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जैव विविधता और पर्यावरण

ग्लोबल क्लाइमेट 2011-2020: WMO

  • 06 Dec 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व मौसम विज्ञान संगठन, ग्लोबल क्लाइमेट 2011-2020: डिकेड ऑफ एक्सीलिरेशन, अल-नीनो घटना, ग्रीनहाउस गैस (GHG), समुद्री हीटवेव, हिमनद

मेन्स के लिये:

ग्लोबल क्लाइमेट 2011-2020: WMO, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization- WMO) ने संपूर्ण ग्रह पर जलवायु परिवर्तन के खतरनाक त्वरण तथा इसके बहुमुखी प्रभावों के संबंध में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसका शीर्षक ग्लोबल क्लाइमेट 2011-2020: डिकेड ऑफ एक्सीलिरेशन  है।

रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • तापमान के रुझान:
    • 2011-2020 का दशक भूमि तथा महासागर दोनों के लिये रिकॉर्ड स्तर पर सबसे गर्म दशक के रूप में उभरा।
    • वैश्विक औसत तापमान 1850-1900 के औसत से 1.10 ± 0.12 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है जो 1990 के दशक के बाद से प्रत्येक दशक में गर्मी पिछले दशक से अधिक रही है।
    • कई देशों में रिकॉर्ड स्तर पर उच्च तापमान दर्ज किया गया, वर्ष 2016 (अल-नीनो घटना के कारण) तथा वर्ष 2020 सबसे गर्म वर्षों के रूप में सामने आए।

  • ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन:
    • प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों (GHG) की वायुमंडलीय सांद्रता में वृद्धि जारी रही, विशेष रूप से CO2, 2020 में 413.2 ppm तक पहुँच गई, जो मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन के दहन और भूमि-उपयोग परिवर्तनों के कारण थी।
    • इस दशक में CO2 की औसत वृद्धि दर में वृद्धि देखी गई, जो जलवायु को स्थिर करने के लिये स्थायी उत्सर्जन में कमी की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती है।
  • समुद्री परिवर्तन:
    • महासागर के गर्म होने की दर में काफी तेज़ी आई, 90% संचित ऊष्मा समुद्र में जमा हो गई। वर्ष 2006-2020 तक ऊपरी 2000 मीटर की गहराई में वार्मिंग दर दोगुनी हो गई, जिससे समुद्री पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हुआ।
    • CO2 अवशोषण के कारण महासागर के अम्लीकरण ने समुद्री जीवों के लिये चुनौतियाँ पैदा कीं, जिससे उनके खोल और कंकाल का निर्माण प्रभावित हुआ।
  • समुद्री गर्म लहरें और समुद्र स्तर में वृद्धि:
    • समुद्री हीटवेव की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हुई, जिससे वर्ष 2011 और 2020 के बीच समुद्र सतह लगभग 60% प्रभावित हुआ।
    • वर्ष 2011-2020 तक वैश्विक औसत समुद्र स्तर में 4.5 मिमी/वर्ष की वृद्धि हुई, जिसका मुख्य कारण समुद्र का गर्म होना और बर्फ के बड़े पैमाने पर नुकसान है।
  • ग्लेशियर और हिम परत का नुकसान:
    • वर्ष 2011 और 2020 के बीच वैश्विक स्तर पर ग्लेशियर लगभग 1 मीटर प्रतिवर्ष की कमी देखी गई, जिससे अभूतपूर्व जनहानि हुई, इससे पानी की आपूर्ति प्रभावित हुई।
    • वर्ष 2001-2010 की तुलना में ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक में हिम परत में 38% से अधिक की गिरावट आई, जिसने समुद्र के स्तर में वृद्धि में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
  • आर्कटिक सागर में बर्फ का कम होना:
    • ग्रीष्म मौसम के दौरान आर्कटिक समुद्री बर्फ में पिघलना जारी रहा, जिसका औसत मौसमी न्यूनतम स्तर 1981-2010 के औसत से 30% कम था। 
  • ओज़ोन छिद्र और सफलताएँ:
    • वर्ष 2011-2020 की अवधि में अंटार्कटिक ओज़ोन छिद्र कम हो गया, जिसका श्रेय मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत सफल अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई को दिया गया है।
    • इन प्रयासों के कारण ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थों से समताप मंडल में प्रवेश करने वाले क्लोरीन में कमी आई है ।
  • सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) पर प्रभाव:
    • चरम मौसम की घटनाओं ने SDG की प्रगति में बाधा उत्पन्न की, जिससे खाद्य सुरक्षा, मानव गतिशीलता और सामाजिक आर्थिक विकास प्रभावित हुआ है।
    • प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों में सुधार से प्रभावित लोगों की संख्या में कमी आई है, लेकिन चरम मौसम की घटनाओं से आर्थिक नुकसान बढ़ गया है
    • 2011-2020 का दशक 1950 के बाद पहला दशक था जब 10,000 या उससे अधिक मौतों वाली एक भी अल्पकालिक घटना नहीं हुई थी।

जलवायु और विकास लक्ष्यों पर कार्रवाई को मुख्यधारा में लाने के लिये WMO की सिफारिशें क्या हैं?

  • अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और उनके भागीदारों के साथ सहयोग के माध्यम से वर्तमान एवं भविष्य के वैश्विक संकटों के खिलाफ सामूहिक समुत्थानशीलता को बढ़ाना। 
  • सहक्रियात्मक कार्रवाई को आगे बढ़ाने के लिये विज्ञान-नीति-समाज संपर्क को मज़बूत करना।
  • विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण/ग्लोबल साउथ के लिये राष्ट्रीय, संस्थागत और व्यक्तिगत स्तरों पर संस्थागत क्षमता निर्माण एवं क्रॉस-सेक्टरल व अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना। 
  • राष्ट्रीय, उप-राष्ट्रीय और बहु-राष्ट्रीय स्तरों पर जलवायु एवं विकास सहक्रियाओं को बढ़ाने के लिये सभी क्षेत्रों और विभागों के नीति निर्माताओं के बीच नीतिगत सुसंगतता एवं समन्वय सुनिश्चित करना।

WMO क्या है?

  • परिचय:
    • यह 192 सदस्य राष्ट्रों और क्षेत्रों की सदस्यता वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है। भारत भी इसका एक सदस्य है। 
    • इसका गठन अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से हुआ, जिसकी स्थापना वर्ष 1873 वियना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान काॅन्ग्रेस के बाद की गई थी। 
  • स्थापना:
    • 23 मार्च, 1950 को WMO कन्वेंशन के अनुसमर्थन द्वारा स्थापित WMO मौसम विज्ञान (मौसम और जलवायु), परिचालन जल विज्ञान तथा संबंधित भू-भौतिकी विज्ञान के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी बन गई।
  • मुख्यालय:
    • जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड 
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