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समुद्री हीटवेव और उसके प्रभाव

  • 13 Jul 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

समुद्री हीटवेव, बंगाल की खाड़ी, कोरल ब्लीचिंग, महासागरीय धाराएँ, अल नीनो, सोमाली जेट धाराएँ

मेन्स के लिये:

समुद्री हीटवेव और उसके प्रभाव

चर्चा में क्यों? 

28 जून, 2023 से बंगाल की उत्तरी खाड़ी में तीव्र समुद्री हीटवेव की घटना के कारण भारत में सामान्य तौर पर शुष्क उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा हो रही है।

समुद्री हीटवेव: 

  • समुद्री सतह तापमान (Sea Surface Temperature- SST) के लंबे समय तक असामान्य रूप से उच्च रहने की स्थिति को समुद्री हीटवेव कहते हैं।
  • ये घटनाएँ प्रवाल विरंजन, समुद्री घास के नष्ट होने और केल्प वनों के नुकसान से जुड़ी हुई हैं, ये मत्स्य पालन क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
  • महासागरीय धाराएँ समुद्री हीटवेव का सबसे आम कारक है जो गर्म जल और वायु-समुद्र ताप प्रवाह के क्षेत्रों का निर्माण कर सकती हैं अथवा वायुमंडल में समुद्र की सतह के माध्यम से गर्मी में वृद्धि कर सकती हैं।
    • हवाएँ भी समुद्री हीटवेव के कारण उत्पन्न होने वाली गर्मी को प्रभावित कर सकती हैं तथा अल नीनो जैसे जलवायवीय कारक कुछ क्षेत्रों में होने वाली घटनाओं की संभावना में बदलाव कर सकते हैं।

उत्तर-पश्चिम भारत में वर्षा पर समुद्री हीटवेव का प्रभाव: 

  • बंगाल की खाड़ी में समुद्री हीटवेव के कारण समुद्र की सतह का तापमान बढ़ता है, जिससे वाष्पीकरण की दर में वृद्धि होने से वातावरण में नमी भी बढ़ती जाती है। नमी की इस अधिकता के कारण उत्तर-पश्चिम भारत में औसत से अधिक वर्षा होने की काफी संभावना बन जाती है।
  • समुद्री हीटवेव के कारण बंगाल की खाड़ी में अवदाबों (Depressions) के निर्माण और प्रकृति पर प्रभाव पड़ने से अवदाबों की आवृत्ति (3-10 दिनों में घटित होना) तथा तीव्रता में वृद्धि देखी गई है।
    • अवदाब, जो कि कम दबाव वाली प्रणालियाँ हैं, मानसून और वर्षा के पैटर्न में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • समुद्री हीटवेव ने अवदाब के बदलते समयमान के साथ इन मौसम प्रणालियों के पथ और प्रक्षेपवक्र को प्रभावित किया। अवदाब उत्तर-मध्य भारत के बजाय उत्तर-पश्चिम भारत की ओर अधिक बढ़ गया, जिससे उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में औसत से अधिक वर्षा हुई।

समुद्री हीटवेव के अन्य प्रभाव: 

  • पारिस्थितिकी तंत्र संरचना को प्रभावित करना:
    • समुद्री हीटवेव कुछ प्रजातियों का समर्थन करके और दूसरों को दबाकर पारिस्थितिकी तंत्र संरचना को प्रभावित करती है।
    • यह समुद्री अकशेरुकी जीवों की बड़े पैमाने पर मृत्यु दर से जुड़ा हुआ है और इस तरह से प्रजातियों को परिवर्तित होने के लिये मजबूर कर सकता है जिससे वन्यजीवों को खतरा बढ़ जाता है।
  • कुछ प्रजातियों की पर्यावास सीमाएँ बदलना:
    • समुद्री हीटवेव कुछ प्रजातियों के निवास स्थान को बदल सकती है, जैसे कि दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में कांटेदार समुद्री अर्चिन, जो केल्प वनों, जहाँ से ये भोजन ग्रहण करते हैं, की कीमत पर तस्मानिया में दक्षिण की ओर फैल रहे हैं।
  • आर्थिक हानि: 
    • समुद्री हीटवेव मत्स्य पालन और जलीय कृषि पर प्रभाव डालकर आर्थिक हानि पहुँचा सकती है।
  • जैवविविधता पर प्रभाव:
    • समुद्री हीटवेव से जैवविविधता काफी प्रभावित हो सकती है।
      • वर्ष 2020 के एक अध्ययन (उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर के ऊपर समुद्री हीटवेव की उत्पत्ति एवं रुझान के साथ भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछली समुद्री हीटवेव के कारण तमिलनाडु तट के पास मन्नार की खाड़ी में 85% मूँगों का विरंजन हुआ।
  • डी-ऑक्सीजनेशन और अम्लीकरण का जोखिम:
    • प्राय: ये समुद्र के अम्लीकरण, डी-ऑक्सीजनेशन तथा अत्यधिक मछली पकड़ने जैसे अन्य तनाव के कारक हैं।
    • ऐसे मामलों में MHW न केवल आवासों को अत्यधिक हानि पहुँचाते हैं, बल्कि डी-ऑक्सीजनेशन के साथ अम्लीकरण के जोखिम को भी बढ़ाते हैं।

बंगाल की खाड़ी का मानसून पर प्रभाव: 

  • नमी का स्रोत:  
    • बंगाल की खाड़ी के ऊपर गर्म और आर्द्र वायु द्रव्यमान आवश्यक नमी प्रदान करता है जिसे मानसूनी पवनें भारतीय उपमहाद्वीप की ओर ले जाती हैं।
  • ऊष्मा विनिमय:  
    • बंगाल की खाड़ी में समुद्र की सतह का तापमान गर्म रहता है, विशेषकर इसके उत्तरी भाग में। मानसून के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप का भू-भाग गर्म हो जाता है, जिससे कम दबाव का क्षेत्र बनता है। गर्म हवा ऊपर उठने लगती है तथा साथ ही बंगाल की खाड़ी से चलने वाली ठंडी पवनें उसका स्थान ले लेती हैं, जिससे दबाव में कमी आती है। इस प्रवण दबाव के फलस्वरूप बंगाल की खाड़ी से नम पवनों को प्राप्त करने में सहायता प्राप्त होती है, जो मानसूनी वर्षा में योगदान देता है। 
  • मानसूनी पवनों का यू-टर्न :  
    • अरब सागर के ऊपर दक्षिण-पश्चिम से चलने वाली मानसूनी पवनें बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करती हैं। जब वे बंगाल की खाड़ी में पहुँचती हैं, तो वे यू-टर्न लेते हुए उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ना प्रारंभ कर देती हैं, अंततः भारत के विभिन्न भागों में वर्षा करती हैं।
    • बंगाल की खाड़ी में गर्म तापमान इस यू-टर्न और भारतीय उपमहाद्वीप में नमी के परिवहन की सुविधा प्रदान करता है।
  • निम्न-स्तरीय जेट स्ट्रीम:  
    • बंगाल की खाड़ी निम्न-स्तरीय जेट स्ट्रीम के गठन और तीव्रता को भी प्रभावित करती है, जिसे सोमाली जेट के रूप में जाना जाता है। 
    • यह जेट स्ट्रीम भूमध्यरेखीय हिंद महासागर से भारतीय उपमहाद्वीप तक नमी के परिवहन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    • बंगाल की खाड़ी में गर्म समुद्री सतह का तापमान इस निम्न-स्तरीय जेट को मज़बूत करने में योगदान देता है, जिससे मानसून के मौसम के दौरान नमी बढ़ जाती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स: 

प्रश्न: आप कहाँ तक सहमत हैं कि मानवीकारी दृश्भूमियों के कारण भारतीय मानसून के आचरण में परिवर्तन होता रहा है? चर्चा कीजिये। (2015)

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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