भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत का मत्स्य क्षेत्र
- 18 May 2023
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:सागर परिक्रमा, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, भारतीय नीली क्रांति, जीपीएस नेविगेशन सिस्टम, पाक बे योजना, मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (FIDF), एक्वापोनिक्स मेन्स के लिये:भारत में मत्स्य क्षेत्र की स्थिति |
चर्चा में क्यों?
सरकार की सागर परिक्रमा एक विकासवादी यात्रा है, जिसकी परिकल्पना तटीय क्षेत्र में समुद्र में की गई है, इसका उद्देश्य मछुआरों और अन्य हितधारकों के मुद्दों को हल करना तथा PMMSY (प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना) एवं KCC (किसान क्रेडिट कार्ड) सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं व कार्यक्रमों के माध्यम से उनका आर्थिक उत्थान करना है।
सागर परिक्रमा पहल:
- परिचय:
- सागर परिक्रमा’ कार्यक्रम में समुद्री राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को चरणबद्ध तरीके से कवर करने की परिकल्पना की गई है। यह यात्रा 5 मार्च, 2022 को मांडवी, गुजरात से शुरू हुई।
- यह यात्रा मछुआरा समुदायों की अपेक्षाओं में अंतर को पाटने, मत्स्यन गाँवों को विकसित करने तथा मत्स्यन पत्तन और मत्स्यन केंद्रों जैसे बुनियादी ढाँचे को उन्नत करने पर केंद्रित है।
- सागर परिक्रमा के चरण:
- चरण I: यात्रा ने गुजरात में तीन स्थानों को कवर किया- मांडवी, ओखा-द्वारका और पोरबंदर।
- चरण II: इसमें मांगरोल, वेरावल, दीव, जाफराबाद, सूरत, दमन और वलसाड सहित सात स्थानों को कवर किया गया।
- चरण III: सतपती, वसई, वर्सोवा, न्यू फेरी व्हार्फ (भौचा ढक्का) और मुंबई में सैसन डॉक सहित उत्तरी महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र इस चरण का हिस्सा थे।
- चरण IV: कर्नाटक में उडुपी और दक्षिण कन्नड़ ज़िले इस चरण के दौरान शामिल किये गए थे।
- आगामी चरण V: सागर परिक्रमा के चरण V में निम्नलिखित छह स्थान शामिल होंगे:
- महाराष्ट्र में रायगढ़, रत्नागिरी एवं सिंधुदुर्ग ज़िले और गोवा में वास्को, मौरुगोआ व कैनाकोना।
- 720 किमी. की विस्तृत तटरेखा के साथ महाराष्ट्र में मत्स्य पालन क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं जिनका दोहन नहीं किया गया है।
- महाराष्ट्र राज्य देश में मछली उत्पादन में 7वें स्थान पर है, जिसमें समुद्री मत्स्य पालन 82% और अंतर्देशीय मत्स्य पालन 18% का योगदान देता है।
- गोवा 104 किमी. की तटरेखा के साथ समुद्री मत्स्य क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो बड़ी संख्या में लोगों को आजीविका प्रदान करता है।
भारत में मत्स्य क्षेत्र की स्थिति:
- परिचय:
- वैश्विक स्तर पर तीसरे सबसे बड़े मछली उत्पादक और दूसरे सबसे बड़े एक्वाकल्चर उत्पादक के रूप में भारत में मत्स्य पालन एवं एक्वाकल्चर उद्योग का बहुत महत्त्व है।
- भारतीय नीली क्रांति ने मछली पकड़ने और एक्वाकल्चर उद्योगों में काफी सुधार किया है। उद्योगों को सनराइज़ सेक्टर्स के रूप में माना जाता है तथा भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
- भारतीय मत्स्य पालन ने हाल ही में अंतर्देशीय से समुद्री वर्चस्व वाले मत्स्य पालन में एक प्रतिमान परिवर्तन देखा है, यह वर्ष 1980 के दशक के मध्य मछली उत्पादन में 36% से हाल के दिनों में 70% के साथ प्रमुख योगदानकर्ता बन गया है।
- वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान मछली उत्पादन 16.25 एमएमटी के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुँच गया और 57,586 करोड़ रुपए मूल्य का समुद्री निर्यात किया गया।
- शीर्ष उत्पादक राज्य:
- भारत में पश्चिम बंगाल के बाद आंध्र प्रदेश सबसे बड़ा मछली उत्पादक है।
वर्तमान चुनौतियाँ:
- अवैध, गैर-सूचित और अविनियमित (Illegal, Unreported and Unregulated- IUU) मत्स्यन : IUU मत्स्यन, मत्स्यन में अत्यधिक वृद्धि करता है और इस क्षेत्र की स्थिरता को कम करता है।
- IUU मत्स्यन में उचित लाइसेंस के बिना मत्स्यन, प्रतिबंधित उपकरण का उपयोग करने और मत्स्यन की सीमा की अवहेलना करने जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं। कमज़ोर जाँच और निगरानी प्रणालियों के चलते इस समस्या को प्रभावी ढंग से समाप्त करना कठिन है।
- अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा और प्रौद्योगिकी: अप्रचलित मत्स्यन जहाज़, उपकरण (जैसे- जाल) और प्रसंस्करण सुविधाएँ क्षेत्र की दक्षता एवं उत्पादकता में बाधा डालती हैं।अपर्याप्त कोल्ड स्टोरेज और परिवहन अवसंरचना के परिणामस्वरूप मत्स्यन संबंधी नुकसान होता है।
- यह मत्स्यन से जुड़ी आधुनिक तकनीकों तक सीमित पहुँच, जैसे कि फिश फाइंडर और GPS नेविगेशन सिस्टम, फिश स्टॉक का सही पता लगाने की क्षमता को प्रतिबंधित करता है।
- जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय क्षरण: समुद्र के बढ़ते तापमान, समुद्र के अम्लीकरण और बदलती धाराओं का समुद्री पारिस्थितिक तंत्र तथा मत्स्य आबादी पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण मत्स्य वितरण में बदलाव, उत्पादकता में कमी और रोगों में वृद्धि होती है। प्रदूषण, आवास विनाश एवं तटीय विकास समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की स्थिति को और खराब करते हैं।
- सामाजिक-आर्थिक मुद्दे: भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र में बड़ी संख्या में लघु स्तर के कारीगर मछुआरे हैं जो कई सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हैं।
- कम आय, ऋण एवं बीमा की कमी और अपर्याप्त सामाजिक सुरक्षा उपाय मछुआरा समुदायों की दयनीय स्थिति के प्रमुख करण हैं।
- मत्स्य पालन में महिलाओं का हाशिये पर होना और लैंगिक असमानताओं के कारण भी चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
- बाज़ार अभिगम और मूल्य शृंखला अक्षमताएँ: भारत में पर्याप्त मछली उत्पादन के बावजूद इसके लिये घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुँच प्राप्त करना चुनौती है।
- अपर्याप्त उत्पादन के बाद का प्रबंधन, सीमित मूल्यवर्द्धन और अपर्याप्त बाज़ार संपर्क के कारण मछुआरों की लाभप्रदता बाधित होती है।
- मत्स्य पालन क्षेत्र से संबंधित पहल:
आगे की राह
- एक्वापोनिक्स का समावेश: भारत एक्वापोनिक्स को बढ़ावा दे सकता है, जो मत्स्य पालन को हाइड्रोपोनिक्स के साथ जोड़ने वाली एक स्थायी कृषि तकनीक है।
- यह तकनीक एक ही समय में मछली और पौधों की खेती में सक्षम बनाती है क्योंकि इससे मछलियों का मल पौधों के विकास हेतु जैविक खाद के रूप उपलब्ध होता है, यह मछलियों के लिये जल को शुद्ध करने का कार्य करता है और इस प्रकार एक संतुलित पारिस्थितिकी-तंत्र का निर्माण होता है।
- एक्वापोनिक्स पानी के उपयोग को न्यून करता है, भूमि की उत्पादकता को अधिकतम करता है और मछुआरों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान करता है।
- कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना: उत्पादन के बाद के नुकसान को कम करने और मछली उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिये कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार की ज़रूरत है।
- इसके अलावा तटीय क्षेत्रों में व्यवस्थित मत्स्य संग्रह केंद्र स्थापित करने और उन्हें आधुनिक भंडारण सुविधाओं, परिवहन प्रणालियों और प्रसंस्करण इकाइयों के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है।
- यह मछली के कुशल संरक्षण और वितरण को सक्षम बनाएगा। यह अधिक प्रभावी मत्स्य भंडारण एवं वितरण, उत्पाद के खराब होने की दर में कमी और बाज़ार मूल्य में वृद्धि करेगा।
- समर्थन मूल्य संवर्द्धन और विविधीकरण: मत्स्य पालकों को अपनी आय बढ़ाने के लिये मूल्यवर्द्धन गतिविधियों में संलग्न होने के लिये प्रोत्साहित करना। मत्स्य प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग हेतु प्रशिक्षण एवं वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- नवोन्मेषी मत्स्य उत्पादों जैसे रेडी-टू-ईट स्नैक्स, मछली के तेल की खुराक, मछली के चमड़े और कोलेजन उत्पादों के विकास को बढ़ावा देना। इससे बाज़ार के अवसरों का विस्तार होगा और मूल्य शृंखला में वृद्धि होगी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत निम्नलिखित में से किन-किन उद्देश्यों के लिये कृषकों को अल्पकालीन ऋण समर्थन उपलब्ध कराया जाता है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 5 उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न. ‘नीली क्रांति’ को परिभाषित करते हुए भारत में मत्स्य पालन की समस्याओं और रणनीतियों को समझाइये। (2018) |