तहत टैक्स नियमों में अंतर और विसंगतियों का लाभ उठाकर कम्पनियाँ अपने लाभ को किसी ऐसे स्थान या क्षेत्र में हस्तांतरित कर देती हैं जहाँ या तो टैक्स होता ही नहीं और यदि होता भी है तो बहुत कम अथवा नाम-मात्र। इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियाँ या तो नहीं होती हैं या मामूली आर्थिक गतिविधियाँ होती हैं। ऐसे में संबंधित कंपनी द्वारा या तो कोई भी कॉरपोरेट टैक्स अदा नहीं किया जाता है अथवा मामूली कॉरपोरेट टैक्स का ही भुगतान किया जाता है।
- जून 2017 में भारत ने पेरिस स्थित OECD के मुख्यालय में आयोजित एक समारोह में आधार क्षरण एवं लाभ स्थानांतरण (BEPS) की रोकथाम हेतु कर संधि से संबंधित उपायों को लागू करने के लिये बहुपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
- इस समझौते का उद्देश्य कृत्रिम ढंग से कर अदायगी से बचने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना, संधि के दुरुपयोग की रोकथाम सुनिश्चित करना और विवाद निपटान की व्यवस्था को बेहतर करना है।