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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ परियोजना

  • 18 Oct 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा

मेन्स के लिये:

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा और भारत पर इसका प्रभाव

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

महत्त्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के दस वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में चीन इसकी 10वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस विशाल परियोजना की शुरुआत वर्ष 2013 में की गई थी, जिसका लक्ष्य वैश्विक व्यापार और बुनियादी ढाँचे के विकास को नया आकार देना है।

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव:

  • परिचय:
    • यह वैश्विक कनेक्टिविटी और सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई एक बहुआयामी विकास रणनीति है।
    • इसे वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था और इसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका एवं यूरोप को स्थल तथा समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है।
      • इस परियोजना को पहले 'वन बेल्ट, वन रोड' नाम दिया गया था, किंतु चीनी प्रभुत्त्व के बजाय अधिक खुले और समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाने करने के लिये इसका नाम बदलकर ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) कर दिया गया।
    • इस पहल में दो प्रमुख घटक शामिल हैं: सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट और समुद्री सिल्क रोड
  • बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत मार्ग:
    • सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट:
      • यह घटक भूमि परिवहन मार्गों के नेटवर्क के माध्यम से पूरे यूरेशिया में कनेक्टिविटी, बुनियादी ढाँचे और व्यापार संबंधों को बेहतर बनाने पर केंद्रित है।
    • समुद्री सिल्क रोड:
      • यह बंदरगाहों, शिपिंग मार्गों और समुद्री बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के रूप में समुद्री कनेक्टिविटी एवं सहयोग पर बल देता है।
  • उद्देश्य:
    • BRI का प्राथमिक लक्ष्य बुनियादी ढाँचे, व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ाकर अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है।
      • इस पहल में रेलवे, बंदरगाह, राजमार्ग और ऊर्जा बुनियादी ढाँचे सहित परियोजनाओं की एक विस्तृत शृंखला शामिल है।
  • भौगोलिक गलियारे:
    • भूमि आधारित सिल्क रोड आर्थिक बेल्ट विकास के लिये छह प्रमुख गलियारों की कल्पना करता है:
      • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा(China-Pakistan Economic Corridor- CPEC)
      • न्यू यूरेशियन लैंड ब्रिज आर्थिक गलियारा।
      • चीन-इंडोचाइना प्रायद्वीप आर्थिक गलियारा।
      • चीन-मंगोलिया-रूस आर्थिक गलियारा।
      • चीन-मध्य एशिया-पश्चिम एशिया आर्थिक गलियारा।
      • चीन-म्याँमार आर्थिक गलियारा।

नोट: प्रारंभ में BRI में बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार (BCIM) आर्थिक गलियारा शामिल था। बाद में भारत ने चीन के पश्चिम में शिनजियांग से पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (PoK) के माध्यम से ग्वादर के अरब सागर बंदरगाह तक चलने वाले CPEC पर अपना विरोध जताते हुए BRI में शामिल होने से परहेज़ किया। भारत के भाग न लेने से BCIM गलियारे का निर्माण रुक गया और इसकी जगह बाद में लॉन्च किये गए चीन-म्याँमार आर्थिक गलियारे ने ले ली है

  • आर्थिक प्रभाव:
    • BRI से जुड़े देशों के व्यापार और निवेश में वृद्धि दर्ज की गई है, जिसके परिणामस्वरूप आपसी सहयोग में प्राथमिकता तथा नीतिगत लाभ प्राप्त हुए हैं।
    • BRI भागीदारों के साथ व्यापार में 6.4% की वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की गई, जो वर्ष 2013 और 2022 के बीच 19.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गई।

BRI पर भारत का रुख:

  • भारत संप्रभुता और पारदर्शिता के आधार पर इस परियोजना का विरोध करता है। भारत ने वर्ष 2017 और वर्ष 2019 में चीन द्वारा आयोजित BRI शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया है तथा शंघाई सहयोग संगठन (SCO) द्वारा जारी BRI संयुक्त बयानों का समर्थन नहीं किया है।
    • BRI पर भारत की मुख्य आपत्ति यह है कि इसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) शामिल है, जो पाकिस्तान के अधिकार वाले कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है जिस पर भारत अपना दावा करता है। 
  • भारत का यह भी तर्क है कि BRI परियोजनाओं को अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों, कानून के शासन और वित्तीय स्थिरता का सम्मान करना चाहिये तथा मेज़बान देशों के लिये ऋण जाल या पर्यावरणीय एवं सामाजिक जोखिम उत्पन्न नहीं करना चाहिये।
  • इसके बजाय भारत ने अन्य कनेक्टिविटी पहलों को बढ़ावा दिया है, जैसे वैश्विक अवसंरचना और निवेश के लिये साझेदारी (Partnership for Global Infrastructure Investment- PGII), विकासशील देशों में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को वित्तपोषित करने हेतु G-7 पहल

BRI से संबंधित मुद्दे:

  • ऋण बोझ:
    • BRI परियोजनाओं की ऋण स्थिरता और पारदर्शिता विशेष रूप से कमज़ोर शासन, अधिक भ्रष्टाचार तथा कम क्रेडिट रेटिंग वाले देशों में।
      • कुछ आलोचकों ने चीन पर श्रीलंका और ज़ाम्बिया जैसे देशों को धन उधार देकर "ऋण-जाल कूटनीति" में उन्हें शामिल करने का आरोप लगाया है जो अंततः ऋण चुकाने में असमर्थ होते हैं और फिर चीन उन देशों की रणनीतिक संपत्तियों को ज़ब्त कर लेता हैं या बदले में उनसे राजनीतिक रियायतों की मांग करता है।
  • बहुपक्षीय शासन:
    • BRI बहुपक्षीय पहल नहीं है, बल्कि अधिकतर द्विपक्षीय परियोजनाओं का एक संग्रह है। यह विकेंद्रीकृत दृष्टिकोण समन्वय और शासन संबंधी चुनौतियों को उत्पन्न कर सकता है।
  • राजनीतिक तनाव:
    • भारत-चीन सीमा विवाद जैसे भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और विवादों ने कुछ क्षेत्रों में BRI परियोजनाओं के कार्यान्वयन को प्रभावित किया है। ये राजनीतिक तनाव पहल की प्रगति को कमज़ोर कर सकते हैं।
  • पर्यावरण और सामाजिक चिंताएँ:
    • BRI के तहत बुनियादी ढाँचा विकास परियोजनाओं को उनके संभावित पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों के लिये आलोचना का सामना करना पड़ा है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि BRI परियोजनाएँ पर्यावरण की दृष्टि से धारणीय हैं और स्थानीय समुदायों की भलाई पर विचार करना चुनौतीपूर्ण है।
  • भू-रणनीतिक चिंताएँ:
    • BRI ने विशेष रूप से साझेदार देशों में महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे पर चीन के बढ़ते प्रभाव और नियंत्रण के संबंध में भू-राजनीतिक चिंताओं को बढ़ा दिया है। इन चिंताओं ने कुछ देशों को इस पहल में अपनी भागीदारी का पुनर्मूल्यांकन करने के लिये प्रेरित किया है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में देखा जाने वाला बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव  का उल्लेख किसके संदर्भ में किया जाता है? (2016) 

(a) अफ्रीकी संघ
(b) ब्राज़ील
(c) यूरोपीय संघ
(d) चीन

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) को चीन की बड़ी 'वन बेल्ट वन रोड' पहल के मुख्य उपसमुच्चय के रूप में देखा जाता है। CPEC का संक्षिप्त विवरण दीजिये और उन कारणों का उल्लेख कीजिये जिनकी वज़ह से भारत ने खुद को इससे दूर किया है। (2018)

प्रश्न. "चीन एशिया में संभावित सैन्य शक्ति की स्थिति विकसित करने के लिये अपने आर्थिक संबंधों और सकारात्मक व्यापार अधिशेष का उपयोग उपकरण के रूप में कर रहा है"। इस कथन के आलोक में भारत पर पड़ोसी देश के रूप में इसके प्रभाव की चर्चा कीजिये। (2017)

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