भूगोल
महासागरीय धाराएँ
- 19 Mar 2022
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महासागरीय धाराएँ क्या हैं?
- समुद्री जल के सतत, पूर्वानुमानित, निश्चित दिशा में गति करने को महासागरीय धाराएँ कहते हैं। यह समुद्र के विशाल जलराशि की गत्यात्मक अवस्था है जो विभिन्न शक्तियों के कारण प्रभावित होती है। वे समुद्र में बहने वाली नदी की तरह हैं।
- महासागर का पानी दो दिशाओं में बहता है: क्षैतिज और लंबवत।
- क्षैतिज गति को धाराओं के रूप में संदर्भित किया जाता है, जबकि ऊर्ध्वाधर गति को अपवेलिंग या डाउनवेलिंग कहा जाता है।
- महासागरीय धाराएँ जलवायु पर उनके प्रभाव के कारण मानव जाति और जीवमंडल को प्रभावित करती हैं।
महासागरीय धारा को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं?
- महासागरीय धाराएँ दो प्रकार की शक्तियों से प्रभावित होती हैं, अर्थात्:
प्राथमिक बल:
- सौर ऊर्जा द्वारा ताप: सौर ऊर्जा द्वारा गर्म होने से जल का विस्तार होता है। यही कारण है कि भूमध्य रेखा के पास समुद्र का जल स्तर मध्य अक्षांशों की तुलना में लगभग 8 सेमी. अधिक है। यह बहुत मामूली ढाल का कारण बनता है और पानी ढाल से नीचे बह जाता है।
- हवा: समुद्र की सतह पर बहने वाली हवा पानी को गति प्रदान करने के लिये उसे धक्का देती है। हवा और पानी की सतह के बीच घर्षण जलराशि की गति को प्रभावित करता है।
- गुरुत्वाकर्षण: गुरुत्वाकर्षण जलराशि को नीचे खींचता है और ढाल भिन्नता पैदा करता है।
- कोरिओलिस बल: कोरिओलिस बल जल की गति की दिशा को प्रभावित करता है एवं पानी के उत्तरी गोलार्द्ध में दाईं ओर और दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं ओर बहने का कारण बनता है।
- इन बड़ी जलराशि और उनके चारों ओर बहने वाले प्रवाह को Gyres कहा जाता है।
- ये सभी महासागरीय घाटियों में बड़ी वृत्ताकार धाराएँ उत्पन्न करते हैं।
माध्यमिक बल:
- जल घनत्व में अंतर: यह महासागरीय धाराओं की ऊर्ध्वाधर गतिशीलता को प्रभावित करता है।
- उच्च लवणता वाला जल कम लवणता वाले जल से घनत्व में अधिक होता हैं, उसी प्रकार ठंडे जल का घनत्व गर्म जल से अधिक होता है।
- अधिक घनत्व वाला जल नीचे की तरफ बढ़ता है, जबकि अपेक्षाकृत हल्का पानी ऊपर उठने लगता है।
- जल का तापमान: ठंडे पानी की समुद्री धाराएँ तब उत्पन्न होती हैं जब ध्रुवों पर ठंडा पानी नीचे की तरफ उतरता है और धीरे-धीरे भूमध्य रेखा की ओर बढ़ता है।
- गर्म पानी की धाराएँ सतह पर भूमध्य रेखा से ऊपर बढ़ती हैं, ध्रुवों की ओर बहते हुए ठंडे पानी को गर्म कर देती हैं।
महासागरीय धाराएँ कितने प्रकार की होती हैं?
महासागरीय धाराओं को उनकी गहराई के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है:
- सतही धाराएँ: बड़े पैमाने पर सतही महासागरीय धाराएँ वैश्विक पवन प्रणालियों द्वारा संचालित होती हैं जो सूर्य की ऊर्जा द्वारा संचालित होती हैं।
- ये धाराएँ स्थानीय और वैश्विक जलवायु को प्रभावित करते हुए उष्णकटिबंध से ध्रुवीय क्षेत्रों में गर्मी स्थानांतरित करती हैं।
- यह समुद्र के संपूर्ण जल का लगभग 10% है, यह जल समुद्र के ऊपरी सतह पर 400 मीटर तक है।
- गहरे जल की धाराएँ: पानी के तापमान और लवणता की परिवर्तनशीलता के परिणामस्वरूप पानी के घनत्व में अंतर भी महासागरीय धाराओं का कारण बनता है। इस प्रक्रिया को थर्मोहेलान परिसंचरण के रूप में जाना जाता है।
- यह समुद्र के अन्य 90% जल का निर्माण करता है।
- घनत्व और गुरुत्वाकर्षण में भिन्नता के कारण यह जल समुद्र की घाटियों के चारों ओर घूमता है।
- गहरा जल उच्च अक्षांशों पर गहरे समुद्र की घाटियों में नीचे की तरफ डूब जाता हैं, जहाँ तापमान इतना ठंडा होता है कि इसका घनत्व बढ़ जाता है।
- इससे वैश्विक कन्वेयर बेल्ट की प्रक्रिया शुरू होती है। यह गहरी और सतही धाराओं की एक कनेक्टेड प्रणाली है जो 1000 साल की अवधि में दुनिया भर में फैलती है।
- महासागरीय धाराओं का यह वैश्विक सेट पृथ्वी की जलवायु प्रणाली के साथ-साथ महासागर पोषक तत्त्व और कार्बन डाइऑक्साइड चक्र का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
- महासागरीय धाराओं को तापमान के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है:
- ठंडी धाराएँ: यह ठंडे पानी को गर्म पानी वाले क्षेत्रों में लाती है। ये धाराएँ आमतौर पर महाद्वीपों के पश्चिमी तट पर निम्न और मध्य अक्षांशों (दोनों गोलार्द्धों में) में और उत्तरी गोलार्ध में उच्च अक्षांशों में पूर्वी तट पर पाई जाती हैं।
- गर्म धाराएँ: यह ठंडे पानी के क्षेत्रों में गर्म पानी लाती है और आमतौर पर निम्न एवं मध्य अक्षांशों (दोनों गोलार्द्धों मे) में महाद्वीपों के पूर्वी तट पर देखी जाती हैं।
- उत्तरी गोलार्द्ध में वे महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर उच्च अक्षांशों में पाई जाती हैं।
महासागरीय धाराओं की विशेषताएं क्या हैं?
- प्रमुख महासागरीय धाराएँ प्रचलित हवाओं और कोरिओलिस बल द्वारा लगाए गए तनावों से बेहद प्रभावित होती हैं। समुद्री परिसंचरण पैटर्न मोटे तौर पर पृथ्वी के वायुमंडलीय परिसंचरण पैटर्न से मेल खाता है।
- मध्य अक्षांशों में महासागरों के ऊपर वायु परिसंचरण मुख्य रूप से प्रतिचक्रीय (उत्तरी गोलार्द्ध की तुलना में दक्षिणी गोलार्द्ध में अधिक स्पष्ट) होता है। महासागरीय परिसंचरण पैटर्न भी उसी से मेल खाता है।
- उच्च अक्षांशों पर जहाँ हवा का प्रवाह ज़्यादातर चक्रवाती होता है, समुद्री परिसंचरण इस पैटर्न का अनुसरण करता है।
- स्पष्ट मानसूनी प्रवाह वाले क्षेत्रों में मानसूनी हवाएँ धाराओं को प्रभावित करती हैं।
- कोरिओलिस बल के कारण निम्न अक्षांशों से गर्म धाराएँ उत्तरी गोलार्द्ध में दाईं ओर और दक्षिणी गोलार्द्ध में अपनी बाईं ओर चलती हैं।
- महासागरीय परिसंचरण ऊष्मा को एक अक्षांश पेटी से दूसरे अक्षांश तक इस प्रकार पहुँचाता है जैसे वायुमंडल के सामान्य परिसंचरण द्वारा ऊष्मा का परिवहन किया जाता है।
- आर्कटिक और अंटार्कटिक सर्कल का ठंडा पानी उष्णकटिबंधीय और भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में गर्म पानी की ओर बढ़ता है, जबकि निचले अक्षांशों का गर्म पानी ध्रुव की ओर बढ़ता है।
विभिन्न महासागरीय धाराएँ कौन सी हैं?
- भूमध्यरेखीय धारा प्रणाली: आर्कटिक महासागर को छोड़कर प्रत्येक महासागर में एक उत्तरी विषुवतीय धारा, एक दक्षिण विषुवतीय धारा और एक प्रतिविषुवतीय धारा होती है।
- उत्तर और दक्षिण भूमध्यरेखीय धाराएँ पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं।
- प्रतिविषुवतीय महासागरीय धारा: यह उत्तर और दक्षिण भूमध्यरेखीय धाराओं के बीच स्थित है और उनके विपरीत दिशा में, यानी पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है।
- अंटार्कटिक सर्कम्पोलर करंट (ACC): ACC एक महासागरीय धारा है जो अंटार्कटिका के चारों ओर पश्चिम से पूर्व की ओर दक्षिणावर्त बहती है। ACC का एक वैकल्पिक नाम वेस्ट विंड ड्रिफ्ट है।
- हम्बोल्ट या पेरुवियन धारा: इस कम लवणता वाले करंट में एक बड़ा समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र स्थित है और यह दुनिया की प्रमुख पोषक प्रणालियों में से एक के रूप में कार्य करता है।
- यह दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट के साथ चिली के दक्षिणी सिरे से उत्तरी पेरू की ओर बहती है।
- कुरील या ओयाशियो धारा: यह उप-आर्कटिक महासागरीय धारा वामावर्त दिशा में परिचालित है।
- यह आर्कटिक महासागर से निकलती है जो पश्चिमी उत्तरी प्रशांत महासागर में बेरिंग सागर के माध्यम से दक्षिण में बहती है।
- यह पोषक तत्त्वों से भरपूर करंट है।
- यह उत्तरी प्रशांत बहाव बनाने के लिये जापानी पूर्वी तट से कुरियोशियो से टकराता है।
- कैलिफोर्निया धारा: यह उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट के साथ दक्षिण की ओर बहने वाली एलुशियन धारा का विस्तार है।
- यह उत्तरी प्रशांत गायरे का एक हिस्सा है।
- लैब्राडोर धारा: यह आर्कटिक महासागर से दक्षिण की ओर बहती है और उत्तर की ओर बढ़ती हुई गल्फ स्ट्रीम से मिलती है।
- कोल्ड लैब्राडोर करंट और वार्म गल्फ स्ट्रीम का संयोजन मछली पकड़ने हेतु दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्र माना जाता है।
- कनारी धारा: फ्रैम स्ट्रेट और केप फेयरवेल के बीच फैली कम लवणता वाली धारा।
- यह आर्कटिक को सीधे उत्तरी अटलांटिक से जोड़ती है।
- यह आर्कटिक के लिये मीठे पानी का प्रमुख सिंक है।
- आर्कटिक से समुद्री-बर्फ के निर्यात में इसका प्रमुख योगदान है।
- बेंगुएला धारा: दक्षिणी गोलार्द्ध की पश्चिमी पवन बहाव की शाखा है।
- दक्षिण अटलांटिक महासागर गायरे का पूर्वी भाग।
- कम लवणता, अपवेलिंग की उपस्थिति- मछली पकड़ने हेतु उत्कृष्ट क्षेत्र।
- फॉकलैंड धारा: यह अंटार्कटिक सर्कम्पोलर करंट की एक शाखा है।
- इसे माल्विनास धारा के नाम से भी जाना जाता है।
- इसका नाम फॉकलैंड द्वीप समूह के नाम पर रखा गया है।
- यह ठंडी धारा ब्राज़ील की गर्म धारा के साथ मिल जाती है और ब्राज़ील-माल्विनास संगम क्षेत्र बनाती है जो इस क्षेत्र की समशीतोष्ण जलवायु के लिये ज़िम्मेदार है।
- पूर्वोत्तर मानसून धारा: भारतीय उत्तर भूमध्यरेखीय धारा भूमध्य रेखा को पार करती हुई दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम की ओर बहती है।
- सोमाली करंट: अटलांटिक महासागर में गल्फ स्ट्रीम के अनुरूप चलता है।
- यह मानसून से काफी प्रभावित होता है।
प्रमुख अपवेलिंग प्रणाली का क्षेत्र
- पश्चिमी ऑस्ट्रेलियन धारा: इसे वेस्ट विंड ड्रिफ्ट के नाम से भी जाना जाता है।
- यह अंटार्कटिक सर्कम्पोलर करंट का हिस्सा है।
- यह एक मौसमी धारा है- गर्मियों में तेज़ और सर्दियों में कमज़ोर।
- कुरोशियो धारा: इस पश्चिमी बाउंड्री धारा को जापान करंट या ब्लैक करंट के रूप में भी जाना जाता है। जापानी में "कुरोशियो" शब्द का अर्थ है "ब्लैक स्ट्रीम"।
- यह अटलांटिक महासागर में गल्फ स्ट्रीम का प्रशांत एनालॉग है।
- इस धारा का औसत सतही तापमान आसपास के महासागर की तुलना में अधिक गर्म होता है।
- यह जापान के तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद करती है, जो अपेक्षाकृत गर्म है।
- उत्तरी प्रशांत धारा : यह कुरियोशियो और ओयाशियो की टक्कर से बनती है।
- यह पश्चिमी उत्तरी प्रशांत महासागर के साथ वामावर्त परिचालित है।
- अलास्का धारा: यह उत्तरी प्रशांत महासागर के एक हिस्से के उत्तर की ओर मुड़ने के परिणामस्वरूप बनती है।
- पूर्वी ऑस्ट्रेलियाई धारा: दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलियाई तट के साथ उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहने वाले समुद्री जीवों को गति प्रदान करने में सहायक।
- फ्लोरिडा धारा: फ़्लोरिडा प्रायद्वीप के चारों ओर बहती है और केप हैटरस में गल्फ स्ट्रीम में मिलती है।
- गल्फ स्ट्रीम: पश्चिमी तेज़ धारा से संचालित मुख्य रूप से हवा के दबाव से।
- यह उत्तरी अटलांटिक बहाव (उत्तरी यूरोप और दक्षिणी धारा को पार करते हुए) तथा कनारी धारा (पश्चिम अफ्रीका का पुनर्चक्रण) में विभाजित हो जाता है।
- नॉर्वेजियन करंट: यह वेज (wedge) के आकार का करंट पानी के दो प्रमुख आर्कटिक अंतर्वाहों में से एक है।
- यह उत्तरी अटलांटिक बहाव की एक शाखा है और कभी-कभी इसे गल्फ स्ट्रीम का विस्तार भी माना जाता है।
- ब्राज़ीलियाई धारा: ब्राज़ील के दक्षिणी तट के साथ रियो डी ला प्लाटा तक बहती है।
- यह अर्जेंटीना सागर में ठंडे फ़ॉकलैंड करंट में शामिल हो जाती है, जिससे यहाँ समशीतोष्ण समुद्र की स्थिति बनती है।
- मोज़ाम्बिक धारा: यह मोज़ाम्बिक चैनल में अफ्रीकी पूर्वी तट के साथ मोज़ाम्बिक और मेडागास्कर द्वीप के बीच बहती है।
- अगुलहास धारा: सबसे बड़ी पश्चिमी बाउंड्री महासागरीय धारा।
- दक्षिण अफ्रीका के पूर्वी तट के साथ बहती है।
- दक्षिण-पश्चिम मानसून धारा: यह दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम (जून-अक्टूबर) के दौरान हिंद महासागर पर हावी होती है।
- यह पूर्व की ओर बहने वाली एक व्यापक महासागरीय धारा है जो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में फैली हुई है।
महासागरीय धाराओं का प्रभाव
- जलवायु परिस्थितियाँ: धाराएँ उन क्षेत्रों की जलवायु परिस्थितियों को प्रभावित करती हैं जिनमें वे बहती हैं।
- गर्म भूमध्यरेखीय धाराएँ उस क्षेत्र का तापमान बढ़ाती हैं जिसमें वे बहती हैं। इसी तरह ठंडी धाराएँ उन स्थानों के तापमान को कम करती हैं जहाँ वे बहती हैं।
- उदाहरण के लिये गर्म उत्तरी अटलांटिक बहाव के बिना ब्रिटिश द्वीप समूह बेहद ठंडे होते।
- पेरू की गर्म जलवायु को पेरू की ठंडी धारा द्वारा ठंडा किया जाता है।
- वर्षा: गर्म धाराओं के ऊपर बहने वाली हवाएँ उनसे नमी ग्रहण कर लेती हैं और वर्षा करवाती हैं जैसे- उत्तरी अटलांटिक बहाव यूरोप के पश्चिमी तटों के साथ स्थित कुछ क्षेत्रों में वर्षा लाती है।
- इसके विपरीत ठंडी धाराएँ वर्षा नहीं लाती हैं और क्षेत्र को ठंडा व शुष्क बनाती हैं।
- बेंगुएला की ठंडी धारा के कारण कालाहारी मरुस्थल में बमुश्किल से वर्षा होती है।
- कोहरा बनना: गर्म और ठंडी धाराओं के मिलने से कोहरा बनता है।
- ठंडी धाराओं के साथ गर्म धाराओं के मिलने की वजह से कोहरे के कारण जहाज़ों पर खतरा मंडराता रहता है।
- इसके परिणामस्वरूप अतीत में कई जहाज़ मलबे में तब्दील हो चुके हैं क्योंकि वे कम दृश्यता के कारण हिमखंडों को देखने में सक्षम नहीं थे।
- मछली पकड़ने के लिये उपयुक्त क्षेत्र: गर्म और ठंडी धाराओं के मिश्रण से प्लावकों का जमाव होता है। इसलिये ऐसी जगहों पर मछलियाँ बहुतायत में पाई जा सकती हैं।
- मरुस्थल का निर्माण: शीत महासागरीय धाराओं का उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय महाद्वीपों के पश्चिमी तट क्षेत्रों में रेगिस्तान के निर्माण पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
- यहाँ काफी कोहरा देखा जाता है और अधिकांश क्षेत्र नमी की कमी के कारण शुष्क हैं।
- व्यापार और वाणिज्य: यदि वे धाराओं की अनुकूलता का पालन करते हैं तो धाराएँ जहाज़ों को नौकायन में मदद करती हैं।
- कई गर्म धाराएँ सर्दियों के दौरान भी यूरोप के बंदरगाहों को बर्फ मुक्त रखती हैं जो व्यापार और वाणिज्य में मदद करता है।
- हिंसक तूफान: कभी-कभी गर्म और ठंडे प्रवाह के मिलने के परिणामस्वरूप हिंसक तूफान आ सकता है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के तट पर आने वाले तूफान उस रेखा का अनुसरण करते हैं जहाँ गल्फ स्ट्रीम लैब्राडोर करंट के साथ विलीन हो जाती है।
मुख्य परीक्षा हेतु प्रश्न
प्रारंभिक परीक्षा हेतु प्रश्न1. विश्व के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मत्स्यन मैदान उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ: (a) गर्म और ठंडी वायुमंडलीय धाराएँ मिलती हैं। 2. निम्नलिखित कारकों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त में से कौन से कारक महासागरीय धाराओं को प्रभावित करते हैं? (a) केवल 1 और 2 3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 |