राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर: लोथल
प्रिलिम्स के लियेराष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर, लोथल शहर, सिंधु घाटी सभ्यता मेन्स के लियेराष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का महत्त्व, सिंधु घाटी सभ्यता संबंधी विभिन्न पहलू |
चर्चा में क्यों?
संस्कृति मंत्रालय (MoC) और पत्तन, पोत परिवहन ईवा जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) ने गुजरात के लोथल में 'राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर’ (NMHC) के विकास में सहयोग हेतु एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं।
प्रमुख बिंदु
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर
- ‘राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर’ (NMHC) गुजरात के लोथल क्षेत्र में विकसित किया जाएगा।
- इसे एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा, जहाँ प्राचीन से लेकर आधुनिक काल तक की भारत की समुद्री विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा।
- इस परिसर को मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा प्रदान करने के दृष्टिकोण से विकसित किया जाएगा।
- इस परिसर को लगभग 400 एकड़ के क्षेत्र में विकसित किया जाएगा, जिसमें राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय, लाइट हाउस संग्रहालय, विरासत थीम पार्क, संग्रहालय थीम वाले होटल, समुद्री थीम वाले इको-रिसॉर्ट्स और समुद्री संस्थान जैसी विभिन्न अनूठी संरचनाएँ शामिल होंगी।
- इस परिसर में कई मंडप भी शामिल होंगे, जहाँ भारत के विभिन्न तटीय राज्य और केंद्रशासित प्रदेश की कलाकृतियों और समुद्री विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा।
- इस परिसर की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसे गुजरात के लोथल शहर में स्थापित किया जा रहा है, जो कि प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख शहरों में से एक है।
लोथल के विषय में
- लोथल गुजरात में स्थित प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे दक्षिणी शहरों में से एक था।
- इस शहर का निर्माण लगभग 2400 ईसा पूर्व में शुरू हुआ था।
- भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) की मानें तो लोथल में दुनिया का सबसे पुराना ज्ञात डॉक था, जो लोथल शहर को सिंध के हड़प्पा शहरों और सौराष्ट्र प्रायद्वीप के बीच व्यापार मार्ग पर साबरमती नदी के एक प्राचीन मार्ग से जोड़ता था।
- प्राचीन काल में लोथल एक महत्त्वपूर्ण एवं संपन्न व्यापार केंद्र था, जिसके मोतियों, रत्नों और बहुमूल्य गहनों का व्यापार पश्चिम एशिया और अफ्रीका के सुदूर क्षेत्रों तक विस्तृत था।
- मनके बनाने और धातु विज्ञान में इस शहर के लोगों ने जिन तकनीकों और उपकरणों का प्रयोग किया वे वर्षों बाद आज भी प्रयोग की जा रही हैं।
- लोथल स्थल को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया है और यूनेस्को की अस्थायी सूची में इसका आवेदन अभी भी लंबित है।
सिंधु घाटी सभ्यता
- हड़प्पा सभ्यता के रूप में प्रचलित सिंधु घाटी सभ्यता लगभग 2,500 ईसा पूर्व दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग में समकालीन पाकिस्तान और पश्चिमी भारत में विकसित हुई थी।
- सिंधु घाटी सभ्यता चार प्राचीनतम सबसे बड़ी शहरी सभ्यताओं में से एक थी, अन्य शहरी सभ्यताओं में मेसोपोटामिया, मिस्र और चीन शामिल हैं।
- यह मूल रूप से एक शहरी सभ्यता थी, जहाँ लोग सुनियोजित और बेहतर तरह से निर्मित कस्बों में रहते थे, जो व्यापार के केंद्र भी थे।
- यहाँ चौड़ी सड़कें और बेहतर तरीके से विकसित जल निकासी व्यवस्था मौजूद थी।
- घर पकी हुई ईंटों के बने होते थे और घरों में दो या दो से अधिक मंज़िलें होती थीं।
- हड़प्पावासी अनाज उगाने की कला जानते थे और गेंहूँ तथा जौ उनके भोजन का मुख्य हिस्सा थे।
- 1500 ईसा पूर्व तक हड़प्पा संस्कृति का अंत हो गया। सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के लिये उत्तरदायी विभिन्न कारणों में बार-बार आने वाली बाढ़ और भूकंप जैसे अन्य प्राकृतिक कारण शामिल हैं।