सुरक्षा
सियाचिन ग्लेशियर
- 14 Jul 2023
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:मेन्स के लिये:सियाचिन ग्लेशियर |
चर्चा में क्यों?
NJ9842 भारत और पाकिस्तान के बीच ज्ञात सीमा क्षेत्र है लेकिन 5Q 131 05 084 के बारे में कम लोग जानते हैं। यह भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) द्वारा सियाचिन ग्लेशियर के लिये निर्धारित नंबर हैं और यह वर्ष 1984 से ही दोनों देशों के बीच एक विवादित क्षेत्र है।
- NJ 9842 नामक बिंदु वर्ष 1949 के कराची युद्धविराम समझौते के अनुसार भारत और पाकिस्तान के बीच अंतिम पारस्परिक रूप से सीमांकित बिंदु है और यह वह बिंदु भी है जहाँ शिमला समझौते के अनुसार नियंत्रण रेखा (Line of Control) समाप्त होती है।
सियाचिन ग्लेशियर का पहला GSI सर्वेक्षण:
- GSI सर्वेक्षण:
- सियाचिन ग्लेशियर का पहला GSI सर्वेक्षण जून 1958 में GSI के सहायक भूविज्ञानी वी.के. रैना द्वारा किया गया था। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय भू-भौतिकीय गतिविधियों के हिस्से के रूप में हिमालय ग्लेशियर प्रणालियों का अध्ययन करना था।
- GSI टीम ने ग्लेशियर में विभिन्न अध्ययन और सर्वेक्षण करने हेतु लगभग तीन महीने तक कार्य किया।
- भारत के लिये महत्त्व:
- यह सर्वेक्षण भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह सियाचिन ग्लेशियर की आधिकारिक भारतीय खोज का प्रतीक है, यह एक ऐसा क्षेत्र है जो बाद में भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का कारण बन गया।
- वर्ष 1958 में किया गया शांतिपूर्ण वातावरण सर्वेक्षण एक संघर्ष क्षेत्र में बदल गया जब भारत ने इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिये वर्ष 1984 में ऑपरेशन मेघदूत शुरू किया।
- GSI सर्वेक्षण शुरू से ही पाकिस्तानी नियंत्रण के किसी भी दावे का खंडन करते हुए ग्लेशियर के साथ भारत के प्रारंभिक ज्ञान और वैज्ञानिक जुड़ाव का ऐतिहासिक साक्ष्य प्रदान करता है।
- पाकिस्तान का दावा:
- प्रारंभ में वर्ष 1958 में GSI सर्वेक्षण के दौरान पाकिस्तान ने ग्लेशियर पर भारतीय उपस्थिति को लेकर कोई विरोध या आपत्ति नहीं जताई। इसका श्रेय दोनों देशों द्वारा वर्ष 1949 के कराची युद्धविराम समझौते की शर्तों का पालन करने को दिया जा सकता है, जिसमें ग्लेशियरों तक युद्धविराम रेखा को रेखांकित किया गया था और आपसी सीमांकन का आह्वान किया गया था।
- हालाँकि क्षेत्र में वैज्ञानिक दौरों और अन्वेषणों में पाकिस्तान की रुचि की कमी ने भी एक भूमिका निभाई होगी।
- केवल 25 वर्ष बाद अगस्त 1983 में पाकिस्तान ने यथास्थिति को चुनौती देते हुए अपने विरोध नोट में NJ9842 से काराकोरम दर्रे तक नियंत्रण रेखा (LOC) को एकतरफा बढ़ा दिया।
- इस कदम ने भारत में चिंताएँ बढ़ा दीं, जिसके परिणामस्वरूप अप्रैल 1984 में भारतीय सेनाओं द्वारा रणनीतिक साल्टोरो हाइट्स पर पूर्व-नियंत्रित कब्ज़ा कर लिया गया।
- तब से पाकिस्तान के दावे और कार्रवाइयाँ कराची युद्धविराम समझौते तथा शिमला समझौते जैसे ऐतिहासिक समझौतों की अलग-अलग व्याख्याओं पर आधारित हैं।
सियाचिन ग्लेशियर:
- सियाचिन ग्लेशियर हिमालय में पूर्वी काराकोरम रेंज में स्थित है, जो प्वाइंट NJ9842 के उत्तर-पूर्व में है, यहाँ भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा समाप्त होती है।
- पूरा सियाचिन ग्लेशियर वर्ष 1984 (ऑपरेशन मेघदूत) में भारत के प्रशासनिक नियंत्रण में आ गया था।
- सियाचिन ग्लेशियर उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर स्थित है। इसका उद्गम इंदिरा कोल वेस्ट में 6,115 मीटर की ऊँचाई पर होता है, जो इंदिरा कटक पर एक कोल (निचला बिंदु) 3,570 मीटर की ऊँचाई तक आता है।
- ताजिकिस्तान के ‘यज़्गुलेम रेंज’ में स्थित ‘फेडचेंको ग्लेशियर’ दुनिया के गैर-ध्रुवीय क्षेत्रों का दूसरा सबसे लंबा ग्लेशियर है।
- सियाचिन ग्लेशियर उस जल निकासी विभाजन क्षेत्र के दक्षिण में स्थित है, जो काराकोरम के व्यापक हिमाच्छादित हिस्से में यूरेशियन प्लेट को भारतीय उपमहाद्वीप से अलग करता है, जिसे कभी-कभी ‘तीसरा ध्रुव’ भी कहा जाता है।
- नुब्रा नदी सियाचिन ग्लेशियर से निकलती है।
- सियाचिन ग्लेशियर विश्व का सबसे ऊँचा युद्धक्षेत्र है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. सियाचिन ग्लेशियर स्थित है: (वर्ष 2020) (a) अक्साई चिन के पूर्व में उत्तर: (D) |