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भारतीय अर्थव्यवस्था

कर निर्धारण के लिये एकीकृत दृष्टिकोण

  • 23 Oct 2019
  • 10 min read

प्रीलिम्स के लिये:

महत्त्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति मॉडल (Significant Economic Presence Model- SEP)

मेन्स के लिये:

डिजिटल फर्मों सहित बहुराष्ट्रीय कंपनियों (Multinational Companies- MNCs) हेतु कर कार्यप्रणाली में बदलाव की आवश्यकता एवं OECD द्वारा प्रस्तावित रुपरेखा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation of Economic Co-operation and Development- OECD) ने फेसबुक, एप्पल, गूगल, अमेज़न और नेटफ्लिक्स जैसे इंटरनेट दिग्गजों पर कर लगाने के नियमों में बदलाव हेतु एक परामर्श पत्र जारी किया है।

संदर्भ:

  • संक्षेप में ‘एकीकृत दृष्टिकोण’ नामक यह प्रस्ताव, कराधान के मानक को ‘कंपनी की भौतिक रूप से उपस्थिति’ की जगह ‘एक विशेष बाज़ार में बिक्री’ पर स्थानांतरित करने पर बल देता है। यानी कंपनियों को उन बाज़ारों में ज़्यादा टैक्स देना होगा, जिनमें वे ज्यादा बिक्री करती हैं।
  • भारत जैसे देश के लिये अपने विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने हेतु कर की सुनिश्चितता को बेहतर बनाना आवश्यक है।
  • हाल ही में फ्रांसीसी संसद ने गाफा टैक्स (गूगल, ऐप्पल, फेसबुक और अमेज़न के लिए एक संक्षिप्त रूप) के रूप में कर से संबंधित एक कानून को मंजूरी दी है, इस कानून के तहत इन ऑनलाइन दिग्गजों द्वारा देश में की गई बिक्री पर 3% कर लगाए जाने का प्रावधान किया गया है।

नए कराधान कानून की आवश्यकता क्यों है?

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था पर कर लगाने के संबंध में वैश्विक स्तर पर मतभेद विद्यमान है एवं अभी तक इससे जुड़ी किसी सार्थक संकल्पना का विकास नहीं किया जा सका है।
  • उच्च डिजिटलीकरण वाले व्यवसाय दूरस्थ रूप से संचालित हो सकते हैं एवं आमतौर पर ये उच्च लाभ की स्थिति में होते हैं। हालाँकि इनमें से कई ने कर देयता को कम करने के ध्येय से अपने मुनाफ़े के स्रोत को कम कर दरों वाले देशों जैसे कि आयरलैंड आदि में स्थानांतरित कर दिया है।
  • यह प्रस्ताव उपरोक्त व्यापार मॉडल के उपयोगकर्त्ताओं की अधिकता वाले देशों को नए कर अधिकार देगा।
  • भारत उन देशों में शामिल है जो ‘महत्त्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति मॉडल’ (Significant Economic Presence Model) पर विश्वास करते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए अप्रैल 2019 में आयकर विभाग ने भारत में स्थायी रूप से स्थापित डिजिटल फर्मों सहित बहुराष्ट्रीय कंपनियों (Multinational Companies- MNCs) हेतु कर कार्यप्रणाली में बदलाव का प्रस्ताव रखा है। इसके अंतर्गत घरेलू बिक्री, कर्मचारियों की संख्या, संपत्ति और उपयोगकर्त्ताओं की संख्या जैसे कारकों को विशेष महत्त्व दिया जाएगा।

महत्त्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति मॉडल

(Significant Economic Presence Model- SEP)

  • इस मॉडल की अवधारणा ई-कॉमर्स कराधान पर BEPS (Base Erosion and Profit Shifting) एक्शन 1 रिपोर्ट (BEPS Action 1 Report on E-commerce taxation) के माध्यम से प्रकाश में आई थी।
  • इस अवधारणा का उद्देश्य उन कंपनिओं को देश के कर दायरे में लाना है, जो भौतिक रूप से तो देश के बाहर उपस्थित होती हैं किंतु उनका व्यवसाय देश के अंदर भी होता है एवं ये कंपनियाँ संबंधित देश में अपने व्यवसाय के माध्यम से बड़ी मात्रा में मुनाफ़ा कमाती हैं।
  • ई-कॉमर्स कराधान पर BEPS एक्शन 1 रिपोर्ट के आधार पर भारत सरकार द्वारा अपनाए गए मानदंड के अनुसार एक अनिवासी कंपनी या व्यवसाय को भारत में SEP के अंतर्गत माना जाता है -
  1. यदि भारत के भीतर अनिवासी कंपनी या व्यवसाय द्वारा किये गए लेनदेन के माध्यम से उसे निर्धारित की गई राशि से अधिक राजस्व प्राप्त होता है।
  2. (a) यदि गैर-निवासी व्यवस्थित रूप से और लगातार भारत में डिजिटल माध्यमों से व्यापार करता है;
    या
    (b) यदि गैर-निवासी डिजिटल माध्यम से भारत में उपयोगकर्त्ताओं के साथ संबंध स्थापित करते हैं। SEP के प्रावधान को लागू किये जाने के संबंध में उपयोगकर्त्ताओं की न्यूनतम संख्या को अधिसूचना द्वारा निर्धारित किया जाएगा।

नए नियम की रुपरेखा:

  • प्रस्ताव में इस बात को प्रमुखता दी गई है कि नई साँठगाँठ (Nexus) बिक्री (Sales) पर आधारित होगी। अंतर्राष्ट्रीय कर के संदर्भ में एक साँठगाँठ (Nexus) का तात्पर्य ऐसे देशों में परिचालन उपस्थिति से है जो किसी कंपनी को कर के दायरे में रखते हैं।
  • OECD रिपोर्ट में कहा गया है कि नया नियम इस मुद्दे से संबंधित उन सभी मामलों के संदर्भ में लागू किया जा सकेगा जहाँ एक व्यवसाय के किसी बाज़ार के क्षेत्राधिकार में भौतिक उपस्थिति पर ध्यान दिये बिना उपभोक्ता सहभागिता और जुड़ाव आदि के माध्यम से उसकी अर्थव्यवस्था में स्थायी और महत्त्वपूर्ण भागीदारी होती है।
  • प्रस्ताव में नए नियम को डिज़ाइन करने के साथ-साथ एक राजस्व सीमा के निर्धारण के माध्यम से बाज़ार के क्षेत्राधिकार में महत्त्वपूर्ण भागीदारी को निर्धारित करने का सुझाव दिया गया है।
    • इसके अंतर्गत 750 मिलियन यूरो की राजस्व सीमा निर्धारित करने की बात कही गई है।
    • राजस्व सीमा का यह निर्धारण वितरक के माध्यम से बाज़ार में प्रवेश करने वालों को भी नियम के दायरे में शामिल करेगा।
    • यह नियम न केवल बड़ी टेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों, बल्कि वाहन निर्माता जैसे ऑनलाइन उपस्थिति वाले किसी भी कंपनी को कर के दायरे में लाएगा।
  • यह प्रस्ताव मुख्यतः बड़े उपभोक्ता-संबंधी व्यवसायों पर केंद्रित है। इसे मोटे तौर पर ऐसे व्यवसाय जो उपभोक्ता उत्पादों की आपूर्ति अथवा डिजिटल सेवाओं को प्रदान करने के माध्यम से राजस्व की प्राप्ति करते हैं, के रूप में परिभाषित किया गया है। साथ ही रिपोर्ट इस परिभाषा में समय के साथ नए बदलावों की आवश्यकता पर भी बल देता है।
  • रिपोर्ट में तेल कंपनियों जैसी संसाधन निष्कर्षण कंपनियों को छूट देने की सिफारिश की गई है।

हालिया परिदृश्य:

  • प्रस्ताव में कई सवालों को अनुत्तरित छोड़ दिया गया है - विशेष रूप से, देशों के मध्य लाभों के आवंटन के संदर्भ में। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस राशि का निर्धारण एक राजनीतिक समझौते के तहत इस समावेशी फ्रेमवर्क के छोटे और बड़े, विकसित और विकासशील सभी सदस्यों की स्वीकार्यता के आधार पर किया जाना चाहिये।
  • हाल ही में प्रकाशित द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेट की दिग्गज कंपनियों में से एक अमेज़न ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है।

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन

(Organisation for Economic Co-operation and Development -OECD)

  • 14 दिसंबर 1960 को, 20 देशों द्वारा मूल रूप से आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करने के बाद से 16 अन्य देश इस संगठन की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं। जुलाई 2018 में लिथुआनिया की सदस्यता के साथ वर्त्तमान में इसके सदस्य दशों की कुल संख्या 36 है।
  • इसका मुख्यालय पेरिस (फ़्राँस) में है।
  • दुनिया भर में लोगों के आर्थिक और सामाजिक कल्याण में सुधार लाने वाली नीतियों को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना OECD का प्रमुख उद्देश्य है।
  • इसके सदस्य देश इस प्रकार हैं- ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, चिली, चेक गणतंत्र, डेनमार्क, एस्तोनिया, फिनलैंड, फ्राँस, जर्मनी, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, आयरलैंड, इज़रायल, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, लक्जमबर्ग, लातविया, लिथुआनिया, मेक्सिको, नीदरलैंड, न्यूज़ीलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाक गणराज्य, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका।
  • भारत इसका सदस्य नहीं है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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