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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

OECD/G20 इन्क्लूसिव फ्रेमवर्क टैक्स डील में शामिल हुआ भारत

  • 06 Jul 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

बेस इरोज़न एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग, टू पिलर प्लान

मेन्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय कराधान नियमों में सुधार की आवश्यकता 

चर्चा में क्यों:

हाल ही में भारत और OECD/G2 इन्क्लूसिव फ्रेमवर्क ऑन बेस इरोज़न एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (OECD/G20 Inclusive Framework on Base Erosion and Profit Shifting) के अधिकांश सदस्य अंतर्राष्ट्रीय कराधान नियमों में सुधार के लिये एक नए टू पिलर प्लान (Two Pillar Plan) में शामिल हो गए हैं।

  • दो स्तंभ योजना- बेस इरोज़न एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (Base Erosion and Profit Shifting) पर इन्क्लूसिव टैक्स डील अंतर्राष्ट्रीय कर नियमों में सुधार करना चाहता है और यह सुनिश्चित करता है कि बहुराष्ट्रीय उद्यम जहाँ भी काम करते हैं, अपने उचित हिस्से का भुगतान करें।

प्रमुख बिंदु 

बेस इरोज़न एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग के विषय में:

  • इस योजना के हस्ताक्षरकर्त्ता 130 देश हैं, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 90% से अधिक का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • नया ढाँचा अर्थव्यवस्थाओं के डिजिटलीकरण से उत्पन्न होने वाली कर चुनौतियों का समाधान करेगा।
  • यह सीमा पार लाभ स्थानांतरण पर चिंताओं को दूर करने और ट्रीटी शॉपिंग (Treaty Shopping) को रोकने के लिये इसे कर नियम के अधीन लाने का भी प्रयास करता है।
    • ट्रीटी शॉपिंग एक व्यक्ति द्वारा दो देशों  (इनमें से किसी के निवासी होने के बिना) के बीच कर संधि के लाभों को अप्रत्यक्ष रूप सेउपयोग करने का एक प्रयास है।

टू पिलर प्लान:

  • वन पिलर:

    • यह डिजिटल कंपनियों सहित सबसे बड़े एमएनई के संबंध में देशों के बीच मुनाफे और कर अधिकारों का उचित वितरण सुनिश्चित करेगा।
    • यह उन बहुराष्ट्रीय उद्यमों (Introduction Multinational enterprises- MNE) को उनके घरेलू देशों से उन बाज़ारों में कुछ कर अधिकार फिर से आवंटित करेगा जहाँ उनकी व्यावसायिक गतिविधियाँ हैं।
    • ऑर्गेनाइज़ेशन फार इकॉनमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) के अनुसार, प्रत्येक वर्ष बाज़ार के अधिकार क्षेत्र में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के लाभ का पुन: आवंटन होने की उम्मीद है।
  • टू पिलर: यह न्यूनतम कर के विषय में है और कर नियमों के अधीन है (आय के सभी स्रोत कर भत्तों को ध्यान में रखे बिना कर के लिये उत्तरदायी हैं)।
    • यह वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर दर के माध्यम से देशों के बीच न्यूनतम मानक कर दर निर्धारित करना चाहता है, जो वर्तमान में 15% प्रस्तावित है।
    • इससे कर राजस्व में अतिरिक्त 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर उत्पन्न होने की उम्मीद है।

महत्त्व:

  • यह सुनिश्चित करेगा कि बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ प्रत्येक स्थान के कर के अनुसार अपने उचित हिस्से का भुगतान करें।
  • टू पिलर प्लान सरकारों को आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं, बुनियादी ढाँचे तथा कोविड-पूर्व रिकवरी क्षमता और  गुणवत्ता को अनुकूलित करने में मदद के लिये आवश्यक उपायों में निवेश करते हुए अपने बजट एवं बैलेंसशीट को दुरुस्त करने हेतु आवश्यक राजस्व जुटाने के लिये उचित सहायता प्रदान करेगा। 

भारत का रुख :

  • भारत को वैश्विक कर व्यवस्था लागू होने पर Google, Amazon और Facebook जैसी कंपनियों पर लगाए जाने वाले समान उगाही (Levy) को वापस लेना होगा।
    • इसका उद्देश्य उन विदेशी कंपनियों पर कर लगाना है, जिनके पास भारत में एक महत्त्वपूर्ण स्थानीय ग्राहक आधार है, लेकिन देश की कर प्रणाली से प्रभावी रूप से बचने के लिये वह अपनी अपतटीय इकाइयों के माध्यम से बिलिंग कर रहे हैं।
    •  वर्ष 2016 से  ऑनलाइन विज्ञापनों के लिये एक अनिवासी सेवा प्रदाता द्वारा प्रतिवर्ष 1 लाख रुपए से अधिक के भुगतान पर 6% की दर से समान कर लागू है।
  • भारत यह सुनिश्चित करने के लिये कानून के व्यापक आवेदन/अनुप्रयोग का समर्थन करता है कि देश प्रस्तावित ढाँचे के तहत समान कर के माध्यम से प्राप्त होने वाली राशि से कम संग्रह नहीं करेगा।
  • भारत एक सर्वसम्मत समाधान के पक्ष में है जो लागू करने और पालन करने में आसान हो। 
  • समाधान का परिणाम बाज़ार क्षेत्राधिकारों, विशेष रूप से विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिये सार्थक एवं टिकाऊ राजस्व के आवंटन के रूप में होना चाहिये।
  • टू पिलर प्लान (Two Pillar Plan) बाज़ार हेतु मुनाफे के अधिक हिस्से के लिये भारत के रुख को सही ठहराता है और लाभ आवंटन में मांग पक्ष कारकों पर विचार करता है।

आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण

(Base Erosion and Profit Shifting- BEPS):

  • BEPS का तात्पर्य ऐसी टैक्स प्लानिंग रणनीतियों से है जिनके तहत टैक्स नियमों में अंतर और विसंगतियों का लाभ उठाकर कंपनियाँ अपने लाभ को किसी ऐसे स्थान या क्षेत्र में हस्तांतरित कर देती हैं जहाँ या तो टैक्स होता ही नहीं और यदि होता भी है तो बहुत कम अथवा नाम-मात्र।
  • सामान्य तौर पर BEPS रणनीतियाँ अवैध नहीं होती हैं; बल्कि वे विभिन्न न्यायिक क्षेत्र में संचालित विभिन्न कर नियमों का लाभ उठाते हैं।
  • विकासशील देशों के बहुराष्ट्रीय उद्यमों (MNEs) के कारण कॉर्पोरेट आयकर पर भारी निर्भरता के कारण BEPS  का इनके लिये प्रमुख महत्त्व है।
  • BEPS पहल एक आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) पहल है, जिसे G20 द्वारा अनुमोदित किया गया है, ताकि विश्व स्तर पर अधिक मानकीकृत कर नियम प्रदान करने के तरीकों की पहचान की जा सके।
    • OECD: यह एक अंतर-सरकारी आर्थिक संगठन है, जिसकी स्थापना आर्थिक प्रगति और विश्व व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिये की गई है।
      • अधिकांश OECD सदस्य उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ हैं और उन्हें विकसित देश माना जाता है।
    • G20: यह बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के आर्थिक, वित्तीय और राजनीतिक सहयोग के लिये अग्रणी अंतर्राष्ट्रीय मंच है।
    • भारत G20 का सदस्य है, सदस्य ही नहीं बल्कि OECD का एक प्रमुख भागीदार है
  • OECD/G20 समावेशी ढाँचा वर्ष 2016 में स्थापित किया गया था।
    • भारत ने आधार क्षरण और लाभ स्थानांतरण ("बहुपक्षीय साधन" या "MLI") को रोकने के लिये कर संधि से संबंधित उपायों को लागू करने हेतु बहुपक्षीय सम्मेलन की पुष्टि की है।

स्रोत: द हिंदू

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