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सामाजिक न्याय

IMR, MMR और कुपोषण से निपटने में भारत की प्रगति

  • 05 Dec 2022
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर, कुपोषण, अल्पपोषण, NFHS-5, भारत के महापंजीयक, पोषण अभियान, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, ICDS योजना, एनीमिया, प्रच्छन भूख, कुपोषण से निपटने की पहल

मेन्स के लिये:

कुपोषण, IMR और MMR से निपटने में चुनौतियाँ और भारत की संबंधित पहल

चर्चा में क्यों?

भारत के महापंजीयक (RGI) द्वारा प्रस्तुत आँकड़े वर्ष 2005 के बाद भारत की मातृ और शिशु मृत्यु दर (MMR और IMR) में गिरावट की गति में वृद्धि दर्शाते हैं।

  • दुर्भाग्य से, पोषण एक प्रमुख क्षेत्र है जो किसी भी बड़ी प्रगति से दूर है।

भारत का महापंजीयक (Registrar General of India):

  • वर्ष 1961 में भारत का महापंजीयक की स्थापना गृह मंत्रालय के तहत भारत सरकार द्वारा की गई थी। यह भारत की जनगणना और भारतीय भाषा सर्वेक्षण सहित भारत के जनसांख्यिकीय सर्वेक्षणों के परिणामों की व्यवस्था, संचालन तथा विश्लेषण करता है।
  • प्रायः एक सिविल सेवक को ही रजिस्ट्रार के पद पर नियुक्त किया जाता है जिसकी रैंक संयुक्त सचिव पद के समान होती है।
  • RGI का कार्यालय मुख्य रूप से निम्नलिखित के संचालन हेतु ज़िम्मेदार है:

MMR और IMR को कम करने में प्रगति:

  • गिरावट के रुझान:
    • RGI के कार्यालय द्वारा जारी एक विशेष बुलेटिन के अनुसार, भारत का MMR वर्ष 2001-03 के दौरान 301 की तुलना में वर्ष 2018-2020 में 97 था।
    • IMR भी वर्ष 2005 में 58 की तुलना में घटकर 27 (वर्ष 2021 तक) हो गया है।
      • इस संदर्भ में ग्रामीण-शहरी अंतराल भी कम हो गया है।
  • NHM और NRHM की भूमिका: पिछले कुछ वर्षों से राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) शिशु और मातृ मृत्यु दर में कमी के मामले में देश के लिये गेम चेंजर रहे हैं।
    • प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल की एक सार्वजनिक प्रणाली के माध्यम से सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिये वर्ष 2005 में NRHM शुरू किया गया था।
    • NHM को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2013 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (2005 में लॉन्च) और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (2013 में लॉन्च) को एकीकृत करते हुए लॉन्च किया गया था।

NHM

कुपोषण से निपटने का परिदृश्य:

  • परिचय:
    • कुपोषण वह स्थिति है जो तब विकसित होती है जब शरीर विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्त्वों से वंचित हो जाता है, जिससे उसे स्वस्थ ऊतक तथा अंग के कार्य को बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
    • कुपोषण उन लोगों में होता है जो या तो अल्पपोषित होते हैं या अधिक पोषित होते हैं।
  • NFHS 5 के निष्कर्ष:
    • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5, 2019-21 की रिपोर्ट के अनुसार- 5 वर्ष से कम उम्र के 35.5 प्रतिशत बच्चे अविकसित हैं, 19.3 प्रतिशत कमज़ोर हैं और 32.1 प्रतिशत कम वजन वाले हैं।
      • मेघालय में अविकसित बच्चों की संख्या सबसे अधिक (46.5%) है, इसके बाद बिहार (42.9%) का स्थान है।
      • महाराष्ट्र में 25.6% चाइल्ड वेस्टिंग/बच्चों में निर्बलता सबसे अधिक हैं, इसके बाद गुजरात (25.1%) का स्थान है।
    • NFHS-4 की तुलना में, NFHS -5 में अधिकांश राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में अधिक वजन या मोटापे की व्यापकता में वृद्धि हुई है।
      • राष्ट्रीय स्तर पर, यह महिलाओं के बीच 21% से बढ़कर 24% और पुरुषों के बीच 19% से 23% हो गया।
    • भारत के सभी राज्यों में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों (58.6 से 67%), महिलाओं (53.1 से 57%) में एनीमिया की स्थिति बिगड़ गई है।
  • सरकार की पहलों की अक्षमता:
    • पोषण अभियान, हालांँकि अभिनव है, अभी भी संस्थागत विकेंद्रीकृत सार्वजनिक कार्रवाई चुनौती को संबोधित नहीं कर पा रहा है।
    • पोषण के लिये की गई पहल विखंडित बनी हुई है; स्थानीय पंचायतों और असंबद्ध वित्तीय संसाधनों वाले समुदायों की संस्थागत भूमिका अभी भी पिछड़ रही है।
  • अन्य मुद्दे:
    • गरीबी, अल्पपोषण, कम कार्य क्षमता, कम कमाई और गरीबी का दुष्चक्र।
    • मलेरिया और खसरा जैसे संक्रमण तीव्र कुपोषण को जन्म देते हैं और मौजूदा पोषण संबंधी कमी को बढ़ाते हैं।
    • किसी परिवार की BPL स्थिति निर्धारित करने में अवैज्ञानिकता और अंतर-राज्य-भिन्नता के परिणामस्वरूप भूख की अवैज्ञानिकता पहचान होती है।
    • सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी (प्रच्छन भूख) के प्रति लापरवाही और पोषण तथा स्तनपान के बारे में माताओं के बीच अपर्याप्त ज्ञान।

कुपोषण से निपटने के लिये पहल:  

  • पोषण अभियान: भारत सरकार ने 2022 तक "कुपोषण मुक्त भारत" सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय पोषण मिशन (NNM) या पोषण अभियान शुरू किया है।
  • एनीमिया मुक्त भारत अभियान: 2018 में शुरू किये गए, मिशन का उद्देश्य एनीमिया की गिरावट की वार्षिक दर को एक से तीन प्रतिशत तेज़ करना है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013: इसका उद्देश्य अपनी संबद्ध योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से सबसे कमज़ोर वर्गों के लिये खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY): गर्भवती महिलाओं के प्रसव के लिये बेहतर सुविधाओं का लाभ उठाने के लिये उनके बैंक खातों में सीधे 6,000 रुपए हस्तांतरित किये जाते हैं।
  • एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना: यह 1975 में शुरू की गई थी और इस योजना का उद्देश्य 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और उनकी माताओं को भोजन, पूर्वस्कूली शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच और रेफरल सेवाएँ प्रदान करना है।
  • ईट राइट इंडिया और फिट इंडिया मूवमेंट स्वस्थ भोजन और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिये कुछ अन्य पहल हैं।

पोषण की सफलता के लिये पुनर्गठन सिद्धांत:

  • ज़मीनी स्तर के प्रशासन (ग्राम पंचायत, ग्राम सभा और अन्य सामुदायिक संगठनों) को शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, कौशल और विविध आजीविका की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
  • विकेंद्रीकृत वित्तीय संसाधनों के साथ ग्राम-विशिष्ट योजना प्रक्रिया का संचालन करना।
  • मूल्यांकन (और तदनुसार वृद्धि) (A) घरेलू दौरे सुनिश्चित करने के लिये क्षमता विकास के साथ अतिरिक्त देखभाल करने वालों की आवश्यकता और (B) पोषण में परिणामों के लिये आवश्यक निगरानी की तीव्रता
  • कदन्न सहित स्थानीय भोजन की विविधता को प्रोत्साहित करना।
  • तीव्र व्यवहार संचार।
  • सामुदायिक संबंध और माता-पिता की भागीदारी के साथ प्रत्येक आंँगनवाड़ी केंद्र में मासिक स्वास्थ्य दिवसों को संस्थागत बनाना।
  • सशक्तीकरण के लिये और कौशल के माध्यम से विविध आजीविका के लिये हर गांँव में किशोर लड़कियों के लिये एक मंच बनाना।

निष्कर्ष:

  • एक विषय के रूप में पोषण के लिये संपूर्ण सरकार और पूरे समाज के दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। प्रौद्योगिकी सबसे अच्छा एक साधन हो सकती है और निगरानी भी स्थानीय हो सकती है। पंचायत और सामुदायिक संगठन आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका हैं।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs) 

प्रिलिम्स:

प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन' के उद्देश्य हैं? (2017)

  1. गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण के बारे में ज़ागरूकता पैदा करना।
  2. छोटे बच्चों, किशोरियों और महिलाओं में एनीमिया के मामलों को कम करना।
  3. बाजरा, मोटे अनाज और बिना पॉलिश किये चावल की खपत को बढ़ावा देना।
  4. पोल्ट्री अंडे की खपत को बढ़ावा देना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a)  केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) केवल 3 और 4

उत्तर: A

व्याख्या:

  • राष्ट्रीय पोषण मिशन (पोषण अभियान) महिला और बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जो आंँगनवाड़ी सेवाओं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, स्वच्छ-भारत मिशन आदि जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के साथ अभिसरण सुनिश्चित करता है।
  • राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनएनएम) का लक्ष्य 2017-18 से शुरू होकर अगले तीन वर्षों के दौरान 0-6 वर्ष के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की पोषण स्थिति में समयबद्ध तरीके से सुधार करना है। अतः कथन 1 सही है।
  • एनएनएम का लक्ष्य स्टंटिंग, अल्पपोषण, एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोर लड़कियों के बीच) को कम करना तथा बच्चों के जन्म के समय कम वज़न की समस्या को दूर करना है। अत: कथन 2 सही है।
  • एनएनएम के तहत बाजरा, बिना पॉलिश किये चावल, मोटे अनाज और अंडों की खपत से संबंधित ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। अत: कथन 3 और 4 सही नहीं हैं। Which of the following are the objectives of ‘National Nutrition Mission’? (2017)

मेन्स:

क्या महिला स्वयं सहायता समूहों के माइक्रोफाइनेंसिंग माध्यम से लैंगिक असमानता, गरीबी और कुपोषण के दुष्चक्र को तोड़ा जा सकता है? उदाहरणों सहित समझाइए। (2021)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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