सामाजिक न्याय
भारत में चाइल्ड वेस्टिंग
- 27 May 2023
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:इंडिया चाइल्ड वेस्टिंग, UNICEF, WHO, विश्व बैंक, कुपोषण, WHA, SDG मेन्स के लिये:इंडिया चाइल्ड वेस्टिंग |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में UNICEF (संयुक्त राष्ट्र बाल कोष), WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन), विश्व बैंक समूह ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसका शीर्षक है- "बाल कुपोषण का स्तर और रुझान: संयुक्त बाल कुपोषण अनुमान (JME)", जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2020 में 18.7% भारतीय बच्चे खराब पोषक तत्त्वों के सेवन के कारण वेस्टिंग से प्रभावित थे।
संयुक्त कुपोषण अनुमान (JME):
- वर्ष 2011 में JME समूह को सामंजस्यपूर्ण बाल कुपोषण के अनुमानों को संबोधित करने हेतु बनाया गया था।
- एजेंसी की टीम बच्चों के स्टंटिंग, अधिक वज़न, कम वज़न, वेस्टिंग तथा गंभीर वेस्टिंग के लिये वार्षिक अनुमान जारी करती है।
- स्टंटिंग, वेस्टिंग, अधिक वज़न और कम वज़न के संकेतकों के लिये बाल कुपोषण का अनुमान अल्प एवं अतिपोषण के परिमाण का वर्णन करता है।
- UNICEF-WHO-WB संयुक्त बाल कुपोषण अनुमान अंतर-एजेंसी समूह नियमित रूप से प्रत्येक संकेतक के लिये व्यापकता और संख्या में वैश्विक एवं क्षेत्रीय अनुमानों को अद्यतन करता है।
- वर्ष 2023 के संस्करण के प्रमुख निष्कर्षों में सभी उल्लिखित संकेतकों के लिये वैश्विक और क्षेत्रीय रुझान के साथ-साथ बौनापन (स्टंटिंग) और अधिक वज़न वाले बच्चों के लिये देश-स्तरीय मॉडल अनुमान शामिल हैं।
रिपोर्ट के निष्कर्ष:
- वेस्टिंग:
- विश्व में वेस्टिंग वाले सभी बच्चों की संख्या में से आधी भारत में निवास करती है।
- वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर पाँच वर्ष से कम आयु के 45 मिलियन बच्चे (6.8%) वेस्टिंग से प्रभावित थे, जिनमें से 13.6 मिलियन गंभीर वेस्टिंग से पीड़ित थे।
- गंभीर बौनापन (वेस्टिंग) वाले सभी बच्चों में से तीन-चौथाई से अधिक एशिया में रहते हैं और अन्य 22% अफ्रीका में रहते हैं।
- स्टंटिंग: .
- वर्ष 2022 में भारत में स्टंटिंग दर 31.7% थी, जो एक दशक पूर्व वर्ष 2012 में 41.6% थी।
- वर्ष 2022 में विश्व भर में पाँच वर्ष से कम उम्र के करीब 148.1 मिलियन बच्चे स्टंटिंग से प्रभावित थे।
- लगभग सभी प्रभावित बच्चे एशिया (वैश्विक हिस्सेदारी का 52%) अफ्रीका के थे।
- वर्ष 2022 में विश्व भर में पाँच वर्ष से कम उम्र के करीब 148.1 मिलियन बच्चे स्टंटिंग से प्रभावित थे।
- वर्ष 2022 में भारत में स्टंटिंग दर 31.7% थी, जो एक दशक पूर्व वर्ष 2012 में 41.6% थी।
- अधिक वज़न:
- पाँच वर्ष से कम उम्र के 37 मिलियन बच्चे विश्व स्तर पर अधिक वज़न वाले हैं इनमें वर्ष 2000 के बाद से लगभग चार मिलियन की वृद्धि हुई है।
- वर्ष 2012 में 2.2% की तुलना में वर्ष 2022 में भारत में अधिक वज़न का प्रतिशत 2.8% था।
- प्रगति:
- वर्ष 2025 विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) के वैश्विक पोषण लक्ष्यों और संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनिवार्य सतत् विकास लक्ष्य 2.2 तक पहुँचने के लिये अपर्याप्त प्रगति की है।
- WHA के वैश्विक पोषण लक्ष्य हैं:
- 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बौनेपन को 40% तक कम करना।
- 19-49 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं में एनीमिया के प्रसार को 50% तक कम करना ।
- कम वज़न वाले बच्चों में 30% की कमी सुनिश्चित करना।
- सुनिश्चित करें कि बचपन में अधिक वज़न न बढ़े।
- प्रारंभ के छह माह में केवल स्तनपान की दर को कम-से-कम 50% तक करना।
- बचपन में वेस्टिंग(कद के अनुपात में वज़न का कम होना) को कम करके 5% से कम रखना।
- WHA के वैश्विक पोषण लक्ष्य हैं:
- सभी देशों में से केवल एक-तिहाई देश वर्ष 2030 तक स्टंटिंग (आयु के अनुपात में कद का कम होना) से प्रभावित बच्चों की संख्या को आधा करने के लिये सही दिशा पर कार्यरत हैं और लगभग एक-चौथाई देशों के लिये प्रगति का आकलन संभव नहीं हो पा रहा है।
- यहाँ तक कि कम देशों में अधिक वज़न के लिये वर्ष 2030 के 3% प्रसार के लक्ष्य को प्राप्त करने की अपेक्षा है, वर्तमान में छह देशों में से केवल एक ही सही दिशा पर है।
- लगभग आधे देशों के लिये वेस्टिंग (कद के अनुपात में वज़न का कम होना) के लक्ष्य की दिशा में प्रगति का आकलन संभव नहीं है।
- वर्ष 2025 विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) के वैश्विक पोषण लक्ष्यों और संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनिवार्य सतत् विकास लक्ष्य 2.2 तक पहुँचने के लिये अपर्याप्त प्रगति की है।
सिफारिशें
- गंभीर वेस्टिंग से पीड़ित बच्चों को जीवित रहने के लिये शीघ्र निदान तथा समय पर उपचार एवं देखभाल की आवश्यकता होती है।
- विश्व को वर्ष 2030 तक स्टंटिंग वाले बच्चों की संख्या को 89 मिलियन तक कम करने के वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त के लिये अत्यधिक गहन प्रयासों की आवश्यकता है।
- कुछ क्षेत्रों में उपलब्ध आँकड़ों में अंतर वैश्विक लक्ष्यों की दिशा में प्रगति का सटीक आकलन करना चुनौतीपूर्ण बना देता है। इसलिये देश, क्षेत्रीय तथा वैश्विक स्तर पर बाल कुपोषण पर प्रगति की निगरानी और विश्लेषण करने के लिये नियमित डेटा संग्रह महत्त्वपूर्ण है।
कुपोषण क्या है?
- परिचय:
- कुपोषण किसी व्यक्ति में पोषक तत्त्वों के सेवन में कमी, अधिकता या असंतुलन को संदर्भित करता है।
- कुपोषण शब्द शर्तों के दो व्यापक समूहों को शामिल करता है।
- पहला है 'अल्पपोषण'- जिसमें स्टंटिंग (उम्र के हिसाब से कम लंबाई), वेस्टिंग (ऊँचाई के हिसाब से कम वज़न), कम वज़न (उम्र के हिसाब से कम वज़न) और सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी या अपर्याप्तता (महत्त्वपूर्ण विटामिन और खनिजों की कमी) शामिल हैं।
- दूसरा है अधिक वज़न मोटापा और आहार से संबंधित गैर-संचारी रोग (जैसे- हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह और कैंसर)।
- बचपन में अधिक वज़न की स्थिति तब होती है जब भोजन और पेय पदार्थों से बच्चों की कैलोरी की मात्रा उनकी ऊर्जा आवश्यकताओं से अधिक हो जाती है।
- कुपोषण से संबंधित भारतीय पहल: