नीतिशास्त्र
मौसम में संशोधन के कारण नैतिक मुद्दे
- 23 Sep 2022
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मेन्स के लिये:मौसम में बदलाव और संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
चीन ने वर्ष 2002 और 2012 के बीच 50 लाख से अधिक मौसम-संशोधन कार्यों का संचालन किया है।
- वर्ष 2020 में चीन ने 5.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में कृत्रिम बारिश या बर्फबारी करने के लिये अपने मौसम-संशोधन कार्यक्रम का विस्तार करने की योजना की घोषणा की, जो भारत के कुल आकार का 1.5 गुना से अधिक है।
- कई देशों ने जल की कमी, पारिस्थितिक संकट और खाद्य सुरक्षा से निपटने के लिये क्लाउड सीडिंग पर शोध और प्रयोग किया है।
मौसम संशोधन:
- मौसम संशोधन (मौसम नियंत्रण के रूप में भी जाना जाता है) जो कि जियो इंजीनियरिंग का एक हिस्सा है, जान-बूझकर मौसम में बदलाव या परिवर्तन करने का कार्य है।
- मौसम संशोधन का सबसे सामान्य रूप क्लाउड सीडिंग (आमतौर पर स्थानीय जल आपूर्ति को बढ़ाने के लिये) है, जो बारिश या हिमपात को बढ़ाता है।
- मौसम संशोधन में हानिकारक मौसम, जैसे कि ओला या तूफान की उत्पत्ति को रोकने का लक्ष्य या दुश्मन के खिलाफ हानिकारक मौसम को उकसाने के लिये सैन्य या आर्थिक युद्ध की रणनीति के रूप में भी हो सकता है जैसे ऑपरेशन पोपेय, जहाँ वियतनाम में मानसून को दीर्घकालिक करने के लिये शुरू किया गया था।
मौसम में संशोधन के कारण नैतिक मुद्दे:
- आम लोगों की त्रासदी:
- 'आम लोगों की त्रासदी' उस स्थिति को संदर्भित करती है जब व्यक्ति अपने स्वयं के हित में तर्कहीन रूप से कार्य करते हुए सामूहिक तर्कसंगत संसाधन को अपूरणीय रूप से समाप्त कर देते हैं जो सार्वजनिक स्वामित्व में होता है।
- चीन की कार्रवाई वैश्विक स्तर पर 'त्रासदी' का एक संभावित उदाहरण है।
- विषम कमज़ोरियाँ:
- कई सबसे कमज़ोर देशों एवं लोगों के लिये मौसम संशोधन के संबंध में चीन की कार्रवाइयाँ गंभीर रूप से अनुचित प्रतीत होती हैं, जो पर्यावरणविदों पर दबाव डालती है।
- अंतर्जनपदीय नैतिकता:
- नैतिकता की एक शाखा जिसे अंतर-पीढ़ीगत नैतिकता कहा जाता है, इस बात की जाँच करती है कि क्या वर्तमान मानवता का नैतिक दायित्व है कि वह भावी पीढ़ियों के लाभ के लिये पर्यावरणीय स्थिरता के प्रयास करे।
मौसम में संशोधन के प्रभाव:
- मानसून को बाधित कर सकता है:
- उदाहरणतः ज्वालामुखी के बादलों की नकल करने हेतु आर्कटिक के ऊपर समताप मंडल में सल्फेट एरोसोल को इंजेक्ट करना, एशिया में मानसून को बाधित कर सकता है और सूखे को बढ़ा सकता है, विशेष रूप से अफ्रीका में दो अरब लोगों के लिये भोजन और जल स्रोतों को खतरे में डाल सकता है।
- इसके अलावा क्लाउड सीडिंग से उत्पन्न अतिरिक्त बर्फ के परिणामस्वरूप मानव-प्रेरित आपदा को ट्रिगर कर सकती हैं।
- रुचियों में भेद:
- तकनीकी आधुनिकीकरण को पर्यावरणीय समस्याओं का सबसे अच्छा समाधान माना जाता है, लेकिन डेटा के अभाव में प्रौद्योगिकी मानव निर्मित आपदाओं के अग्रदूत के रूप में कार्य करती है।
- चीन का सत्तावादी शासन सभी वैज्ञानिकों के दृष्टिकोण को नियंत्रित कर सकता है।
- कुछ लोग भू-अभियांत्रिकी को जलवायु परिवर्तन का त्वरित समाधान मानते हैं। भू-अभियांत्रिकी के विस्तार के रूप में मौसम संशोधन को देखने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन हमें इसे अधिक सटीक बनाने के लिये और अधिक शोध की आवश्यकता है।
भू-अभियांत्रिकी:
- विषय:
- ऑक्सफोर्ड भू-अभियांत्रिकी प्रोग्राम के अनुसार, भू-अभियांत्रिकी जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को बदलने के लिये पृथ्वी की प्राकृतिक प्रणालियों में जान-बूझकर किया गया एक बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप है।
- इसमें ग्रह को ठंडा करने के लिये वैश्विक जलवायु में भौतिक रूप से हेरफेर करने की तकनीक शामिल है।
- श्रेणियाँ:
- इस तकनीक की मुख्यतः तीन श्रेणियाँ हैं:
- सौर विकिरण प्रबंधन (सोलर रेडिएशन मैनेजमेंट-SRM): सौर भू-अभियांत्रिकी या 'धूप को कम करना' हवा में सल्फेट्स का छिड़काव करके अंतरिक्ष में वापस सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करना, बादलों का चमकना या बादलों को अधिक परावर्तक बनाने के लिये खारे पानी का छिड़काव करना।
- कार्बन डाइऑक्साइड हटाने (कार्बन डाइऑक्साइड रिमूवल (Carbon Dioxide Removal- CDR): अधिक कार्बन को अवशोषित करने के लिये पादप प्लवक विकास को प्रोत्साहित करने के लिये समुद्री निषेचन या लोहे या उर्वरक की डंपिंग।
- कार्बन कैप्चर, यूटिलाइज़ेशन और स्टोरेज (CCUS), डायरेक्ट एयर कैप्चर (DAC) और बायोएनर्जी के साथ कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज (BECCS) जैसी कार्बन डाइऑक्साइड रिमूवल तकनीकों को 'पूर्ण शून्य' उत्सर्जन प्राप्त करने के साधन के रूप में प्रस्तावित किया जा रहा है।
- मौसम में बदलाव।
- इस तकनीक की मुख्यतः तीन श्रेणियाँ हैं:
आगे की राह
- एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता:
- मौसम-संशोधन कार्यक्रमों को संचालित करने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता है।
- मौसम परिवर्तन वायुमंडल में होता है, जहाँ कोई सीमा नहीं होती है। यह अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करता है और हमें भू-राजनीति से निपटने के लिये और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
- मौसम-संशोधन कार्यक्रमों को संचालित करने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता है।
- अधिक शोध की आवश्यकता:
- मौसम प्रयोगशाला में प्रयोग करने जैसा नहीं है। इसलिये हमें इसे अधिक सटीक बनाने के लिये और अधिक शोध की आवश्यकता है।
- सामाजिक परिणामों के अलावा नैतिक और नीतिशास्त्रीय मुद्दों पर और अधिक चर्चा करने की आवश्यकता है।
- अधिक सूझ-बूझ की आवश्यकता:
- मौसम परिवर्तन वायुमंडल में होता है, जहाँ कोई सीमा नहीं होती है। लेकिन यह परिवर्तन अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करता है और भू-राजनीति से निपटने के लिये अधिक कल्पना की आवश्यकता होती है।
- इसकी एक स्पष्ट सीमा नहीं है बल्कि एक विशिष्ट प्रकार की शक्ति है जिसे सामान्यतः मानव द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
- भूभौतिकीय राजनीतिज्ञों को यह पहचानने की ज़रूरत है कि पृथ्वी प्रणाली बल अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका निभा सकता है।