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जैव विविधता और पर्यावरण

भारत और सतत् विकास लक्ष्य

  • 06 Aug 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी), संयुक्त राष्ट्र, जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना, हरित जलवायु कोष (जीसीएफ)।

मेन्स के लिये:

सतत् विकास लक्ष्य (SDGs) और लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत की अग्रणी भूमि का।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में केंद्रीय राज्य मंत्री (पर्यावरण, वन और जलवायु) ने कहा कि भारत लगातार अपने सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त कर रहा है।

सतत् विकास लक्ष्य (SDG):

  • सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को वैश्विक लक्ष्यों के रूप में भी जाना जाता है, वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा गरीबी को समाप्त करने, ग्रह की रक्षा करने और वर्ष 2030 तक सभी की शांति एवं समृद्धि को सुनिश्चित करने के लिये इसे एक सार्वभौमिक आह्वान के रूप में अपनाया गया था
    • 17 SGDs एकीकृत हैं- इन लक्ष्यों के अंतर्गत एक क्षेत्र में की गई कार्रवाई दूसरे क्षेत्र के परिणामों को प्रभावित करेगी और इनके अंतर्गत सामाजिक, आर्थिक तथा पर्यावरणीय रूप से स्थिर/वहनीय विकास होगा।
    • यह पिछड़े देशों को विकास क्रम में प्राथमिकता प्रदान करता है।
    • SDGs को गरीबी, भुखमरी, एड्स और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को समाप्त करने के लिये बनाया गया है।
    • भारत ने हाल के वर्षों में विशेष रूप से SDGs के 13वें लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयास किये हैं।
      • यह लक्ष्य जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान करता है।

SDG

जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों की प्राप्ति में भारत की प्रगति:

  • भारत ने वर्ष 2020 से पहले के अपने स्वैच्छिक लक्ष्य को हासिल कर लिया है। संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के तहत कोई बाध्यकारी दायित्व नहीं होने के बावजूद, वर्ष 2009 में भारत ने वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में वर्ष 2020 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 20-25% तक कम करने के अपने स्वैच्छिक लक्ष्य की घोषणा की।
    • भारत ने वर्ष 2005 और 2016 के बीच अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता में 24% की कमी की है।
  • पेरिस समझौते के अनुसार, भारत ने वर्ष 2015 में UNFCCC में अपन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) प्रस्तुत किया, जिसमें वर्ष 2021-2030 की अवधि के लिये आठ लक्ष्यों की रूपरेखा को शामिल किया गया है, ये हैं:
    • अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक 33 से 35% तक कम करना।
    • वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 40% संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता प्राप्त करने के लिये हरित जलवायु कोष (GCF) सहित प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और कम लागत वाली अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सहायता प्राप्त करना।
    • वर्ष 2030 तक अतिरिक्त वन और वृक्षों के आवरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन CO2 के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण करना।
    • अन्य लक्ष्य स्थायी जीवनशैली से संबंधित हैं; जलवायु के अनुकूल विकास पथ; जलवायु परिवर्तन अनुकूलन; जलवायु वित्त; प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण।
    • जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिये भारत की हालिया पहल (और इस तरह सतत् विकास लक्ष्य को प्राप्त करना)- वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो, हरित ऊर्जा संक्रमण आदि।

जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना (NAPCC):

  • उपर्युक्त लक्ष्यों के अलावा, भारत सरकार जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना को भी लागू कर रही है जो शमन और अनुकूलन सहित सभी जलवायु कार्यों के लिये एक व्यापक नीतिगत ढाँचा प्रदान करती है।
  • इसमें सौर ऊर्जा के विशिष्ट क्षेत्रों में आठ मुख्य मिशन शामिल हैं- ऊर्जा दक्षता में वृद्धि, स्थायी आवास, जल, हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र, हरित भारत, स्थायी कृषि और जलवायु परिवर्तन के लिये रणनीतिक ज्ञान।
  • 33 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने NAPCC के उद्देश्यों के अनुरूप जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्ययोजना (SAPCC) तैयार की है।
  • भारत के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अनुकूलन गतिविधियों को राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कोष (NAFCC) के माध्यम से समर्थन दिया जा रहा है।
    • NAFCC को प्रोजेक्ट मोड में लागू किया गया है और अब तक 27 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में NAFCC के तहत 30 अनुकूलन परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है।

आगे की राह

  • भारत जैसे विविधता वाले देश में SDG हासिल करना निश्चित रूप से एक कठिन कार्य होगा, लेकिन यह असंभव नहीं है।
  • हमें प्राथमिकताओं को स्पष्ट रूप से पहचानने, स्थानीय रूप से प्रासंगिक और जन-केंद्रित विकास नीतियाँ एवं मज़बूत भागीदारी बनाने की आवश्यकता है।
  • सरकार को प्रभाव पर नज़र रखने और मूल्यांकन करने तथा सफल हस्तक्षेपों को बढ़ाने के लिये एक केंद्रित योजना की भी आवश्यकता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. सतत् विकास लक्ष्यों को पहली बार 1972 में 'क्लब ऑफ रोम' नामक एक वैश्विक थिंक टैंक द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
  2. सतत् विकास लक्ष्यों को 2030 तक हासिल करना है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: B

व्याख्या:

  • 17 सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को वैश्विक लक्ष्यों के रूप में भी जाना जाता है, वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा गरीबी को समाप्त करने, ग्रह की रक्षा करने और वर्ष 2030 तक सभी की शांति और समृद्धि को सुनिश्चित करने के लिये इसे एक सार्वभौमिक आह्वान के रूप में अपनाया गया था।
  • ये सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों की सफलता के आधार पर बनाए गए हैं, जिसमें जलवायु परिवर्तन, आर्थिक असमानता, नवाचार, स्थायी उपभोग, शांति और न्याय जैसे नए क्षेत्रों सहित अन्य प्राथमिकताएँ शामिल हैं।
  • इन लक्ष्यों के उद्देश्य आपस में अंतःसंबंधित हैं, एक की सफलता से दूसरे मुद्दे की सफलता सुनिश्चित होती है।
  • वर्ष 2015 में अपनाया गया SDG जनवरी 2016 में प्रभावी हुआ। इसे 2030 तक हासिल किया जाना है। अतः कथन 2 सही है।
  • SDG की उत्पति वर्ष 2012 में रियो डी जनेरियो में सतत् विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में हुई थी। क्लब ऑफ रोम ने पहली बार वर्ष 1968 में अधिक व्यवस्थित तरीके से संसाधनों के संरक्षण की वकालत की थी। अतः कथन 1 सही नहीं है।

प्रश्न. सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने के लिये सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच अनिवार्य है।" इस संबंध में भारत में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2018)।

प्रश्न. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सतत् विकास लक्ष्य-4 (2030) के अनुरूप है। यह भारत में शिक्षा प्रणाली के पुनर्गठन और पुनर्रचना का इरादा रखती है। कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2020)

स्रोत: पी.आई.बी.

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