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ओज़ोन परत की पुनर्प्राप्ति

  • 11 Jan 2023
  • 11 min read

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्वी की सुरक्षात्मक ओज़ोन परत की धीरे-धीरे लेकिन उल्लेखनीय रूप से पुनर्प्राप्त हो रही है जो लगभग 43 वर्षों में अंटार्कटिक के ऊपर बने छिद्र को पूरी तरह से ढक देगी। 

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  • हालाँकि यह एक उपलब्धि है, लेकिन वैज्ञानिकों ने ओज़ोन परत पर भू-अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकियों जैसे- स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल इंजेक्शन (Stratospheric Aerosol Injection-SAI) के हानिकारक प्रभावों की चेतावनी दी है।
  • एरोसोल स्प्रे, अन्य सामान्य रूप से उपयोग किये जाने वाले पदार्थ जैसे कि ड्राई-क्लीनिंग सॉल्वैंट्स, रेफ्रिजरेंट और फ्यूमिगेंट्स की तरह ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थ (ODS) होते हैं जिनमें क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC), हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC), हैलोन, मिथाइल ब्रोमाइड, कार्बन टेट्राक्लोराइड एवं मिथाइल क्लोरोफॉर्म शामिल हैं।
  • पहली बार वैज्ञानिक मूल्यांकन पैनल ने समताप मंडल में एरोसोल को जान-बूझकर जोड़ने के ओज़ोन पर संभावित प्रभावों की जाँच की जिसे स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल इंजेक्शन (SAI) के रूप में जाना जाता है। 
    • SAI सूर्य के प्रकाश के परावर्तन को बढ़ा सकता है, जिससे क्षोभमंडल में प्रवेश करने वाली ऊष्मा की मात्रा कम हो जाती है लेकिन यह विधि "समतापमंडलीय तापमान, परिसंचरण एवं ओज़ोन उत्पादन तथा विनाश दर और परिवहन को भी प्रभावित कर सकती है"।

ओज़ोन: 

  • रासायनिक सूत्र O3 के साथ ओज़ोन ऑक्सीजन का एक विशेष रूप है। हम जिस ऑक्सीजन में साँस लेते हैं और जो पृथ्वी पर जीवन के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है, वह O2 है।
  • ओज़ोन का लगभग 90% प्राकृतिक रूप से पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल (समताप मंडल) में पृथ्वी की सतह से 10 से 40 किमी. के बीच होता है, जहाँ यह एक सुरक्षात्मक परत बनाता है जो हमें सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाती है।
  • यह "अच्छा" ओज़ोन धीरे-धीरे मानव निर्मित रसायनों द्वारा नष्ट किया जा रहा है, जिन्हें ओज़ोन-घटाने वाला पदार्थ (ODS-Ozone Depleting Substance) कहा जाता है, जिसमें सीएफसी, एचसीएफसी, हैलोन, मिथाइल ब्रोमाइड, कार्बन टेट्राक्लोराइड और मिथाइल क्लोरोफॉर्म शामिल हैं।
    • जब समताप मंडल में क्लोरीन और ब्रोमीन परमाणु ओज़ोन के संपर्क में आते हैं, तो वे ओज़ोन अणुओं को नष्ट कर देते हैं।
    • समताप मंडल से निष्काषित होने से पहले क्लोरीन परमाणु 100,000 से अधिक ओज़ोन अणुओं को नष्ट कर सकता है।
    • ओज़ोन प्राकृतिक रूप से निर्मित होने की तुलना में अधिक तेज़ी से नष्ट हो सकती है। 
  • ओज़ोन परत की कमी से मनुष्यों में त्वचा कैंसर और मोतियाबिंद की घटनाओं में वृद्धि होती है।

O3

संबंधित पहल: 

  • वियना अभिसमय:
    • ओज़ोन परत के संरक्षण के लिये वर्ष 1985 के वियना अभिसमय ने ओज़ोन संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग हेतु एक रूपरेखा प्रदान की।
  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (वियना अभिसमय के अंतर्गत):
    • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल जिसे वर्ष 1987 में अपनाया गया था, ओज़ोन-क्षय करने करने वाले पदार्थों के उत्पादन को रोकने के लिये एक विश्वव्यापी समझौता है। 
      • किगाली संशोधन के तहत मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकार हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) के उत्पादन और खपत को कम करने पर सहमत हुए

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक, ओज़ोन का अवक्षय करने वाले पदार्थों के प्रयोग पर नियंत्रण और उन्हें चरणबद्ध रूप से प्रयोग से बाहर करने के मुद्दे से संबंद्ध है? (2015)

(a) ब्रेटन वुड्स सम्मेलन
(b) मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
(c) क्योटो प्रोटोकॉल
(d) नागोया प्रोटोकॉल

उत्तर: (b) 

व्याख्या: 

  • ब्रेटन वुड्स सम्मेलन को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक और वित्तीय सम्मेलन (United Nations Monetary and Financial Conference) के रूप में जाना जाता है। वर्ष 1944 तक 44 देशों के प्रतिनिधि इस सम्मलेन में शामिल हुए थे। इसका तात्कालिक उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध एवं विश्वव्यापी संकट से जूझ रहे देशों की मदद करना था।
    • सम्मेलन की दो प्रमुख उपलब्धियाँ- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (IBRD) की स्थापना थीं।
  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ओज़ोन को कम करने वाले पदार्थों के उपयोग को समाप्त करके पृथ्वी की ओज़ोन परत की रक्षा के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण समझौता है। 15 सितंबर, 1987 को अपनाया गया यह प्रोटोकॉल आज तक की एकमात्र संयुक्त राष्ट्र संधि है जिसे पृथ्वी पर हर देश द्वारा संयुक्त राष्ट्र के सभी 197 सदस्य देशों द्वारा अनुमोदित किया गया है।
  • क्योटो प्रोटोकॉल UNFCCC से जुड़ा एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाध्यकारी GHG (ग्रीनहाउस गैस) उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य निर्धारित करके पार्टियों के लिये प्रतिबद्धता सुनिश्चित करता है।
    • क्योटो प्रोटोकॉल 11 दिसंबर, 1997 को क्योटो, जापान में अपनाया गया और 16 फरवरी, 2005 से प्रभाव में आया।
    • प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन के लिये विस्तृत नियमों को वर्ष 2001 में मराकेश (Marrakesh), मोरक्को में CoP-7 के रूप में अपनाया गया था और इसे मराकेश समझौते के रूप में संदर्भित किया गया था।
    • भारत ने क्योटो प्रोटोकॉल की दूसरी प्रतिबद्धता अवधि (2008-2012) की पुष्टि की है, जो देशों के लिये ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को रोकने हेतु प्रतिबद्धता तय करती है और जलवायु कार्रवाई पर अपने रुख की पुष्टि करती है।
  • आनुवंशिक संसाधनों तक पहुँच पर नागोया प्रोटोकॉल और उनके उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों का उचित एवं न्यायसंगत साझाकरण जैविक विविधता पर कन्वेंशन के तीन उद्देश्यों में से एक के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु पारदर्शी कानूनी ढाँचा प्रदान करता है। साथ ही जैवविविधता के सतत् उपयोग को बढ़ावा देने के लिये आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों के उचित तथा न्यायसंगत बँटवारे का प्रावधान करता है। भारत ने वर्ष 2011 में इस प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये।

अतः विकल्प (b) सही है।


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2012)

क्लोरोफ्लोरोकार्बन, जिसे ओज़ोन-ह्रासक पदार्थों के रूप में जाना जाता है, उनका प्रयोग

  1. सुघट्य फोम के निर्माण में होता है  
  2. ट्यूबलेस टायरों के निर्माण में होता है  
  3. कुछ विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक अवयवों की सफाई में होता है  
  4. एयरोसोल कैन में दाबकारी एजेंट के रूप में होता है  

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: c

  • क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) नॉनटॉक्सिक, नॉनफ्लैमेबल रसायन हैं जिनमें कार्बन, क्लोरीन और फ्लोरीन के परमाणु होते हैं। वे व्यापक रूप से रेफ्रिजरेंट, प्रणोदक (एरोसोल अनुप्रयोगों में) तथा सॉल्वैंट्स के रूप में उपयोग किये जाते हैं।  
  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल 1987 में क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसे ओज़ोन क्षयकारी पदार्थों के उत्पादन और आयात को रोकने तथा पृथ्वी की ओज़ोन परत की रक्षा में मदद करने के लिये वायुमंडल में उनकी सघनता को कम करने के लिये किया गया एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। 
  • भारत ने CFCs, कार्बन टेट्राक्लोराइड और हैलोन के उत्पादन एवं खपत को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। 
  • CFCs का उपयोग:  
  • प्रशीतन (Refrigeration)
  • प्लास्टिक फोम का निर्माण। अतः कथन 1 सही है।  
  • एरोसोल डिब्बे में दबाव डालने वाले एजेंट के रूप में। अतः कथन 4 सही है।  
  • इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिये सफाई एजेंट के रूप में। अतः कथन 3 सही है।  
  • हालाँकि ट्यूबलेस टायर उद्योग CFCs का उपयोग नहीं करता है। अतः कथन 2 सही नहीं है। इस प्रकार विकल्प (c) सही उत्तर है। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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